Where is Paramdham (supreme abode)? The secret of Paramdham

परमधाम कहां हैं? परमधाम का रहस्य

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“परमधाम का दिव्य रहस्य | आत्मा और परमात्मा का शून्य बिंदु स्वरूप | परम अवस्था क्या है?”


ओम् शांति।

आज की दिव्य यात्रा

आज हम एक अत्यंत सूक्ष्म, रहस्यमय और दिव्य विषय पर मनन करेंगे:

  • परमधाम क्या है?

  • आत्मा और परमात्मा कहां रहते हैं?

  • क्या वह कोई स्थान है या कोई अवस्था?

यह यात्रा आँखों से नहीं, आत्मा की बुद्धि और अनुभव से होती है।


क्या परमधाम कोई स्थान है या अवस्था?

  • लोग कहते हैं — परमधाम ऊपर है, कोई स्थान है।

  • लेकिन बाबा ने मुरली में कहा — “जहां कुछ भी नहीं बचता, वही परमधाम है।”

  • परमधाम = निर्वाणधाम = मूलवतन = निवृत्तिधाम = Zero Volume Zone

यह कोई तारों या ग्रहों से परे जगह नहीं — यह एक परम स्थिति है।


बुद्धि और दिमाग का अंतर

  • दिमाग = शरीर का अंग

  • बुद्धि = आत्मा का शक्ति-केन्द्र

  • दिमाग की जानकारी सीमित है।
    बुद्धि की दिव्यता से ही हम परमधाम को समझ सकते हैं।

“बुद्धि आत्मा का पार्ट है।” — मुरली वाणी


परमधाम कितना बड़ा है?

  • उत्तर: शून्य आयतन (Zero Volume)

  • आत्मा और परमात्मा इतनी सूक्ष्म हैं कि कोई स्थान नहीं घेरते।

“जीरो में जितने जीरो जोड़ो, उत्तर जीरो ही रहेगा।”


जीरो पॉइंट कॉन्शियसनेस — परम अवस्था

  • बिंदु स्वरूप = आत्मा और परमात्मा की वास्तविक स्थिति

  • न नाम, न रूप, न अहंकार

  • “परमधाम वह स्थान है जहां आत्मा अपनी स्मृति भी खो देती है।”

 यह है — अहंकार शून्यता की स्थिति


क्या समय चलता है परमधाम में?

  • समय का भान नहीं होता।

  • परंतु ड्रामा अनुसार, हर आत्मा व परमात्मा अपने सही समय पर संकल्प लेकर इस सृष्टि में उतरते हैं।

“हर आत्मा अपने एक्यूरेट टाइम पर अलार्म की तरह जागती है।”


हद — बेहद — और उससे भी पार

  • हद = सतयुग — सीमित संख्या की आत्माएं

  • बेहद = कलयुग — सम्पूर्ण आत्माएं

  • उससे भी पार = परम अवस्था, जहां कुछ नहीं बचता — सिर्फ मौन

“बाबा की दृष्टि हद और बेहद से पार जाती है।” — मुरली 27 नवंबर 2019


विज्ञान से भी परे — आध्यात्मिक सत्ता

  • विज्ञान कहता है — कोई वस्तु जहां जाएगी, वहां स्थान घेरेगी।

  • परंतु आत्मा और परमात्मा:

    • पृथ्वी में समा जाएं = कोई असर नहीं

    • जल, अग्नि, वायु में जाएं = कोई प्रभाव नहीं

“मैं एक सेकंड में आ और जा सकता हूं। कोई यंत्र पकड़ नहीं सकता।” — मुरली 30 जून 2001


परमधाम और आत्मा-पहचान

  • मूलवतन में:

    • न कोई जाति

    • न नाम, न पद, न शरीर

    • सब आत्माएं समान — बिंदु स्वरूप

वह सच्चा मौन, सच्चा घर है।


 हमारा सच्चा घर — परम अवस्था

 परमधाम:

  • कोई दिशा नहीं

  • कोई आयतन नहीं

  • कोई तत्व नहीं

  • कोई संकल्प नहीं

“शिवबाबा कहते हैं — मुझे याद करो परमधाम में। मैं वहीं रहता हूं — परम अवस्था में।”


अंतिम संदेश:

इस जीवन का अंतिम लक्ष्य —

  • हद और बेहद से पार जाना

  • शून्य की स्थिति में स्थित होना

  • शिव की बिंदु चेतना में लीन होना

“परमधाम कोई दूर आकाश नहीं — वह हमारी चेतना की परम स्थिति है।”

परमधाम का दिव्य रहस्य | आत्मा और परमात्मा का शून्य बिंदु स्वरूप | परम अवस्था क्या है?”

ओम् शांति।

आज हम परमधाम — आत्मा और परमात्मा के मूल निवास — पर गहन चिंतन करेंगे। क्या वह कोई भौतिक स्थान है? या कोई परम अवस्था? यह प्रश्न केवल जानकारी नहीं, अनुभव और दिव्य बुद्धि का विषय है।


प्रश्न 1: परमधाम क्या है? क्या वह कोई स्थान है या कोई अवस्था?

उत्तर:परमधाम कोई भौतिक स्थान नहीं, बल्कि परम अवस्था है।
बाबा ने मुरली में कहा —
“जहां कुछ भी नहीं बचता, वही परमधाम है।”
इसे निर्वाणधाम, मूलवतन, निवृत्तिधाम भी कहा जाता है — यह Zero Volume Zone है।


प्रश्न 2: परमधाम कितना बड़ा है?

उत्तर:परमधाम का कोई भौतिक आकार नहीं।
आत्मा और परमात्मा का आयतन (Volume) शून्य होता है।
“जीरो में जितने जीरो जोड़ो, उत्तर जीरो ही रहेगा।”
इसलिए वह स्थान नहीं, अहंकार शून्यता की स्थिति है।


प्रश्न 3: आत्मा और परमात्मा का स्वरूप क्या है?

उत्तर:दोनों बिंदु रूप (Point of Light) हैं।
उनका कोई रूप, रंग, आकार नहीं।
“परमधाम वह स्थान है जहां आत्मा अपनी स्मृति भी खो देती है।”


प्रश्न 4: क्या परमधाम में समय चलता है?

उत्तर:समय तो ड्रामा अनुसार चलता है, पर परमधाम में समय का भान नहीं होता।
हर आत्मा अपने सही समय पर ही संकल्प लेकर उतरती है।
“हर आत्मा अपने एक्यूरेट टाइम पर अलार्म की तरह जागती है।”


प्रश्न 5: ‘हद’, ‘बेहद’ और ‘उससे भी पार’ का क्या अर्थ है?

उत्तर:

  • हद = सतयुग जैसी सीमित अवस्था

  • बेहद = कलयुग जैसी व्यापक सृष्टि

  • उससे भी पार = परम अवस्था (परमधाम)
    “बाबा की दृष्टि हद और बेहद से पार जाती है।” — मुरली 27 नवम्बर 2019


प्रश्न 6: विज्ञान के अनुसार कोई वस्तु जहां जाती है, वहां स्थान घेरती है। तो आत्मा?

उत्तर:आत्मा व परमात्मा इतनी सूक्ष्म हैं कि वे किसी भी तत्व में जाएं — कोई प्रभाव नहीं होता।
“मैं एक सेकंड में आ और जा सकता हूं। कोई यंत्र पकड़ नहीं सकता।” — मुरली 30 जून 2001


प्रश्न 7: क्या परमधाम में कोई जाति, पद या शरीर होता है?

उत्तर:नहीं। परमधाम में सभी आत्माएं समान होती हैं —

  • कोई जाति नहीं

  • कोई शरीर नहीं

  • कोई पद या भेद नहीं
    सभी आत्माएं — शुद्ध बिंदु स्वरूप में होती हैं।


प्रश्न 8: परमधाम का सही परिचय कैसे समझें?

उत्तर:परमधाम =

  • कोई दिशा नहीं

  • कोई तत्व नहीं

  • कोई संकल्प नहीं

  • पूर्ण मौन, शांति और पॉइंट कॉन्शियसनेस

“शिवबाबा कहते हैं — मुझे याद करो परमधाम में। मैं वहीं रहता हूं — परम अवस्था में।”


प्रश्न 9: क्या परमधाम दूर आकाश में है?

उत्तर:नहीं।“परमधाम कोई दूर आकाश नहीं — वह हमारी चेतना की परम स्थिति है।”
यह आंतरिक यात्रा है — बुद्धि की उड़ान, मन की स्थिरता और आत्मा की पहचान से ही वहां पहुँचा जा सकता है।


प्रश्न 10: आत्मा और परमात्मा को कौन प्रभावित नहीं कर सकता?

उत्तर:पांचों तत्व — अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश — आत्मा को प्रभावित नहीं कर सकते।
क्योंकि आत्मा पंचतत्वों से भी सूक्ष्म, अव्यक्त चेतना बिंदु है।


अंतिम निष्कर्ष — हमारा सच्चा घर

परमधाम = हमारा मूल घर, जहाँ:

  • शांति है

  • बिंदु स्वरूप चेतना है

  • कोई देह या भेद नहीं

  • सिर्फ परम अवस्था

इस जीवन का लक्ष्य:
हद और बेहद से पार जाना — परम अवस्था में स्थित होना — शिव की शून्यता में लीन होना।

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