(06) Self-control and victory over the five vices

(06) आत्म-संयम और पाँच विकारों पर विजय

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“रक्षाबंधन का असली अर्थ क्या है? | आत्म-संयम और पवित्रता की विजय | 


 प्रस्तावना:

क्या आपने कभी सोचा कि “रक्षा” का असली अर्थ क्या है?

क्या राखी सिर्फ बाहरी संकटों से रक्षा का संकल्प है,
या ये भीतर की विजय का पर्व है?

आज हम समझेंगे —
“रक्षाबंधन का गुप्त अर्थ: आत्म-संयम की विजय”।


1. आत्म-संयम की विजय – यही है असली रक्षा

रक्षाबंधन कोई मात्र सामाजिक उत्सव नहीं,
बल्कि आत्मा के भीतर चल रहे युद्ध की याद दिलाता है —
जहाँ आत्मा को अपनी इन्द्रियों पर जीत प्राप्त करनी है।

पांच विकार — काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार — यही सच्चे शत्रु हैं।
 ब्रह्मचर्य और आत्म-संयम का व्रत ही असली रक्षा कवच है।

याद रखें:
जब आत्मा आत्म-संयम में आती है,
तभी वह परमात्मा के संरक्षण में आती है।


2. ब्राह्मण जीवन में राखी का अर्थ

जब ब्राह्माकुमारी बहनें किसी को राखी बाँधती हैं,
तो वह सिर्फ “भाई” को नहीं बाँधतीं —
बल्कि आत्मा को एक पवित्र दृष्टिकोण और आत्मिक जीवन की प्रतिज्ञा दिलाती हैं।

 “भाई, तू अब ब्राह्मण है —
तेरी दृष्टि, तेरी वाणी, तेरे कर्म अब पवित्र होने चाहिए।”

उदाहरण:
आज की दुनिया में जहाँ दृष्टि ही दूषित हो गई है,
वहाँ ब्राह्मण आत्माएं हर आत्मा को याद दिलाती हैं —
“तू आत्मा है — अब तू पवित्र बन, योगयुक्त बन।”


3. पवित्रता ही सबसे बड़ी रक्षा है

पवित्रता का अर्थ केवल ब्रह्मचर्य नहीं,
बल्कि मन-वचन-कर्म की सम्पूर्ण मर्यादा है।

जब आत्मा पवित्रता का व्रत लेती है,
तो वह एक ऊर्जा-कवच में आ जाती है।

Murli 18 अगस्त 2005:
“राखी का अर्थ है – अब कोई विकार रूपी रावण तुझे बाँध न सके।”

यही है — सच्ची आत्मिक रक्षा।


4. आत्म-संयम = शक्तिशाली आत्मा

आत्म-संयम का अर्थ है:
 विचारों पर नियंत्रण
 इन्द्रियों पर संयम
 संबंधों में मर्यादा
 संकल्पों में पवित्रता

Murli 15 अगस्त 2003:
“राखी बाँधना आत्मा को याद दिलाना है कि अब तुम ईश्वर के बच्चे हो – तुम्हें पवित्र जीवन जीना है, संयमी बनना है।”


5. स्मृति से बनती है सुरक्षा

परमात्मा शिव कहते हैं:
“बच्चे, आत्मा बनो, अपने स्वरूप में स्थित रहो – यही तुम्हारी सच्ची सुरक्षा है।”

उदाहरण:
जब सीता ने लक्ष्मण रेखा लांघी, तभी रावण ने हर लिया।
आज आत्मा जब पवित्रता की मर्यादा लांघती है,
तो माया उसे खींच लेती है।

इसलिए रक्षाबंधन आत्मा को उसकी आत्मिक सीमा और मर्यादा याद दिलाता है।


निष्कर्ष: रक्षाबंधन = आत्मा का आत्म-नियंत्रण पर्व

पारंपरिक राखी आत्मिक राखी (BK दृष्टिकोण)
धागे से बँधना प्रतिज्ञा से बँधना
भाई की रक्षा आत्मा की आत्मिक रक्षा
तात्कालिक सुरक्षा जन्म-जन्मांतर की सुरक्षा
बाहरी युद्ध का संकल्प विकारों पर आंतरिक विजय का संकल्प

रक्षाबंधन का असली अर्थ क्या है? | आत्म-संयम और पवित्रता की विजय |


प्रश्नोत्तर (Q&A) Format for Speech/Episode:

प्रश्न 1: रक्षाबंधन का असली अर्थ क्या है?

उत्तर:रक्षाबंधन सिर्फ एक पारंपरिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मा की आत्मिक रक्षा का संकल्प है।
यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि असली रक्षा तब होती है जब आत्मा आत्म-संयम और पवित्रता में रहती है।
 यह पर्व पाँच विकारों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार) से आत्मा की रक्षा का स्मृति दिवस है।


प्रश्न 2: क्या राखी बाँधने का अर्थ केवल भाई की बाहरी रक्षा है?

उत्तर:नहीं, ब्रह्माकुमारी परंपरा में राखी का अर्थ है – आत्मा को आत्मिक जीवन और पवित्र दृष्टिकोण की प्रतिज्ञा देना।
जब बहन राखी बाँधती है, वह कहती है:
 “भाई, अब तू ब्राह्मण आत्मा है — तेरी दृष्टि, वाणी और कर्म पवित्र होने चाहिए।”


प्रश्न 3: आत्म-संयम की रक्षा क्यों ज़रूरी है?

उत्तर:आत्म-संयम आत्मा की सबसे बड़ी शक्ति है।
विचारों, इन्द्रियों, वाणी और कर्म पर संयम रखने से आत्मा शक्तिशाली बनती है।
Murli 15 अगस्त 2003:
“राखी बाँधना आत्मा को याद दिलाना है कि अब तुम ईश्वर के बच्चे हो – तुम्हें पवित्र जीवन जीना है, संयमी बनना है।”


प्रश्न 4: पवित्रता को रक्षा से कैसे जोड़ा जा सकता है?

उत्तर:पवित्रता आत्मा का ऊर्जा-कवच है।
जब आत्मा ब्रह्मचर्य और मर्यादा में रहती है, तो विकार रूपी रावण उसे छू भी नहीं सकता।
Murli 18 अगस्त 2005:
“राखी का अर्थ है – अब कोई विकार रूपी रावण तुझे बाँध न सके।”


प्रश्न 5: क्या परमात्मा स्वयं आत्मा को राखी बाँधते हैं?

उत्तर:हाँ, संगमयुग पर परमात्मा शिव आत्मा से कहते हैं:
 “बच्चे, मैं तुम्हें ज्ञान की राखी बाँधता हूँ – अब तुम आत्मा हो, आत्मिक जीवन जीओ।”
यह परमात्मा द्वारा आत्मा की रक्षा का दिव्य संकल्प है।


प्रश्न 6: स्मृति और मर्यादा का क्या संबंध है राखी से?

उत्तर:जैसे सीता ने लक्ष्मण-रेखा लांघी और रावण ने हर लिया, वैसे ही जब आत्मा पवित्रता की मर्यादा लांघती है,
तो माया उसे खींच लेती है।
 रक्षाबंधन आत्मा को उसकी आत्मिक लक्ष्मण-रेखा याद दिलाता है – जो आत्म-संयम और स्मृति की रेखा है।

Disclaimer (अस्वीकरण):

यह वीडियो “BK Dr Surender Sharma – BK Omshanti GY” चैनल द्वारा आध्यात्मिक उद्देश्य से बनाया गया है। इसमें दी गई सभी शिक्षाएं प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित हैं। यह वीडियो किसी धर्म, पंथ या परंपरा की आलोचना नहीं करता, बल्कि आत्मिक दृष्टिकोण से ‘रक्षाबंधन’ पर्व के गूढ़ रहस्य को उजागर करता है।
दर्शकों से निवेदन है कि इसे खुले मन से सुनें और आत्म-अनुभव हेतु चिंतन करें।

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