S-B:-(10)कैसे बोलते हैं? ब्रह्मा बाबा क्यों बने परमात्मा का रथ?
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
परमात्मा का रथ संबंध — ब्रह्मा बाबा क्यों बने शिव बाबा का माध्यम
1. शिव बाबा — निराकार और निर्देही परमात्मा
परमात्मा शिव — निराकार (Incorporeal) हैं, उनका कोई शरीर नहीं।
वे सर्वव्यापक नहीं हैं, बल्कि परमधाम में रहने वाले ज्ञान के सागर हैं।
परंतु जब उन्हें इस सृष्टि के पुनर्निर्माण का कार्य करना होता है, तो उन्हें किसी मानव तन की आवश्यकता होती है।
साकार मुरली – 18 जनवरी 1969:
“मैं तो निराकार हूं। मुझे बोलने के लिए एक रथ चाहिए। अब बिना रथ के कैसे बोलूं? मैं ब्रह्मा के तन में प्रवेश करता हूं।”
इसलिए परमात्मा को कहा गया — ‘निर्देही’ अर्थात् बिना देह वाला, और जब वह किसी देही में प्रवेश करते हैं, तो कहलाते हैं — ‘देही में प्रवेश करने वाले परमात्मा’।
2. ब्रह्मा बाबा — क्यों बने परमात्मा का रथ
शिव बाबा ने अपना कार्य करने के लिए प्रजापिता ब्रह्मा को चुना क्योंकि:
-
वे सच्चे, विनम्र और आज्ञाकारी थे।
-
उनका हृदय निर्मल था।
-
परमात्मा के लिए उनका तन, मन, धन सब समर्पित था।
साकार मुरली – 3 फरवरी 1969:
“मैं इस ब्रह्मा तन में प्रवेश कर बच्चों से बात करता हूं। यह रथ बना, मैं ड्राइवर हूं।”
रथ ब्रह्मा का तन है, और ड्राइवर शिव बाबा हैं।
रथ बिना ड्राइवर नहीं चल सकता, और ड्राइवर बिना रथ नहीं चल सकता।
3. उदाहरण — ड्राइवर और रथ का संयुक्त कार्य
जैसे एक ड्राइवर कार चलाता है —
कार की दिशा, गति और गंतव्य सब ड्राइवर के हाथ में होते हैं।
परंतु ड्राइवर स्वयं बिना कार के नहीं चल सकता।
उसी प्रकार शिव बाबा स्वयं निराकार हैं, बोल नहीं सकते, चल नहीं सकते।
इसलिए वे ब्रह्मा बाबा में प्रवेश करते हैं, और उनके मुख द्वारा बोलते हैं, हाथों से कार्य कराते हैं, और आंखों से बच्चों को साक्षात्कार कराते हैं।
“शिव बाबा ड्राइवर हैं — ब्रह्मा बाबा उनका रथ।”
4. बापदादा — परमात्मा और मानव का संयुक्त स्वरूप
जब शिव बाबा ब्रह्मा बाबा में प्रवेश करते हैं, तब वह संयुक्त रूप कहलाता है — ‘बापदादा’।
-
‘बाप’ का अर्थ है — परमपिता शिव बाबा।
-
‘दादा’ का अर्थ है — ब्रह्मा बाबा, जो सबका बड़ा भाई है।
साकार मुरली – 14 जनवरी 1970:
“जब बाप इस तन में प्रवेश करते हैं, तब ब्रह्मा नहीं कहा जाता — बापदादा कहा जाता है।”
इस संयुक्त रूप में शिव बाबा ज्ञानदाता हैं, और ब्रह्मा बाबा माध्यम हैं।
5. मुरली का रहस्य — आवाज किसकी होती है?
जब मुरली में आवाज आती है —
“मीठे-मीठे बच्चे…”
तो आवाज ब्रह्मा बाबा के मुख से निकलती है,
लेकिन बोलने वाला होता है शिव बाबा।
साकार मुरली – 7 मार्च 1968:
“यह मुख ब्रह्मा का है, पर बोलता मैं शिव हूं।”
यही है परमात्मा रथ संबंध का अद्भुत चमत्कार —
जहां एक आत्मा (शिव) दूसरी आत्मा (ब्रह्मा) में प्रवेश कर ज्ञान का प्रवाह करती है।
6. पवित्रता और आज्ञाकारिता का उदाहरण
ब्रह्मा बाबा ने कहा:
“मुझे तो अब अपना तन, मन, धन सब बाप को सौंप देना है।”
उन्होंने अपनी पूरी देह परमात्मा को समर्पित कर दी।
इसलिए बाप ने उनके तन को अपना रथ बनाया।
यह तन सदा बाप की आज्ञा पर चलता था — यही सच्चा ‘परमात्म रथ संबंध’ है।
7. हमारे लिए सीख — अपने तन को भी रथ बनाओ
आज परमात्मा हम बच्चों से कहते हैं —
अव्यक्त मुरली – 12 मार्च 1971:
“बच्चे, यह रथ बाप का है। ऐसे ही तुम सब अपने तन को बाप का रथ बनाओ।”
इसका अर्थ है —
-
अपने शरीर, मन, बुद्धि और कर्मों को परमात्मा की सेवा में लगाओ।
-
जब मन, बुद्धि, संस्कार तीनों बाबा की श्रीमत पर चलेंगे — तब हम भी सच्चे ‘परमात्म रथ’ बन जाएंगे।
8. निष्कर्ष — परमात्मा रथ संबंध: सबसे पवित्र संयुक्तता
यह संबंध हमें सिखाता है कि परमात्मा कोई कल्पना नहीं हैं।
वे वास्तव में इस धरती पर अवतरित होकर कार्य करते हैं।
उनका माध्यम हैं — प्रजापिता ब्रह्मा बाबा।
अव्यक्त मुरली – 21 जनवरी 1970:
“यह अद्भुत रथ है जिसमें परमात्मा स्वयं सवार है। यह संगम युग का सबसे शुभ संयोग है।”
इसलिए हमें याद रखना है —
जब हम बापदादा की श्रीमत पर चल रहे होते हैं,
तो हमारे बीच ईश्वर साक्षात होते हैं।
उनका रथ — ईश्वर की उपस्थिति का प्रतीक है।
संक्षिप्त सार (Summary):
शिव बाबा = ड्राइवर
ब्रह्मा बाबा = रथ
दोनों का संयुक्त रूप = बापदादा
मुरली की आवाज = शिव बाबा की वाणी
हमारा कर्तव्य = अपने तन को सेवा रथ बनाना
वीडियो डिस्क्रिप्शन (Description):
क्या आपने कभी सोचा है कि शिव बाबा कैसे बोलते हैं?
ब्रह्मा बाबा क्यों बने उनके रथ?
इस वीडियो में जानिए परमात्मा रथ संबंध का अद्भुत रहस्य —
कैसे निर्देही परमात्मा, ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर ज्ञान का प्रवाह करते हैं।
प्रश्न 1:शिव बाबा को “निराकार” और “निर्देही” क्यों कहा गया है?
उत्तर:
क्योंकि परमात्मा शिव का कोई शरीर नहीं है।
वे परमधाम में रहने वाले ज्ञान के सागर हैं।
जब सृष्टि के पुनर्निर्माण का समय आता है, तो उन्हें अपने कार्य के लिए एक मानव तन की आवश्यकता होती है।
मुरली संदर्भ – साकार मुरली, 18 जनवरी 1969:
“मैं तो निराकार हूं। मुझे बोलने के लिए एक रथ चाहिए। अब बिना रथ के कैसे बोलूं? मैं ब्रह्मा के तन में प्रवेश करता हूं।”
इसलिए उन्हें कहा गया — निर्देही (बिना देह वाला),
और जब वे किसी देह में प्रवेश करते हैं तो कहलाते हैं — देही में प्रवेश करने वाले परमात्मा।
प्रश्न 2:शिव बाबा ने ब्रह्मा बाबा को ही अपना रथ क्यों बनाया?
उत्तर:
क्योंकि प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के गुण उन्हें सर्वोत्तम माध्यम बनाते थे —
-
वे सच्चे, विनम्र और आज्ञाकारी थे।
-
उनका हृदय निर्मल और बाप के प्रति पूर्ण निष्ठावान था।
-
उन्होंने अपना तन, मन और धन परमात्मा को समर्पित कर दिया था।
मुरली संदर्भ – साकार मुरली, 3 फरवरी 1969:
“मैं इस ब्रह्मा तन में प्रवेश कर बच्चों से बात करता हूं। यह रथ बना, मैं ड्राइवर हूं।”
ब्रह्मा बाबा का तन रथ बना, और शिव बाबा ड्राइवर —
रथ बिना ड्राइवर नहीं चल सकता, और ड्राइवर बिना रथ नहीं चल सकता।
प्रश्न 3:शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा के संबंध को किस उदाहरण से समझाया जा सकता है?
उत्तर:
यह संबंध ड्राइवर और रथ (या वाहन) के समान है।
जैसे ड्राइवर कार को दिशा और गति देता है, पर स्वयं बिना कार के नहीं चल सकता।
उसी प्रकार शिव बाबा निराकार हैं, वे ब्रह्मा बाबा में प्रवेश करके ही बोलते, कार्य करते और साक्षात्कार कराते हैं।
“शिव बाबा ड्राइवर हैं — ब्रह्मा बाबा उनका रथ।”
प्रश्न 4:बापदादा’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जब शिव बाबा ब्रह्मा बाबा में प्रवेश करते हैं, तो उनका संयुक्त रूप ‘बापदादा’ कहलाता है।
-
‘बाप’ = परमपिता शिव बाबा
-
‘दादा’ = ब्रह्मा बाबा (जो सबका बड़ा भाई है)
मुरली संदर्भ – साकार मुरली, 14 जनवरी 1970:
“जब बाप इस तन में प्रवेश करते हैं, तब ब्रह्मा नहीं कहा जाता — बापदादा कहा जाता है।”
इस संयुक्त रूप में शिव बाबा ज्ञानदाता हैं, और ब्रह्मा बाबा माध्यम हैं।
प्रश्न 5:जब मुरली में “मीठे-मीठे बच्चे” कहा जाता है, तो बोलने वाला कौन होता है?
उत्तर:
आवाज़ ब्रह्मा बाबा के मुख से निकलती है,
परंतु बोलने वाला होता है शिव बाबा।
मुरली संदर्भ – साकार मुरली, 7 मार्च 1968:
“यह मुख ब्रह्मा का है, पर बोलता मैं शिव हूं।”
यही है परमात्मा रथ संबंध का दिव्य रहस्य —
जहां एक आत्मा (शिव), दूसरी आत्मा (ब्रह्मा) में प्रवेश कर ज्ञान की वाणी बोलती है।
प्रश्न 6:ब्रह्मा बाबा “परमात्मा का रथ” कैसे बने?
उत्तर:
क्योंकि उन्होंने अपना तन, मन, धन पूर्ण रूप से परमात्मा को समर्पित कर दिया था।
उनका तन सदा बाप की आज्ञा पर चलता था — यही था सच्चा परमात्म रथ संबंध।
“मुझे तो अब अपना तन, मन, धन सब बाप को सौंप देना है।” — ब्रह्मा बाबा
इसलिए बाप ने उनके तन को अपना रथ बनाया।
प्रश्न 7:हम अपने तन को ‘परमात्मा का रथ’ कैसे बना सकते हैं?
उत्तर:
परमात्मा कहते हैं —
अव्यक्त मुरली – 12 मार्च 1971:
“बच्चे, यह रथ बाप का है। ऐसे ही तुम सब अपने तन को बाप का रथ बनाओ।”
अर्थात् —
-
अपने शरीर, मन, बुद्धि और कर्मों को परमात्मा की सेवा में लगाओ।
-
जब हमारी बुद्धि और संस्कार बाबा की श्रीमत पर चलेंगे,
तब हम भी सच्चे परमात्म रथ बन जाएंगे।
प्रश्न 8:‘परमात्मा रथ संबंध’ से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर:
यह संबंध हमें सिखाता है कि परमात्मा कोई कल्पना नहीं,
बल्कि वे वास्तव में इस धरती पर अवतरित होकर कार्य करते हैं।
उनका माध्यम हैं — प्रजापिता ब्रह्मा बाबा।
अव्यक्त मुरली – 21 जनवरी 1970:
“यह अद्भुत रथ है जिसमें परमात्मा स्वयं सवार है। यह संगम युग का सबसे शुभ संयोग है।”
इसलिए जब हम बापदादा की श्रीमत पर चल रहे होते हैं,
तो हमारे बीच ईश्वर साक्षात उपस्थित रहते हैं।
उनका रथ — ईश्वर की उपस्थिति का प्रतीक है।
संक्षिप्त सार:
| तत्व | अर्थ |
|---|---|
| शिव बाबा | ड्राइवर |
| ब्रह्मा बाबा | रथ |
| संयुक्त रूप | बापदादा |
| मुरली की वाणी | शिव बाबा की आवाज़ |
| हमारा कर्तव्य | अपने तन को सेवा रथ बनाना |
Disclaimer :
यह वीडियो ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की साकार व अव्यक्त मुरलियों पर आधारित आध्यात्मिक अध्ययन और चिंतन है।
इसका उद्देश्य किसी धर्म या परंपरा की आलोचना नहीं, बल्कि आत्मा-परमात्मा के संबंध को स्पष्ट करना और आध्यात्मिकता की अनुभूति कराना है।
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