(06)Identification of an angelic soul: Why does happiness always appear on the face and speech?

(06)फरिश्ताआत्मा की पहचान: चेहरा और वाणी से सदा प्रसन्नता क्यो झलकती है?

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फरिश्ता आत्मा की पहचान | चेहरा और वाणी से झलकती प्रसन्नता


परिचय

प्यारे भाई-बहनों,
हम फरिश्ता सिद्धि का अध्ययन कर रहे हैं।
आज हम छठा विषय समझेंगे – फरिश्ता आत्मा की पहचान

फरिश्ता आत्मा का चेहरा और वाणी सदा प्रसन्नता से क्यों झलकते हैं?
हर आत्मा खुशी की खोज में है, लेकिन असली खुशी कहाँ है – यह सब नहीं जानते।


1. चेहरा और वाणी से झलकती प्रसन्नता

साकार मुरली 14 जून 1967
बाबा कहते हैं –
फरिश्ता आत्मा का चेहरा और वाणी सदा प्रसन्नता से झलकते हैं।

झलकने का अर्थ – बाहर आना, दिखाई देना।
चेहरे से ही पता लगता है कि आत्मा सुखी और खुश है।

उदाहरण:
जैसे दीपक अपने आप रोशनी फैलाता है, वैसे ही फरिश्ता आत्मा अपने आप दूसरों को खुशी और प्रकाश देती है।


2. प्रसन्नता – आत्मा की मौलिक शक्ति

अव्यक्त मुरली 7 जनवरी 1970
बाबा कहते हैं –
प्रसन्नता आत्मा का मौलिक स्वभाव है।

जैसे मौलिक अधिकार हर आत्मा को मिलते हैं, वैसे ही खुशी आत्मा का अधिकार और स्वभाव है।

जब आत्मा परमात्मा को याद करती है तो उसके मुखमंडल से प्रकाश और खुशी अपने आप झलकती है।

उदाहरण:
जैसे अंधेरे में दीपक खुद-ब-खुद प्रकाश देता है, वैसे ही आत्मा की मौलिक खुशी सबको रोशन करती है।


3. चेहरा – आत्मा के संस्कारों का दर्पण

साकार मुरली 5 अगस्त 1969
बाबा कहते हैं –
चेहरा आत्मा के संस्कारों का दर्पण है।

अगर आत्मा बाबा की याद में रहती है, तो चेहरा सदा खिला रहता है।
अगर तनाव या असमंजस है, तो चेहरा थका हुआ दिखाई देता है।

उदाहरण:
जैसे कमल का फूल कीचड़ में भी खिला रहता है, वैसे ही याद में रहने वाली आत्मा का चेहरा सदैव खिला रहता है।


4. वाणी – मधुर और प्रेरणादायी

अव्यक्त मुरली 12 मई 1975
बाबा कहते हैं –
फरिश्ता आत्मा की वाणी से सदा खुशी और उमंग झलकता है।

 उसकी वाणी कड़वी नहीं हो सकती।
 उसकी वाणी दूसरों को शांति और आनंद देती है।

उदाहरण:
जैसे मधुर संगीत सुनकर मन प्रसन्न हो जाता है, वैसे ही फरिश्ता आत्मा की वाणी से दूसरों को शांति और आनंद मिलता है।


5. प्रसन्नता का रहस्य – डबल लाइट स्थिति

साकार मुरली 22 जुलाई 1969
बाबा ने कहा –
जहाँ बोझ है, वहाँ खुशी नहीं हो सकती।

 डबल लाइट आत्मा – जिसके पास तन, मन, धन और जन – चारों का बोझ न हो।
 ऐसी आत्मा सदा प्रसन्न रहती है।

उदाहरण:
एक मजदूर जब बोझ उठाता है तो उसके चेहरे पर तनाव होता है, लेकिन बोझ उतारते ही चेहरा खिल उठता है।
वैसे ही आत्मा जब माया और कर्मसंस्कारों के बोझ से मुक्त हो जाती है, तो सदा हल्की और प्रसन्न रहती है।


 निष्कर्ष

फरिश्ता आत्मा की असली पहचान यही है –

  • चेहरे पर सदा प्रसन्नता

  • वाणी में मधुरता और प्रेरणा

  • डबल लाइट स्थिति (तन-मन-धन-जन के बोझ से मुक्त)

 ऐसी आत्मा संसार के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाती है और हर आत्मा को शांति व खुशी का अनुभव कराती है।

फरिश्ता आत्मा की पहचान – प्रश्नोत्तर रूप में


प्रश्न 1: फरिश्ता आत्मा की असली पहचान क्या है?

उत्तर: फरिश्ता आत्मा की पहचान है – उसके चेहरे पर सदा प्रसन्नता और वाणी में मधुरता और प्रेरणा

साकार मुरली 14 जून 1967
बाबा कहते हैं, “फरिश्ता आत्मा का चेहरा और वाणी सदा प्रसन्नता से झलकती है।”


प्रश्न 2: प्रसन्नता को आत्मा का मौलिक स्वभाव क्यों कहा गया है?

उत्तर: क्योंकि खुशी आत्मा की मूल शक्ति है। यह आत्मा का जन्मसिद्ध अधिकार है।
जब आत्मा परमपिता परमात्मा को याद करती है तो उसके मुखमंडल से स्वतः ही प्रकाश और खुशी झलकती है।

अव्यक्त मुरली 7 जनवरी 1970
“प्रसन्नता आत्मा का मौलिक स्वभाव है।”

उदाहरण:

जैसे दीपक अंधेरे में बिना कहे स्वयं रोशनी देता है, वैसे ही फरिश्ता आत्मा दूसरों को स्वतः ही खुशी और शांति देती है।


प्रश्न 3: चेहरे को आत्मा के संस्कारों का दर्पण क्यों कहा गया है?

उत्तर: क्योंकि आत्मा के संस्कार, उसकी आदतें और उसका आंतरिक मनोभाव चेहरे से प्रकट होते हैं।

साकार मुरली 5 अगस्त 1969
“चेहरा आत्मा के संस्कारों का दर्पण है।”

 उदाहरण:

  • अगर आत्मा तनाव में है तो चेहरा थका हुआ लगेगा।

  • लेकिन यदि आत्मा बाबा की याद में है तो चेहरा कमल के फूल की तरह खिला हुआ दिखेगा।


प्रश्न 4: फरिश्ता आत्मा की वाणी में कौन-से गुण होते हैं?

उत्तर: उसकी वाणी सदा मधुर, प्रेरणादायी और शांति देने वाली होती है।

अव्यक्त मुरली 12 मई 1975
“फरिश्ता आत्मा की वाणी से सदा खुशी और उमंग झलकता है।”

उदाहरण:

जैसे संगीत सुनकर मन प्रसन्न हो जाता है, वैसे ही फरिश्ता आत्मा की वाणी दूसरों को शांति और आनंद देती है।


प्रश्न 5: फरिश्ता आत्मा सदा प्रसन्न क्यों रहती है?

उत्तर: क्योंकि वह डबल लाइट स्थिति में रहती है –
ना तन का बोझ,
ना मन का बोझ,
ना धन का बोझ,
ना जन का बोझ।

साकार मुरली 22 जुलाई 1969
“जहाँ बोझ है, वहाँ खुशी नहीं। डबल लाइट आत्मा सदा प्रसन्न रहती है।”

उदाहरण:

मजदूर जब बोझ उठाए रहता है तो चेहरा तनावग्रस्त लगता है, लेकिन बोझ उतारते ही उसका चेहरा खिल उठता है।
वैसे ही जब आत्मा माया और कर्मसंस्कार के बोझ से मुक्त हो जाती है, तो वह सदा खुश रहती है।


प्रश्न 6: संसार में फरिश्ता आत्मा का प्रभाव क्या होता है?

उत्तर: फरिश्ता आत्मा अपने चेहरे और वाणी से सबको शांति, खुशी और प्रेरणा देती है। वह खुद-ब-खुद सेवा का माध्यम बन जाती है।

डिस्क्लेमर

यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की मुरलियों से प्रेरित आध्यात्मिक अध्ययन पर आधारित है।
इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक जागृति और आत्म-सशक्तिकरण है, न कि किसी धर्म या संप्रदाय की आलोचना करना।

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