P.(02) Who are you?

P.(02)आप कौन हैं?(Who are you)

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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  • परमपिता परमात्मा का संदेश

    1. परमपिता परमात्मा का सत्य ज्ञान

    प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी द्वारा परमपिता परमात्मा का सत्य ज्ञान प्रदान किया जा रहा है। इस ज्ञान का मुख्य उद्देश्य आत्माओं को मुक्ति और जीवन मुक्ति का मार्ग दिखाना है। यह ज्ञान हर आत्मा तक पहुँचाने का दायित्व है, ताकि सभी आत्माएँ अपनी वास्तविकता को समझ सकें और अपनी जीवन यात्रा में सही दिशा की ओर अग्रसर हो सकें।

    2. आत्मा और परमात्मा का संबंध

    परमपिता परमात्मा संसार की आत्माओं को भाग्य बनाने की विधि सिखाते हैं। हर आत्मा को परमात्मा से अधिकार और मुक्ति प्राप्त करनी है। इस संदर्भ में, “पद्मा पदमपति कौन बनेगा?” कार्यक्रम आत्मा के महत्व को समझाने का एक अद्भुत माध्यम है। यह कार्यक्रम आत्मा को उसके शुद्ध रूप में पहचानने और परमात्मा से जुड़ने की प्रेरणा देता है।

    3. पद्मा पद्मपति का अर्थ

    “पद्मा पदमपति” का अर्थ है आत्मा को उच्चतम स्तर तक पहुँचाना। हर ज्ञान का बिंदु एक रत्न के समान है। जितने ज्ञान के रत्न इकट्ठे होंगे, उतने खजाने के मालिक बनेंगे। यह ज्ञान आत्मा को नर्क से स्वर्ग की ओर ले जाता है, और आत्मा के उन्नति के मार्ग को आसान बनाता है।

    4. आत्मा और धर्मों का दृष्टिकोण

    4.1 ईसाई धर्म:

    ईसाई धर्म में आत्मा को “एनिमा” और “साइके” कहा जाता है। इसे अमर और ईश्वर से शाश्वत संबंध रखने वाला माना गया है। यह आत्मा का शुद्ध रूप है जो अनंत जीवन का प्रतीक है।

    4.2 यहूदी धर्म:

    यहूदी धर्म में आत्मा को “नेफेस” और “नेशामा” कहा जाता है। इसे ईश्वर से जुड़ी दिव्य शक्ति के रूप में देखा जाता है, जो आत्मा को जीवन की ऊर्जा प्रदान करती है।

    4.3 इस्लाम धर्म:

    इस्लाम धर्म में आत्मा को “रूह” और “नफ्स” के रूप में परिभाषित किया गया है। यह आत्मा भौतिक इच्छाओं और आध्यात्मिक आकांक्षाओं के बीच एक सेतु बनाती है, जो उसे शुद्धता की ओर मार्गदर्शन करती है।

    4.4 हिंदू धर्म:

    हिंदू धर्म में आत्मा को “आत्मन” कहा जाता है। आत्मा को शाश्वत, अपरिवर्तनीय और अनंत माना गया है। यह आत्मा की दिव्यता और उसके परमात्मा से अविभाज्य संबंध का संकेत है।

    5. आत्मा का उद्देश्य और महत्व

    आत्मा अमर और दिव्य तत्व है। यह मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य है – परमात्मा से जुड़कर मुक्ति और जीवन मुक्ति प्राप्त करना। आत्मा के कर्मों के आधार पर न्याय और पुनर्मिलन की प्रक्रिया होती है। आत्मा का उद्देश्य सिर्फ इस भौतिक शरीर में नहीं, बल्कि आत्मा के शुद्ध रूप को पहचानकर उसे परमात्मा से जोड़ने में है।

    6. भाषा और आत्मा का अर्थ

    आत्मा के लिए विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग शब्द प्रयुक्त होते हैं, जैसे जीव, रूह, अनीमा, साइके, लेकिन इन शब्दों का मूल भाव एक ही है। सजीव का अर्थ आत्मा सहित होता है, जबकि निर्जीव का अर्थ आत्मा के बिना होता है। हालांकि भाषा और शब्द भिन्न हो सकते हैं, परंतु आत्मा का वास्तविक अस्तित्व और उसकी दिव्यता सभी संस्कृतियों और धर्मों में समान रूप से पहचानी जाती है।

    7. निष्कर्ष

    आत्मा की अमरता और दिव्यता सभी धर्मों में समान रूप से मान्य है। आत्मा का मुख्य उद्देश्य परमात्मा से जुड़कर मुक्ति और जीवन मुक्ति प्राप्त करना है। यह संदेश हमें आत्मा के अस्तित्व को समझने और उसे शुद्ध करने की प्रेरणा देता है। इस ज्ञान से हम न केवल अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि भयमुक्त और आत्मनिर्भर जीवन भी जी सकते हैं।

    1. परमपिता परमात्मा का संदेश

    प्रश्न: प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    उत्तर: परमपिता परमात्मा का सत्य ज्ञान देकर आत्माओं को मुक्ति और जीवन मुक्ति का मार्ग दिखाना।

    प्रश्न: यह ज्ञान किसे दिया जाना है?
    उत्तर: हर आत्मा तक यह ज्ञान पहुँचाना है।

    2. आत्मा और परमात्मा का संबंध

    प्रश्न: परमपिता परमात्मा आत्माओं को क्या सिखाते हैं?
    उत्तर: आत्माओं को उनका भाग्य बनाने की विधि सिखाते हैं।

    प्रश्न: “पद्मा पद्मपति कौन बनेगा” कार्यक्रम का उद्देश्य क्या है?
    उत्तर: आत्मा के महत्व और उसके अधिकार को समझाना।

    3. पद्मा पद्मपति का अर्थ

    प्रश्न: पद्मा पद्मपति का क्या मतलब है?
    उत्तर: ज्ञान के रत्न इकट्ठे करना और स्वर्ग जैसे खजाने का मालिक बनना।

    प्रश्न: यह ज्ञान आत्मा को कहाँ ले जाता है?
    उत्तर: आत्मा को नर्क से स्वर्ग की ओर ले जाता है।

    4. आत्मा और धर्मों का दृष्टिकोण

    प्रश्न: ईसाई धर्म में आत्मा को क्या कहा गया है?
    उत्तर: आत्मा को “एनिमा” और “साइके” कहा गया है।

    प्रश्न: यहूदी धर्म में आत्मा को क्या नाम दिया गया है?
    उत्तर: आत्मा को “नेफेस” और “नेशामा” कहा गया है।

    प्रश्न: इस्लाम में आत्मा को कैसे परिभाषित किया गया है?
    उत्तर: आत्मा को “रूह” और “नफ्स” के रूप में परिभाषित किया गया है।

    प्रश्न: हिंदू धर्म में आत्मा को क्या कहा जाता है?
    उत्तर: आत्मा को “आत्मन” कहा गया है।

    5. आत्मा का उद्देश्य और महत्व

    प्रश्न: आत्मा का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    उत्तर: परमात्मा से जुड़कर मुक्ति और जीवन मुक्ति प्राप्त करना।

    प्रश्न: आत्मा का न्याय किस पर आधारित है?
    उत्तर: कर्मों के आधार पर।

    6. भाषा और आत्मा का अर्थ

    प्रश्न: आत्मा के लिए कौन-कौन से शब्द उपयोग किए जाते हैं?
    उत्तर: आत्मा, जीव, रूह, अनीमा, और साइके।

    प्रश्न: सजीव और निर्जीव का क्या अर्थ है?
    उत्तर: सजीव का मतलब आत्मा सहित और निर्जीव का मतलब आत्मा के बिना।

    7. निष्कर्ष

    प्रश्न: आत्मा की अमरता और दिव्यता का क्या महत्व है?
    उत्तर: यह सभी धर्मों में समान रूप से मान्य है और मानव को भयमुक्त जीवन जीने की प्रेरणा देती है।

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