(43)गीता के ज्ञान को ठीक से समझने की आवश्यकता-07
“भगवद गीता का सच्चा ज्ञानदाता कौन? श्रीकृष्ण या परमात्मा शिव? | Murli आधारित गूढ़ रहस्य |
“भगवद गीता का वास्तविक ज्ञानदाता – श्रीकृष्ण नहीं, परमात्मा शिव”
भूमिका: गीता – एक दिव्य ग्रंथ
“भगवद गीता” — यह केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए जीवन जीने की सर्वोच्च मार्गदर्शिका है।
इसमें धर्म, आत्मा, कर्म, ध्यान, और मोक्ष जैसे गहन विषयों का वर्णन है।
लेकिन सदियों से एक प्रश्न लोगों के मन में घूमता रहा है:
क्या गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण ने दिया, या कोई और दिव्य सत्ता?
ईश्वरीय उत्तर: मुरली 18 जनवरी 2025
आज की मुरली में यह रहस्य खुलता है:
“बच्चे, श्रीकृष्ण तो देवता है, लेकिन गीता ज्ञानदाता मैं परमपिता परमात्मा हूँ।
मैं ब्रह्मा तन में प्रवेश कर के तुम आत्माओं को ज्ञान सिखाता हूँ।”
इसका अर्थ स्पष्ट है — गीता के भगवान श्रीकृष्ण नहीं, बल्कि निराकार शिव परमात्मा हैं।
श्रीकृष्ण तो सतयुग का भविष्य का देवता स्वरूप है — वह स्वयं ज्ञान नहीं देता, बल्कि उस ज्ञान का फल है।
गीता और मुरली: अध्यायों का सामंजस्य
पंचम अध्याय – संन्यास योग
“…संन्यासयोगो नाम पंचमोऽध्यायः॥”
यह अध्याय बताता है कि सच्चा संन्यास क्या है —
कर्म से भागना नहीं, बल्कि कर्म करते हुए आसक्ति का त्याग करना।
मुरली में शिवबाबा सिखाते हैं:
“कर्म करो, लेकिन आत्मा बनकर और याद में रहकर।”
षष्ठ अध्याय – ध्यान योग
“…ध्यानयोगो नाम षष्ठोऽध्यायः॥”
सच्चा ध्यान योग किसे कहते हैं?
मूर्ति, मनुष्य या किसी चित्र की पूजा नहीं —
बल्कि निराकार शिव की याद में रहने से ही पाप भस्म होते हैं।
मुरली में बाबा कहते हैं:
“मुझे याद करो, तुम्हारे पाप विनाश हो जाएँगे।”
सप्तम अध्याय – ज्ञान विज्ञान योग
“…ज्ञानविज्ञानयोगो नाम सप्तमोऽध्यायः॥”
ज्ञान और विज्ञान — यह वही राज़ की बातें हैं जो परमात्मा आत्मा को समझाते हैं:
मैं कौन हूं?
कहाँ से आया हूं?
क्यों जन्म-मरण में फंसा हूं?
कैसे मुक्त हो सकता हूं?
यह सब शिवबाबा आज मुरली में विज्ञान सहित समझा रहे हैं।
निष्कर्ष: गीता का भगवान कौन?
गीता का ज्ञानदाता श्रीकृष्ण नहीं हो सकता, क्योंकि:
-
श्रीकृष्ण जन्म लेता है, शरीर में आता है।
-
जबकि गीता का ज्ञानदाता न जन्म लेता है, न मरता है।
गीता का सच्चा भगवान वह है जो निराकार, अजन्मा, सर्वशक्तिमान है —
यानी परमात्मा शिव।
वही शिवबाबा संगम युग में ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर
दिव्य ज्ञान की पुनः स्थापना कर रहे हैं।
प्रश्न-उत्तर शैली: भगवद गीता का वास्तविक ज्ञानदाता कौन?
प्रश्न 1: भगवद गीता को हम इतना दिव्य क्यों मानते हैं?
उत्तर:क्योंकि भगवद गीता कोई सामान्य ग्रंथ नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए जीवन जीने की दिव्य कला और धर्मयुद्ध की आध्यात्मिक तैयारी सिखाता है।
इसमें आत्मा, परमात्मा, कर्म, मोक्ष, और योग जैसे उच्चतम विषयों का वर्णन है।
प्रश्न 2: क्या श्रीकृष्ण ने भगवद गीता का ज्ञान दिया था?
उत्तर:नहीं। मुरली (18 जनवरी 2025) में स्पष्ट कहा गया:
“बच्चे, श्रीकृष्ण तो देवता है, लेकिन गीता ज्ञानदाता मैं परमपिता परमात्मा हूँ। मैं ब्रह्मा तन में प्रवेश कर के ज्ञान सिखाता हूँ।”
इससे सिद्ध होता है कि श्रीकृष्ण भविष्य में आने वाला देवता स्वरूप है, जबकि गीता का ज्ञानदाता निराकार शिव परमात्मा है।
प्रश्न 3: श्रीकृष्ण को गीता ज्ञानदाता क्यों मान लिया गया?
उत्तर:क्योंकि गीता ज्ञान युद्ध के मैदान (कुरुक्षेत्र) में दिया गया बताया गया है, और वहाँ श्रीकृष्ण की उपस्थिति चित्रों और कथाओं में दिखाई गई है।
परंतु ज्ञानदाता का स्वरूप अजन्मा, निराकार और सर्वशक्तिमान बताया गया है — जो केवल शिव परमात्मा पर लागू होता है।
प्रश्न 4: गीता के अध्यायों और मुरली में कैसे मेल है?
उत्तर:गीता के अध्यायों के अंत में जो योग बताए गए हैं, मुरली में उन्हीं विषयों की स्पष्टीकरण के साथ व्याख्या होती है। उदाहरण:
पंचम अध्याय – संन्यास योग
“…संन्यासयोगो नाम पंचमोऽध्यायः॥”
भावार्थ: कर्म से भागना नहीं, बल्कि कर्म करते हुए आसक्ति त्यागना।
मुरली मिलान: “कर्म करो, लेकिन आत्मा बनकर और याद में रहकर।”
षष्ठ अध्याय – ध्यान योग
“…ध्यानयोगो नाम षष्ठोऽध्यायः॥”
भावार्थ: सच्चा ध्यान निराकार शिव की याद है।
मुरली मिलान: “मुझे याद करो, तुम्हारे पाप विनाश हो जाएँगे।”
सप्तम अध्याय – ज्ञान विज्ञान योग
“…ज्ञानविज्ञानयोगो नाम सप्तमोऽध्यायः॥”
भावार्थ: आत्मा का ज्ञान और मोक्ष का विज्ञान।
मुरली मिलान: “मैं कौन हूं, कहाँ से आया हूं, कैसे मुक्त हो सकता हूं — यह सब शिवबाबा मुरली में समझाते हैं।”
प्रश्न 5: गीता का सच्चा भगवान कौन है?
उत्तर:गीता का ज्ञानदाता ऐसा होना चाहिए जो:
निराकार हो
अजन्मा हो
सर्वशक्तिमान हो
कर्मों से न्यारा हो
ये सभी गुण शिव परमात्मा में ही हैं, श्रीकृष्ण में नहीं।
शिवबाबा संगम युग में ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर पुनः वही सच्चा गीता ज्ञान दे रहे हैं।
प्रश्न 6: इस ज्ञान से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर: अब समय है सत्य को पहचानने का।
श्रीकृष्ण की पूजा के पीछे छिपे उस परम ज्ञानदाता को जानने का।
और अपने जीवन में उस ज्ञान को आत्म परिवर्तन के रूप में अपनाने का।
Disclaimer | अस्वीकरण:
इस वीडियो में प्रस्तुत ज्ञान, विचार और स्पष्टीकरण ब्रह्माकुमारीज़ की आध्यात्मिक शिक्षाओं और मुरली (18 जनवरी 2025) पर आधारित हैं।
यह वीडियो किसी विशेष धार्मिक आस्था, ग्रंथ या देवी-देवता की निंदा या आलोचना हेतु नहीं बनाया गया है, बल्कि सत्य की खोज और दिव्य ज्ञान के मर्म को शांति से समझाने हेतु प्रस्तुत है।
भगवद गीता में वर्णित “ज्ञानदाता” का वास्तविक स्वरूप जानने हेतु यह वीडियो श्रोताओं को आत्म चिंतन व विवेकपूर्ण अध्ययन के लिए प्रेरित करता है।
कृपया इसे धार्मिक भावनाओं से नहीं, आध्यात्मिक दृष्टि से देखें।
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