भूत ,प्रेत:-(06)क्या सच में होती है चुड़ैल? आत्मा भटकाव और डर का राज — आत्मा का भटकना और डर का रहस्य।
भूत-प्रेत, पिशाच, निशाचर आदि के ऊपर
हम अध्ययन कर रहे हैं। आज छठा विषय है।
क्या सच में होती है चुड़ैल?
आत्मा भटकाव और डर का राज — आत्मा का भटकना और डर का रहस्य।
चुड़ैल: डर या गलत समझी गई आत्मा
हमारी फिल्मों, लोक कथाओं और कहानियों में चुड़ैल का चित्रण लंबे बाल, सफेद साड़ी, उल्टे पैर और रात को भटकती स्त्री के रूप में किया जाता है।
लेकिन क्या यह वास्तविकता है या सिर्फ डर से बना हुआ एक मानसिक रूप?
मुरली 20 अक्टूबर 25
बच्चे, आत्मा कभी मरती नहीं। केवल शरीर बदलती है। अज्ञान के कारण मनुष्य आत्मा को भूत-प्रेत समझ लेते हैं।
चुड़ैल क्या होती है और क्यों प्रकट होती है?
लोक विज्ञान मान्यता के अनुसार — किसी स्त्री की असमय मृत्यु या धोखा खाने पर उसकी आत्मा चुड़ैल बन जाती है।
ऐसी आत्मा दुखी, असक्त या बदले की भावना वाली होती है, जो पेड़ों या कब्र में रहती है।
तेज छोड़कर भटकी हुई आत्मा जिसे शांति नहीं मिली, वह दिखने लगती है।
अगर बुलाया जाए या मन में भय हो, तो वह भय भी ऊर्जात्मक रूप में अनुभव होता है।
गांवों में अक्सर सुना जाता है कि कोई पेड़ वाली चुड़ैल बच्चियों को डराती है,
लेकिन जांच में पता चलता है कि वह स्थान अंधेरा, सुनसान और मन का डर होता है — और कुछ नहीं।
क्या चुड़ैल नुकसान पहुंचा सकती है या सिर्फ डराती है?
विज्ञान कहता है — भय, अचेतन मन का भ्रम और मानसिक ऊर्जा का परिणाम है।
मुरली 15 अक्टूबर 2025
कोई आत्मा किसी को भी नुकसान नहीं करती जब तक उसका डर उससे जुड़ न जाए।
अगर मन कमजोर हो, तो डर ऊर्जा को आकर्षित करता है।
अगर मन शक्तिशाली हो, तो भटकी हुई आत्मा भी नुकसान नहीं पहुंचा सकती।
क्या सच में चुड़ैल होती है?
क्या यह केवल लोक कथाएं हैं?
ब्रह्मा कुमारी ज्ञान के अनुसार भूत, प्रेत, चुड़ैल कोई अलग प्राणी नहीं, बल्कि भटकी हुई आत्मा है।
आत्मा का कोई लिंग नहीं होता — वह न पुरुष होती है न स्त्री।
शरीर छोड़ने के बाद आत्मा केवल ऊर्जा है।
अगर आत्मा देह-अभिमान और आसक्ति में फंसी रहती है, तो भटकती है — लोग उसे प्रेत या चुड़ैल कहते हैं।
चुड़ैल से बचने का उपाय
डर से नहीं, शक्ति से बचाओ।
आप उससे डरेंगे, तो दुख पहुंचेगा।
ब्रह्मा कुमारी दृष्टिकोण से उपाय:
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ओम शांति और राजयोग ध्यान का अभ्यास करो।
इससे आत्मा को शक्ति मिलती है — न डर लगता है, न नकारात्मक ऊर्जा लगती है। -
शिव बाबा की स्मृति और मुरली विचार
हृदय में ईश्वर की याद हो, तो आत्मा संबंधी भय स्वतः समाप्त हो जाता है।
तंत्र-मंत्र, नींबू-मिर्च, ताबीज मन को थोड़ी राहत देते हैं, लेकिन यह स्थाई समाधान नहीं।
सत्संग, स्वच्छ भोजन, सकारात्मक विचार और शांति का वातावरण — दिव्य कंपन फैलाते हैं।
क्या चुड़ैल किसी आत्मा या ऊर्जा का ही रूप है?
शरीर छोड़ने के बाद भी आत्मा की चेतना, स्मृति और इच्छाएं रहती हैं।
अगर आत्मा आसक्ति, बदले या पीड़ा में है और मुक्त नहीं हो पाती, तो लोग उसे चुड़ैल या प्रेत कहते हैं।
मुरली:
बच्चे, सब आत्माएं शांति धाम की हैं। उन्हें शांति और प्रेम दो, डर और घृणा नहीं।
अंदर कोई डर नहीं होना चाहिए — ज्ञान से ही मुक्ति मिलती है।
निष्कर्ष:
चुड़ैल कोई हॉरर मूवी का पात्र नहीं, बल्कि एक दुखी आत्मा है जिसे प्रेम, शांति और ईश्वर के प्रकाश की जरूरत है।
डर नकारात्मक शक्ति बनाता है, जबकि ईश्वर-स्मृति आत्मा और वातावरण दोनों को शांति देती है।

