(10)रक्षा’और ‘बंधन’ शब्द केअर्थ में भ्रान्ति-रक्षाबंधन प्रतिज्ञा का पर्व है।
रक्षाबंधन का आध्यात्मिक रहस्य
(दसवां विषय)
1. भूमिका
रक्षा और बंधन — दो ऐसे शब्द हैं जिनके अर्थ को लेकर समय के साथ भ्रांतियां उत्पन्न हो गई हैं।
वास्तव में रक्षाबंधन केवल एक सांस्कृतिक या पारिवारिक त्योहार नहीं, बल्कि प्रतिज्ञा का पर्व है।
2. क्या रक्षाबंधन सिर्फ शारीरिक सुरक्षा का वचन है?
भारत के सबसे सुंदर और सात्विक त्योहारों में से एक है रक्षाबंधन।
यह केवल मिठाइयों, तिलक और राखी तक सीमित नहीं है। इसके पीछे गहन आध्यात्मिक अर्थ छुपा है।
आम धारणा है कि यह भाई-बहन के बीच शारीरिक रक्षा के वचन का दिन है।
लेकिन प्रश्न उठता है — क्या यही इसका मूल उद्देश्य था?
3. भ्रांति का आरंभ – “रक्षा” शब्द का सीमित अर्थ
रक्षा शब्द का अर्थ केवल शारीरिक सुरक्षा मान लेना एक भूल है।
संस्कृत और आध्यात्मिक संदर्भों में रक्षा के कई अर्थ मिलते हैं —
(क) रहस्य रक्षा
“रहस्यम रक्षति” — किसी गुप्त बात या ज्ञान को मन में संजोकर रखना।
यह ज्ञान की रक्षा है, न कि शरीर की।
(ख) धन की रक्षा
संकट के समय के लिए धन को बचाकर रखना।
(ग) रक्षा प्रदीप
प्राचीन काल में दीपक जलाकर मानसिक भय और बुरी शक्तियों से रक्षा के लिए रखा जाता था, न कि बाहरी हमलों से।
बाबा (21 अगस्त 1970 की मुरली) कहते हैं —
“मैं तुम्हारी आत्मा की रक्षा के लिए आता हूं, देह की नहीं।”
4. “बंधन” शब्द का गूढ़ अर्थ
बंधन का पहला अर्थ गुलामी है, लेकिन इसके अन्य भावनात्मक, मानसिक और आत्मिक अर्थ भी हैं।
(क) आशा बंधना
यहां बंधन का अर्थ रस्सी नहीं, बल्कि मन का संकल्प है।
(ख) कानून का बंधन
नागरिक संविधान से बंधे होते हैं — यह मर्यादा और नियम का बंधन है।
मुरली (15 अगस्त 1974) —
“बंधन को नहीं तोड़ना है, यह बेहद का रक्षा सूत्र है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है।”
5. असली अर्थ — आत्मा का परमात्मा से बंधन
रक्षाबंधन का असली अर्थ है —
आत्मा का परमात्मा से पवित्र बंधन और उस बंधन की रक्षा।
यह एक संकल्प है कि —
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हम आत्मा स्वरूप में रहेंगे।
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पवित्रता में रहेंगे।
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परमात्मा की आज्ञा अनुसार जीवन जिएंगे।
मुरली (7 अगस्त 1984) —
“रक्षाबंधन पर्व आत्मा को परमात्मा से बांधने की निशानी है, यह पवित्रता की डोर है।”
6. राखी का मूल रूप
आज की हाथ में बांधी जाने वाली राखी का मूल स्वरूप था —
परमात्मा शिव द्वारा आत्मा को प्रतिज्ञा पत्र बांधना —
“अब मैं तुम्हारा हूं और तुम मेरे।”
मुरली (3 अगस्त 1983) —
“बाबा, अब मैं आपके साथ पवित्रता के बंधन में सदा-सर्वदा बंधती हूं।”
7. क्या बच्चों को भी रक्षाबंधन?
यदि यह केवल शारीरिक सुरक्षा के लिए होता, तो 3 साल की बहन 2 साल के भाई को क्यों राखी बांधती?
वास्तव में यह परंपरा भावना, आत्मिक प्रेम, संबंध और संकल्प का प्रतीक है।
8. निष्कर्ष
रक्षाबंधन = आत्मा की रक्षा का बंधन
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रक्षा = आत्मा की रक्षा
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बंधन = परमात्मा से जुड़ने की प्रतिज्ञा
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राखी = पवित्रता का संकल्प
भाई = हर आत्मा जो रक्षा का भाव रखे।
बहन = हर आत्मा जो पवित्रता का संदेश दे।
मुरली (18 अगस्त 1972) —
“रक्षाबंधन पर्व शारीरिक नहीं, आत्मिक बंधन का त्यौहार है।
यह तुम्हारी प्रतिज्ञा का दिन है।
अब देह भान नहीं, केवल देही भान।”
रक्षाबंधन का आध्यात्मिक रहस्य
(दसवां विषय)
प्र.1 — रक्षाबंधन का वास्तविक स्वरूप क्या है?
उ. यह केवल सांस्कृतिक या पारिवारिक त्योहार नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के बीच प्रतिज्ञा का पर्व है।
प्र.2 — क्या रक्षाबंधन सिर्फ शारीरिक सुरक्षा का वचन है?
उ. नहीं। इसका मूल उद्देश्य आध्यात्मिक सुरक्षा और पवित्रता का संकल्प है।
प्र.3 — “रक्षा” शब्द का केवल शारीरिक अर्थ क्यों गलत है?
उ. क्योंकि संस्कृत और आध्यात्मिक संदर्भों में रक्षा के कई अर्थ हैं —
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रहस्य रक्षा — ज्ञान को संजोकर रखना।
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धन की रक्षा — संकट के समय के लिए बचाकर रखना।
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रक्षा प्रदीप — मानसिक भय और बुरी शक्तियों से सुरक्षा।
प्र.4 — बाबा रक्षा के बारे में क्या कहते हैं?
उ. मुरली (21 अगस्त 1970) —
“मैं तुम्हारी आत्मा की रक्षा के लिए आता हूं, देह की नहीं।”
प्र.5 — “बंधन” शब्द का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
उ. यह केवल गुलामी नहीं, बल्कि भावनात्मक, मानसिक और आत्मिक मर्यादा या संकल्प है।
प्र.6 — मुरली में बंधन के बारे में क्या कहा गया है?
उ. मुरली (15 अगस्त 1974) —
“बंधन को नहीं तोड़ना है, यह बेहद का रक्षा सूत्र है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है।”
प्र.7 — रक्षाबंधन का असली अर्थ क्या है?
उ. आत्मा का परमात्मा से पवित्र बंधन और उस बंधन की रक्षा —
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आत्मा स्वरूप में रहना।
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पवित्रता में रहना।
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परमात्मा की आज्ञा अनुसार जीवन जीना।
प्र.8 — राखी का मूल रूप क्या था?
उ. परमात्मा शिव द्वारा आत्मा को प्रतिज्ञा पत्र बांधना —
“अब मैं तुम्हारा हूं और तुम मेरे।” (मुरली 3 अगस्त 1983)
प्र.9 — क्या बच्चों को भी रक्षाबंधन बांधना चाहिए?
उ. हाँ, क्योंकि यह केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि भावना, आत्मिक प्रेम, संबंध और संकल्प का प्रतीक है।
प्र.10 — रक्षाबंधन का संक्षिप्त सूत्र क्या है?
उ.
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रक्षा = आत्मा की रक्षा
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बंधन = परमात्मा से जुड़ने की प्रतिज्ञा
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राखी = पवित्रता का संकल्प
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भाई = जो रक्षा का भाव रखे
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बहन = जो पवित्रता का संदेश दे
प्र.11 — मुरली में अंतिम संदेश क्या है?
उ. मुरली (18 अगस्त 1972) —
“रक्षाबंधन पर्व शारीरिक नहीं, आत्मिक बंधन का त्यौहार है।
यह तुम्हारी प्रतिज्ञा का दिन है।
अब देह भान नहीं, केवल देही भान।”
Disclaimer: इस वीडियो में प्रस्तुत सभी विचार, आध्यात्मिक व्याख्याएं और मुरली उद्धरण ब्रह्माकुमारीज़ के आध्यात्मिक ज्ञान और मुरली महावाक्यों पर आधारित हैं। इसका उद्देश्य किसी परंपरा, धर्म या व्यक्ति की आलोचना नहीं, बल्कि शांति, पवित्रता और ईश्वरीय ज्ञान को साझा करना है। कृपया इसे आत्म-कल्याण और रूहानी जागरूकता के दृष्टिकोण से देखें।