(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
धनतेरस-का असली रहस्य – जब आत्मा कमाती है अमर धन!
प्रस्तावना : धनतेरस का असली अर्थ क्या है?
आज लोग धनतेरस पर सोना-चांदी, बर्तन या कारें खरीदते हैं, क्योंकि मान्यता है — “इस दिन खरीदा गया धन बढ़ता है।”
परंतु क्या सचमुच खरीदार का धन बढ़ता है, या विक्रेता का?
सच्चाई यह है कि वह बढ़ता है जो बेचता है!
जो खरीदता है, उसका धन तो घट जाता है।
बाबा कहते हैं:
“धनतेरस का अर्थ बाहरी खरीद नहीं, बल्कि आत्मिक कमाई है।”
धनतेरस का आध्यात्मिक अर्थ है —
“जब आत्मा कमाती है अमर धन।”
सोना नहीं, पवित्रता ही है सच्चा धन।
1. आत्मा का धन बनाम देह का धन
दुनिया देह के लिए धन कमाने में लगी है,
पर ईश्वरीय बच्चे आत्मा के लिए अविनाशी धन कमाते हैं।
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देह द्वारा देह के लिए कमाया गया धन — विनाशी है।
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आत्मा द्वारा आत्मा के लिए कमाया गया धन — अविनाशी है।
मुरली: 3 नवम्बर 2018
“सच्चा धन वह है जो सात जन्मों तक साथ रहे। यह ज्ञान और योग का धन कोई चुरा नहीं सकता।”
उदाहरण:
जैसे किसी के पास लाखों रुपये हों, पर अचानक बीमारी या मृत्यु हो जाए — वह धन किस काम का?
पर आत्मा का संचित ज्ञान और पवित्रता — अगले जन्मों तक साथ रहती है।
2. सच्चा सोना — आत्मा की सुनहरी अवस्था
लोग सोने की चीज़ें खरीदकर खुश होते हैं।
पर असली सोना कौन?
सतोप्रधान आत्मा ही सच्चा सोना है।
मुरली: 7 नवम्बर 2016
“जो जितना पवित्र है, वह उतना अमूल्य और अनमोल है।”
उदाहरण:
सोना कभी जंग नहीं खाता।
इसी प्रकार, जब आत्मा विकारों से मुक्त होती है, तो उसमें परमात्मा का तेज प्रकट होता है।
‘ओम्’ का एक अर्थ है हिरण्यगर्भ — अर्थात “सोने की चमक वाला।”
इसलिए आत्मा को स्वर्णिम बनाना ही असली खरीद है।
3. सच्चे वैद्य – शिव परमात्मा
धनतेरस के दिन लोग धनवंतरी देवता को याद करते हैं,
क्योंकि वे शरीर के रोग मिटाते हैं।
परंतु सच्चे वैद्य हैं – शिव परमात्मा,
जो आत्मा को रोगमुक्त करते हैं।
मुरली: 27 अक्टूबर 2019
“मैं हूं सर्व रोगों का वैद्य। योग अग्नि से आत्मा को रोगमुक्त बनाता हूं।”
उदाहरण:
डॉक्टर दवा से शरीर को ठीक करते हैं,
पर परमात्मा ज्ञान और योग से आत्मा को शुद्ध करते हैं।
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार — ये आत्मा के रोग हैं।
योग ही वह औषधि है जो आत्मा को निरोगी बनाती है।
4. असली सफाई – मन की सफाई
धनतेरस पर घरों की सफाई होती है ताकि लक्ष्मी आए,
परंतु अगर मन में क्रोध, ईर्ष्या, या नकारात्मकता है,
तो सच्ची लक्ष्मी — शांति और समृद्धि — नहीं टिक सकती।
मुरली: 28 अक्टूबर 2021
“मन को स्वच्छ बनाओ — वही सच्ची पूजा है।”
उदाहरण:
अगर घर चमकता है पर मन अंधकार में है,
तो लक्ष्मी (शांति और प्रेम) नहीं आती।
इसलिए इस धनतेरस पर सबसे पहले अपने मन का कोना साफ करो।
5. धनतेरस से दिवाली तक – आत्मा की पांच दिव्य अवस्थाएँ
धनतेरस से दिवाली तक पाँच दिन हैं —
ये आत्मा की पाँच गुणों की यात्रा का प्रतीक हैं।
| पर्व | आत्मिक अर्थ |
|---|---|
| धनतेरस | पवित्रता — आत्मा का सबसे बड़ा धन |
| नरक चतुर्दशी | नकारात्मकता का अंत |
| दीपावली | आत्मा का प्रकाश |
| गोवर्धन पूजा | स्थिर बुद्धि और सहयोग |
| भैया दूज | आत्मिक प्रेम का प्रतीक |
मुरली: 31 अक्टूबर 2017
“हर पर्व आत्मा की स्थिति का प्रतीक है।”
उदाहरण:
जैसे दीपावली पर दीप जलाते हैं,
वैसे ही आत्मा में ज्ञान का दीपक जलाना ही सच्ची दिवाली है।
सारांश : सच्चा धन क्या है?
सच्चा धन वे नहीं जो बटुए में है,
बल्कि वे हैं जो आत्मा में है —
ज्ञान, योग, पवित्रता, प्रेम और शांति।
ये ही आत्मा के अमर रत्न हैं।
साकार मुरली: 3 नवम्बर 2018
“बच्चे, यह अमर धन मैं ही देता हूं — जो कभी समाप्त नहीं होता।”
इस धनतेरस पर बाहरी नहीं, भीतरी दीप जलाओ,
क्योंकि सच्ची दिवाली आत्मा की होती है।
समापन संदेश:
धनतेरस का सच्चा अर्थ है —
“जब आत्मा कमाती है अमर धन।”
सोना नहीं, पवित्रता ही है सच्चा धन।
इस धनतेरस पर प्रतिज्ञा करें —
“मैं आत्मा अपने जीवन में परमात्मा से वह अमर धन कमाऊँगा,
जो कभी समाप्त न हो।”
Disclaimer:
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज के ईश्वरीय ज्ञान एवं मुरली बिंदुओं पर आधारित एक आध्यात्मिक चिंतन है। इसका उद्देश्य दर्शकों को आत्म-जागृति, पवित्रता और आंतरिक शांति की ओर प्रेरित करना है। इसमें दी गई बातें किसी धार्मिक या भौतिक परंपरा की आलोचना नहीं करतीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सत्य अर्थ को उजागर करती हैं।
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