The real secret of Navratri:-(09)

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(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

अध्याय : दुर्गा सप्तशती की कहानियों का रहस्य – सत्य या कल्पना


 प्रस्तावना

दुर्गा सप्तशती में वर्णित कहानियाँ, जैसे – दुर्गा, काली और अंबिका द्वारा असुरों का नाश – सामान्य रूप से पढ़ने-सुनने पर हिंसा और भय की छवि प्रस्तुत करती हैं।
परंतु क्या वास्तव में देवियां हिंसा कर सकती हैं?
क्या यह कथाएँ सत्य घटनाएँ हैं या गहरे आध्यात्मिक रहस्य छुपाती हैं?


कथा का संक्षिप्त विवरण (दुर्गा सप्तशती)

  • शुम और निशुम नामक असुरों ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया।

  • देवताओं ने हिमालय पर जाकर विष्णु माया की स्तुति की।

  • पार्वती के शरीर केशों से अंबिका देवी का प्रकट होना बताया गया।

  • क्रोध में अंबिका का मुख काला पड़ा और वहीं से काली देवी उत्पन्न हुईं।

  • काली ने असुरों, हाथियों और घोड़ों को पकड़कर खा लिया।


 तर्कसंगत दृष्टि से प्रश्न

  1. क्या किसी के शरीर के केशों से देवी उत्पन्न हो सकती है?

  2. क्या कोई देवी हाथियों और घोड़ों को पकड़कर खा सकती है?

  3. क्या घोड़े, जिन्हें मनुष्य भी नहीं खाता, देवी खा सकती हैं?

  4. यदि यह कथा बच्चों को सुनाई जाए तो वे देवी को दयालु माता मानेंगे या राक्षसी रूप?

 इससे स्पष्ट होता है कि ये दृश्य प्रतीकात्मक हैं, न कि वास्तविक घटनाएँ।


 उदाहरण

जैसे कोई बच्चा यह सुनता है कि माँ काली खून पीती थीं – तो क्या वह भयभीत नहीं होगा?
परंतु जब समझाया जाए कि काली का अर्थ है अज्ञान का विनाश करने वाली शक्ति – तो वह प्रेरित होगा।


 गुप्त अर्थ (BK दृष्टिकोण से)

ब्रह्माकुमारी ज्ञान सागर के अनुसार:

  • देवी = आत्मा की शक्ति

  • काली = अज्ञान का नाश करने वाली शक्ति

  • अंबिका = ब्रह्मा के माध्यम से साकार ज्ञान देने वाली शक्ति

  • असुर = विकार (काम, क्रोध, लोभ, अहंकार)

  • युद्ध = आत्मा और माया के बीच का संघर्ष

 अतः असली युद्ध तलवारों से नहीं, बल्कि योग और ज्ञान की शक्ति से होता है।


 Murli Note (27-04-1983, अव्यक्त वाणी)

“बच्चे, असली राक्षस काम, क्रोध, लोभ और मोह हैं।
इन्हें समाप्त करने वाली शक्ति ही देवी शक्ति कहलाती है।
तलवारों और शस्त्रों से नहीं, आत्म-शक्ति और योगबल से असुरों का नाश होता है।”


 निष्कर्ष

  • शास्त्रों की कथाएँ प्रतीकात्मक हैं।

  • हिंसा और डर फैलाने वाले प्रसंग वास्तव में विकारों के नाश की उपमा हैं।

  • असली देवी वह शक्ति है जो आत्मा को माया से मुक्त कर परमात्मा के पास ले जाए।

  • हमें कथाओं का आध्यात्मिक अर्थ समझकर जीवन में लागू करना है।

  • दुर्गा सप्तशती की कहानियों का रहस्य – सत्य या कल्पना


    प्रश्न 1:

    दुर्गा सप्तशती की कहानियाँ सामान्य दृष्टि से कैसी प्रतीत होती हैं?

    उत्तर:
    जब हम इन कथाओं को पढ़ते या सुनते हैं—जैसे दुर्गा, काली और अंबिका द्वारा असुरों का नाश—तो वे हिंसा और भय की छवि प्रस्तुत करती हैं। देवी को तलवार चलाते, रक्त पीते या असुरों को मारते दिखाया गया है।


    प्रश्न 2:

    क्या वास्तव में देवियाँ हिंसा कर सकती हैं?

    उत्तर:
    तर्कसंगत दृष्टि से यह असंभव है कि किसी देवी केशों से उत्पन्न हो या हाथियों-घोड़ों को पकड़कर खा जाए। ये दृश्य वास्तविक घटनाएँ नहीं, बल्कि प्रतीकात्मक उपमाएँ हैं।


    प्रश्न 3:

    यदि यह कथाएँ बच्चों को सुनाई जाएँ, तो उनका प्रभाव क्या होगा?

    उत्तर:
    यदि बच्चे सुनेंगे कि माँ काली खून पीती थीं या घोड़ों को खा जाती थीं, तो वे देवी को राक्षसी रूप में देख सकते हैं और भयभीत हो सकते हैं। लेकिन जब समझाया जाए कि काली का अर्थ है—अज्ञान का नाश करने वाली शक्ति—तो वे प्रेरित होंगे।


    प्रश्न 4:

    इन कहानियों का गुप्त आध्यात्मिक अर्थ क्या है?

    उत्तर (BK दृष्टिकोण से):

    • देवी = आत्मा की शक्ति

    • काली = अज्ञान का नाश करने वाली शक्ति

    • अंबिका = ब्रह्मा के माध्यम से साकार ज्ञान देने वाली शक्ति

    • असुर = विकार (काम, क्रोध, लोभ, अहंकार)

    • युद्ध = आत्मा और माया के बीच का संघर्ष

    इस प्रकार, असली युद्ध तलवारों से नहीं बल्कि ज्ञान और योग की शक्ति से होता है।


    प्रश्न 5:

    अव्यक्त मुरली (27-04-1983) इस विषय पर क्या स्पष्ट करती है?

    उत्तर:
    बापदादा कहते हैं:
    “बच्चे, असली राक्षस काम, क्रोध, लोभ और मोह हैं। इन्हें समाप्त करने वाली शक्ति ही देवी शक्ति कहलाती है। तलवारों और शस्त्रों से नहीं, आत्म-शक्ति और योगबल से असुरों का नाश होता है।”


    प्रश्न 6:

    तो क्या दुर्गा सप्तशती की कथाएँ सत्य हैं या कल्पना?

    उत्तर:
    ये कथाएँ प्रतीकात्मक सत्य हैं। बाहरी दृष्टि से वे हिंसक और काल्पनिक लगती हैं, परंतु उनके भीतर गहरा आध्यात्मिक ज्ञान छुपा है। असली देवी वह शक्ति है जो आत्मा को माया से मुक्त कर परमात्मा के पास ले जाती है।


    निष्कर्ष:

    दुर्गा सप्तशती की कहानियों को बाहरी युद्ध या हिंसा के रूप में न देखें। ये कथाएँ वास्तव में विकारों के नाश और आत्मा की विजय का संदेश देती हैं। असली देवी शक्ति वही है जो हमें योगबल और ज्ञान से पवित्र बनाकर परमात्मा से जोड़ती है।

  • Disclaimer / डिस्क्लेमर: यह वीडियो किसी भी धर्म, आस्था या देवी-देवताओं का अनादर करने के लिए नहीं है। इसका उद्देश्य केवल दुर्गा सप्तशती की कथाओं के पीछे छिपे आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक रहस्य को समझाना है। हम सब धर्मों और आस्थाओं का सम्मान करते हैं। कृपया इसे आध्यात्मिक दृष्टि से ही ग्रहण करें।
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