Why, when and how is a diamond born precious

हीरा जन्मअनमाेल क्यों,कब,कैसे है

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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हीरे जैसा अनमोल जन्म: क्यों, कब, कैसे?

हम सभी जानते हैं कि यह मनुष्य जन्म 84 लाख योनियों से श्रेष्ठ और अनमोल माना जाता है।

लेकिन जब स्वयं परमपिता परमात्मा आकर हमें समझाते हैं, तो हमें यह बोध होता है कि यह सामान्य मनुष्य जन्म नहीं, बल्कि आत्मा के जीवन काल का सबसे हीरे जैसा अनमोल जन्म है मरजीवा जन्म।

जन्म और जीवन की सही परिभाषा हमने अब तक समझा कि जन्म सिर्फ आत्मा के शरीर में प्रवेश करने को कहते हैं।

लेकिन सच्चाई इससे कहीं गहरी है। तीन प्रमुख जीवन काल होते हैं:

 (1) आत्मा का काल आत्मा अजर, अमर, अविनाशी है।

 (2) शरीर का जीवन काल आत्मा एक शरीर में प्रवेश करती है, उसे पहनती है, फिर छोड़ देती है।

(3) आत्मा का वास्तविक जीवन काल जब आत्मा परमधाम से आती है और संपूर्ण सृष्टि पर अपना पार्ट बजातीहै।

इस कर्मक्षेत्र में जितने भी जन्म होते हैं वह आत्मा का जीवन काल है।

आत्मा की गिरावट और परिवर्तन का काल

सतयुग से लेकर कलियुग तक आत्मा सतोप्रधान से तमोप्रधान बनती है।

परंतु संगम युग पर आकर परमात्मा स्वयं आते हैं और आत्मा को फिर से पावन बनाते हैं।

इसी समय आत्मा को मिलता है मरजीवा जन्म।

  1. कौन-सा है वह

“हीरा जन्म”?यह जन्म है संगम युग का जन्म जब परमात्मा स्वयं आकर आत्मा को जीते-जी मरने की विधि सिखाते हैं।यह शरीर का नहीं, बल्कि आत्मा के जीवन काल का मरजीवा जन्म है।

  1. मरजीवा जन्म क्या है?मरजीवा जन्म का अर्थ है जीते जी परिवर्तन।

(क) शरीर के जीवन काल का मरजीवा जन्म जैसे वाल्मीकि डाकू से संत बन गया।आत्मा के संस्कार और दृष्टिकोण पूर्णतः बदल जाते हैं।

 (ख) आत्मा के जीवन काल का मरजीवा जन्म

जब आत्मा पाप से पुण्य की ओर, तमोप्रधान से सतोप्रधान बनती है।यह है सच्चा ट्रांसफॉर्मेशन।

  1. ब्राह्मण जन्म मरकर जीना

यदि आत्मा एक ही शरीर में रहते हुए, अपनी दिशा रावण से बदलकर शिवबाबा की ओर कर दे

तो यह कहलाता है: मरकर जीना ब्राह्मण जन्म।

 जब हम ईश्वर की संतान से गिरकर रावण की संतान बनते हैं यह होता है शूद्र जन्म।

  1. क्यों कहते हैं इसे हीरा जन्म‘?क्योंकि यह जन्म:

🔹 आत्मा को वहीं टॉप पर पहुंचाता है, जहाँ से वह गिरी थी।

🔹 इसमें आत्मा अपने को पहचानती है — “मैं आत्मा हूँ”, न कि शरीर।

🔹 परमात्मा की पढ़ाई आत्मा को कोयले से हीरा बना देती है।

जैसे काले पत्थर में से हीरा निकालकर तराशा जाता है,

वैसे ही परमात्मा आत्मा को बेहद की युक्ति से बेदाग़ हीरा बना देते हैं।

  1. आत्मा का संपूर्ण जीवन काल और ट्रांसफॉर्मेशन

हर आत्मा जब इस धरती पर आती है, तो पावन होती है।

फिर चाहे वह 1 जन्म के लिए आई हो या 84 के लिए

हर आत्मा टॉप से बॉटम तक आती है।

और फिर संगम युग पर परमात्मा उसे फिर बॉटम से टॉप पर ले जाते हैं।यही है मरजीवा जन्म।

  1. अब खुद से पूछें कुछ सवाल

क्या मैं आत्मा अपने जीवन में वास्तविक परिवर्तन ला रहा हूँ?

क्या मैंने मरजीवा जन्म लिया है?

क्या मैं बाबा की पढ़ाई से कोयले से हीरा बन रहा हूँ?

  1. निष्कर्ष

मरजीवा जन्म कोई साधारण बात नहीं यह आत्मा की दिशा और दशा दोनों को बदल देता है।इसमें शरीर नहीं मरता, पर रावण की संगति से आत्मा मुक्त हो जाती है।

और यही जन्म कहलाता है हीरे जैसा अनमोल जन्म।

  1. अंतिम संदेश

जो आत्मा यह मरजीवा जन्म लेती है,वही सच्चे अर्थों में ईश्वर की संतान बनती है,वही बनती है स्वर्ग की उत्तराधिकारी।

इस अमूल्य जन्म को पहचानिए,स्वीकार कीजिए,और हीरा बन जाइए।

💎 हीरे जैसा अनमोल जन्म: क्यों, कब, कैसे?

❓प्रश्न 1: मनुष्य जन्म को हीरा क्यों कहा जाता है?

उत्तर:क्योंकि यह जन्म आत्मा को 84 लाख योनियों से मुक्ति देकर, ईश्वर से जुड़ने और खुद को जानने का अवसर देता है। लेकिन जब परमात्मा स्वयं आकर आत्मा को ‘मरजीवा जन्म’ देते हैं, तब यह जन्म और भी अनमोल बन जाता है — यह आत्मा के जीवन का टर्निंग पॉइंट है।

❓प्रश्न 2: ‘जन्म’ की असली परिभाषा क्या है?

उत्तर:सिर्फ शरीर में प्रवेश करना जन्म नहीं। सच्चा जन्म तब होता है जब आत्मा परमात्मा को पहचानकर, पुराने संस्कारों से मरकर नए जीवन की शुरुआत करती है — उसे कहते हैं मरजीवा जन्म


❓प्रश्न 3: आत्मा का असली जीवन काल क्या है?

उत्तर:आत्मा का जीवन काल वह है जब वह परमधाम से आती है और संपूर्ण सृष्टि पर अपना पार्ट बजाती है। यह सभी जन्म – चाहे 1 हो या 84 – आत्मा के वास्तविक जीवन काल का भाग हैं।


❓प्रश्न 4: ‘मरजीवा जन्म’ क्या है?

उत्तर:मरजीवा जन्म का अर्थ है – जीते जी पुरानी पहचान, वासनाएं और अज्ञान मर जाएं और आत्मा नया ईश्वरीय जीवन शुरू करे। यह आत्मा का भीतरी परिवर्तन है – जैसे कोयले से हीरा बनना।


❓प्रश्न 5: ‘ब्राह्मण जन्म’ को मरजीवा क्यों कहते हैं?

उत्तर:क्योंकि इसमें आत्मा एक ही शरीर में रहते हुए रावण की दुनिया से नाता तोड़, शिवबाबा की संतान बन जाती है। यह आत्मिक रूपांतरण ही ब्राह्मण जीवन की शुरुआत है — मरकर जीना।


❓प्रश्न 6: यह जन्म ‘हीरे जैसा’ क्यों कहा जाता है?

उत्तर:क्योंकि:

  • यह जन्म आत्मा को फिर से टॉप स्थिति (सतोप्रधान) पर ले जाता है।

  • आत्मा को आत्म-स्वरूप का बोध कराता है।

  • परमात्मा की पढ़ाई आत्मा को कोयले से चमकदार हीरा बना देती है।


❓प्रश्न 7: आत्मा का जीवन परिवर्तन कैसे होता है?

उत्तर:हर आत्मा सतयुग में पवित्र होती है, फिर गिरते-गिरते कलियुग में तमोप्रधान बनती है। संगम युग पर परमात्मा उसे फिर से पावन बनाते हैं — यही आत्मा की वापसी यात्रा है।


❓प्रश्न 8: मैं कैसे जानूं कि मैंने मरजीवा जन्म लिया है?

उत्तर (आत्मचिंतन):

  • क्या मैंने आत्मा और परमात्मा की पहचान की है?

  • क्या मैंने विकारों से मुक्ति पाई है?

  • क्या मैं रावण की नहीं, शिवबाबा की संतान बन चुका हूँ?

  • क्या मेरा दृष्टिकोण और जीवनशैली पूरी तरह बदल गई है?


🧘 निष्कर्ष:

मरजीवा जन्म आत्मा का सबसे महान मोड़ है। इसमें शरीर नहीं, बल्कि अज्ञान, वासना और पुराने संस्कार मरते हैं। और आत्मा परमात्मा के ज्ञान से निखर कर स्वर्णिम भविष्य की उत्तराधिकारी बनती है।


🌟 अंतिम संदेश:

जो आत्मा यह मरजीवा जन्म स्वीकारती है,
वही बनती है ईश्वर की सच्ची संतान,
वही बनती है स्वर्ग की रचयिता।

✨ इस अनमोल अवसर को पहचानो, अपनाओ, और कोयले से हीरा बन जाओ।

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