आदिदेव – ब्रह्मा बाबा से विदाई का दिव्य दृश्य

ब्रह्मा बाबा को हमने फॉलो करना है —
क्योंकि वो ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के टॉप मॉडल हैं।
उनके जीवन में ईश्वर और आत्मा के मिलन का जीता-जागता प्रमाण है।

इसलिए आज हम एक ऐसा दृश्य देखेंगे, जो दिल को छू जाता है —
“ब्रह्मा बाबा से विदाई का समय।”
जहां आत्मा, अपने परमपिता परमात्मा के घर से सेवा के लिए विदा हो रही है।


 सबसे कठिन विदाई — परमात्मा से

बहन शील इंद्रा की touching पंक्तियाँ थीं:
“मधुबन से विदा लेना सबसे कठिन काम है, कौन स्वेच्छा से भगवान को छोड़ेगा?”

जब हम भगवान से साक्षात मिलें, और फिर वहाँ से लौटें —
यह संसार के सबसे भावुक क्षणों में से एक होता है।


 विदाई का भावुक दृश्य

आइए कल्पना करें कि हम मधुबन में हैं।
अब समय है वापस लौटने का।

 मम्मा का प्यार

जब बहनों को विदा करना हुआ,
मम्मा ने उन्हें गले से लगा लिया
क्या कोई उनके आलिंगन से खुद को अलग करना चाहेगा?

 बाबा की शक्ति

बाबा ने भाइयों को प्यार से थपथपाया और कहा —
“ठीक है बेटा, क्या तुम जा रहे हो?”
उस पंक्ति में शक्ति, करुणा और एक मिशन छिपा था।


 मासूम बच्चों की मासूमियत

कुछ बच्चे तो अलमारी में छिप गए,
कुछ बिस्तर के नीचे
क्यों? क्योंकि वो बाबा को छोड़ना नहीं चाहते थे।

जब उन्हें ढूंढ लिया गया, वो रोते हुए कहते:
“नहीं बाबा, हम नहीं जाना चाहते।”


 बाबा का दिव्य प्रोत्साहन

बाबा ने समझाया:
“बाबा तुम्हें विदा नहीं कर रहे — तुम्हें सेवा पर भेज रहे हैं।
दुनिया को शिव बाबा का परिचय देना है।”

 प्रेरणा

“तुम दीपक हो — एक दीपक हज़ारों को रोशनी दे सकता है।
इसलिए बाबा इन दीपकों को दुनिया में भेज रहे हैं।”


 अंतिम गीत और दिव्य विदा

जब सब बच्चे दरवाज़े पर पहुंचे, तो गीत गाया गया:
“जा रहे हैं सेवा के लिए…”
आंखों में ओज था, आंसू नहीं।
बाबा-मम्मा ने सफेद रुमाल हिलाया,
आंखों में चमक थी — प्रेम का जल।

यह मानव और दिव्यता का अद्भुत संगम था।


 विदाई के बाद की अनुभूति

जैसे ही ट्रेन ने मधुबन छोड़ा —
बच्चों ने पीछे देखा…
बाबा और मम्मा अब दिखाई नहीं दे रहे थे।
लेकिन उनकी उपस्थिति,
हमेशा के लिए दिल में अंकित हो गई।

एक आंतरिक फुसफुसाहट:
“हम क्यों चले गए?”
क्योंकि बाबा ने हमें सेवा का मिशन दिया था।


  विदाई नहीं, नई शुरुआत

यह विदाई नहीं थी,
यह सेवा की शुरुआत थी।

बाबा ने कहा था:
“जहां भी याद में सेवा कर रहे हो —
बाबा तुम्हारे साथ है।”


 अंतिम संदेश

अगर आपने मधुबन में उस दिव्य प्रेम की झलक भी अनुभव की है,
तो आप जानते हैं —
धरती पर कोई स्थान ईश्वर के साथ होने से श्रेष्ठ नहीं है।

लेकिन उस प्रेम की सबसे बड़ी सेवा यह है:
उस vibration को दुनिया में फैलाना।
ताकि हर आत्मा एक दिन उस अनुभव को महसूस कर सके।


 विदाई नहीं — याद की शक्ति

चलिए दुख के साथ नहीं,
बल्कि याद और सेवा की शक्ति के साथ।

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