(05) Revealing the Father through the eyes

(05) नयनाें द्वारा बाप काे प्रत्यक्ष करना

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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मनसा सेवा द्वारा नैनों से बाप को प्रत्यक्ष करना | महारथियों की डबल सेवा का गुप्त रहस्य | BK Surender Sharma


ओम् शांति

प्यारे आत्मा रूपी भाइयों और बहनों,
आज हम आध्यात्मिक सेवा के उस महान पहलू को जानने जा रहे हैं, जिसे बाबा ने डबल सेवा कहा – मनसा सेवा और नैनों द्वारा सेवा। यह है महारथियों की सेवा, जो स्वयं को गुप्त कर बाप को प्रत्यक्ष करती है।


1. मनसा सेवा का अर्थ – संकल्पों द्वारा सेवा

मनसा सेवा अर्थात संकल्पों से सेवा।
जैसे वाचा सेवा में हम बोलते हैं, वैसे मनसा सेवा में संकल्पों की शक्ति से आत्माओं को साक्षात्कार होता है।

Murli Point:
“बच्चे, 5-10 मिनट संकल्प से सारे विश्व को साकाश दो – यह है सच्ची मनसा सेवा।”


2. नैनों द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करना – महारथियों की विशिष्ट सेवा

बापदादा ने 16 अप्रैल 1977 की अव्यक्त मुरली में कहा –
“महारथियों की सेवा वह सेवा है जिससे देखते ही बाप की याद आ जाए।”

 दृष्टि पवित्र, वृत्ति निष्कलंक और चेहरा दिव्यता से भरा हो — तब ही देखने वाला पूछता है:
“इनको ऐसा किसने बनाया?”
और बाप प्रत्यक्ष हो जाते हैं।


3. महारथियों की डबल सेवा – गुप्त लेकिन प्रभावशाली

ब्रह्मा बाबा कहीं भी जाते थे – साधारण वस्त्र, परंतु दिव्य दृष्टि और मुखमंडल इतना आकर्षक कि लोग खिंचे चले आते थे।

 यही है नैनों द्वारा सेवा —
मनसा (संकल्पों) + दृष्टि (नयन) = डबल सेवा


4. मनसा सेवा को स्वाभाविक बनाना – वाचा सेवा जैसा अभ्यास

जैसे वाचा सेवा में टॉपिक बनाकर समझाते हैं,
वैसे ही मनसा सेवा में भी टॉपिक बनाकर अभ्यास करें:

  • आज: आत्मा का स्वरूप

  • कल: परमात्मा की पहचान

  • परसों: कर्मों की गति

 हर सुबह 15 मिनट एक टॉपिक पर संकल्प करें –
“हे आत्माओ! तुम शांति स्वरूप हो, शिवबाबा की संतान हो…”


5. जब आप गुप्त हो जाते हैं, तब बाप प्रत्यक्ष होता है

 हमारी सेवा ऐसी हो कि कोई कहे –
“ये तो खुदा के बच्चे हैं!”
तब हम गुप्त और बाप प्रत्यक्ष हो जाता है।

 यह सेवा कोई साधारण सेवा नहीं, यह है महारथियों की गुप्त लेकिन सर्वश्रेष्ठ सेवा।

  • मनसा + दृष्टि की शक्ति = डबल सेवा

  • स्वयं को गुप्त करो, बाप को प्रत्यक्ष करो

  • दृष्टि-वृत्ति में इतनी पवित्रता लाओ कि देखने वाला कहे: “ये तो देवता हैं!”

“मनसा सेवा द्वारा नैनों से बाप को प्रत्यक्ष करना | महारथियों की डबल सेवा का गुप्त रहस्य | BK Surender Sharma”


Q1: मनसा सेवा क्या है, और यह क्यों आवश्यक है?

 उत्तर:मनसा सेवा का अर्थ है — संकल्पों द्वारा आत्माओं की सेवा करना।
जैसे वाचा से हम बोलकर सेवा करते हैं, वैसे ही मनसा सेवा में हम शुद्ध, सशक्त, शुभ संकल्पों के माध्यम से आत्माओं तक बाप का संदेश पहुँचाते हैं।

Murli Point:
“बच्चे, 5-10 मिनट संकल्प से सारे विश्व को साकाश दो – यह है सच्ची मनसा सेवा।”


Q2: नैनों द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करना क्या होता है?

 उत्तर:जब हमारी दृष्टि, वृत्ति और चेहरा इतना दिव्य, शुद्ध और आकर्षक होता है कि कोई व्यक्ति देखकर कहे —
“इनको ऐसा किसने बनाया?”
तब उस आत्मा के मन में बाबा प्रत्यक्ष हो जाते हैं।

Murli (16 अप्रैल 1977):
“महारथियों की सेवा वह सेवा है जिससे देखते ही बाप की याद आ जाए।”


Q3: महारथियों की डबल सेवा क्या है?

 उत्तर:महारथी आत्माएं दोहरी सेवा करती हैं:

  • मनसा सेवा: संकल्पों से शक्तिशाली साकाश देना

  • नैनों की सेवा: दृष्टि-वृत्ति से बाप को प्रत्यक्ष करना

 यह गुप्त लेकिन प्रभावशाली सेवा होती है। स्वयं को गुप्त कर, बाबा को लोगों के मन में प्रकट करना — यही सच्ची महारथी सेवा है।


Q4: क्या दृष्टि और वृत्ति भी सेवा का साधन हो सकते हैं?

 उत्तर:हाँ, यदि दृष्टि पवित्र, वृत्ति निष्कलंक, और चेहरा आध्यात्मिक दिव्यता से भरा हो — तो यह नयन सेवा बन जाती है।
ऐसे महारथियों को देखकर आत्मा सोचती है —
“ये जरूर ईश्वर की संतान हैं।”


Q5: ब्रह्मा बाबा ने नैनों द्वारा सेवा कैसे की?

 उत्तर:ब्रह्मा बाबा का चेहरा, दृष्टि और व्यवहार — सब सामान्य होते हुए भी असामान्य आकर्षण से भरे रहते थे।
उनकी दृष्टि में शीतलता, स्नेह, और स्मृति का बल था, जिससे आत्माएं बंध जाती थीं।


Q6: मनसा सेवा को वाचा सेवा की तरह स्वाभाविक कैसे बनाएं?

 उत्तर:जैसे वाचा सेवा में हम प्रतिदिन एक-एक टॉपिक की तैयारी करते हैं,
वैसे ही मनसा सेवा के लिए भी प्रतिदिन एक टॉपिक चुनकर उस पर संकल्प करें:

  • आज: आत्मा का स्वरूप

  • कल: परमात्मा की पहचान

  • परसों: कर्मों की गति

15 मिनट साकार संकल्पों का अभ्यास करें — “हे आत्माओ! तुम शांति स्वरूप हो… शिवबाबा की संतान हो…”


Q7: जब हम गुप्त हो जाते हैं तो बाप कैसे प्रत्यक्ष होता है?

 उत्तर:जब हम अपनी सेवा में नाम, मान, शान से ऊपर उठकर निष्काम भाव से सेवा करते हैं,
तो देखने वाला पूछता है —
“इनको किसने बनाया?”
तब बाप प्रत्यक्ष हो जाते हैं — और हम गुप्त।


Q8: मनसा और नैनों की सेवा में क्या विशेष अंतर है?

 उत्तर:

  • मनसा सेवा = संकल्पों की शक्ति से आत्मिक संदेश देना

  • नैनों की सेवा = दृष्टि-वृत्ति की पवित्रता से बाप को अनुभव कराना
    इन दोनों को मिलाकर ही बनती है महारथियों की डबल सेवा।


Q9: क्या डबल सेवा साधारण आत्मा कर सकती है?

 उत्तर:नहीं। डबल सेवा एक महारथी आत्मा की निशानी है।
ऐसी आत्माएं संकल्प, दृष्टि और वृत्ति में इतनी शुद्ध होती हैं कि वे केवल बाबा को प्रकट करने का माध्यम बनती हैं।

Murli Point:
“ऐसी सेवा कोई साधारण सेवा नहीं है। यह है गुप्त लेकिन प्रभावशाली सेवा।”


Q10: इस ज्ञान से हमें क्या प्रेरणा लेनी चाहिए?

उत्तर:

  • मनसा सेवा को प्रतिदिन का अभ्यास बनाएं

  • दृष्टि-वृत्ति को दिव्य बनाएं

  • सेवा करते हुए स्वयं को गुप्त रखें

  • बाबा को हर आत्मा के मन में प्रत्यक्ष करने का संकल्प करें

“स्वयं को गुप्त करो, बाप को प्रत्यक्ष करो!”

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