“True Vaishnav means always a customer of virtues”

अव्यक्त मुरली-(21) “सच्चे वैष्णव अर्थात् सदा गुण ग्राहक”

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“गुणों की माला में अपना स्थान: बापदादा की दृष्टि में विशेष आत्मा कैसे बनें?”


 1. गुणों की माला में बापदादा का खेल

  • आज बापदादा हर आत्मा के विशेष गुणों की माला बना रहे थे।

  • चाहे अंतिम नंबर की आत्मा हो, गुण तो अवश्य है – गुण के आधार से ही बाप का बच्चा बना है।

 2. गुण देखो, अवगुण नहीं

  • जैसे अशुद्ध भोजन शरीर को अशुद्ध करता है, वैसे ही अवगुण को धारण करना आत्मा को अशुद्ध करता है

  • गुण-मूर्त बनना = सच्चा वैष्णव, राम की सेना नहीं बनना।

 3. नॉलेजफुल बनने की असली परिभाषा

  • सिर्फ अवगुण जानना ज्ञान नहीं है। यदि परिवर्तन नहीं किया तो वह नॉलेज व्यर्थ है।

  • सच्चा ज्ञान = लाइट और माइट बनकर दूसरों के अवगुण को भी भस्म करना।

 4. जज नहीं, शुभचिंतक बनो

  • यदि कोई मर्यादा भंग करता है, तो उसे सुप्रीम कोर्ट में लाओ – खुद जज मत बनो।

  • केस दाखिल करना मना नहीं, मन में बिठाना और परचिंतन फैलाना पाप है।

 5. गिरती कला की चतुराई से बचो

  • छोटी उपलब्धियों के लिए सत्य से समझौता न करो।

  • अल्पकाल की खुशी के पीछे अनेक जन्मों की ऊँचाई को गँवाना न पड़े।

 6. अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलो

  • बाप के साथ उड़ती कला = कोई भी परिस्थिति पहाड़ जैसी नहीं लगेगी।

  • झूले से नीचे मत आओ, नहीं तो फिर से स्वच्छ बनने में समय लगेगा।

 7. बिन्दी बनो, बिन्दी बाप के साथ उड़ जाओ

  • अब क्वेश्चन मार्क खत्म, बिन्दी लगाओ – संकल्पों की समाप्ति।

  • बिन्दी = पूर्ण स्थिति। बाप समान बनना यही अन्तिम विजय है।

गुणों की माला में अपना स्थान: बापदादा की दृष्टि में विशेष आत्मा कैसे बनें?


प्रश्न 1: बापदादा गुणों की माला कैसे बनाते हैं?
 उत्तर: हर आत्मा के विशेष गुण होते हैं, चाहे वह अंतिम नंबर की आत्मा हो। बापदादा उन विशेष गुणों को देखकर माला बनाते हैं।

प्रश्न 2: सच्चा वैष्णव कौन होता है?
 उत्तर: जो अवगुण नहीं देखता, सिर्फ गुणों को धारण करता है – वही सच्चा वैष्णव है। जो राम की सेना में नहीं आता, वह सच्चा ब्राह्मण है।

प्रश्न 3: क्या सिर्फ अवगुण जानना ज्ञान कहलाता है?
 उत्तर: नहीं, जब तक परिवर्तन नहीं होता, तब तक वह ज्ञान अधूरा है। सच्चा ज्ञान वही है जो अवगुणों को लाइट और माइट से भस्म कर दे।

प्रश्न 4: जब कोई मर्यादा भंग करता है, तब हमें क्या करना चाहिए?
 उत्तर: स्वयं जज न बनो, उसे सुप्रीम कोर्ट (बाप) के पास ले जाओ। मन में बैठाना या परचिंतन फैलाना पाप है।

प्रश्न 5: गिरती कला की चतुराई से कैसे बचा जा सकता है?
 उत्तर: सत्य से समझौता न करें, क्योंकि छोटी-सी खुशी के पीछे अनेक जन्मों की ऊँचाई गँवानी न पड़े।

प्रश्न 6: अतीन्द्रिय सुख के झूले में कैसे झूले रहें?
 उत्तर: बाप के साथ उड़ती कला में रहें, जिससे कोई भी परिस्थिति भारी नहीं लगेगी। झूले से नीचे न आएं, वरना फिर से शुद्ध बनने में समय लगेगा।

प्रश्न 7: ‘बिन्दी’ का क्या अर्थ है?
 उत्तर: बिन्दी का अर्थ है – संकल्पों की समाप्ति, पूर्ण स्थिति। जब बिन्दी लगती है, तब आत्मा बाप समान बन जाती है।

डिस्क्लेमर (Disclaimer):

यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की मूल शिक्षाओं, मुरली और आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है। इसका उद्देश्य आत्म-परिवर्तन, गुणों की धारण, और ईश्वरीय स्मृति को जागृत करना है। यह किसी विशेष धर्म या व्यक्ति के विरोध में नहीं है।

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