नवरात्रि का असली रहस्य:(05)आत्मा का दीपक जगाओ -नवरात्रि का असली संदेश।
नवरात्रि का असली रहस्य | आत्मा का दीपक जगाओ
प्रस्तावना
नवरात्रि केवल बाहरी रीति-रिवाजों या पूजा तक सीमित नहीं है। इसका असली संदेश है आत्मा का दीपक जलाना। आज हम यही विषय समझेंगे – आत्मा को जागृत करना, मन के राक्षसों का अंत करना और सच्ची शक्ति प्राप्त करना।
वर्तमान समय और नवरात्रि का संदेश
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कलयुग के अंत में अंधकार:
भ्रष्टाचार, विकार और आसुरी प्रवृत्तियाँ चरम पर हैं। -
परमात्मा का कार्य:
परमपिता शिव फिर से कन्याओं के माध्यम से आत्माओं की ज्योति जगाते हैं। -
महत्वपूर्ण सीख:
केवल दीप जलाना, कलश स्थापन करना या जागरण करना ही नवरात्रि नहीं है।
मुरली संकेत:
18 अक्टूबर 1965 – “असली जागरण है आत्मा को अज्ञान निद्रा से जगाना।”
2 अक्टूबर 1970 – “ज्ञान रूपी दीप जलाकर ही अंधकार मिटता है।”
मन के राक्षस
हमारे अंदर की आदतें ही हमारे लिए चुनौती हैं।
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महिषासुर: अहंकार और गुस्सा
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मधु-कैट: मोह और लालच
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राग-द्वेष: प्रेम-नफरत के उलझे भाव
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रक्तबीज: पुराने गुस्से और द्वेष
उद्देश्य: इन आदतों और विकारों को नष्ट करना और आत्मा को पवित्र बनाना।
उदाहरण:
यदि कोई बार-बार क्रोध करता है तो उसे यह याद रखना चाहिए – “यह मेरा रक्तबीज है, मुझे इसे जड़ से हटाना है।”
देवी पूजन का असली अर्थ
देवी | प्रतीक | असली अर्थ |
---|---|---|
लक्ष्मी | समृद्धि | सात्विक गुण और शांति |
सरस्वती | बुद्धि | आत्मा की पहचान और परमात्मा का ज्ञान |
दुर्गा | शक्ति | विकारों पर विजय पाने की योग शक्ति |
मुरली संकेत:
19 अक्टूबर 1975 – “जो आत्माएं शिव की शक्ति से स्वयं को पावन बनाती हैं वही पूजनीय बनती हैं।”
असली दुर्गा और शक्तियां
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शिव की संताने और ब्रह्मा की पुत्रियां
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ज्ञान और योगबल से आसुरी प्रवृत्तियों का अंत करने वाली आत्माएं
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इन्हें शिव शक्तियां या ब्रह्मपुत्री नदियां कहा जाता है।
उदाहरण:
एक साधक जो हर दिन योग और ध्यान से अपने अंदर की लालच और क्रोध को नियंत्रित करता है, वही असली शक्ति दिखाता है।
निष्कर्ष: दीपक जलाने का असली अर्थ
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बाहरी दीपक केवल कुछ समय के लिए जलता है।
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आत्मा का दीपक सदा के लिए प्रकाशित होता है।
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जब हम परमात्मा से जुड़कर अपने संस्कारों को शुद्ध करते हैं, तभी सच्चा दीपक जलता है।
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नवरात्रि का असली रहस्य | आत्मा का दीपक जगाओ
प्रस्तावना
प्रश्न: नवरात्रि का असली संदेश क्या है?
उत्तर: नवरात्रि केवल बाहरी रीति-रिवाज या पूजा तक सीमित नहीं है। इसका असली संदेश है आत्मा का दीपक जलाना, मन के राक्षसों का अंत करना और सच्ची शक्ति प्राप्त करना।
वर्तमान समय और नवरात्रि का संदेश
प्रश्न: वर्तमान समय में नवरात्रि का संदेश क्या है?
उत्तर: कलयुग के अंत में अंधकार, भ्रष्टाचार, विकार और आसुरी प्रवृत्तियाँ चरम पर हैं। परमात्मा शिव फिर से कन्याओं के माध्यम से आत्माओं की ज्योति जगाते हैं।प्रश्न: केवल दीप जलाना, कलश स्थापन या जागरण करना ही नवरात्रि क्यों नहीं है?
उत्तर: क्योंकि असली नवरात्रि का अर्थ है आत्मिक जागृति, आत्मा को अज्ञान निद्रा से जगाना और मन के अंदर के विकारों का नाश करना।प्रश्न: मुरली में इस संबंध में क्या कहा गया है?
उत्तर:-
18 अक्टूबर 1965 – “असली जागरण है आत्मा को अज्ञान निद्रा से जगाना।”
-
2 अक्टूबर 1970 – “ज्ञान रूपी दीप जलाकर ही अंधकार मिटता है।”
मन के राक्षस
प्रश्न: मन के राक्षस कौन-कौन हैं और उनका उद्देश्य क्या है?
उत्तर:-
महिषासुर – अहंकार और गुस्सा
-
मधु-कैट – मोह और लालच
-
राग-द्वेष – प्रेम-नफरत के उलझे भाव
-
रक्तबीज – पुराने गुस्से और द्वेष
उद्देश्य: इन आदतों और विकारों को नष्ट करना और आत्मा को पवित्र बनाना।
प्रश्न: उदाहरण के रूप में इसे कैसे समझा जा सकता है?
उत्तर: यदि कोई बार-बार क्रोध करता है तो उसे याद रखना चाहिए – “यह मेरा रक्तबीज है, मुझे इसे जड़ से हटाना है।”
देवी पूजन का असली अर्थ
प्रश्न: देवी पूजन का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर: देवी पूजन बाहरी प्रतीक नहीं है। असली अर्थ इस प्रकार है:देवी प्रतीक असली अर्थ लक्ष्मी समृद्धि सात्विक गुण और शांति सरस्वती बुद्धि आत्मा की पहचान और परमात्मा का ज्ञान दुर्गा शक्ति विकारों पर विजय पाने की योग शक्ति प्रश्न: मुरली में इस संबंध में क्या कहा गया है?
उत्तर: 19 अक्टूबर 1975 – “जो आत्माएं शिव की शक्ति से स्वयं को पावन बनाती हैं वही पूजनीय बनती हैं।”
असली दुर्गा और शक्तियां
प्रश्न: असली दुर्गा और शक्तियां कौन हैं?
उत्तर:
शिव की संताने और ब्रह्मा की पुत्रियां, जो ज्ञान और योगबल से आसुरी प्रवृत्तियों का अंत करती हैं। इन्हें शिव शक्तियां या ब्रह्मपुत्री नदियां कहा जाता है।प्रश्न: इसका दैनिक जीवन में उदाहरण क्या है?
उत्तर: एक साधक जो हर दिन योग और ध्यान से अपने अंदर की लालच और क्रोध को नियंत्रित करता है, वही असली शक्ति दिखाता है।
निष्कर्ष: दीपक जलाने का असली अर्थ
प्रश्न: दीपक जलाने का असली अर्थ क्या है?
उत्तर: बाहरी दीपक केवल कुछ समय के लिए जलता है, लेकिन आत्मा का दीपक सदा के लिए प्रकाशित होता है।
जब हम परमात्मा से जुड़कर अपने संस्कारों को शुद्ध करते हैं, तभी सच्चा दीपक जलता है। -
- Disclaimer (डिस्क्लेमर) यह वीडियो ब्रह्माकुमारियों के ईश्वरीय ज्ञान और मुरली पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आत्मिक जागृति, आध्यात्मिक शिक्षा और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। यह किसी भी धर्म, संप्रदाय या परंपरा की आलोचना या विरोध के लिए नहीं है। कृपया इसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समझें और आत्म कल्याण के लिए अपनाएँ।
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