एडवांन्स पार्टी का पार्ट सरकारी, औरआकारी और अन्तः वाहक शरीर {06}
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“तीन दिव्य रूप: साकार, आकारी और वाहक शरीर | बाबा के अनुसार Advance Party की गुप्त सेवाएं”
ओम शांति
आज हम चर्चा कर रहे हैं 25 जनवरी 1980 की अव्यक्त मुरली पर, जिसमें बाबा ने Advance Party के विशेष सेवाओं को तीन स्वरूपों में स्पष्ट किया — साकार, आकारी, और अंत में वाहक शरीर।
1. Advance Party के प्रति बाबा के विशेष निर्देश
बाबा समय-समय पर Advance Party को विशेष निर्देश देते रहे हैं। यह मुरली उन्हीं गुप्त सेवाओं की याद दिलाती है, जो हम सभी को अपने role को पहचानने में मदद करती है।
2. तीन प्रकार के सेवा रूप – साकार, आकारी और वाहक शरीर
बाबा ने आज के संदेश में तीन महत्वपूर्ण पार्ट्स बताए:
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साकार रूप – जब आत्मा स्थूल शरीर में सेवा करती है।
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आकारी रूप – जब आत्मा सूक्ष्म वतन से सेवा में रहती है।
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वाहक शरीर – जब कोई आत्मा किसी माध्यम या वाहन द्वारा सेवा करती है, बिना पुनर्जन्म लिए।
यह तीनों ही सेवाएं एक दूसरे से श्रेष्ठ नहीं, बल्कि वैरायटी हैं और अपने-अपने समय पर बेहद महत्वपूर्ण।
3. क्या है संपूर्ण आकारी स्वरूप?
बाबा कहते हैं – “आप सबका संपूर्ण आकारी स्वरूप मेरे पास है।”
हर आत्मा की संपूर्ण पवित्रता और सेवा की परसेंटेज के अनुसार एक दिव्य आकारी स्वरूप बाबा के पास साकार है।
यह प्रेरणादायक बात है कि हम अपने आधिकारिक स्वरूप की अनुभूति करें और उस लक्ष्य तक पहुँचने का पुरुषार्थ करें।
4. ब्रह्मा बाबा का उदाहरण – साकार से आकारी
ब्रह्मा बाबा ने जब साकार देह का परिवर्तन किया, तो वह आकारी रूप में सेवा में लगे रहे। यही संकेत है कि सेवा का माध्यम बदल सकता है, परंतु आत्मा की सेवा नहीं रुकती।
5. कौन सा सेवा रूप श्रेष्ठ?
बाबा स्वयं स्पष्ट करते हैं –
कोई सेवा साकार देह में कर रहा है, कोई आकारी बनकर, कोई वाहक शरीर द्वारा।
महत्व first, second या third का नहीं, वैरायटी पार्ट का है।
हर आत्मा का एक विशेष स्थान और विशेष सेवा पथ है।
6. Advance Party का कार्य – गुप्त पर सक्रिय
बाबा ने कहा – “वो जोर-शोर से अपने प्लान बना रहे हैं।”
Advance Party आज भी subtle रूप में नामी-गिरामी आत्माओं के माध्यम से सेवा में सक्रिय है। ये वो आत्माएं हैं जो समाज में पहचानी जाती हैं, और आध्यात्मिक योजनाओं को यथार्थ रूप देती हैं।
अंतिम प्रेरणा
बाबा के इस दिव्य संदेश से हमें यह बोध होता है कि
“चाहे हम साकार हों, आकारी हों, या वाहक—सेवा निरंतर और श्रेष्ठ होनी चाहिए।”
हर आत्मा का पार्ट महत्वपूर्ण है। बस आवश्यकता है – आत्म-स्वरूप को पहचानने और संपूर्ण बनने की।
प्रश्न 1: Advance Party को लेकर बाबा ने कौन से विशेष निर्देश दिए हैं?
उत्तर:बाबा ने 25 जनवरी 1980 की मुरली में बताया कि Advance Party विशेष आत्माओं की वह टीम है, जो subtle रूप से या शरीर परिवर्तन के बाद सेवा में सक्रिय रहती हैं। ये आत्माएं प्लान बना रही हैं और सूक्ष्म रूप से सेवाओं को यथार्थ रूप देने में लगी हैं।
प्रश्न 2: बाबा ने सेवा के कौन-कौन से तीन स्वरूप बताए हैं?
उत्तर:बाबा ने तीन सेवा स्वरूप बताए हैं:
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साकार रूप – जब आत्मा स्थूल शरीर में सेवा करती है।
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आकारी रूप – जब आत्मा सूक्ष्म वतन से बिना शरीर के सेवा करती है।
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वाहक शरीर – जब आत्मा किसी अन्य के शरीर को माध्यम बनाकर सेवा करती है।
प्रश्न 3: इन तीनों सेवा रूपों में कौन श्रेष्ठ है?
उत्तर:बाबा ने स्पष्ट किया कि इनमें कोई “श्रेष्ठ” या “कमतर” नहीं है। यह सब वैरायटी पार्ट्स हैं। प्रत्येक का अपना समय, महत्व और विशेषता है। साकार, आकारी और वाहक—तीनों का उद्देश्य ईश्वरीय कार्य को सफल बनाना है।
प्रश्न 4: बाबा ने ‘संपूर्ण आकारी स्वरूप’ किसे कहा है?
उत्तर:बाबा कहते हैं: “आप सबका संपूर्ण आकारी स्वरूप मेरे पास है।”
इसका अर्थ है कि बाबा के पास हर आत्मा का एक संपूर्ण, पवित्र, दिव्य और सशक्त सूक्ष्म रूप साकार है। यह रूप आत्मा की योग्यता, सेवा और पवित्रता के अनुसार निर्मित होता है।
प्रश्न 5: ब्रह्मा बाबा के उदाहरण से हमें क्या सीख मिलती है?
उत्तर:ब्रह्मा बाबा ने जब साकार देह का त्याग किया, तब वे आकारी बनकर सेवा में लगे रहे। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि सेवा का माध्यम बदल सकता है, लेकिन सेवा की आत्मा नहीं रुकती। यह निरंतर और अनंत सेवा है।
प्रश्न 6: वाहक शरीर क्या होता है?
उत्तर:वाहक शरीर वह स्थिति है जब कोई आत्मा पुनर्जन्म लिए बिना किसी अन्य शरीर को माध्यम बनाकर सेवा करती है। उदाहरणस्वरूप—किसी का हाथ पकड़कर लेखन कराना, वाणी से संदेश दिलाना इत्यादि।
प्रश्न 7: Advance Party की आज की भूमिका क्या है?
उत्तर:Advance Party subtle रूप से सक्रिय है। बाबा ने कहा है कि वे जोर-शोर से प्लान बना रहे हैं। यह आत्माएं समाज में प्रतिष्ठित होती हैं, और ईश्वरीय सेवा को विशेष रूप में आगे बढ़ा रही हैं—कभी ज्ञान के माध्यम से, कभी विज्ञान, कला, मीडिया या अन्य विधाओं द्वारा।
प्रश्न 8: हमें क्या प्रेरणा लेनी चाहिए इस मुरली से?
उत्तर:हमें यह समझना चाहिए कि:
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सेवा निरंतर और अव्याहत होनी चाहिए।
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हमारा स्वरूप चाहे साकार हो, आकारी हो या वाहक—हमें उसे पहचानकर श्रेष्ठ सेवा में लग जाना चाहिए।
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संपूर्णता और आत्म-परिवर्तन हमारा लक्ष्य हो।
“हर आत्मा एक विशेष यंत्र है। सेवा का माध्यम कुछ भी हो — लक्ष्य है, परमात्मा की कार्यशाला को सफल बनाना।”
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