When and how will the flame of destruction occur (02)- Who will be the cause of the manifestation of the flame of destruction?

विनाश ज्वाला कब और कैसे होगी (02)-विनाश ज्वाला का प्राकट़य कौन बनेगा निमित्त?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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02 विनाश ज्वाला का प्राकट्य कौन बनेगा निमित्त?

शंकर निमित्त बनेगा या ब्राह्मण आत्माएँ?

 🔹 जब से परमपिता ने यज्ञ की स्थापना की, उसी क्षण से विनाश की ज्वाला भी प्रकट होनी प्रारंभ हुई।              

🔹 यह केवल शंकर द्वारा नहीं, बल्कि बापदादा और ब्राह्मण आत्माएँ मिलकर इस महायज्ञ को सम्पन्न कर रही हैं।

🔹 जैसे यज्ञ की अग्नि कभी शांत नहीं होती, वैसे ही विनाश की ज्वाला भी बढ़ती जाएगी।          

🔹 यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ ही तमोगुणी दुनिया का परिवर्तन होगा।

 ज्वाला रूप बनो – विनाश की प्रक्रिया को तीव्र करो

🕉️ जैसे किसी अर्थी को अग्नि दी जाती है, वैसे ही इस विकारी संसार की समाप्ति के लिए भी तपस्वी आत्माओं की ज्वाला रूप स्थिति आवश्यक है।

🔥 विनाश की अग्नि को संकल्पों से तीव्र करनाहै, न कि किसी बाहरी साधन से।

💭 संकल्पों से यह ज्वाला इतनी प्रज्वलित होगी कि तमोगुण का अंत होगा और सतयुग की नई सृष्टि का सृजन होगा।

योग की ज्वाला से विनाश की ज्वाला प्रज्वलित होगी

🔥 जिस प्रकार किसी अग्नि को तीव्र करने के लिए हवा की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार विनाश ज्वाला को तीव्र करने के लिए संगठित योग की शक्ति चाहिए।

⚡ चारों ओर विशेष रूप से संगठित योग-तपस्या के कार्यक्रम होने चाहिए, जिससे योग की ज्वाला द्वारा विनाश की ज्वाला को प्रज्वलित किया जा सके।

🌍 यह योग की ज्वाला ही दुखदायी दुनिया के विनाश की अंतिम चिंगारी बनेगी और सतयुग की स्थापना होगी।

संकल्प करें – ज्वाला रूप स्थिति धारण करें

🔥 अब अपने संकल्पों को इतना तीव्र करें कि योग की ज्वाला से विनाश ज्वाला को प्रज्वलित कर सकें।   अब संकल्प करें कि यह पुरानी दुनिया शीघ्र परिवर्तित हो और दिव्य स्वर्णिम युग प्रकट हो।

🕉️ योग की शक्ति से विश्व परिवर्तन का महायज्ञ सम्पन्न करें!

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🔥 विनाश ज्वाला का प्राकट्य – कौन बनेगा निमित्त? 🔥

❓ प्रश्न: विनाश की ज्वाला कब से प्रकट होनी प्रारंभ हुई?
✅ उत्तर: जब से परमपिता ने यज्ञ की स्थापना की, उसी क्षण से विनाश की ज्वाला भी प्रकट होनी प्रारंभ हुई।

❓ प्रश्न: क्या केवल शंकर ही विनाश का निमित्त है?
✅ उत्तर: नहीं, यह केवल शंकर द्वारा नहीं, बल्कि बापदादा और ब्राह्मण आत्माएँ मिलकर इस महायज्ञ को सम्पन्न कर रही हैं।

❓ प्रश्न: यज्ञ की पूर्णाहुति किसका संकेत है?
✅ उत्तर: यज्ञ की पूर्णाहुति तमोगुणी दुनिया के परिवर्तन और सतयुग की स्थापना का संकेत है।

❓ प्रश्न: “ज्वाला रूप बनो” का क्या अर्थ है?
✅ उत्तर: इसका अर्थ है अपनी तपस्या की शक्ति से संकल्पों को इतना तीव्र करना कि विनाश की प्रक्रिया को गति मिले और विकारी संसार का अंत हो।

❓ प्रश्न: विनाश की ज्वाला को किस प्रकार तीव्र किया जा सकता है?
✅ उत्तर: विनाश की ज्वाला को बाहरी साधनों से नहीं, बल्कि संकल्पों और योग की ज्वाला से तीव्र किया जा सकता है।

❓ प्रश्न: योग की ज्वाला कैसे विनाश की ज्वाला को प्रज्वलित करेगी?
✅ उत्तर: जैसे अग्नि को तीव्र करने के लिए हवा की आवश्यकता होती है, वैसे ही संगठित योग-तपस्या के द्वारा विनाश की ज्वाला को प्रज्वलित किया जाएगा।

❓ प्रश्न: ब्राह्मण आत्माओं की मुख्य भूमिका क्या है?
✅ उत्तर: ब्राह्मण आत्माओं को संकल्पों की शक्ति से योग की ज्वाला को तीव्र कर विनाश प्रक्रिया को तीव्र करना है, जिससे सतयुग की स्थापना हो सके।

❓ प्रश्न: इस समय हमें कौन-सा संकल्प धारण करना चाहिए?
✅ उत्तर: हमें यह संकल्प धारण करना चाहिए कि हम ज्वाला रूप स्थिति को प्राप्त कर योग की शक्ति से इस दुखदायी दुनिया के अंत और स्वर्णिम युग की स्थापना में निमित्त बनें।

🔔 अब समय आ गया है – अपनी ज्वाला रूप स्थिति धारण करें और विश्व परिवर्तन के महायज्ञ को सम्पन्न करें! 🔔

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