(09)फरिश्ताआत्मा की पहचान: पवित्रता
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
फरिश्ता आत्मा की असली पहचान | पवित्रता, निष्कामता और निरंकारिता |
अध्याय: फरिश्ता सिद्धि – फरिश्ता आत्मा की असली पहचान
1. फरिश्ता आत्मा क्या है?
-
फरिश्ता आत्मा की मुख्य पहचान पवित्रता है।
-
बाबा कहते हैं: “यदि आत्मा पवित्र है तभी वह असली फरिश्ता कहलाती है।”
-
मुरली नोट: अव्यक्त मुरली 21 जनवरी 1969 – “फरिश्ता वे जो पवित्र हैं।”
उदाहरण:
जैसे पानी का असली स्वभाव ठंडक है, उसी तरह आत्मा का असली धर्म पवित्रता है।
2. पवित्रता के तीन स्तंभ: संकल्प, वचन और कर्म
-
संकल्प: अपने और दूसरों के कल्याण के लिए सोच और निर्णय करना।
-
वचन: बोलते समय सत्य और पवित्रता का पालन।
-
कर्म: क्रियाएँ जो स्व और सर्व के कल्याण हेतु हों।
उदाहरण:
यदि कोई चोरी करके लाभ लेने का संकल्प करे, वह पवित्र नहीं है।
लेकिन बाबा की श्रीमत में संकल्प करना, सभी को आत्मा समझकर सेवा करना ही पवित्र संकल्प है।
मुरली नोट:
साकार मुरली 17 जुलाई 1968 – “आत्मा का धर्म है शांति और पवित्रता। विकार आत्मा के धर्म नहीं है।”
3. फरिश्ता दृष्टि
-
फरिश्ता आत्मा शरीर को नहीं देखती, बल्कि आत्मिक दृष्टि से सभी को देखती है।
-
यह दृष्टि रूढ़िवादी भावनाओं से प्रभावित नहीं होती।
उदाहरण:
डॉक्टर मरीज को केवल उसके शरीर से संबंधित देखता है। वैसे ही फरिश्ता आत्मा हर किसी को आत्मा के रूप में देखती है।
मुरली नोट:
अव्यक्त मुरली 18 मार्च 1975 – “फरिश्ता आत्मा किसी देह को नहीं देखती। उसकी दृष्टि आत्मिक और पवित्र होती है।”
4. पवित्रता = शक्ति और स्वर्ग का द्वार
-
पवित्रता ही शक्ति का आधार है।
-
अशुद्ध आत्मा कभी शक्तिशाली नहीं हो सकती।
उदाहरण:
जैसे बिजली का तार साफ हो तो करंट आसानी से चलता है, वैसे ही पवित्र आत्मा में ईश्वरीय शक्ति प्रवाहित होती है।
मुरली नोट:
साकार मुरली 9 सितंबर 1969 – “जहां पवित्रता है वहां शक्ति अपने आप आती है।”
अव्यक्त मुरली 7 मई 1977 – “पवित्रता ही स्वर्ग का पासपोर्ट है।”
5. निष्काम और निरंकारी होना
-
फरिश्ता आत्मा निष्काम (कोई इच्छा नहीं) और निरंकारी होती है।
-
यह पवित्र आत्मा अपने संकल्प और वाणी से सभी को खुशी और शांति देती है।
उदाहरण:
फूल अपनी खुशबू बिना शर्त सभी को देता है। वैसे ही पवित्र आत्मा सबको सुख और शांति देती है।
मुरली नोट:
अव्यक्त मुरली 10 दिसंबर 1977 – “फरिश्ता आत्मा की पहचान है कि वे निष्काम, निरहंकारी और पवित्र हैं।”
6. निष्कर्ष
-
फरिश्ता आत्मा की मुख्य पहचान पवित्रता है।
-
संकल्प, दृष्टि और कर्म जब पवित्र होंगे, तभी आत्मा सचमुच फरिश्ता कहलाएगी।
-
पवित्रता, निष्कामता और निरंकारिता जीवन में शक्ति, शांति और स्वर्गीय स्थिति दिलाती है।
फरिश्ता आत्मा की असली पहचान | पवित्रता, संकल्प और दृष्टि के रहस्य
Q1: फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी पहचान क्या है?
A: फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी पहचान पवित्रता है। अगर आत्मा पवित्र है, तभी वह असली फरिश्ता कहलाती है।
मुरली नोट: अव्यक्त मुरली 21 जनवरी 1969 – “फरिश्ता वे जो पवित्र हैं।”
Q2: पवित्रता के कौन-कौन से तीन स्तंभ हैं?
A: पवित्रता के तीन मुख्य स्तंभ हैं:
-
संकल्प – स्व और सर्व कल्याण के लिए।
-
वचन – बोलने में पवित्रता।
-
कर्म – कार्य में पवित्रता।
उदाहरण: अगर कोई चोरी करके लाभ लेना चाहता है, उसका संकल्प पवित्र नहीं है।
Q3: फरिश्ता दृष्टि कैसी होती है?
A: फरिश्ता आत्मा शरीर को नहीं देखती, बल्कि आत्मिक और पवित्र दृष्टि से सभी को देखती है।
उदाहरण: जैसे डॉक्टर मरीज को केवल उसके शरीर के हिस्सों से देखता है, वैसे ही फरिश्ता हर किसी को आत्मा के रूप में देखती है।
मुरली नोट: अव्यक्त मुरली 18 मार्च 1975 – “फरिश्ता आत्मा किसी देह को नहीं देखती। उसकी दृष्टि आत्मिक और पवित्र होती है।”
Q4: पवित्रता और शक्ति का क्या संबंध है?
A: पवित्रता ही शक्ति का आधार है। अशुद्ध आत्मा कभी शक्तिशाली नहीं हो सकती।
उदाहरण: जैसे साफ बिजली का तार करंट आसानी से चलने देता है, वैसे ही पवित्र आत्मा में ईश्वरीय शक्ति प्रवाहित होती है।
मुरली नोट: साकार मुरली 9 सितंबर 1969 – “जहां पवित्रता है वहां शक्ति अपने आप आती है।”
Q5: फरिश्ता आत्मा की निष्काम और निरंकारी प्रकृति क्या होती है?
A: फरिश्ता आत्मा निष्काम (कोई इच्छा नहीं) और निरंकारी होती है। वह अपने संकल्प और वाणी से सभी को खुशी और शांति देती है।
उदाहरण: फूल अपनी खुशबू बिना शर्त सबको देता है। वैसे ही पवित्र आत्मा सबको सुख और शांति देती है।
मुरली नोट: अव्यक्त मुरली 10 दिसंबर 1977 – “फरिश्ता आत्मा की पहचान है कि वे निष्काम, निरहंकारी और पवित्र हैं।”
Q6: निष्कर्ष में फरिश्ता आत्मा की मुख्य पहचान क्या है?
A: फरिश्ता आत्मा की मुख्य पहचान पवित्रता है। जब संकल्प, दृष्टि और कर्म सभी पवित्र हो जाएँ, तभी आत्मा सचमुच फरिश्ता कहलाएगी।
Disclaimer / डिस्क्लेमर:
यह वीडियो ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक शिक्षाओं और अव्यक्त/साकार मुरली (21 जनवरी 1969, 17 जुलाई 1968, 18 मार्च 1975, 9 सितंबर 1969, 7 मई 1977, 10 दिसंबर 1977) पर आधारित है। इसमें दिए गए विचार आत्मिक उन्नति और आध्यात्मिक जागरूकता हेतु साझा किए गए हैं। यह किसी धर्म, संप्रदाय या व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं हैं। कृपया इसे अपने विवेक और समझ के अनुसार ग्रहण करें।
Angel soul, angel siddhi, purity, religion of the soul, selfless soul, Nirankari soul, purity of resolution, identity of the soul, angel vision, divine power, spiritual vision, Brahma Kumar, Murli knowledge, Avyakt Murli, soul and body, spiritual education, spiritual knowledge, power of the soul, spiritual education for children, Supreme Father God, purity of the soul, devotion and knowledge, passport to heaven, resolution for the welfare of all, religion and culture,
फरिश्ता आत्मा, फरिश्ता सिद्धि, पवित्रता, आत्मा का धर्म, निष्काम आत्मा, निरंकारी आत्मा, संकल्प पवित्रता, आत्मा की पहचान, फरिश्ता दृष्टि, ईश्वरीय शक्ति, आत्मिक दृष्टि, ब्रह्मा कुमार, मुरली ज्ञान, अव्यक्त मुरली, आत्मा और शरीर, आध्यात्मिक शिक्षा, रूहानी ज्ञान, आत्मा की शक्ति, बच्चों के लिए आध्यात्मिक शिक्षा, परमपिता परमात्मा, आत्मा की पवित्रता, भक्ति और ज्ञान, स्वर्ग का पासपोर्ट, सर्व कल्याण संकल्प, धर्म और संस्कृति,