(39) “Father Brahma has one hope for his children”

(39)“ब्रह्मा बाप की बच्चों से एक आशा”25-05-1983

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“मधुबन के वरदानी आत्माओं का रहस्य |


अध्याय: ब्रह्मा बाप की बच्चों से आशा और प्रत्यक्ष फल

1. ब्रह्मा बाप की आशा (0:00 – 0:13)

बाबा की बच्चों से मुख्य आशा क्या है:

  1. सर्व बच्चों की सेवा करना

  2. स्मरण शक्ति बढ़ाना

  3. बाप समान बनना

उदाहरण:
बाबा कहते हैं कि जैसे एक आम का सीजन होता है, वैसे ही संगम युग में बच्चों को अपने कर्मों में प्रत्यक्ष फल प्राप्त करने का अवसर मिलता है।

मुरली नोट:

  • अव्यक्त मुरली, 25 मई 1983


2. प्रत्यक्ष फल और ज्ञान (0:13 – 0:07)

  • बाप से मिलन का फल: ज्ञान और सात गुण शक्ति

  • संकल्प और पुरुषार्थ से ज्ञान का उपयोग करना

  • संगम युग के प्रत्यक्ष फल: हीरा जन्म और सर्व दुखों से मुक्ति

उदाहरण:
जैसे पेड़ पर पके हुए फल का स्वाद अलग होता है, वैसे ही बाबा से सीधे ज्ञान प्राप्त करना बच्चों के लिए सर्वोत्तम फल है।


3. बाप समान बनना और अव्यक्त फरिश्ता (0:07 – 0:14)

  • बाप समान बनने का अर्थ: हर कर्म बाबा की श्रीमत अनुसार करना

  • अव्यक्त फरिश्ता बनकर कर्म योगी का पाठ बजाना

उदाहरण:
यदि कोई आत्मा बाप समान बन जाती है, तो उसका हर कर्म भी बाबा के समान पवित्र और श्रेष्ठ होगा।


4. मधुबन – वरदानी भूमि और प्रत्यक्ष सैंपल (0:14 – 0:17)

  • मधुबन सबसे बड़ा शोकेस है, जहां देश-विदेश से अनुभव लेने आते हैं

  • प्रत्यक्ष सैंपल: काम योगी, अथक सेवाधारी और वरदानी आत्माएं

उदाहरण:
मधुबन निवासी देखकर नए बच्चे भी प्रेरित होते हैं कि उन्हें भी ऐसे बनना चाहिए।


5. चरित्र और संस्कार (0:17 – 0:28)

  • बाप का प्रत्यक्ष स्वरूप हर कर्म में दिखाना

  • आत्मा को सदा न्यारे और बाप के प्यारे बनाना

  • नश्वर मोह और लोभ से दूर रहकर निर्माण रहना

उदाहरण:
जैसे उड़ते पंछी खुद उड़ते हैं और दूसरों को भी उड़ाते हैं, वैसे ही सत्य और गुणात्मा आत्माएं भी दूसरों को प्रेरित करती हैं।


6. भागवत और महात्म (0:18 – 0:20)

  • भागवत: श्री कृष्ण की कथाओं का वर्णन

  • भागवत का महात्म: भागवत से प्राप्ति और लाभ

उदाहरण:
सिर्फ कथाएं सुनना पर्याप्त नहीं, बल्कि उनसे प्राप्ति होना महात्म है।


7. वरदान भूमि और संपन्न आत्माएं (0:20 – 0:22)

  • मधुबन प्रजा और राजा दोनों को वरदान देने वाला

  • वर्तमान समय में प्रजा आत्माएं भी अपना वरदान प्राप्त कर रही हैं

  • प्रमाण: सभी प्रकार की प्रजा चारों ओर सक्रिय

“ब्रह्मा बाप की बच्चों से आशा और प्रत्यक्ष फल | 39वीं अव्यक्त मुरली 25 मई 1983”


Q1: बाबा की बच्चों से मुख्य आशा क्या है?

A1:बाबा की बच्चों से मुख्य आशा हैं:

  1. सर्व बच्चों की सेवा करना।

  2. स्मरण शक्ति बढ़ाना।

  3. बाप समान बनना।

उदाहरण: जैसे आम का सीजन आते ही फल मिलता है, वैसे ही संगम युग में बच्चों को कर्मों में प्रत्यक्ष फल प्राप्त होता है।


Q2: बाप से मिलन का प्रत्यक्ष फल क्या है?

A2:बाप से मिलन का प्रत्यक्ष फल है:

  • ज्ञान प्राप्त करना

  • सात गुण और आठ शक्तियों की शक्ति

  • संगम युग के समय हीरा जन्म और सर्व दुखों से मुक्ति

उदाहरण: जैसे पेड़ पर पके हुए फल का स्वाद अलग होता है, वैसे ही बाबा से सीधे ज्ञान प्राप्त करना सर्वोत्तम फल है।


Q3: बाप समान बनना और अव्यक्त फरिश्ता बनने का क्या अर्थ है?

A3:

  • हर कर्म बाबा की श्रीमत अनुसार करना

  • अव्यक्त फरिश्ता बनकर कर्म योगी का पाठ बजाना

उदाहरण: यदि कोई आत्मा बाप समान बन जाती है, तो उसका हर कर्म भी बाबा के समान पवित्र और श्रेष्ठ होगा।


Q4: मधुबन का महत्व क्या है?

A4:

  • मधुबन सबसे बड़ा शोकेस है, जहां देश-विदेश से अनुभव लेने आते हैं।

  • प्रत्यक्ष सैंपल: काम योगी, अथक सेवाधारी और वरदानी आत्माएं।

उदाहरण: मधुबन निवासी देखकर नए बच्चे भी प्रेरित होते हैं कि उन्हें भी ऐसे बनना चाहिए।


Q5: चरित्र और संस्कार के लिए क्या मार्गदर्शन दिया गया है?

A5:

  • हर कर्म में बाप का प्रत्यक्ष स्वरूप दिखाना।

  • आत्मा को सदा न्यारे और बाप के प्यारे बनाना।

  • नश्वर मोह और लोभ से दूर रहकर निर्माण रहना।

उदाहरण: जैसे उड़ते पंछी खुद उड़ते हैं और दूसरों को भी उड़ाते हैं, वैसे ही सत्य और गुणात्मा आत्माएं दूसरों को भी प्रेरित करती हैं।


Q6: भागवत और भागवत का महात्म में क्या अंतर है?

A6:

  • भागवत: श्री कृष्ण के जीवन और लीलाओं का वर्णन।

  • भागवत का महात्म: भागवत सुनने से होने वाली प्राप्ति और लाभ।

उदाहरण: केवल कथाएं सुनने से लाभ नहीं, बल्कि उनसे प्राप्ति होना महात्म है।


Q7: वरदान भूमि और प्रजा/राजा की संपन्नता में क्या अंतर है?

A7:

  • मधुबन प्रजा और राजा दोनों को वरदान देने वाला है।

  • वर्तमान समय में प्रजा आत्माएं भी अपना वरदान अधिकार ले रही हैं।

उदाहरण: प्रमाण के अनुसार सभी प्रकार की प्रजा चारों ओर सक्रिय हो गई है।


Q8: अंतिम संदेश – बच्चों से बाबा की आशा क्या है?

A8:

  • हर कर्म में बाप का प्रत्यक्ष स्वरूप दिखाना।

  • बाप समान श्रेष्ठ आत्माओं को अपने कर्मों से प्रेरित करना।

  • अव्यक्त फरिश्ता बनकर कर्म योगी का पाठ बजाना।

उदाहरण: जैसे बच्चे अव्यक्त फरिश्ता बनकर कर्म योगी का पाठ बजाते हैं, वैसे ही हम भी अपने कर्मों में बाबा की श्रीमत अनुसरण करें।


Disclamer / डिस्क्लेमर:

यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ आध्यात्मिक शिक्षाओं और मुरली नोट्स पर आधारित है। इसमें दिए गए विचार धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के उद्देश्य से साझा किए गए हैं। कृपया इसे किसी भी वैज्ञानिक, चिकित्सा या व्यक्तिगत परामर्श के रूप में न लें। सभी अनुभव और ज्ञान आत्मा और परमात्मा के संबंध में समझ बढ़ाने के लिए हैं।

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