When we are sad after death, does that sadness reach the soul?

क्या मृत्यु के बाद हमारे दःखी हाेने से आत्मा तक वह दुःख पहुँचता है

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“क्या मृत्यु के बाद आत्मा तक हमारा दुख पहुंचता है? | एक आध्यात्मिक विवेचना | Brahma Kumaris Murli Based 


एक गहरा प्रश्न

ओम् शांति।

आज हम एक बहुत ही भावनात्मक और गहन प्रश्न पर मनन कर रहे हैं —

“क्या जब हम किसी प्रिय आत्मा के जाने पर दुखी होते हैं, तो वह दुख उस आत्मा तक पहुंचता है?”

बहुत बार लोगों से सुनने को मिलता है —
“तुम यहाँ रोते हो तो वह आत्मा भी वहां दुखी होती है।”

परंतु क्या यह सत्य है?

आइए इसे ब्रह्मा कुमारी मुरली, उदाहरणों और आत्मिक ज्ञान के माध्यम से गहराई से समझें।


 1. आत्मा अमर है, शरीर नश्वर

मुरली सन्दर्भ (18 जनवरी 2025):

“बच्चे, आत्मा को कभी मृत्यु नहीं आती। शरीर का परिवर्तन होता है, आत्मा कॉस्ट्यूम बदलती है।”

जब शरीर छूटता है, आत्मा एक सेकंड में ही नया गर्भ पकड़ लेती है। यह है “कॉस्ट्यूम चेंज”

उदाहरण:
जैसे एक अभिनेता एक सीन पूरा करके दूसरा कॉस्ट्यूम पहन लेता है, और नए सीन में प्रवेश कर जाता है।
पहले सीन के लोगों का रोना उसके नए रोल पर असर नहीं करता।

वैसे ही आत्मा नए जन्म में पुराने परिवार की भावनाओं से प्रभावित नहीं होती।


 2. गर्भ में आते ही आत्मा सब कुछ भूल जाती है

मुरली सन्दर्भ (28 मई 2025):

“बच्चे, आत्मा गर्भ में आते ही सब कुछ भूल जाती है।”

यदि आत्मा अपनी पिछली मां से भी गहरा प्रेम रखती थी, तो भी गर्भ में आते ही सब भूल जाती है।

अर्थात्, उसके पास आपकी भावनाओं को पहचानने की कोई चेतना नहीं रहती।


 3. आत्मा कभी-कभी सूक्ष्म रूप में अनुभव करती है

विशेष जानकारी:
कभी-कभी, जब तक आत्मा गर्भ में प्रवेश नहीं करती, तब तक वह कुछ समय के लिए सूक्ष्म शरीर के रूप में अनुभव कर सकती है।

उदाहरण:
दादी प्रकाशमणि जी का अनुभव —
गर्भ में होते हुए भी उन्होंने सूक्ष्मवतन जाकर बाबा से मिलन किया।यह एक दुर्लभ स्थिति होती है, जो लाखों में किसी एक आत्मा के भाग्य में होती है।


 4. संकल्प और भावनाएं एक ऊर्जा हैं

मुरली सन्दर्भ (22 जून 2025):

“बच्चे, संकल्पों की शक्ति तेज होती है। तुम जहां भेजो, वहां पहुंच सकती है। पर यह तुम्हारी स्थिति पर निर्भर करता है।”

उदाहरण:
जैसे एक रेडियो स्टेशन से सिग्नल भेजे जाते हैं, पर रिसीवर चालू होना ज़रूरी है।

यदि आत्मा गर्भ में है या उसकी फ्रीक्वेंसी ट्यून नहीं है, तो आपका संकल्प या भावनाएं उसे नहीं छू सकते।

यदि आपकी स्थिति शक्तिशाली है, तो आपकी संकल्प सेवा दूर तक पहुंच सकती है।


 5. अशांति का वातावरण आत्मा को छू सकता है?

केवल तब, जब आत्मा अभी तक गर्भ में नहीं गई हो और सूक्ष्म रूप में उपस्थित हो —
तो आपकी अशांत वायब्रेशन उसे छू सकती है

दुख की ऊर्जा से वातावरण अशांत हो जाता है और यदि आत्मा पास है, तो उसे वह अशांति महसूस हो सकती है।


 6. क्या करना चाहिए? दुख देना या शांति फैलाना?

बाबा का मार्गदर्शन:

“बच्चे, तुम्हारे संकल्प सेवा के लिए हैं, शोक के लिए नहीं।”

हमारा कार्य:

  • शांत और शक्तिशाली संकल्प देना

  • आत्मा को प्रेम और शुभकामनाएं भेजना

  • शांति का प्रकंपन फैलाना

उदाहरण:
जैसे टेलीविजन चैनल प्रसारण करता है,
देखे या न देखे, सिग्नल तो प्रसारित होता ही रहता है।

जो आत्मा ट्यून करेगी, उसे मिलेगा।


 7. निष्कर्ष: आत्मा को क्या चाहिए?

  • दुख नहीं, शांति और प्रेम

  • क्रंदन नहीं, करुणा और बल

  • भय नहीं, विश्वास और आशीर्वाद

सच्ची श्रद्धांजलि क्या है?
उन आत्माओं को हम शुभ संकल्प और शांति की शक्ति दें।


 अंतिम संदेश

“रुदन नहीं, रोशनी फैलाएं।”

आपके शांत और दिव्य संकल्प ही आत्मा को सच्ची श्रद्धांजलि हैं।

ओम् शांति।

“क्या मृत्यु के बाद आत्मा तक हमारा दुख पहुंचता है? | एक आध्यात्मिक विवेचना | Brahma Kumaris Murli Based Speech”


प्रश्न 1: क्या मृत्यु के बाद आत्मा हमारे दुख को महसूस कर सकती है?

 उत्तर:आत्मा अमर होती है, शरीर नश्वर। जब कोई आत्मा शरीर छोड़ती है, तो वह एक सेकंड में ही नया गर्भ पकड़ लेती है।
मुरली (18 जनवरी 2025) के अनुसार —

“आत्मा को कभी मृत्यु नहीं आती। शरीर का परिवर्तन होता है, आत्मा कॉस्ट्यूम बदलती है।”

जैसे एक अभिनेता एक सीन खत्म करके दूसरा रोल निभाने चला जाता है, वैसे ही आत्मा भी पुराने दृश्य से मुक्त होकर नए दृश्य में प्रवेश कर जाती है।
इसलिए हमारे दुख की सीधी अनुभूति आत्मा तक नहीं पहुंचती।


प्रश्न 2: क्या आत्मा पुराने परिवार को पहचानती है?

 उत्तर:नहीं। मुरली (28 मई 2025) में बाबा ने स्पष्ट किया —

“गर्भ में आते ही आत्मा सब कुछ भूल जाती है।”

आत्मा को नया रोल मिल जाता है और पिछली स्मृतियां समाप्त हो जाती हैं। इसलिए वह अपने पुराने परिवार की भावनाओं या दुख को पहचान नहीं सकती।


प्रश्न 3: क्या आत्मा मृत्यु के बाद कुछ समय तक हमारे आसपास रह सकती है?

 उत्तर:कभी-कभी, आत्मा गर्भ में प्रवेश करने से पहले कुछ समय के लिए सूक्ष्म शरीर के रूप में अनुभव कर सकती है।
यह स्थिति विशेष होती है और हर आत्मा के साथ नहीं होती।
 उदाहरण: दादी प्रकाशमणि जी ने बताया कि गर्भ में रहते हुए भी वे सूक्ष्मवतन में जाकर बाबा से मिलती थीं।


प्रश्न 4: क्या हमारी भावनाएं और संकल्प आत्मा तक पहुंच सकते हैं?

 उत्तर:हाँ, लेकिन केवल तभी जब:

  • हमारी स्थिति शक्ति‍शाली हो

  • आत्मा की स्थिति जागरूक हो (जैसे वह गर्भ में न हो)

  • आत्मा का “रेडियो सेट” ट्यून हो

 मुरली (22 जून 2025):

“बच्चे, संकल्पों की शक्ति तेज होती है… पर यह तुम्हारी स्थिति पर निर्भर करता है।”

 उदाहरण:
जैसे रेडियो स्टेशन से सिग्नल आता है, लेकिन रिसीवर चालू होना ज़रूरी है।

यदि आत्मा की फ्रीक्वेंसी बंद है, तो आपकी भावनाएं उस तक नहीं पहुंच पाएंगी।


प्रश्न 5: क्या आत्मा हमारे अशांत वातावरण से प्रभावित हो सकती है?

 उत्तर:केवल तब जब आत्मा सूक्ष्म रूप में हो और गर्भ में अभी न गई हो, तो वह आपकी अशांति को अनुभव कर सकती है।

यदि आप बहुत दुखी हैं, तो घर का वातावरण भी भारी और अशांत हो जाता है, जो सूक्ष्म आत्मा को छू सकता है।


प्रश्न 6: ऐसी स्थिति में हमें क्या करना चाहिए?

 उत्तर:बाबा का स्पष्ट निर्देश है:

“बच्चे, तुम्हारे संकल्प सेवा के लिए हैं, शोक के लिए नहीं।”

इसलिए हमें करना चाहिए:

  • शांत और शुभ संकल्प भेजना

  • आत्मा को शुभकामनाएं और शक्ति देना

  • शांति का वायब्रेशन फैलाना

 उदाहरण:
जैसे टीवी चैनल सिग्नल भेजता है, देखने वाला ट्यून करे या न करे — सिग्नल चलता रहता है।


प्रश्न 7: आत्मा को सच्ची श्रद्धांजलि क्या है?

 उत्तर:

  • शांति देना

  • करुणा और बल देना

  • शुभ संकल्पों से उन्हें शक्ति देना

 अंतिम संदेश:

“रुदन नहीं, रोशनी फैलाएं।”
आपके शांत, दिव्य संकल्प ही आत्मा के लिए सच्ची श्रद्धांजलि हैं।

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