T-L-P 72″परमात्मा और सूक्ष्म सृष्टि की रचना
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
आज का पदम है: परमात्मा और सूक्ष्म सृष्टि की रचना।
परमात्मा और सूक्ष्म लोक की रचना – इस पर हम मंथन करेंगे।
प्रश्न उठता है: परमात्मा सूक्ष्म सृष्टि रचते हैं या यह ड्रामा अनुसार स्वतः रच जाती है?
देखते हैं बाबा क्या कहते हैं।
एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि परमात्मा स्वयं सूक्ष्म सृष्टि की रचना करते हैं या यह ड्रामा अनुसार रच जाती है?
उत्तर है – करते भी हैं और ड्रामा अनुसार रचती भी है।
जब तक परमात्मा ब्रह्मा तन में प्रवेश नहीं करते, तब तक उनके पास कोई स्थूल शरीर नहीं होता।
तो फिर उनके भीतर सृष्टि रचने का संकल्प कैसे उत्पन्न होगा? और वे रचना कैसे करेंगे?
परमात्मा का ब्रह्मा तन में प्रवेश और सूक्ष्म में ब्रह्मा का प्रकटन:
परमात्मा जब ब्रह्मा के तन में प्रवेश करते हैं, उसी के साथ-साथ सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा का सूक्ष्म शरीर प्रकट होता है।
ये दोनों घटनाएं एक साथ घटती हैं, और यहीं से परमात्मा का सृष्टि रचना का कार्य आरंभ हो जाता है।
ब्रह्मा का दिन और रात:
कहा जाता है ब्रह्मा का दिन “ज्ञान” और ब्रह्मा की रात “भक्ति” होती है।
अर्थ: जब ज्ञान की रोशनी प्रकट होती है, तब सृष्टि का निर्माण होता है।
और जब भक्ति मार्ग में प्रवृत्ति होती है, तब अज्ञान का समय होता है – क्योंकि वहां ज्ञान नहीं होता।
भक्ति का अर्थ है – अज्ञात।
परमात्मा द्वारा सूक्ष्म सृष्टि की रचना:
परमपिता परमात्मा ही सबसे पहले सूक्ष्म सृष्टि की रचना करते हैं।
सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा को प्रकट करना भी इसी प्रक्रिया का महत्त्वपूर्ण भाग है।
जब ब्रह्मा सूक्ष्म वतन में प्रकट होते हैं, तो वे परमात्मा के संकेत और निर्देशन से ज्ञान का विस्तार करते हैं।
यहां क्या समझ में आता है?
शिव बाबा पहले ब्रह्मा बाबा के तन में प्रवेश करते हैं, फिर संकल्प करते हैं।
वरना संकल्प कैसे करें?
पहले उन्हें सूक्ष्म शरीर चाहिए।
बिना सूक्ष्म शरीर के कैसे संकल्प करेंगे?
जैसे ही बाबा ने ब्रह्मा बाबा के तन का आधार लिया, उसी क्षण ब्रह्मा बाबा का सूक्ष्म शरीर भी बना।
तो दोनों एक साथ होते हैं – स्थूल में प्रवेश और सूक्ष्म में प्रकटन।
संकल्प का आधार शरीर है।
बिना शरीर के संकल्प नहीं हो सकता।
बाबा को जब यह संकल्प आता है कि मुझे सृष्टि रचना का कार्य आरंभ करना है,
तो उसी समय सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा बाबा का अव्यक्त स्वरूप भी बन जाता है।
अनुभव के प्रमाण:
जब दादी गुलज़ार संदेश लेने जाती थीं, तो उन्हें शिव बाबा दिखाई नहीं देते थे – उन्हें ब्रह्मा बाबा ही दिखाई देते थे।
क्योंकि ब्रह्मा बाबा का सूक्ष्म शरीर ही था जो दिखाई देता था।
परमात्मा उनके तन के द्वारा ही समझाते थे, बताते थे।
ब्रह्मा बाबा को तो यह ज्ञात नहीं था कि उनका सूक्ष्म शरीर ऊपर है।
शिव बाबा पहले परमधाम से बाहर आते हैं, फिर ब्रह्मा बाबा के तन में प्रवेश करते हैं,
और उसी के साथ ब्रह्मा का सूक्ष्म स्वरूप भी बनता है।
इसका निष्कर्ष:
परमात्मा का कार्य ब्रह्मा तन में प्रवेश के साथ आरंभ होता है।
और उसी क्षण सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा का प्रकटन होता है।
यह प्रक्रिया ड्रामा अनुसार पूर्व निर्धारित है,
परंतु परमात्मा ही इसको गति प्रदान करते हैं।
यह गुण रहस्य ही सत्य ज्ञान का आधार है।
यह साकार मुरली बाबा की 7 नवम्बर को रिवाइज हुई थी।
🌟 आज का पदम: परमात्मा और सूक्ष्म सृष्टि की रचना 🌟
❓प्रश्न 1: क्या परमात्मा सूक्ष्म सृष्टि की रचना करते हैं या यह ड्रामा अनुसार स्वतः रच जाती है?
उत्तर:दोनों ही सत्य हैं – परमात्मा सूक्ष्म सृष्टि की रचना करते हैं और यह प्रक्रिया ड्रामा अनुसार स्वतः घटती भी है।
जैसे ही परमात्मा ब्रह्मा के तन में प्रवेश करते हैं, उसी क्षण सूक्ष्म वतन में ब्रह्मा बाबा का अव्यक्त स्वरूप प्रकट होता है।
❓प्रश्न 2: परमात्मा सूक्ष्म सृष्टि की रचना कैसे करते हैं?
उत्तर:परमात्मा जब ब्रह्मा तन में प्रवेश करते हैं, तो वह स्थूल माध्यम द्वारा संकल्प लेते हैं।
यह संकल्प सूक्ष्म सृष्टि की रचना का आधार बनता है।
बिना किसी शरीर के संकल्प नहीं हो सकता, इसलिए स्थूल प्रवेश और सूक्ष्म स्वरूप का प्रकटन एक साथ होता है।
❓प्रश्न 3: ब्रह्मा का “दिन” और “रात” क्या दर्शाते हैं?
उत्तर:ब्रह्मा का दिन ज्ञान मार्ग को दर्शाता है, जबकि रात भक्ति मार्ग को।
जहाँ ज्ञान है, वहाँ सृजन है।
जहाँ भक्ति है, वहाँ अज्ञान है।
इसलिए ज्ञान की रोशनी में ही सूक्ष्म सृष्टि रचती है।
❓प्रश्न 4: ब्रह्मा बाबा का सूक्ष्म शरीर कब प्रकट होता है?
उत्तर:उसी समय जब शिव बाबा साकार ब्रह्मा के तन में प्रवेश करते हैं।
यह एक साथ की घटना है –
स्थूल प्रवेश और सूक्ष्म प्रकटन एक ही क्षण में होता है।
यह कोई बाद में हुआ परिवर्तन नहीं, बल्कि संकल्प और शरीर की एकता है।
❓प्रश्न 5: दादी गुलज़ार को किसका दर्शन होता था – शिव बाबा का या ब्रह्मा बाबा का?
उत्तर:दादी गुलज़ार को ब्रह्मा बाबा का दर्शन होता था, क्योंकि सूक्ष्म शरीर वही प्रकट हुआ था।
शिव बाबा उस तन के द्वारा संदेश देते थे, परन्तु दिखाई देने वाला स्वरूप ब्रह्मा बाबा का होता था।
❓प्रश्न 6: क्या ब्रह्मा बाबा को अपने सूक्ष्म स्वरूप की जानकारी थी?
उत्तर:नहीं, ब्रह्मा बाबा को यह ज्ञात नहीं था कि उनका सूक्ष्म स्वरूप ऊपर प्रकट हुआ है।
यह कार्य परमात्मा द्वारा, ड्रामा अनुसार, स्वचालित रूप से हुआ।
❓प्रश्न 7: इस सम्पूर्ण प्रक्रिया से क्या निष्कर्ष निकलता है?
उत्तर:परमात्मा का कार्य ब्रह्मा तन में प्रवेश के साथ आरंभ होता है और उसी क्षण सूक्ष्म सृष्टि की रचना होती है।
यह सब ड्रामा के नियम अनुसार चलता है, लेकिन उसे आरंभ करने वाले परमात्मा शिव ही हैं।
यही सत्य ज्ञान का महान और रहस्यमय आधार है।
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