What is the difference between holiness and purity?

पवित्रता और पावनता में क्या अंतर है?

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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पावनता: एक यात्रा और उसका गंतव्य


 प्रस्तावना:

अक्सर हम सुनते हैं – “हमें पवित्र बनना है, पावन बनना है।”
लेकिन क्या ये दोनों शब्द एक जैसे हैं?
क्या पवित्र आत्मा और पावन आत्मा में कोई अंतर है?

आज हम इसी गहन आध्यात्मिक विषय पर मंथन करेंगे।


 1. पवित्रता क्या है? – साधना की अवस्था

परिभाषा:

पवित्रता का अर्थ है – विकारों से बचना, संयमित जीवन जीना।
यह आत्मा की साधना का प्रारंभिक चरण है – जहाँ आत्मा “Do Not Do” की स्थिति में आती है।

यह एक अभ्यास है – जहाँ आत्मा धीरे-धीरे विषय-विकारों से दूरी बनाना शुरू करती है।

उदाहरण:

1936 में ब्रह्मा बाबा ने गृहस्थ जीवन में रहते हुए पवित्रता की प्रतिज्ञा ली और वहीं से उनकी आध्यात्मिक यात्रा शुरू हुई।

Sakar Murli, 15 Jan 2024:
“ब्रह्माबाबा ने भी समय अनुसार पवित्र बनने का पुरशार्थ किया।”


 2. पावनता क्या है? – संपूर्णता की अवस्था

परिभाषा:

पावनता का अर्थ है – संपूर्ण शुद्धता।
यह केवल विकारों से बचाव नहीं, बल्कि आत्मा की दिव्यता का पूर्ण प्रकटीकरण है।
यह “Be and Radiate” की अवस्था है – जहाँ आत्मा से दिव्यता स्वतः प्रकट होती है।

उदाहरण:

  • श्री लक्ष्मी-नारायण

  • फरिश्ता ब्रह्मा बाबा

Sakar Murli, 11 Oct 2023:
“ब्रह्मा ही बनता है नारायण। ब्रह्मा ही सबसे पावन बनता है।”


 3. पवित्रता और पावनता का मुख्य अंतर

तुलना बिंदु पवित्रता पावनता
उद्देश्य विषय-विकार से बचाव दिव्यता और संपूर्ण शुद्धता
स्थिति साधना की प्रारंभिक अवस्था साधना की पूर्णता
कार्यशैली स्वयं को रोकना दूसरों को दिव्य बनाना
प्रभाव आत्मा की रक्षा आत्मा से दिव्यता की किरणें
उदाहरण ब्रह्मचारी, सन्यासी श्री नारायण, फरिश्ता बाबा

 4. मुरली स्पष्टता – 09 जुलाई 2025

  1. “बाप कहते हैं – बच्चे, सिर्फ पवित्र नहीं बनो, पावन बनो।”

  2. “सन्यासी पवित्र होते हैं, लेकिन देवता पावन होते हैं।”

  3. “तुम बच्चों को पावन दुनिया में जाना है – पावनता की शक्ति धारण करो।”

 शिव बाबा हमें केवल संयम नहीं सिखाते, बल्कि दिव्यता तक पहुँचने का मार्ग दिखाते हैं।


 5. ब्रह्मा बाबा की तीन अवस्थाएँ:

Stage 1 – प्रतिज्ञा:

1937 में ब्रह्मा बाबा ने पवित्रता का संकल्प लिया।

Stage 2 – ज्ञान से परिवर्तन:

उनकी दृष्टि और संकल्पों से आत्माओं में दिव्यता आनी लगी।

Stage 3 – फरिश्ता अवस्था:

1969 में देह छोड़ने के बाद बाबा दाता बन गए – उनकी उपस्थिति मात्र से आत्माएं पावन बनती रहीं।

📝 Avyakt Murli, 18 Jan 2023:
“आज तक सब पवित्र बनने का पुरुषार्थ कर रहे हैं। पावन वे हैं जिनका रिजल्ट निकल चुका है।”


 6. क्या राधा (लक्ष्मी) पावन है या पवित्र?

राधा की स्थिति पावन है, परंतु बाप समान नहीं।
उनका 99.999% शुद्धता है, जबकि ब्रह्मा बाबा 100% पावन बनते हैं।

Avyakt Murli, 8 April 2023:
“बाप समान बनने वाले ही सबसे पावन बनते हैं।”

पवित्रता और पावनता में क्या अंतर है?
पावनता: एक यात्रा और उसका गंतव्य


प्रश्न 1: पवित्रता का क्या अर्थ है?

उत्तर:
पवित्रता का अर्थ है विकारों से बचना और संयमित जीवन जीना। यह आत्मा की साधना का प्रारंभिक चरण है।


प्रश्न 2: पावनता किसे कहते हैं?

उत्तर:
पावनता का अर्थ है संपूर्ण शुद्धता – जहाँ आत्मा से स्वाभाविक रूप से दिव्यता प्रकट होती है।


प्रश्न 3: पवित्रता और पावनता में मुख्य अंतर क्या है?

उत्तर:

  • पवित्रता: संयम और बचाव की अवस्था है।

  • पावनता: दिव्यता और संपूर्ण शुद्धता की स्थिति है।
    पवित्र आत्मा स्वयं को रोकती है, जबकि पावन आत्मा दूसरों को दिव्य बनाती है।


प्रश्न 4: सन्यासी और देवता में क्या अंतर है?

उत्तर:
सन्यासी पवित्र होते हैं, जबकि देवता पावन होते हैं।
(साकार मुरली 09 जुलाई 2025)


प्रश्न 5: ब्रह्मा बाबा ने पवित्रता और पावनता की यात्रा कैसे तय की?

उत्तर:

  1. 1937 में पवित्रता का संकल्प

  2. ज्ञान से दृष्टि व संकल्प में दिव्यता

  3. 1969 में फरिश्ता अवस्था – उनकी उपस्थिति से आत्माएं पावन बनती रहीं।


प्रश्न 6: श्री लक्ष्मी-नारायण किस स्थिति के प्रतीक हैं?

उत्तर:
वे पावनता की चरम अवस्था के प्रतीक हैं, जहाँ आत्मा पूरी तरह दिव्य होती है।


प्रश्न 7: क्या राधा (लक्ष्मी) 100% पावन हैं?

उत्तर:
नहीं, राधा की पावनता 99.999% है। 100% पावन बनने वाले ब्रह्मा बाबा हैं जो बाप समान बने।

(अवयक्त मुरली – 8 अप्रैल 2023)


प्रश्न 8: क्या केवल पवित्र बनना पर्याप्त है?

उत्तर:
नहीं, बाप कहते हैं – “सिर्फ पवित्र नहीं, पावन बनो।”
(साकार मुरली – 09 जुलाई 2025)

Disclaimer:

यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज की आध्यात्मिक शिक्षाओं पर आधारित है, जिसका उद्देश्य आत्मा की गहराई से समझ, आत्म-चिंतन और आध्यात्मिक उन्नति को बढ़ावा देना है। इसमें प्रयुक्त विचार, उद्धरण और मुरली बिंदु BK ज्ञान पर आधारित हैं और किसी भी व्यक्ति, पंथ, या जीवन पद्धति की आलोचना के लिए नहीं हैं। कृपया इस वीडियो को एक आध्यात्मिक मार्गदर्शन के रूप में देखें।

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