ज्ञान चिंतन-06-01-1982/पवित्रता: ब्राह्मण जीवन का श्वास शिव बाबा का अमूल्य वरदान?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“पवित्रता: ब्राह्मण जीवन का श्वास – शिव बाबा का अमूल्य वरदान”
1. पवित्रता ही ब्राह्मण जीवन का आधार
“पवित्रता ब्राह्मण जीवन का श्वास है।”
“पवित्रता नहीं तो ब्राह्मण जीवन नहीं!”
मुरली रिफरेंस:
“बाप कहते हैं: बच्चे, यह जीवन तुम्हारा साधारण नहीं, यह ब्राह्मण जीवन है – और इसका मूल है पवित्रता।” (साकार मुरली)
उदाहरण: जैसे मछली बिना जल के जीवित नहीं रह सकती, वैसे ब्राह्मण आत्मा पवित्रता के बिना जीवित नहीं रह सकती।
2. पवित्रता = पूज्यता = 21 जन्मों का भाग्य
“पवित्रता ही पूज्य बनने का वरदान है।”
“पवित्रता जीवन नहीं, वरदान है।”
मुरली रिफरेंस:
“बच्चे, जितनी पवित्रता, उतनी पूज्यता – यही तुम्हारा भविष्य का भाग्य रचता है।” (साकार मुरली)
उदाहरण: कोई मूर्ति क्यों पूजी जाती है? क्योंकि वह आत्मा पवित्र रही थी। यही पूज्यता पवित्रता से ही मिलती है।
3. पवित्रता: श्रृंगार, शक्ति और विशेषता
“पवित्रता ब्राह्मण जीवन का श्रृंगार है।”
“पवित्रता = शक्ति, अपवित्रता = श्राप।”
मुरली रिफरेंस:
“पवित्रता आत्मा की आंतरिक शक्ति है। इसी से तुम रावण पर विजय पाते हो।” (साकार मुरली)
उदाहरण: जैसे राजा का ताज उसकी पहचान है, वैसे ब्राह्मण आत्मा का श्रृंगार है उसकी पवित्रता।
4. स्मृति और स्वमान से सहज पवित्रता
“स्वमान: ‘मैं परम पवित्र आत्मा हूँ।’”
“स्मृति में रहें – ‘मैं आदि-अनादि पवित्र आत्मा हूँ।’”
मुरली रिफरेंस:
“बच्चे, जब तुम स्वमान में रहते हो – ‘मैं शिवबाबा का पवित्र बच्चा हूँ’ – तब तुम्हारी वृत्ति भी स्वाभाविक रूप से पवित्र हो जाती है।” (साकार मुरली)
उदाहरण: जैसे गुलाब के पास रहकर भी सुगंध आ जाती है, वैसे स्वमान में रहकर भी पवित्रता सहज हो जाती है।
5. पवित्र दृष्टि, संकल्प और कर्म: ब्राह्मणता की पहचान
“पवित्र दृष्टि = ब्राह्मण नेत्रों की रोशनी।”
“ब्राह्मण बुद्धि का भोजन – पवित्र संकल्प।”
“पवित्र कर्म = ब्राह्मण जीवन का विशेष धंधा।”
मुरली रिफरेंस:
“बच्चे, तुम्हारी दृष्टि, संकल्प, कर्म – सब पवित्र हों, तभी तुम श्रेष्ठ ब्राह्मण कहलाते हो।” (साकार मुरली)
उदाहरण: जैसे स्वर्णकार स्वर्ण की शुद्धता जांचता है, वैसे ब्राह्मण आत्मा अपने हर कर्म, संकल्प, दृष्टि की पवित्रता जांचती है।
6. पवित्रता – याद की शक्ति की कुंजी
“बिना पवित्रता के याद की शक्ति नहीं चलती।”
“जहाँ बाप, वहाँ पवित्रता – स्वप्न में भी अपवित्रता नहीं।”
मुरली रिफरेंस:
“पवित्रता याद की शक्ति का आधार है। याद तभी लगती है जब आत्मा निर्मल है।” (साकार मुरली)
उदाहरण: जैसे धूल से ढका शीशा सूर्य की किरणों को नहीं दिखाता, वैसे अपवित्र बुद्धि शिवबाबा की याद नहीं पकड़ सकती।
7. युगल जीवन में भी पवित्रता का संदेश
“सिंगल नहीं, युगल बनो – बाप के साथ चलो।”
“स्वधर्म = पवित्रता, स्वदेश = पवित्र भूमि।”
मुरली रिफरेंस:
“बच्चे, यह पवित्र यज्ञ है – इसमें युगल आत्माएँ भी बाप के साथ पवित्र जीवन जी सकती हैं।” (साकार मुरली)
उदाहरण: जैसे दो दीपक साथ जलकर भी स्वच्छ वातावरण देते हैं, वैसे युगल ब्राह्मण आत्माएँ भी पवित्र जीवन से शक्ति और प्रेरणा देते हैं।
8. पवित्रता – वरदाता बाबा का सहज वरदान
“सहज वरदान – पवित्र भव!”
“वरदाता के साथ चलो – मेहनत से नहीं, वरदान से जियो।”
“लवलीन आत्मा बनो – लव योग में पवित्रता सहज है।”
मुरली रिफरेंस:
“जो सदा लवलीन रहते हैं, उन्हें पवित्रता सहज लगती है। बाबा का वरदान है – पवित्र भव।” (अव्यक्त मुरली)
उदाहरण: जैसे सूरज के सामने अंधकार टिक नहीं सकता, वैसे बाबा की याद में अपवित्रता टिक ही नहीं सकती।
9.पवित्रता – ब्राह्मण जीवन का जीवनदान
“ब्राह्मण जीवन का जीयदान – पवित्रता।”
“एक बाप, दूसरा न कोई – यही नैचरल प्योरिटी है।”
मुरली रिफरेंस:
“जब ‘एक बाप’ स्मृति में आता है, तो स्वाभाविक रूप से पवित्रता जीवन बन जाती है।” (साकार मुरली)
प्रेरणा:
आज ही प्रतिज्ञा करें –
“मैं परम पवित्र आत्मा हूँ। पवित्रता मेरा स्वधर्म है, मेरा श्रृंगार है, मेरा वरदान है।”
अंतिम संदेश:
पवित्रता ही वह बीज है जो 21 जन्मों की पूज्यता के वृक्ष को जन्म देता है।
आओ, इस पवित्र जीवन को बाबा का सबसे महान वरदान मानकर सदा आत्म निरीक्षण करें और ‘पवित्र भव’ बन जाएं।
पवित्रता: ब्राह्मण जीवन का श्वास – शिव बाबा का अमूल्य वरदान
(Murli-based Q&A Spiritual Video)
प्रश्न 1:पवित्रता को ‘ब्राह्मण जीवन का श्वास’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:क्योंकि जैसे मछली पानी के बिना जीवित नहीं रह सकती, वैसे ब्राह्मण आत्मा भी पवित्रता के बिना ब्राह्मण नहीं रह सकती।
“पवित्रता नहीं तो ब्राह्मण जीवन नहीं।”
मुरली रिफरेंस:
“बाप कहते हैं: यह ब्राह्मण जीवन साधारण नहीं – इसका मूल है पवित्रता।” (साकार मुरली)
प्रश्न 2:पवित्रता से पूज्यता कैसे प्राप्त होती है?
उत्तर:पवित्रता आत्मा को पूज्य पद दिलाती है, जो 21 जन्मों का श्रेष्ठ भाग्य बनाती है।
“पवित्रता = पूज्यता = 21 जन्मों का भाग्य।”
मुरली रिफरेंस:
“जितनी पवित्रता, उतनी पूज्यता। यही तुम्हारा भविष्य का भाग्य है।” (साकार मुरली)
उदाहरण:जैसे कोई मूर्ति तभी पूजी जाती है जब वह पवित्र और मर्यादित जीवन जीती थी।
प्रश्न 3:पवित्रता को आत्मा की शक्ति और श्रृंगार क्यों माना गया है?
उत्तर:क्योंकि पवित्रता ही आत्मा का मूल गुण है, जिससे उसमें रावण जैसी कमजोरियों पर विजय पाने की शक्ति आती है।
“पवित्रता ब्राह्मण जीवन का श्रृंगार है।”
“पवित्रता = शक्ति, अपवित्रता = श्राप।”
मुरली रिफरेंस:
“पवित्रता आत्मा की आंतरिक शक्ति है।” (साकार मुरली)
उदाहरण:जैसे राजा का ताज उसका गौरव होता है, वैसे ब्राह्मण आत्मा का ताज है पवित्रता।
प्रश्न 4:स्वमान और स्मृति से पवित्रता सहज कैसे हो जाती है?
उत्तर:जब आत्मा स्मरण करती है – “मैं परम पवित्र आत्मा हूँ”, तब स्वाभाविक रूप से उसके संकल्प, दृष्टि और वृत्ति पवित्र हो जाते हैं।
“मैं आदि-अनादि पवित्र आत्मा हूँ।”
मुरली रिफरेंस:
“स्वमान में रहो, तो वृत्ति स्वाभाविक रूप से पवित्र बन जाती है।” (साकार मुरली)
उदाहरण:जैसे गुलाब के पास रहकर भी सुगंध आ जाती है, वैसे बाबा की याद से पवित्रता सहज हो जाती है।
प्रश्न 5:ब्राह्मण जीवन में दृष्टि, संकल्प और कर्म की पवित्रता का क्या महत्व है?
उत्तर:इन तीनों का पवित्र होना ही ब्राह्मण जीवन की पहचान है। ये ही ब्राह्मण बुद्धि का भोजन और जीवन का धंधा हैं।
“पवित्र दृष्टि = ब्राह्मण नेत्रों की रोशनी।”
“पवित्र संकल्प = ब्राह्मण बुद्धि का भोजन।”
“पवित्र कर्म = ब्राह्मण जीवन का विशेष धंधा।”
🔹 मुरली रिफरेंस:
“तुम्हारी दृष्टि, संकल्प और कर्म – सब पवित्र हों।” (साकार मुरली)
उदाहरण:जैसे स्वर्णकार सोने की शुद्धता को परखता है, वैसे ब्राह्मण आत्मा अपने कर्म और संकल्पों की पवित्रता को परखती है।
प्रश्न 6:क्या बिना पवित्रता के बाबा की याद संभव है?
उत्तर:नहीं। अपवित्र बुद्धि में याद की शक्ति नहीं चल सकती।
“बिना पवित्रता के याद की शक्ति नहीं चलती।”
मुरली रिफरेंस:
“याद तभी लगे जब आत्मा निर्मल हो।” (साकार मुरली)
उदाहरण:जैसे धूल से ढका शीशा सूर्य की किरणें नहीं दिखा सकता, वैसे अपवित्र बुद्धि में बाबा की याद नहीं टिकती।
प्रश्न 7:क्या युगल जीवन में भी पवित्रता संभव है?
उत्तर:हाँ, ब्राह्मण जीवन में युगल आत्माएँ भी बाप के साथ पवित्र रह सकती हैं।
“सिंगल नहीं, युगल बनो – बाप के साथ चलो।”
मुरली रिफरेंस:
“यह यज्ञ पवित्र है – इसमें युगल भी पवित्र जीवन जी सकते हैं।” (साकार मुरली)
उदाहरण:जैसे दो दीपक साथ जलकर प्रकाश फैलाते हैं, वैसे पवित्र युगल संसार में प्रेरणा बनते हैं।
प्रश्न 8:क्या पवित्रता प्राप्त करना कठिन है?
उत्तर:नहीं, यदि बाबा की याद में लवलीन हो जाएं तो पवित्रता सहज वरदान बन जाती है।
“सहज वरदान – पवित्र भव!”
मुरली रिफरेंस:
“जो सदा लवलीन रहते हैं, उन्हें पवित्रता सहज लगती है।” (अव्यक्त मुरली)
उदाहरण:जैसे सूरज के सामने अंधकार टिक नहीं सकता, वैसे बाबा की याद में अपवित्रता नहीं टिकती।
प्रश्न 9:‘एक बाप, दूसरा न कोई’ – इस स्मृति का पवित्रता से क्या संबंध है?
उत्तर:जब आत्मा एक बाप की याद में स्थित हो जाती है, तो सभी देहधारी संबंध समाप्त हो जाते हैं – वही नैचरल प्योरिटी है।
“एक बाप, दूसरा न कोई – यही नैचरल प्योरिटी है।”
मुरली रिफरेंस:
“जब ‘एक बाप’ स्मृति में आता है, तो स्वाभाविक रूप से पवित्रता जीवन बन जाती है।” (साकार मुरली)
प्रश्न:ब्राह्मण जीवन का सबसे बड़ा वरदान क्या है?
उत्तर:पवित्रता। यही ब्राह्मण जीवन का जीवनदान है, यही बाबा का सबसे महान वरदान है।
“ब्राह्मण जीवन का जीयदान – पवित्रता।”
प्रेरणादायक प्रतिज्ञा:
“मैं परम पवित्र आत्मा हूँ। पवित्रता मेरा स्वधर्म है, मेरा श्रृंगार है, मेरा वरदान है।”पवित्रता, ब्राह्मण जीवन, ब्रह्माकुमारी ज्ञान, शिव बाबा, मुरली सार, ब्रह्मा बाबा, पवित्र जीवन, पूज्यता, सहज राजयोग, आत्म निरीक्षण, ब्रह्मण जीवन का आधार, आत्मा का श्रृंगार, पवित्र दृष्टि, पवित्र संकल्प, पवित्र कर्म, याद की शक्ति, वरदाता बाबा, ब्रह्मा कुमारी स्पीच, पवित्रता का वरदान, ब्राह्मण धर्म, ब्रह्मण संस्कृति, आत्मा की शक्ति, संगमयुग का जीवन, सहज पवित्रता, ब्रह्मण जीवन शैली, ब्रह्मण आत्मा, BK Hindi speech, BK Dr Surender Sharma, BK Omshanti GY, पवित्रता का महत्व,
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