The one who himself became the embodiment of reality, he showed me the way back

जो स्वयं बन गए साक्षात् स्वरूप, उसी ने दिखाया वापसी का रास्ता

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“क्या सब आत्माओं को सद्गति मिलेगी? | जीवन-मुक्ति का रहस्य | 16 जुलाई 2025 की मुरली मंथन”

स्पीच स्क्रिप्ट – मुख्य हेडिंग्स सहित
ओम शांति।

भूमिका: मुरली का रोज़ सुनना और मंथन क्यों ज़रूरी है?
आज की मुरली एक ऐसी अनुभूति है जिसे केवल सुनना नहीं, मंथन करके आत्मा में बैठाना होता है।

हम रोज़ 4 समय पर मुरली मंथन करते हैं – आप भी जुड़ सकते हैं।

लिंक YouTube डिस्क्रिप्शन में है या व्हाट्सएप नंबर पर संपर्क करें।

मुख्य प्रश्न: क्या सब आत्माओं की सद्गति होती है?
बाबा ने कहा – “मैं सर्व आत्माओं की सद्गति करता हूँ।”

लेकिन कौन सी आत्माएं?

मनुष्य आत्माएं?

पशु-पक्षी?

कीट-पतंगे?

परमात्मा को जानने वाली या न जानने वाली आत्माएं?

सोचने की बात:
अगर कोई आत्मा परमात्मा को नहीं जानती, फिर भी क्या उसे सद्गति मिलेगी?

स्पष्टता: जो कहना मानते हैं, उन्हीं की होती है “जीवन-मुक्ति”
बाबा कहते हैं – “जो कहना मानते हैं, उनकी सद्गति होती है।”

जो नहीं मानते, वे सिर्फ मुक्ति में जाएंगे, जीवन-मुक्ति में नहीं।

भिन्नता समझें:

मुक्ति = इस शरीर-संसार से छुटकारा

जीवन-मुक्ति = शरीर में रहते हुए भी सुख-संपन्न जीवन

हर आत्मा पावन बनेगी — जीवन-मुक्ति सबको मिलेगी लेकिन…
सब आत्माएं पावन बनकर परमधाम जाएंगी।

सबको जीवन-मुक्ति मिलेगी — परंतु मेरिट के अनुसार।

कोई 1 नंबर पर, कोई 10 नंबर, कोई 100 नंबर।

यह डिग्री की बात है — जैसे परीक्षा में सभी पास हो जाएँ, पर अंकों में फ़र्क हो।

क्या प्रकृति भी जीवन-मुक्ति में आती है?
बहुत गहरा और सुंदर प्रश्न…

परमात्मा सिर्फ आत्माओं को नहीं,
प्रकृति के एक-एक तत्त्व को भी पावन बनाते हैं।

5 मूलभूत तत्त्व — आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी — भी पवित्रतम स्थिति में पहुंचते हैं।

वैज्ञानिक रूप से 118 तत्त्व — सभी की भी शुद्धि होती है।

तीनों श्रेणियाँ जिन्हें परमात्मा पावन बनाते हैं:
1. जड़ — प्रकृति, तत्त्व
2. जंगम — पेड़-पौधे (जिनमें आत्मा होती है पर भावना नहीं)
3. चेतन — मनुष्य आत्माएं

बाबा कहते हैं — “मैं जड़, जंगम और चेतन — तीनों को पावन बनाने आया हूँ।”

निष्कर्ष: ज्ञान का प्रकाश ही सच्ची सद्गति है
सद्गति केवल शरीर की नहीं, आत्मा की होती है।

आत्मा को परमात्मा के ज्ञान और स्मृति से ही मुक्ति व जीवन-मुक्ति मिलती है।

चाहे कोई भी आत्मा हो — जब वह कहना मानेगी, ज्ञान अपनाएगी, तभी पूर्ण सद्गति संभव है।

प्रश्न 1:क्या सभी आत्माओं को सद्गति मिलती है?

उत्तर:हाँ, परमात्मा शिव सभी आत्माओं की सद्गति के लिए आते हैं।
लेकिन “सद्गति” का अर्थ केवल परमधाम जाना नहीं, बल्कि ज्ञान से पावन बनना है।
इसलिए केवल वही आत्माएं पूर्ण सद्गति प्राप्त करती हैं जो परमात्मा की आज्ञा मानती हैं


प्रश्न 2:जो आत्माएं परमात्मा को नहीं जानती या याद नहीं करतीं, क्या उन्हें भी सद्गति मिलेगी?

उत्तर:उनकी भी कुछ हद तक सद्गति होती है — जैसे मुक्ति (शरीर से छुटकारा)।
लेकिन जीवन-मुक्ति यानी शरीर में रहते हुए भी सुख और शांति उन्हें नहीं मिलती।
पूर्ण जीवन-मुक्ति उन्हीं को मिलती है जो शिवबाबा की शरण में आते हैं और श्रेमत पर चलते हैं।


प्रश्न 3:मुक्ति और जीवन-मुक्ति में क्या अंतर है?

उत्तर:

  • मुक्ति = आत्मा का शरीर से और संसार से छुटकारा (शांति की अवस्था)

  • जीवन-मुक्ति = शरीर में रहते हुए भी कर्मबंधन से मुक्त, सुखद जीवन (स्वर्ग समान अवस्था)

सिर्फ मुक्ति मिलना कोई बड़ी बात नहीं,
सच्ची प्राप्ति तो जीवन-मुक्ति है।


प्रश्न 4:क्या सभी आत्माएं जीवन-मुक्ति में आती हैं?

उत्तर:जी हाँ, सभी आत्माएं अंत में पावन बनकर परमधाम जाती हैं।
और सभी को जीवन-मुक्ति मिलती है, पर मेरिट अनुसार:

  • कोई 1 नंबर (स्वर्ग के पहले जन्म)

  • कोई 10 नंबर, कोई 100 नंबर
    जैसे कोई distinction में पास होता है, कोई grace में।


प्रश्न 5:क्या पशु-पक्षी, कीट-पतंगे जैसी आत्माओं को भी सद्गति मिलती है?

उत्तर:जी हाँ, ये भी आत्माएं हैं।
वे भी प्रकृति चक्र में पावन बनने की प्रक्रिया से गुजरती हैं।
परंतु मानव आत्माओं की तरह वे ज्ञान नहीं लेतीं, इसलिए उनकी सद्गति सीमित होती है।
वे परमात्मा के कहने को “नहीं मानते”, इसलिए उन्हें जीवन-मुक्ति का अनुभव नहीं होता।


प्रश्न 6:क्या प्रकृति (जड़ तत्त्व) भी पावन बनती है?

उत्तर:हाँ, बाबा कहते हैं — “मैं जड़, जंगम और चेतन – तीनों को पावन बनाने आया हूँ।”

  • जड़ = पंचतत्त्व (आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी)

  • जंगम = पेड़-पौधे (जिनमें आत्मा होती है पर भावना नहीं)

  • चेतन = मानव आत्माएं

प्रकृति के 118 वैज्ञानिक तत्त्व भी अपनी पवित्रतम अवस्था में पहुंचते हैं, तब ही सतयुग आता है।


प्रश्न 7:पेड़-पौधों की आत्माओं को क्या जीवन-मुक्ति मिलती है?

उत्तर:उनमें आत्मा तो होती है, लेकिन भावना और सेवा का संकल्प नहीं होता।
इसलिए वे सद्गति के पात्र तो हैं, पर जीवन-मुक्ति के अनुभव नहीं कर सकते।

वे प्राकृतिक संतुलन का भाग हैं, जो सतयुग में स्वाभाविक रूप से पावन बन जाते हैं।


प्रश्न 8:सच्ची सद्गति कैसे मिलती है?

उत्तर:सच्ची सद्गति तभी मिलती है जब आत्मा ज्ञान को समझती है, उसे जीवन में उतारती है, और परमात्मा को स्मृति में रखती है

याद रखें:
सद्गति = ज्ञान + श्रेमत + योग
इसके बिना सिर्फ “मुक्ति” हो सकती है, “जीवन-मुक्ति” नहीं।


 निष्कर्ष:

सभी आत्माओं की सद्गति होती है, लेकिन पूर्ण जीवन-मुक्ति उन्हीं को मिलती है जो परमात्मा को जानकर, उनकी श्रेमत पर चलते हैं।
सद्गति का द्वार ज्ञान से खुलता है, और योग से पूर्ण होता है।

Disclaimer (अस्वीकरण):

यह वीडियो/पोस्ट ब्रह्मा कुमारीज़ के आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है, जिसका उद्देश्य आत्मा, परमात्मा और जीवन-मुक्ति के विषय में गहन समझ देना है। इसमें व्यक्त विचार और उत्तर शास्त्रों की गहराई और ब्रह्मा कुमारीज़ की मुरली शिक्षाओं पर आधारित हैं। यह किसी भी धर्म, संप्रदाय या व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए नहीं है। कृपया इसे आत्मिक दृष्टिकोण से समझें और मनन करें।

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