If Shri Krishna was ‘God’, then what is the difference between God and deities

यदि श्रीकृष्ण ‘भगवान’ थे, तो फिर देवताओं और भगवान में अंतर

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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भ्रम से समाधान की ओर – गीता और मुरली ज्ञान के प्रकाश में


प्रश्न: यदि श्रीकृष्ण भगवान हैं, तो फिर ‘भगवान’ और ‘देवता’ में क्या अंतर बचता है?

 यह सवाल लाखों भक्तों के मन में उठता है।
क्या गीता का भगवान श्रीकृष्ण है?
क्या श्रीकृष्ण ही भगवान हैं या कोई और?
इस अध्याय में हम मुरली और गीता ज्ञान के आधार पर इस रहस्य को स्पष्ट करेंगे।


 1. विवेक का प्रश्न: क्या श्रीकृष्ण और गीता के भगवान एक ही हैं?

गीता में भगवान स्वयं कहते हैं:

“देवताओं को पूजने वाले अल्पकालिक फल पाते हैं, परंतु वे मुझे प्राप्त नहीं होते।”
[गीता – अध्याय 7, श्लोक 23]

अब सोचिए—
अगर श्रीकृष्ण खुद भगवान होते, तो क्या वह स्वयं को ही “देवता” कहकर खुद से भिन्न कह सकते थे?

निष्कर्ष:
गीता ज्ञानदाता कोई और हैं — वे स्वयं परमात्मा शिव हैं, जो देवताओं को भी प्रेरणा देते हैं।


 2. देवता कौन हैं? और श्रीकृष्ण क्या हैं?

 पहलू  देवता  श्रीकृष्ण
परिभाषा श्रेष्ठ आत्माएं जिन्होंने 84 जन्म पूरे किए सतयुग के पहले देवता
गुण सतोप्रधान, पुण्य आत्माएं संपूर्ण 16 कला सम्पन्न
स्थिति फल भोगने वाले सतयुग का प्रथम राजकुमार
कर्तापन नहीं (भोक्ता) नहीं (भोक्ता)

भगवान कौन?
जो स्वर्ग रचते हैं — निराकार शिव


 3. मुरली प्रमाण: भगवान कौन हैं?

07-07-2025 की मुरली:

“शिवबाबा कहते हैं – बच्चे! मैं आकर मनुष्य को देवता बनाता हूँ।”

18-01-1969 (अविर्भाव दिवस):

“भगवान श्रीकृष्ण नहीं, मैं निराकार शिव हूँ, जो ब्रह्मा द्वारा ज्ञान सुनाता हूँ।”

12-11-2024 की मुरली:

“देवताएं तो सतयुग में हैं। मैं संगमयुग पर आता हूँ।”

स्पष्ट निष्कर्ष:
भगवान = अजन्मा शिव,
देवता = जन्म लेने वाले पुण्य आत्माएं।


 4. उदाहरण द्वारा स्पष्टता: मंच और निर्देशक

कल्पना करें,
श्रीकृष्ण एक अभिनेता हैं जो मंच पर देवता की भूमिका निभा रहे हैं।
परंतु मंच का निर्देशक कौन है?

 वह है परमात्मा शिव —
जो स्वयं मंच बनाते हैं, कहानी लिखते हैं, और श्रीकृष्ण को उस भूमिका में लाते हैं।


 5. परमात्मा का कार्य: नर को नारायण बनाना

“हे अर्जुन, तू मेरे कहे अनुसार युद्ध कर।”
[गीता – अध्याय 2, श्लोक 47]

यह युद्ध क्या है?
 तलवार से युद्ध नहीं।
 यह है विकारों के विरुद्ध आत्मा का युद्ध — जिसे सिखाते हैं परमात्मा शिव।


 6. क्यों केवल शिव ही ‘भगवान’ कहे जा सकते हैं?

 तुलना श्रीकृष्ण परमात्मा शिव
जन्म मथुरा में जन्म जन्म रहित
माता-पिता थे नहीं
ज्ञान अर्जित किया ज्ञानसागर
निवास वैकुण्ठ परमधाम
शरीर है निराकार
धर्मस्थापक नहीं हैं (आत्म धर्म के)

 भगवान = जो

  • अजन्मा है

  • सर्वशक्तिमान है

  • जन्म-मरण से न्यारा है

  • स्वयं से बोलता है (श्रीमत देता है)


 7. शिव ही सृष्टि के बीज और त्रिमूर्ति के रचयिता हैं

  • ब्रह्मा = ज्ञान का माध्यम

  • विष्णु = सतयुग का स्वरूप

  • शंकर = संहार की शक्ति

“मैं ही ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण रचता हूँ, फिर वही ब्राह्मण देवता बनते हैं।”
मुरली प्रमाण

बीज कौन है? — शिव
वृक्ष कौन हैं? — ब्रह्मा, विष्णु, शंकर


 8. निष्कर्ष: श्रीकृष्ण ‘देवता’ हैं, परंतु ‘भगवान’ नहीं

विषय श्रीकृष्ण शिव
जन्म लेते हैं नहीं लेते
गीता सुनाते हैं नहीं हाँ
योग सिखाते हैं नहीं हाँ
भोग भोगते हैं हाँ नहीं
निराकार नहीं हाँ
परमधाम के निवासी नहीं हाँ

 अंतिम संदेश:

अब संगमयुग है — समय है स्वयं को ‘नर से नारायण’ बनाने का।

शिवबाबा स्वयं आकर हमें श्रीकृष्ण जैसे देवता बनने की विधि सिखा रहे हैं।
इस ज्ञान को आत्मसात करें।
 स्वधर्म को अपनाएं।
 और बन जाएं स्वर्ग के योग्य आत्मा।


Short Q&A – भ्रम से समाधान की ओर (मुरली व गीता के प्रकाश में)


प्रश्न 1: क्या श्रीकृष्ण ही गीता का भगवान हैं?
उत्तर: नहीं। गीता का ज्ञानदाता स्वयं परमात्मा शिव हैं, जो निराकार हैं। श्रीकृष्ण तो सतयुग के पहले देवता हैं।


प्रश्न 2: यदि श्रीकृष्ण भगवान हैं, तो क्या वे कह सकते हैं – “देवताओं को पूजने वाले मुझे प्राप्त नहीं होते”?
उत्तर: नहीं। यह वाक्य कोई देवता नहीं, परमात्मा ही कह सकता है — जो देवताओं से भी श्रेष्ठ हैं।


प्रश्न 3: श्रीकृष्ण देवता हैं या भगवान?
उत्तर: श्रीकृष्ण सतयुग के प्रथम देवता हैं — भगवान नहीं। भगवान वह होता है जो देवताओं को भी रचता है — यानी शिव।


प्रश्न 4: भगवान और देवता में मुख्य अंतर क्या है?
उत्तर:

  • भगवान: जन्म-मरण से न्यारे, निराकार, सृष्टि के रचयिता।

  • देवता: जन्म लेने वाले पुण्य आत्माएं, जो फल भोगते हैं।


प्रश्न 5: श्रीकृष्ण और शिव में अंतर क्या है?

पहलू श्रीकृष्ण शिव
जन्म होता है नहीं होता
निवास वैकुण्ठ परमधाम
शरीर साकार निराकार
ज्ञान ग्रहण करते हैं ज्ञानसागर हैं
योग सिखाते हैं नहीं हाँ

प्रश्न 6: क्या श्रीकृष्ण गीता सुनाते हैं?
उत्तर: नहीं। गीता का ज्ञान शिव परमात्मा ब्रह्मा के माध्यम से सुनाते हैं।


प्रश्न 7: परमात्मा का कार्य क्या है?
उत्तर: पतित मनुष्य को पावन देवता बनाना — यानी “नर से नारायण”।


प्रश्न 8: त्रिमूर्ति की रचना किसने की?
उत्तर: शिव ने।

  • ब्रह्मा द्वारा ज्ञान

  • विष्णु द्वारा स्वर्ग

  • शंकर द्वारा संहार


प्रश्न 9: भगवान शिव किसे माध्यम बनाकर ज्ञान देते हैं?
उत्तर: ब्रह्मा को — जिसे मुरली में “मेरा मुख” कहा गया है।


प्रश्न 10: हम किस युग में हैं और भगवान क्या कर रहे हैं?
उत्तर: हम संगम युग में हैं। भगवान शिव अभी ब्रह्मा द्वारा हमें ज्ञान दे रहे हैं, जिससे हम श्रीकृष्ण जैसे देवता बन सकें।


 श्रीकृष्ण ‘देवता’ हैं, लेकिन ‘भगवान’ क्यों नहीं?

उत्तर: क्योंकि वे जन्म लेते हैं, भोग भोगते हैं और स्वयं योग नहीं सिखाते।
भगवान शिव निराकार हैं, अजन्मा हैं और सभी आत्माओं को गीता ज्ञान द्वारा मोक्ष व जीवनमुक्ति देते हैं।

Disclaimer (अस्वीकरण):

यह वीडियो आध्यात्मिक शिक्षाओं और ब्रह्माकुमारी मुरली ज्ञान पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी धर्म या आस्था का विरोध नहीं बल्कि सत्य को सामने लाना है।
यह सामग्री शास्त्रों, श्रीमद् भगवद्गीता और ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा दिए गए आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है।
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