(10)Today we will try to understand the method of creating powerful vibrations and divine atmosphere with noble attitude.

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मनसा सेवा-:(10)श्रेष्ठ वृत्ति से बनाओ शक्तिशाली वाइब्रेशन और दिव्य वायुमंडल कैसे बनाएंगे, उसकी विधि को आज हम समझने का प्रयास करेंगे।


अध्याय: श्रेष्ठ वृत्ति से शक्तिशाली वाइब्रेशन और दिव्य वायुमंडल

1. बापदादा का स्नेहिल मिलन

बापदादा से प्रेमपूर्ण मिलन करें।
आज प्रेम और शक्ति के सागर बापदादा अपने स्नेही, सच्चे, लाड़ले बच्चों से मिलने आए।
चाहे बच्चे सम्मुख हों या देश-विदेश में — सभी को स्नेह के आकर्षण से मिलन मना रहे।

मुख्य संदेश:
“अब जल्दी से जल्दी बाप को प्रत्यक्ष करना है।”
लेकिन बापदादा समझाते हैं — पहले स्वयं को बाप समान बनाएं, तब बाप प्रत्यक्ष होगा।


2. वृत्ति क्या है?

बाबा कहते हैं — “वृत्त शब्द बहुत सूक्ष्म है।”
वृत्ति = संस्कारों का परिणाम, जो बाहर संकल्प और व्यवहार के रूप में प्रकट होता है।

उदाहरण:

  • आत्मा में शांति का संस्कार → वृत्ति शांति दायक।

  • अंदर क्रोध या ईर्ष्या → वृत्ति विकारपूर्ण वाइब्रेशन बनाती है।


3. चित्त और वृत्ति में अंतर

चित्त: विचार केवल अंदर हैं, अभी बाहर नहीं आए।
वृत्ति: वही विचार बाहर व्यवहार में प्रकट हो गया, संकल्प से कर्म बन गया।

उदाहरण:

  • अंदर विचार: “मुझे किसी को कठोर उत्तर देना चाहिए या नहीं?” → चित्त।

  • बोल दिया: “तुमसे गलती हुई।” → वृत्ति।

चित्त बदल सकते हैं, वृत्ति बाहर आ गई तो उसका असर स्थायी रूप से वातावरण पर पड़ता है।


4. वृत्ति से वाइब्रेशन और वायुमंडल बनता है

  • जैसा हमारी वृत्ति होगी, वैसा ही वाइब्रेशन बनेगा।

  • शक्तिशाली वाइब्रेशन → दिव्य वायुमंडल।

उदाहरण:

  • घर में एक क्रोधी व्यक्ति → घर भारी और नकारात्मक।

  • शुभ दृष्टि रखने वाला → वही घर मंदिर बन जाता है।


5. वृत्ति — आत्मा का सूक्ष्म तीर

  • जब वृत्ति बाहर निकलती है, वह तीर की तरह होती है।

  • जो निकल गया → वापस नहीं आता।

उदाहरण:

  • बेटी शादी से पहले निर्णय बदल सकती है, पर शादी के बाद लौटना कठिन।

  • वैसे ही वृत्ति का प्रभाव वातावरण पर स्थायी।


6. श्रेष्ठ वृत्ति कैसे बनाएं?

बाबा का मार्ग:

  • पहले अपनी वृत्ति श्रेष्ठ बनाएं।

  • आधार: बाबा की श्रीमत पर चलना।

  • संस्कार श्रीमत के अनुसार → दृष्टि, वाणी, कर्म श्रेष्ठ।

  • परिणाम: शक्तिशाली वाइब्रेशन → दिव्य वायुमंडल।

व्यावहारिक उदाहरण:

  • किसी की गलती देखकर निंदा न करें।

  • सबको सहयोग और शुभभाव से देखें → यही वृत्ति की श्रेष्ठता है।


7. मुरली नोट्स

17 मार्च 2007:
“श्रेष्ठ वृत्ति से बनाओ शक्तिशाली वाइब्रेशन और दिव्य वायुमंडल।”

महत्वपूर्ण उद्धरण:

  • “जो सोचते, बोलते और करते हैं — वे ऊर्जा के रूप में फैलते हैं।”

  • “किसी को प्रेम से देखें → प्रेम का वाइब्रेशन।
    किसे निंदा दृष्टि से देखें → वातावरण दूषित।”


अंतिम संदेश:
यदि हम अपनी वृत्ति श्रेष्ठ बनाएं, तो हमारा वाइब्रेशन शक्तिशाली होगा।
शक्तिशाली वाइब्रेशन से हमारा घर, कार्यालय, समाज और पूरे वायुमंडल दिव्य बन जाएगा।
यही है श्रेष्ठ वृत्ति का रहस्य और दिव्य वाइब्रेशन का मंत्र।

श्रेष्ठ वृत्ति से शक्तिशाली वाइब्रेशन और दिव्य वायुमंडल – Questions & Answers

Q1. बापदादा का स्नेहिल मिलन क्या है और इसका महत्व क्या है?
A: बापदादा से प्रेमपूर्ण मिलन करना हमारी आत्मा को ऊर्जा और शक्ति देता है। चाहे बच्चे सम्मुख हों या देश-विदेश में, सभी स्नेह के आकर्षण से जुड़ते हैं। मुख्य संदेश: “अब जल्दी से जल्दी बाप को प्रत्यक्ष करना है।”
लेकिन बापदादा समझाते हैं कि पहले स्वयं को बाप समान बनाएं, तभी बाप प्रत्यक्ष होगा।


Q2. वृत्ति क्या है और इसे कैसे समझें?
A: वृत्ति संस्कारों का परिणाम है, जो बाहर संकल्प और व्यवहार के रूप में प्रकट होता है।
उदाहरण:

  • आत्मा में शांति का संस्कार → वृत्ति शांति दायक।

  • अंदर क्रोध या ईर्ष्या → वृत्ति विकारपूर्ण वाइब्रेशन बनाती है।


Q3. चित्त और वृत्ति में क्या अंतर है?
A:

  • चित्त: विचार केवल अंदर हैं, अभी बाहर नहीं आए।

  • वृत्ति: वही विचार बाहर व्यवहार में प्रकट हो गया।

उदाहरण:

  • अंदर विचार: “मुझे किसी को कठोर उत्तर देना चाहिए या नहीं?” → चित्त।

  • बोल दिया: “तुमसे गलती हुई।” → वृत्ति।

चित्त बदला जा सकता है, लेकिन वृत्ति बाहर आ गई तो उसका असर स्थायी रूप से वातावरण पर पड़ता है।


Q4. वृत्ति से वाइब्रेशन और वायुमंडल कैसे बनता है?
A: जैसी हमारी वृत्ति होगी, वैसा ही वाइब्रेशन बनता है। शक्तिशाली वाइब्रेशन → दिव्य वायुमंडल।

उदाहरण:

  • घर में क्रोधी व्यक्ति → घर भारी और नकारात्मक।

  • शुभ दृष्टि रखने वाला → वही घर मंदिर बन जाता है।


Q5. वृत्ति को “आत्मा का सूक्ष्म तीर” क्यों कहा गया है?
A: जब वृत्ति बाहर निकलती है, वह तीर की तरह होती है। जो निकल गया, वह वापस नहीं आता।

उदाहरण:

  • बेटी शादी से पहले निर्णय बदल सकती है, पर शादी के बाद लौटना कठिन।

  • वैसे ही वृत्ति का प्रभाव वातावरण पर स्थायी रूप से रहता है।


Q6. श्रेष्ठ वृत्ति कैसे बनाई जा सकती है?
A:

  • पहले अपनी वृत्ति श्रेष्ठ बनाएं।

  • आधार: बाबा की श्रीमत पर चलना।

  • संस्कार श्रीमत अनुसार → दृष्टि, वाणी, कर्म श्रेष्ठ।

  • परिणाम: शक्तिशाली वाइब्रेशन → दिव्य वायुमंडल।

व्यावहारिक उदाहरण:

  • किसी की गलती देखकर निंदा न करें।

  • सबको सहयोग और शुभभाव से देखें → यही वृत्ति की श्रेष्ठता है।


Q7. मुरली नोट्स क्या कहते हैं?
A: 17 मार्च 2007 की मुरली में कहा गया:
“श्रेष्ठ वृत्ति से बनाओ शक्तिशाली वाइब्रेशन और दिव्य वायुमंडल।”

महत्वपूर्ण उद्धरण:

  • “जो सोचते, बोलते और करते हैं — वे ऊर्जा के रूप में फैलते हैं।”

  • “किसी को प्रेम से देखें → प्रेम का वाइब्रेशन।
    किसे निंदा दृष्टि से देखें → वातावरण दूषित।”


Q8. अंतिम संदेश क्या है?
A: यदि हम अपनी वृत्ति श्रेष्ठ बनाएं, तो हमारा वाइब्रेशन शक्तिशाली होगा।
शक्तिशाली वाइब्रेशन से हमारा घर, कार्यालय, समाज और पूरे वायुमंडल दिव्य बन जाएगा।
यही है श्रेष्ठ वृत्ति का रहस्य और दिव्य वाइब्रेशन का मंत्र।

Disclaimer

यह वीडियो ब्रह्माकुमारी बापदादा द्वारा दिए गए आध्यात्मिक मार्गदर्शन और 17 मार्च 2007 की अव्यक्त मुरली के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें साझा किए गए ज्ञान का उद्देश्य केवल आध्यात्मिक प्रगति और दिव्य वातावरण निर्माण में सहायता करना है।

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