Today’s Murli-20-07-2025

आज की मुरली-20-07-2025

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“आज उत्सव के दिन माया से मुक्त रहने का व्रत लो | मर्सीफुल बनो | साथ चलना है तो समान बनो | 


 बाप और बच्चों का अद्भुत उत्सव

आज का दिन कोई साधारण दिन नहीं, बल्कि यह “विचित्र जयन्ती” है — बाप और बच्चों का एक साथ जन्मदिवस! यह संगमयुग का दिव्य उत्सव है जहाँ बाप बच्चों को और बच्चे बाप को मुबारकबाद देने आते हैं।
यह वह दिन है, जब सारा ब्रह्मण कुल उमंग-उत्साह से भर जाता है, और बापदादा स्वयं बच्चों की उपस्थिति में अव्यक्त रूप से वाणी करते हैं:
“बाप और बच्चे एक साथ जन्मे हैं, साथ रहेंगे, और साथ चलेंगे।”


 1. यह उत्सव सिर्फ आनंद का नहीं, व्रत का भी दिन है

भक्त भी आज के दिन उपवास रखते हैं, लेकिन ब्राह्मण आत्माएं 21 जन्मों के लिए एक व्रत लेती हैं — पवित्र जीवन, पवित्र दृष्टि, पवित्र वृत्ति और पवित्र कर्मों का व्रत।
यह व्रत सिर्फ शरीर का नहीं, बल्कि मन-वाणी-संस्कार का है। यही व्रत हमें “माया से मुक्त” बनाता है।


 2. आज का संकल्प – क्रोध और वेस्ट थॉट्स से मुक्ति

बापदादा ने आज विशेष रूप से पूछा —
“क्या आपने क्रोध का पूर्ण व्रत लिया है?”
जो क्रोध नहीं करता, ईर्ष्या और जलन नहीं रखता, वही सच्चा ब्राह्मण है।
क्योंकि यह क्रोध के बीज ही भविष्य में दुखदायक शाखाएं बन सकते हैं।
आज का उपहार है — मन के उमंग-उत्साह से वेस्ट थॉट्स को खत्म करना।


 3. बर्थ डे पर सच्चा गिफ्ट – समानता का संकल्प

जैसे बर्थडे पर केक काटा जाता है, वैसे ही आज “वेस्ट थॉट्स का केक” काटने का दिन है।
बापदादा पूछते हैं —
“क्या आप आज का गिफ्ट दे सकते हो — न दु:ख देना और न दु:ख लेना?”
अगर साथ चलना है तो समान भी बनना पड़ेगा।
यह संकल्प, यह संजीवनी, हमें अंतिम समय की सफलता दिला सकती है।


 4. मास्टर मुक्तिदाता बन विश्व कल्याण करो

बापदादा की पुकार है —
“हे मास्टर मुक्तिदाता! अब स्वयं को और सारी आत्माओं को मुक्ति दो।”
आपकी आत्मा में वह शक्ति है जो जड़ चित्रों को भी मर्सीफुल बना सकती है।
समय की पुकार है कि दयालुता, करुणा और रहम के संस्कार अभी से भरें ताकि आपके चित्र भी अनुभूति के केन्द्र बन सकें।


 5. शिव जयन्ती विशेष: मुक्ति दिवस मनाओ

आज का दिन सिर्फ उत्सव नहीं, यह मुक्ति दिवस है।
आपके भीतर बैठी “माया की दोस्ती” अब समाप्त होनी चाहिए।
अब समय है —
स्वयं को मुक्त करने का और
सारी दुनिया को मुक्तिदाता बनने का।


 6. अभ्यास: चक्र लगाओ, परिवर्तन लाओ

बापदादा ने अंत में विशेष अभ्यास कराया —
“एक सेकंड में मन और बुद्धि को परमधाम, सूक्ष्मवतन और फिर साकार वतन में घुमाओ।”
बार-बार चक्र लगाना, स्वदर्शन करना — यही है “Mastery Drill”, जिससे हम स्वराज्य अधिकारी बनते हैं।

प्रश्न 1: शिव जयन्ती का असली अर्थ क्या है?

उत्तर:शिव जयन्ती केवल शिव बाबा का अवतरण नहीं, बल्कि ब्रह्मा के द्वारा बच्चों के जन्म का भी दिन है। यह “बाप और बच्चों का संयुक्त जन्मदिन” है। इस दिन आत्मा को ज्ञान, योग और जीवन का लक्ष्य मिलता है — यह “जीवन-मुक्ति दिवस” है।


प्रश्न 2: इस दिन व्रत लेने का क्या आध्यात्मिक अर्थ है?

उत्तर:यह व्रत सिर्फ उपवास या खाने से नहीं जुड़ा, बल्कि “क्रोध, विकार, वेस्ट थॉट्स” से दूर रहने का संकल्प है। यह पवित्र संकल्पों, दृष्टि, वाणी और कर्मों का व्रत है, जो आत्मा को माया से मुक्त करता है।


प्रश्न 3: सच्चे ब्राह्मण की पहचान क्या है?

उत्तर:सच्चा ब्राह्मण वह है जो क्रोध नहीं करता, ईर्ष्या नहीं रखता और हमेशा मर्सीफुल यानी दयालु रहता है। वह अपने संकल्प और वाणी से सबको वरदान देता है और दुख का कारण नहीं बनता।


प्रश्न 4: ‘समानता’ का क्या महत्व है आज के दिन?

उत्तर:बापदादा कहते हैं — “साथ चलना है तो समान बनो।” अर्थात्, अगर परमात्मा के साथ अंत तक चलना है, तो उनके गुणों को अपने जीवन में धारण करना होगा। दु:ख न देना और न लेना ही समानता का मूल आधार है।


प्रश्न 5: मास्टर मुक्तिदाता बनने का अर्थ क्या है?

उत्तर:मास्टर मुक्तिदाता वह आत्मा है जो स्वयं को विकारों से मुक्त करके, अपनी वाणी और संकल्पों से दूसरों को भी दुख, अशांति, और बंधनों से मुक्त करती है। यह शिव बाबा का सबसे बड़ा वारिस और सहयोगी बनना है।


प्रश्न 6: चक्र लगाने और स्वदर्शन का क्या अभ्यास बताया गया?

उत्तर:बापदादा ने कहा — “एक सेकंड में परमधाम, सूक्ष्म वतन और साकार वतन में बुद्धि को घुमाओ।” यह अभ्यास आत्मा की स्मृति, स्थिति और शक्ति को बढ़ाता है और स्वराज्य अधिकारी बनने का मार्ग है।

डिस्क्लेमर:
यह वीडियो ब्रह्मा कुमारीज़ संस्थान की आध्यात्मिक शिक्षाओं और मुर्ली ज्ञान पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक जागृति, आत्म-साक्षात्कार और जीवन की सच्चाई को समझाने में सहायता करना है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी धर्म, संप्रदाय या व्यक्ति की आलोचना के लिए नहीं है। सभी विचार ब्रह्मा कुमारीज़ के अव्यक्त व साकार मुरली ज्ञान पर आधारित हैं। कृपया इसे आत्मचिंतन एवं ज्ञानवर्धन हेतु ही देखें।

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