What things should you pay attention to in the race to move ahead

आगे बढ़ने की रेस में किन बातों पर ध्यान दे -1

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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आज हम एडवांस पार्टी से संबंधित 23वीं विशेष पॉइंट का अध्ययन कर रहे हैं, जो हमें 19 मार्च 2000 की अव्यक्त मुरली से प्राप्त हुई है।

इस पॉइंट में बापदादा ने यह बहुत ही गहन और रहस्यमयी ज्ञान दिया कि एडवांस पार्टी का जन्म संगम युगी शरीर में होता है, और वतन में वो आत्माएँ कैसे इमर्ज होती हैं।


1. वतन में आत्मा किस स्वरूप में आती है?

बाबा ने स्पष्ट किया कि

“वो आत्माएँ वतन में उसी संगम युगी रूप में आती हैं जिसमें वे पहले बनी थीं।
नीचे उनका जो वर्तमान रूप है, उसकी उन्हें कोई याद नहीं होती।”

जैसे हम सपने में किसी अन्य संसार में चले जाते हैं — ठीक वैसे ही — वे भी वतन में आती हैं, लेकिन जैसे एक सपना।


 2. वतन में इमर्ज स्वरूप: पुराना संगम युगी रूप

वतन में जब आत्माएँ आती हैं, तो वे उस प्रकाशमय रूप में इमर्ज होती हैं,
जिसमें वे संगम युग पर थीं।

उनका नीचे का वर्तमान जन्म उन्हें याद नहीं रहता।
उन्हें केवल आदेश (directions) मिलते हैं और वे उस आदेश को लेकर कार्य करते हैं।


 3. यह एक स्वप्न जैसा अनुभव होता है

बाबा ने कहा कि यह पूरा अनुभव जैसे एक स्वप्न की तरह होता है।

आत्मा ऊपर जाती है, आदेश लेती है, पर उसे याद नहीं रहता कि कहां से आया, किसने दिया।

नीचे आकर केवल कार्य का भाव रहता है, आदेश तो याद रहता है — पर स्त्रोत भूल जाता है।


 4. दादी प्रकाशमणि का अद्भुत उदाहरण

गुलजार दादी ने 2007 में दादी प्रकाशमणि से पूछा —
“आपको गर्भ में कैसा लगता है?”

दादी जवाब नहीं दे पाईं, तो बाबा ने उन्हें इमर्ज किया।

दादी ने कहा:
“गर्भ में कोई बदबू नहीं लगती, कोई कष्ट नहीं होता। इसे ही ‘गर्भ महल’ कहते हैं।”

यह स्पष्ट करता है कि आत्मा को ऊपर सब याद होता है, पर नीचे आते ही भूल जाती है।


 5. डायरेक्शन याद रहते हैं, स्त्रोत नहीं

बाबा ने बताया:

आत्माएँ ऊपर से जो direction लेकर आती हैं, वे उन्हें ऑटोमेटिक रूप से नीचे कार्य में लगाती हैं।

पर उन्हें यह याद नहीं होता कि ये निर्देश कहां से मिले।


 6. एडवांस पार्टी नीचे मिलती है, पर पहचानती नहीं

पिछले अध्ययन में भी बाबा ने बताया:

एडवांस पार्टी के सदस्य नीचे मिलते हैं, साथ रहते हैं, कार्य करते हैं —
पर वे एक-दूसरे को पहचानते नहीं कि संगम युग पर वे कौन थे।


 7. वतन में मिलन: संगम युगी शरीर में इमर्ज

बाबा ने सबको उनके संगम युगी शरीर में इमर्ज किया।

जब संगम युगी शरीर में इमर्ज हुए, तो आत्माओं में मिलन हुआ,
वे आपस में बहुत खुश हुए,
पुरानी शिक्षाएँ, बाबा के अनुभव, प्यार — सब याद आने लगे।


 8. आत्मा ऊपर जाकर संगम युग की बातें याद करती है

नीचे का जन्म भूल जाता है,

पर जैसे ही बाबा उन्हें संगम युगी शरीर में इमर्ज करते हैं,
तो आत्मा को संगम युग की बातें इमर्ज हो जाती हैं।

वे एक-दूसरे को कहते हैं:
“बाबा ने मुझे ऐसा प्यार किया, ऐसा अनुभव दिया…”
और ये सब बातें प्रकाश की काया में होती हैं।

बाबा का यह ज्ञान एक बहुत ही अद्भुत और दिव्य रहस्य खोलता है —

एडवांस पार्टी का जन्म, स्मृति, कार्य, और मिलन सब एक अदृश्य, सूक्ष्म, लेकिन अत्यंत शक्तिशाली प्रक्रिया है।

यह हमें समझाता है कि आत्मा कैसे बाबा की ड्रामा योजना में सटीक रूप से अपना कार्य करती है — भले ही उसे खुद स्मृति न हो

तो बच्चों, ऐसे दिव्य ज्ञान के आधार पर हमें भी समझना है कि हमारा स्मृति स्वरूप, हमारा दीपक रूप, और हमारा सेवा भाव — यही हमारे कार्य का आधार है।

हमें अपने संगम युगी स्वरूप की स्मृति में स्थित रहकर,
इस सुंदर ड्रामा का रचनात्मक और शक्तिशाली भाग बनना है।

Q1: वतन में आत्मा किस स्वरूप में जाती है?

उत्तर:बाबा ने बताया कि आत्मा वतन में अपने संगम युगी स्वरूप में जाती है — उसी रूप में जो उन्होंने संगम युग में बनाया था।
वर्तमान जन्म का रूप उन्हें याद नहीं रहता। यह जैसे एक स्वप्न की तरह होता है।


Q2: क्या आत्मा को याद रहता है कि वह वतन में गई थी?

उत्तर:नहीं। आत्मा नीचे आकर भूल जाती है कि वह ऊपर वतन में गई थी।
उसे सिर्फ ऊपर से मिले निर्देश (directions) याद रहते हैं, लेकिन यह याद नहीं रहता कि वो कहां से आए और किसने दिए।


Q3: वतन में आत्मा को कौन-सा रूप इमर्ज होता है?

उत्तर:बाबा आत्मा को उसके संगम युगी शरीर में इमर्ज करते हैं।
इस रूप में आत्मा की पुरानी शिक्षाएं, अनुभव, बाबा का प्यार सब स्मृति में आ जाते हैं।


Q4: क्या वतन में मिलने के समय आत्माएँ एक-दूसरे को पहचानती हैं?

उत्तर:जी हाँ, वतन में जब संगम युगी शरीर में इमर्ज होती हैं, तो आत्माएँ आपसी मिलन में खुशी अनुभव करती हैं और एक-दूसरे से संगम युग की बातें साझा करती हैं।


Q5: क्या नीचे आकर आत्माएँ एक-दूसरे को पहचानती हैं?

उत्तर:नहीं। एडवांस पार्टी की आत्माएँ नीचे मिलती ज़रूर हैं, साथ कार्य भी करती हैं, लेकिन स्मृति नहीं रहती कि वे संगम युग पर कौन थीं।


Q6: इस रहस्य को समझने के लिए कोई उदाहरण है?

उत्तर:हाँ, दादी प्रकाशमणि का उदाहरण प्रसिद्ध है।
2007 में गुलजार दादी ने दादी से पूछा: “गर्भ में कैसा लगता है?”
दादी नहीं समझ पाईं, तब बाबा ने उन्हें इमर्ज किया — और दादी ने बताया कि “कोई कष्ट नहीं, कोई बदबू नहीं — इसे ही ‘गर्भ महल’ कहते हैं।”


Q7: ऊपर से मिले निर्देशों की आत्मा को कैसे याद रहती है?

उत्तर:बाबा ने कहा कि आत्मा डायरेक्शन को ऑटोमेटिक फॉलो करती है।
याद नहीं होता कि कहां से मिला, लेकिन काम करती है। यह ड्रामा की एक चमत्कारी व्यवस्था है।


Q8: वतन में इमर्ज आत्मा को सबसे अधिक क्या खुशी देती है?

उत्तर:वो आत्मा जब संगम युगी शरीर में इमर्ज होती है और बाबा की शिक्षाएं, प्यार, अनुभव याद आते हैं — तो वो बेहद खुशी और मिलन में चली जाती है।


Q9: इस ज्ञान से हमें क्या सीख मिलती है?

उत्तर:हमें यह समझना चाहिए कि हमारा स्मृति स्वरूप, सेवा भाव और दीपक रूप ही हमारे कार्य का आधार है।
हमें भी संगम युगी स्थिति में स्थित होकर इस दिव्य ड्रामा का सशक्त पात्र बनना है।

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