करवा चौथ का आध्यात्मिक रहस्य – दसवां पाठ
करवा चौथ और सच्चा सौभाग्य क्या?
करवा चौथ और सौभाग्य की परंपरा का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
पारंपरिक दृष्टि से:
हर वर्ष करवा चौथ पर स्त्रियां व्रत रखती हैं। अपने पति की लंबी आयु के लिए पूजा करती हैं और इसे सौभाग्य का प्रतीक मानती हैं।
पर क्या सौभाग्य केवल शारीरिक संबंध का प्रतीक है?
क्या यह केवल एक दिन का उपवास है, या आत्मा के स्थाई सौभाग्य की ओर संकेत करता है?
सौभाग्य का अर्थ:
सौभाग्य का अर्थ 100% भाग्य, सम्पूर्ण भाग्य है।
यह केवल पति के जीवित रहने से नहीं, बल्कि आत्मा की ईश्वरीय स्थिति और परमात्मा से संबंध से जुड़ा है।
आध्यात्मिक दृष्टि से:
साकार मुरली 20 अक्टूबर 2017 में शिव बाबा कहते हैं –
“सच्चा शुभ भाग्य वही है जो सदा साथ रहे। शरीर का भाग्य मिटता है, पर आत्मा का भाग्य सदा का होता है।”
अर्थात, सच्चा सौभाग्य वे नहीं जो किसी देह से जुड़ा हो, बल्कि वे हैं जो परमात्मा से जुड़ने से मिलता है।
उदाहरण:
जैसे किसी को सोने की अंगूठी मिलना बाहरी सौभाग्य है, पर यदि उसे सोना बनने की कला मिल जाए तो वह स्थाई सौभाग्य हो जाता है। वैसे ही, परमात्मा का ज्ञान आत्मा को सदा के लिए सौभाग्यशाली बनाता है।
करवा चौथ का प्रतीक:
करवा चौथ की कथा में कहा जाता है, जो यह व्रत रखे उसका सुहाग अमर हो जाए।
साकार मुरली 21 अक्टूबर 2016 में शिव बाबा कहते हैं –
“अमृत्व शरीर का नहीं, आत्मा का होता है। आत्मा अमर है और उसका सुहाग है परमात्मा शिव।”
सौभाग्य केवल स्त्रियों के लिए नहीं, बल्कि हर आत्मा के लिए है। हम सभी शिव बाबा की सजनिया हैं। एक जन्म हम पुरुष बनेंगे, एक जन्म स्त्री। सभी बराबर हैं।
व्रत का आंतरिक अर्थ – मन का उपवास:
करवा चौथ के दिन बहने खाना-पीना छोड़ती हैं। पर साकार मुरली 24 अक्टूबर 2018 में शिव बाबा कहते हैं –
“सच्चा उपवास शरीर का नहीं, मन का होता है। जब मन विकारों से उपवास करता है, तभी आत्मा पवित्र होती है।”
क्या करना है:
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार से उपवास करना है। परमात्मा की याद से मन को भरना है।
साकार मुरली 18 अक्टूबर 1981 में शिव बाबा कहते हैं –
“जो आत्मा मेरे साथ पवित्र संबंध में रहती है, वही सच्ची सौभाग्यवती है। उसके सौभाग्य को कोई नहीं मिटा सकता।”
सच्चा मंगलसूत्र:
महिला के गले में मंगलसूत्र बाहरी संकेत है, पर यदि मन में ईश्वर की याद का स्मृति सूत्र हो, तो वह सच्चा मंगलसूत्र है।
साकार मुरली 22 अक्टूबर 2018 में शिव बाबा कहते हैं –
“योग की शक्ति ही सच्चा आशीर्वाद है। जो याद में रहकर सेवा करते हैं उनका सौभाग्य सदा बढ़ता रहता है।”
निष्कर्ष:
करवा चौथ केवल एक दिन की पूजा नहीं है, बल्कि रोजाना का आत्मिक अभ्यास है। जब आत्मा अपने सच्चे परमात्मा पति शिव से संबंध जोड़ती है, तो वह सदा सुहाग, सदा सौभाग्यवत बन जाती है।
सच्चा सौभाग्य वे नहीं जो दिखाई दें, बल्कि वे हैं जो आत्मा की पवित्र स्थिति में सदा बने रहें।