T.L.P 79 “Is there a subtle world in Satyayug- Treta- Dwapar- Kaliyug

T.L.P 79 “क्या सतयुग- त्रेता- द्वापर-कलियुग में सूक्ष्मवतन है

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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कौन बनेगा पद्मा पदम पति? सभी बनेंगे पद्मा पदम पति। कैसे बनेंगे? जब हम हर कर्म पदम करेंगे। पदम अर्थात कमल फूल समान – जैसे वह कीचड़ से अलग रहता है, ऐसे हम इस पतित दुनिया में रहते हुए इनसे अलग सतयुगी कर्म, अकर्म करेंगे। जिसके लिए बाबा की श्रीमत बहुत-बहुत हेल्प करती है, बहुत-बहुत सहयोग देती है। और श्रीमत का मंथन करना – इसके लिए बाबा रोज हमें समझाते हैं कि जितना बैठकर मन मना भव करेंगे, जितना बैठकर मंथन करेंगे, उतना ही आप सहज रीति से अपने आप को चला सकेंगे। हर कर्म बाबा की श्रीमत पर हो – क्या है बाबा की श्रीमत? उसको हम मंथन से निकालेंगे।

सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलयुग में सूक्ष्म वतन होगा क्या?

नहीं होगा। नहीं, नहीं होगा भाई जी। बाबा ने कहा है सूक्ष्म वतन सिर्फ संगम पर होता है। चलो हम देखते हैं – बाबा आते हैं, तब पता चलता है। बाबा के बताने से सूक्ष्म वतन क्या है? क्या सतयुग, द्वापर, कलयुग में सूक्ष्म वतन होगा? इसको हम चर्चा करते हैं – क्या होता है सूक्ष्म वतन का अस्तित्व और उसका स्वरूप?

सूक्ष्म वतन सदा रहता है या केवल संगम युग में ही है? यह प्रश्न उठता है कि सूक्ष्म वतन केवल संगम युग में ही होता है या सतयुग, त्रेता, द्वापर, कलयुग – चारों युगों में भी अस्तित्व में रहता है?

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो कोई भी तत्व या स्थान संपूर्ण रूप से नष्ट नहीं होते। कोई भी तत्व, कोई भी स्थान – प्रकृति का नियम है – जो थे, हैं और रहेंगे। वह कभी नष्ट नहीं होते। उनका रूप परिवर्तन हो सकता है, परंतु वह नष्ट नहीं हो सकते। वे सत्-प्रधान से तमो-प्रधान बन सकते हैं, परंतु नष्ट नहीं हो सकते। यह हम तत्व के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं – चाहे वह आध्यात्मिक दृष्टि से लें, चाहे विज्ञान की दृष्टि से। स्थान पूर्ण रूप से नष्ट नहीं होते, वे केवल अपने स्वरूप में परिवर्तन करते हैं।

इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि सूक्ष्म वतन हर युग में अवश्य होगा, परंतु उसकी भूमिका और प्रभाव समय के अनुसार भिन्न होंगे। तत्त्वों का स्वरूप और परिवर्तन विश्व नाटक के अनुसार आत्माओं का पार्ट समय-समय पर बदलता रहता है। आत्मा अजर, अमर, अविनाशी है। वैसे ही तत्त्वों का स्वरूप भी परिवर्तित होता रहता है।

एक चक्कर लगाने के बाद तत्त्व वापस अपने उसी रूप में आ जाते हैं – जैसे कार्बन डाइऑक्साइड का चक्र है, नाइट्रोजन का चक्र है, ऑक्सीजन का चक्र है – हर एक का एक चक्र है। पानी का एक चक्र है। और जो भी चीज है, वह एक सर्कल में सब घूम रही है, घूमकर वापस अपने उसी रूप में आ जाती है।

किंतु वहां इसका कोई प्रत्यक्ष कारोबार नहीं होगा, ना ही आत्माओं की इसकी कोई अनुभूति होगी। यह स्थान केवल सूक्ष्म रूप में बना रहेगा।

अब यह जो है न, जिसने लिखा है, उसकी बुद्धि में यह बात बैठी हुई है – जो सोचता है कि कोई स्थान है, जहां हम सूक्ष्म वतन को समझ सकते हैं। और इसने अपनी बुद्धि से कहीं – बाबा ने ऐसा कुछ नहीं बताया। यह अपनी बुद्धि से ही फैसला कर रहा है कि सूक्ष्म वतन कोई एक स्थान है।

लेकिन इसकी महत्ता और प्रभाव संगम युग में विशेष रूप से प्रकट होता है।

अब जैसे हम समझ रहे हैं कि संगम युग पर सूक्ष्म वतन होता है, यह बात राइट है कि संगम युग पर सूक्ष्म वतन प्रकट होता है – सबको समझ में आता है।

सूक्ष्म वतन के नाम से सक्षम वतन – साकार बाबा ने इस विषय पर स्पष्ट रूप से बताया है।

परंतु इस डेट की मुरली जो इन्होंने दी है – 19 जनवरी 2002 – उस टाइम की मुरली कहीं अवेलेबल नहीं है। फिर भी उस मुरली को मैंने एक्सेप्ट कर लिया है। इसमें जो उसने अपनी तरफ से कल्पना की थी, उस कल्पना को मैंने हटा दिया है। उसने इसमें ब्रैकेट में अपनी तरफ से कुछ-कुछ लिख दिया था।

तीन तत्व की कल्पना

उसने लिखा – “आकाश बहुत सूक्ष्म तत्व है। आकाश क्या है? सबसे सूक्ष्म तत्व। अच्छा, उनसे भी ऊपर देवता रहते हैं। आकाश से भी ऊपर कौन रहते हैं? देवता रहते हैं। वे भी पोलर हैं। आकाश में बैठे हैं।” अब कौन बैठेगा आकाश में? फिर भी उनसे भी ऊपर और आकाश है। उसमें भी आत्माओं के बैठने की जगह है। वे भी आकाश है – उसको ब्रह्म तत्व कहते हैं।

यह तीन तत्व हैं – कौन से? यह समझ में नहीं आया। एक आकाश तत्व, एक सूक्ष्म तत्व, और ब्रह्म तत्व।

अब इसने तत्व बना दिया – स्थूल, सूक्ष्म और मूल।

ये तत्व नहीं हैं। ये तीन लोक हैं – एक स्थूल लोक है, एक सूक्ष्म लोक है, एक मूल लोक है – जिसे हम परमधाम कहते हैं।

यह उसकी अपनी इमेजिनेशन है। उसने मुरली को चेंज किया है।

सूक्ष्म वतन का स्वरूप

सूक्ष्म वतन केवल संगम युग का एक विशेष स्थान मात्र नहीं बल्कि यह संपूर्ण विश्व नाटक में अपने रूप में बना रहता है।

सूक्ष्म वतन क्या होता है?

संकल्पों से रची गई दुनिया।

यह वास्तव में कोई स्थूल रूप में कोई जगह नहीं होती, कोई दुनिया नहीं होती। आकाश तत्व में कोई आकृति नहीं बनती है, परंतु जब हम विजुअलाइज़ करते हैं तो हम एक आकृति बना लेते हैं।

सूक्ष्म वतन को समझना है तो समझो – सूक्ष्म वतन केवल हमारे संकल्प की दुनिया है। जैसा हम विजुअलाइज़ करेंगे वैसा हमें दिखाई देता जाएगा।

व्यक्तिगत अनुभव और विज़ुअलाइज़ेशन

अगर हम किसी दादी-दादा को याद करें, जिन्होंने शरीर छोड़ा है, तो उनकी आकृति हमारे सामने आ सकती है – परंतु यह सच्चाई है कि वो है नहीं।

इसी प्रकार कोई आत्मा सूक्ष्म शरीर लेती है तो वह केवल आकृति दिखाई देती है – होती नहीं। आत्मा को हम देख नहीं सकते – आकृति दिखाई देती है।

सूक्ष्म सेवा

आप योग में बैठकर मनसा सेवा करें, सकाश दें – तो वह आत्मा जिसे आपने संकल्प भेजा है, उसे अनुभव हो सकता है कि आपने उसे संदेश दिया।

यह आपके सूक्ष्म शरीर का काम है।

संदेश और सकाश

ब्रह्मा बाबा भी सूक्ष्म शरीर से सकाश देते हैं। हम आत्माएं भी सकाश दे सकती हैं।

भोग भी सूक्ष्म वतन में लगता है – परंतु नियम अनुसार वहां कोई खाता नहीं।

संदेश भी बाबा नियमित आत्माओं के माध्यम से देते हैं – यह भी क्लियर कहा गया है।

निष्कर्ष

सूक्ष्म वतन सदा रहता है – परंतु संगम युग में उसकी भूमिका और अनुभव विशेष रूप से होते हैं।

यह कोई भौतिक स्थान नहीं है, कोई विशेष जगह नहीं है।

ब्रह्मा पुरी, विष्णु पुरी, शंकर पुरी – यह केवल समझाने के लिए बनाए गए चित्र हैं। यह संकल्पों की दुनिया है।

सूक्ष्म शरीर क्या है?

सूक्ष्म शरीर – वही जो अभी दिखाई दे रहा है, उसका सूक्ष्म रूप बन जाता है।

अंत में

संगम युग में सूक्ष्म वतन का विशेष महत्व है क्योंकि यह आत्माओं के बीच परिवर्तन और दिव्यता के अनुभवों का आधार बनता है।

यह स्थान ब्रह्मलोक और परमधाम के बीच की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी है।

सूक्ष्म वतन का सार:

कोई विशेष स्थान नहीं है।

हर आत्मा का विजुअलाइजेशन, संकल्पों की दुनिया है।

संगम युग में इसका अनुभव विशेष होता है।

साक्षात्कार, सकाश, संदेश – सब इसके माध्यम से अनुभव किए जाते हैं।

🌸 कौन बनेगा पद्मा पदम पति?

– सभी बनेंगे पद्मा पदम पति। लेकिन कैसे? आइए समझते हैं प्रश्नों के उत्तरों से।


प्रश्न 1: कौन बन सकता है पद्मा पदम पति?

✅ उत्तर:हर आत्मा बन सकती है पद्मा पदम पति – जब वह हर कर्म श्रीमत पर, पद्म अर्थात कमल पुष्प समान करती है।
कमल की तरह संसार में रहते हुए भी उससे न्यारा – यानी पतित कर्मों से अलग, सतयुगी कर्मों को अपनाना ही पद्मा पदम पद प्राप्त करने का मार्ग है।


प्रश्न 2: पद्म कर्म क्या होते हैं?

✅ उत्तर:पद्म कर्म वे होते हैं जो बाबा की श्रीमत पर आधारित होते हैं – ऐसे कर्म जो किसी को बांधते नहीं, जो आत्मा को हलका बनाते हैं, और पुनः सतयुग योग्य बनाते हैं।
बाबा की श्रीमत से किया गया हर कर्म आत्मा को पद्मा पदम लाभ देता है।


प्रश्न 3: श्रीमत पर चलने का अर्थ क्या है?

✅ उत्तर:श्रीमत का अर्थ है – परमात्मा द्वारा दिया गया श्रेष्ठ मार्ग।
जब हम मंथन करते हैं कि बाबा क्या कह रहे हैं, क्यों कह रहे हैं, और कैसे अमल करें – तब वह श्रीमत जीवन में उतरती है और सहज रीति से हमारा मार्गदर्शन करती है।


प्रश्न 4: क्या सूक्ष्म वतन सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग में भी होता है?

✅ उत्तर:सूक्ष्म वतन नाटक में निरंतर बना रहता है, परंतु उसकी विशेष अनुभूति और भूमिका संगम युग में होती है
संगम युग में ही आत्माएं अधिक दिव्यता को प्राप्त कर सूक्ष्म वतन का अनुभव करती हैं – यहीं भोग, साक्षात्कार, और सकाश होते हैं।


प्रश्न 5: सूक्ष्म वतन वास्तव में क्या है?

✅ उत्तर:सूक्ष्म वतन कोई स्थूल स्थान नहीं, बल्कि संकल्पों से रची गई संकल्पों की दुनिया है।
जैसा हम सोचते हैं, वैसा ही रूप हमें दिखाई देता है। यह आत्मा की चेतना की एक विशेष अवस्था है – जिसमें दृश्य नहीं, अनुभूति प्रधान होती है।


प्रश्न 6: क्या सूक्ष्म वतन को देखा जा सकता है?

✅ उत्तर:सूक्ष्म वतन को स्थूल नेत्रों से नहीं, बल्कि अंतर्मन की आंखों से देखा जाता है।
जब आत्मा योगबल से उच्च अवस्था में जाती है, तब वह सूक्ष्म वतन को अनुभव करती है।


प्रश्न 7: सूक्ष्म वतन में आत्माएं क्या करती हैं?

✅ उत्तर:

  • वहाँ भोग लगाया जाता है (भले ही खाया नहीं जाता)।

  • वहाँ से संदेश प्राप्त होते हैं

  • वहाँ से सकाश दिया जाता है, और दिव्य संकल्पों के माध्यम से सेवा होती है।

  • ब्रह्मा बाबा भी सूक्ष्म शरीर से सकाश देते हैं और संदेश भेजते हैं।


प्रश्न 8: क्या सूक्ष्म वतन को तीन तत्वों से समझाया गया है?

✅ उत्तर:नहीं। यह एक भ्रांति है।
सूक्ष्म वतन को “तीन तत्व – स्थूल, सूक्ष्म, मूल” कहना गलत है
यह तत्व नहीं, बल्कि तीन लोक हैं:

  • स्थूल लोक (जहां हम रहते हैं),

  • सूक्ष्म लोक (संकल्पों की दुनिया),

  • मूल लोक (परमधाम)।


प्रश्न 9: सूक्ष्म वतन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

✅ उत्तर:संगम युग में यह एक ऐसा माध्यम है जो आत्मा को परिवर्तन, शक्ति, और दिव्यता का अनुभव कराता है।
यह ब्रह्मलोक और परमधाम के बीच की एक कड़ी है – जो आत्मा को संबंधों, संकल्पों और सेवा का आधार प्रदान करती है।


प्रश्न 10: क्या सूक्ष्म वतन कोई स्थायी स्थान है?

✅ उत्तर:नहीं।सूक्ष्म वतन कोई विशेष भौतिक स्थान नहीं है, यह हमारी चेतना की सूक्ष्म अवस्था है।
यह स्थान विज़ुअलाइज़ेशन और संकल्पों से ही प्रकट होता है – जैसे हमने ब्रह्मा पुरी, विष्णु पुरी, आदि चित्रों में दर्शाया है – वह केवल समझाने के लिए हैं।


🌟 निष्कर्ष:-सूक्ष्म वतन एक दिव्य संकल्पों की दुनिया है, जो संगम युग में विशेष अनुभव कराया जाता है।
और पद्मा पदम पति बनने का रास्ता है – बाबा की श्रीमत पर आधारित पद्म कर्म।

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