ज्ञान की सत्यता: केवल गीता में ही परमात्मा का सच्चा परिचय क्यों?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“गीता का वैज्ञानिक सत्य: परमात्मा शिव द्वारा सुनाया गया असली ज्ञान | BK मुरली आधारित स्पीच”
“भगवद्गीता का वैज्ञानिक, विवेकसंगत और आत्मिक अर्थ – मुरली ज्ञान के प्रकाश में”
(यह वीडियो ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा परमात्मा शिव की प्रत्यक्ष वाणी – मुरली – पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी ग्रंथ, व्यक्ति या संस्था की निंदा नहीं, बल्कि ईश्वर के दिव्य ज्ञान का सत्य उद्घाटन है।)
1. गीता का ज्ञान – विवेक-संगत, सारगर्भित और वैज्ञानिक
मुख्य बात:
भगवद्गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसमें स्वयं परमात्मा ने आत्मा, प्रकृति, पुनर्जन्म, कर्म और सृष्टि चक्र के रहस्यों को सहजता से उजागर किया है।
उदाहरण:
जैसे कोई वैज्ञानिक मशीन की पूरी तकनीक जानता है, वैसे ही गीता में सृष्टि रूपी सिस्टम साइंस को सरलता से बताया गया है।
Murli (25 जून 2025):
“बच्चे, गीता ही मुख्य ग्रंथ है, जिसमें मैंने अपने मुख से सत्य ज्ञान सुनाया। परंतु उन्होंने मेरा नाम हटा कर श्रीकृष्ण का डाल दिया, जिससे गीता का ज्ञान बिगड़ गया।”
2. गीता में सृष्टि रूपी वृक्ष और बीज का सत्य ज्ञान
मुख्य रहस्य:
गीता में सृष्टि को एक उल्टे वृक्ष के रूप में बताया गया है, और परमात्मा को उसका बीजस्वरूप। यह स्पष्ट करता है कि परमात्मा सभी आत्माओं का जनक है, लेकिन उनसे भिन्न और बीज रूप में अविनाशी है।
उदाहरण:
जैसे आम का पेड़ कितना भी फैला हो, बीज एक ही होता है – वैसे ही धर्म रूपी शाखाओं वाला सृष्टि वृक्ष, बीजस्वरूप केवल परमात्मा शिव है।
Murli (6 अप्रैल 2025):
“जैसे वृक्ष का बीज सबसे ऊपर होता है, वैसे ही परमात्मा बीज रूप में सर्व आत्माओं का पिता है।”
3. दिव्य दृष्टि और बुद्धि के बिना गीता के अर्थ नहीं समझे जा सकते
मुख्य बात:
कलियुग में मनुष्य की दिव्य दृष्टि और बुद्धि समाप्त हो चुकी है, जिससे गीता के गूढ़ अर्थ खो गए हैं। आज परमात्मा पुनः दिव्य बुद्धि प्रदान कर रहे हैं।
उदाहरण:
जैसे आंखें बंद करके कोई किताब नहीं पढ़ी जा सकती, वैसे ही परमात्मा को पहचाने बिना गीता का अर्थ नहीं समझा जा सकता।
Murli (10 मई 2025):
“मैं ही दिव्य बुद्धि देता हूँ। बुद्धि का ताला तब खुलता है जब आत्मा परमात्मा को पहचानती है।”
4. परमात्मा और आत्मा का सच्चा सम्बन्ध – गीता ही बताती है
मुख्य तथ्य:
गीता में परमात्मा को ‘सर्व आत्माओं का पिता’ कहा गया है, जबकि अन्य ग्रंथों में परमात्मा को स्वामी, दाता, या अंश रूप में ही सीमित किया गया है।
उदाहरण:
जैसे बच्चा अपने पिता से स्नेहपूर्ण बात करता है, वैसे ही आत्मा परमात्मा से योग द्वारा प्रेमपूर्वक संबंध जोड़ती है – दासता नहीं।
Murli (28 अप्रैल 2025):
“बच्चे, तुम आत्माएं मेरे बच्चे हो। मैं निराकार शिव, सभी आत्माओं का परमपिता हूँ।”
5. योग की स्पष्टता – गीता में ही
मुख्य बात:
गीता में बताया गया योग कोई पूजा, हठयोग या तपस्या नहीं, बल्कि आत्मा का परमात्मा से सहज योग है – जिससे आत्मा शक्तिशाली बनती है।
उदाहरण:
जैसे मोबाइल की बैटरी डायरेक्ट चार्जर से ही चार्ज होती है, वैसे ही आत्मा की शक्ति परमात्मा से सीधी जुड़ने से प्राप्त होती है।
Murli (13 मार्च 2025):
“बच्चे, मैं तुम्हें सहज राजयोग सिखाता हूँ, जिससे तुम राजा बनते हो। यह योग किसी हठ, क्रिया या कर्मकांड पर नहीं चलता।”
6. गीता में मार्गदर्शन – कर्म, माया और आत्म-सत्ता पर
मुख्य विचार:
गीता सिखाती है:
-
कर्मेन्द्रियों पर विजय कैसे पाएं
-
माया पर जीत कैसे हो
-
आत्मा में स्थित रहकर स्वराज्य कैसे प्राप्त करें
उदाहरण:
जैसे सैनिक अभ्यास से शत्रु को जीतता है, वैसे ही आत्मा ज्ञान और योग के अभ्यास से माया को जीतती है।
Murli (2 जनवरी 2025):
“बच्चे, माया को जीतने का एक ही मार्ग है – मैं जो शुद्धता और योग का ज्ञान देता हूँ, उस पर चलो तो स्वराज्य प्राप्त होगा।”
निष्कर्ष (Conclusion):
गीता का ज्ञान –
-
वैज्ञानिक है
-
तर्कसंगत है
-
आत्मा और परमात्मा के शाश्वत संबंध पर आधारित है
परंतु इसका सत्य अर्थ केवल वही समझ सकता है जिसे स्वयं परमात्मा शिव दिव्य बुद्धि द्वारा सिखाएं।
आज वही कार्य परमात्मा शिव, ब्रह्मा बाबा के माध्यम से, मुरली द्वारा कर रहे हैं –
“सच्चे गीता ज्ञान” का पुनः उद्घाटन।
प्रश्न 1: गीता का ज्ञान इतना विशेष क्यों माना गया है?
उत्तर:क्योंकि भगवद्गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसमें परमात्मा स्वयं आत्मा, प्रकृति, पुनर्जन्म, कर्म और सृष्टि चक्र के रहस्यों को वैज्ञानिक और तर्कसंगत रूप से स्पष्ट करते हैं।
Murli (25 जून 2025):
“बच्चे, गीता ही मुख्य ग्रंथ है, जिसमें मैंने अपने मुख से सत्य ज्ञान सुनाया। परंतु उन्होंने मेरा नाम हटा कर श्रीकृष्ण का डाल दिया, जिससे गीता का ज्ञान बिगड़ गया।”
उदाहरण:
जैसे कोई वैज्ञानिक मशीन की तकनीक पूरी जानता है, वैसे ही गीता में “सृष्टि रूपी सिस्टम साइंस” समझाई गई है।
प्रश्न 2: गीता में सृष्टि वृक्ष और बीज का कौन-सा गूढ़ रहस्य छुपा है?
उत्तर:गीता में सृष्टि को एक उल्टे वृक्ष के रूप में दिखाया गया है, और परमात्मा को उसका बीजस्वरूप – यानी सर्व आत्माओं का परमपिता – बताया गया है।
Murli (6 अप्रैल 2025):
“जैसे वृक्ष का बीज सबसे ऊपर होता है, वैसे ही परमात्मा बीज रूप में सर्व आत्माओं का पिता है।”
उदाहरण:
जैसे किसी पेड़ की जितनी भी शाखाएं हों, बीज एक ही होता है – वैसे ही धर्म रूपी अनेक शाखाओं वाला यह वृक्ष, बीजस्वरूप केवल शिव है।
प्रश्न 3: क्या कोई भी व्यक्ति गीता का सही अर्थ समझ सकता है?
उत्तर:नहीं। गीता का सही अर्थ तभी समझा जा सकता है जब आत्मा को परमात्मा से दिव्य बुद्धि प्राप्त हो। आज की बुद्धि माया से बंद हो चुकी है।
Murli (10 मई 2025):
“मैं ही दिव्य बुद्धि देता हूँ। बुद्धि का ताला तब खुलता है जब आत्मा परमात्मा को पहचानती है।”
उदाहरण:
जैसे आँखें बंद करके किताब नहीं पढ़ी जा सकती, वैसे ही परमात्मा को पहचाने बिना गीता का ज्ञान व्यर्थ हो जाता है।
प्रश्न 4: गीता में परमात्मा और आत्मा का क्या सम्बन्ध बताया गया है?
उत्तर:गीता में स्पष्ट है कि परमात्मा सभी आत्माओं का पिता हैं – न कि वे आत्माओं के दास, अंश या अवतार हैं।
Murli (28 अप्रैल 2025):
“बच्चे, तुम आत्माएं मेरे बच्चे हो। मैं निराकार शिव, सभी आत्माओं का परमपिता हूँ।”
उदाहरण:
जैसे एक पुत्र अपने पिता से स्नेहपूर्वक बातचीत करता है, वैसे ही आत्मा योग से परमात्मा से प्रेमपूर्ण संबंध जोड़ती है।
प्रश्न 5: गीता का “योग” किस प्रकार का योग है?
उत्तर:यह कोई हठयोग, तपस्या, पूजा-पाठ या कर्मकांड नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के बीच सीधा और सहज मानसिक संबंध है।
Murli (13 मार्च 2025):
“बच्चे, मैं तुम्हें सहज राजयोग सिखाता हूँ, जिससे तुम राजा बनते हो। यह योग किसी हठ, क्रिया या कर्मकांड पर नहीं चलता।”
उदाहरण:
जैसे मोबाइल डायरेक्ट चार्जर से चार्ज होता है, वैसे ही आत्मा की शक्ति परमात्मा से सीधा जुड़कर मिलती है।
प्रश्न 6: गीता में माया और कर्मेन्द्रियों पर विजय कैसे सिखाई गई है?
उत्तर:गीता में बताया गया है कि आत्मा जब परमात्मा से ज्ञान और योग द्वारा जुड़ती है, तभी वह माया पर जीत पाती है और कर्मेन्द्रियों पर राज्य कर सकती है।
Murli (2 जनवरी 2025):
“बच्चे, माया को जीतने का एक ही मार्ग है – मैं जो शुद्धता और योग का ज्ञान देता हूँ, उस पर चलो तो स्वराज्य प्राप्त होगा।”
उदाहरण:
जैसे सैनिक युद्धाभ्यास से शत्रु को जीतता है, वैसे ही आत्मा ज्ञान और योग के अभ्यास से माया को जीतती है।
Disclaimer (डिस्क्लेमर):
“यह वीडियो ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा मुरली रूपी परमात्मा शिव की प्रत्यक्ष वाणी पर आधारित है। हमारा उद्देश्य किसी भी धर्म, संस्था, व्यक्ति या शास्त्र की निंदा करना नहीं है, बल्कि दिव्य ज्ञान के वैज्ञानिक, विवेकसंगत और आत्मिक अर्थों को स्पष्ट करना है। कृपया इस ज्ञान को खुले मन और आत्म-चिंतन की दृष्टि से सुने।”
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