(11) Angel Soul: How does inspiration reach souls without being present?

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(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

फरिश्ता स्थिति:(11)फरिश्ताआत्मा: बिना उपस्थित हुए भी आत्माओं तक प्रेरणा कैसे पहुंचती है?

अध्याय: फरिश्ता सेवा और सिद्धि की शक्ति

प्रस्तावना

हमने पहले नौ पॉइंट्स में फरिश्ता सिद्धि की चर्चा की थी कि फरिश्ता कैसे सिद्ध होता है। अब इस अध्याय में हम दसवें और ग्यारहवें पॉइंट पर ध्यान देंगे: फरिश्ता सेवा कैसे करता है और बिना उपस्थित हुए आत्माओं तक प्रेरणा कैसे पहुँचती है।

आज हर कोई प्रेरणा की तलाश करता है। बाबा कहते हैं कि फरिश्ता आत्मा इतनी शक्तिशाली होती है कि वो उपस्थित हुए बिना भी आत्माओं के हृदय में प्रेरणा पहुँचा देती है।
(अव्यक्त मुरली, 21 जनवरी 1969)


 देह आधारित सेवा बनाम सिद्धि की सेवा

सारांश:

  • देह आधारित सेवा: शब्दों, क्रियाओं और शरीर के माध्यम से की जाती है।

  • सिद्धि की सेवा: आत्मा की शक्ति और संकल्प से की जाती है, जिसकी कोई सीमा नहीं।

मुरली उदाहरण:
“शब्दों से की गई सेवा सीमित है। परंतु सिद्धि और संकल्प से की गई सेवा असीमित है।”
(साकार मुरली, 7 जुलाई 1969)

उदाहरण:
जैसे रेडियो सिग्नल दिखाई नहीं देता, लेकिन दूर-दूर तक अपने रेडियो सेट से सुना जा सकता है। वैसे ही सिद्ध आत्मा की सेवा दूरदूर तक आत्माओं तक पहुँचती है।


 प्रेरणा की शक्ति – मौन सेवा

सारांश:

  • मौन सेवा बिना बोले, केवल अपनी स्थिति और शक्ति से की जाती है।

  • लाखों आत्माओं को शांति और शक्ति का अनुभव कराती है।

मुरली उदाहरण:
“फरिश्ता आत्मा की मौन स्थिति इतनी शक्तिशाली होती है कि लाखों आत्माओं को शांति और शक्ति का अनुभव कराती।”
(अव्यक्त मुरली, 5 मई 1970)

व्यक्तिगत उदाहरण:
दादी जानकी का अनुभव: उन्होंने स्टेज पर सिर्फ बैठकर और ओम शांति कहकर सभी को प्रभावित किया। कोई भाषण नहीं, केवल मौन वाइब्रेशन से लाखों आत्माओं को प्रेरणा मिली।

सादृश्य:
जैसे दीपक बिना बोले अंधकार दूर करता है, वैसे ही फरिश्ता आत्मा अपनी मौन स्थिति से प्रेरणा फैलाती है।


 बाबा की याद की लहरें – प्रेरणा के स्रोत

सारांश:

  • जो आत्मा बाबा की सच्ची याद में रहती है, उसकी वाइब्रेशन से अन्य आत्माएं प्रेरित होती हैं।

  • यह सेवा भविष्य के लिए भी आधार बनाती है।

मुरली उदाहरण:
“जो आत्मा बाबा की सच्ची याद में रहती है, उसके वाइब्रेशन से आत्माएं खींच कर आती हैं और प्रेरणा पाती हैं।”
(साकार मुरली, 19 अगस्त 1968)

उदाहरण:
जैसे चुंबक लोहे को खींचता है, वैसे ही याद की शक्ति आत्माओं को आकर्षित करती और हृदय तक पहुँचती है।


 बिना उपस्थित हुए सेवा

सारांश:

  • सिद्ध आत्मा अपने संकल्प और स्थिति से दूर बैठे आत्माओं तक प्रेरणा भेज सकती है।

  • यह सेवा किसी रेडियो या टेलीफोन की तरह काम करती है; केवल स्थिति और संकल्प महत्वपूर्ण हैं।

मुरली उदाहरण:
“तुम्हें वहां जाकर कुछ करने की जरूरत नहीं। आप यहां से ही उस आत्मा को वाइबेशंस देंगे। केवल अपनी स्थिति उन्नत बनाओ।”
(अव्यक्त मुरली, 16 अप्रैल 1975)

उदाहरण:
बादल बरसते हैं तो हर खेत में पानी पहुँचता है, चाहे किसान बुलाए या ना बुलाए। वैसे ही फरिश्ता आत्मा का वाइब्रेशन हर आत्मा तक पहुँचता है।


 प्रेरणा सेवा का भविष्य

सारांश:

  • संगम युग की प्रेरणा सेवा भविष्य में देवताओं की प्राकृतिक शक्ति का आधार है।

  • आज जो दिव्य स्थिति बनाएँगे, वही भविष्य में शुद्ध हवा, पानी और वातावरण बनाएगी।

मुरली उदाहरण:
“संगम युग की प्रेरणा सेवा ही भविष्य में देवताओं की प्राकृतिक शक्ति का आधार है।”
(साकार मुरली, 12 नवंबर 1969)

उदाहरण:
यदि आत्मा की स्थिति पवित्र है, तो उसका संकल्प प्रकृति को भी अपने अनुसार चलाएगा। यही भविष्य में देवताओं का निर्माण करेगा।


निष्कर्ष

  • फरिश्ता आत्मा अपनी शक्ति, स्थिति और संकल्प से बिना उपस्थित हुए भी प्रेरणा पहुँचाती है।

  • यह सेवा मौन, सिद्धि और बाबा की याद की लहरों के माध्यम से होती है।

  • भविष्य में यह सेवा देवताओं और प्राकृतिक शक्ति का आधार बनती है।

सादृश्य:
जैसे रेडियो या चुंबक अपने प्रभाव से दूर-दूर तक पहुँचते हैं, वैसे ही फरिश्ता आत्मा के वाइब्रेशन और संकल्प दूर बैठे आत्माओं तक प्रेरणा पहुँचाते हैं।

 डिस्क्लेमर:यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ की मुरली, आध्यात्मिक ज्ञान और व्यक्तिगत मंथन पर आधारित है।
इसका उद्देश्य केवल आत्मिक जागृति, प्रेरणा और शांति का अनुभव कराना है।
यह किसी भी धर्म, मत या व्यक्ति की आलोचना नहीं है। कृपया इसे ईश्वरीय दृष्टि से आत्म कल्याण के लिए देखें।

देह आधारित सेवा और सिद्धि की सेवा में क्या अंतर है?

उत्तर:

  • देह आधारित सेवा: यह सेवा शब्दों, भाषण या कार्यों के द्वारा होती है। इसमें सीमा है।

  • सिद्धि की सेवा: यह सेवा आत्मा की संकल्प-शक्ति और स्थिति से होती है। इसकी कोई सीमा नहीं।

मुरली प्रमाण:
“शब्दों से की गई सेवा सीमित है। परंतु सिद्धि और संकल्प से की गई सेवा असीमित है।”
(साकार मुरली, 7 जुलाई 1969)

उदाहरण:
जैसे रेडियो का सिग्नल दिखाई नहीं देता, परंतु दूर-दूर तक रेडियो सेट पर सुनाई देता है। वैसे ही सिद्ध आत्मा की सेवा दूर-दूर तक आत्माओं तक पहुँचती है।


Q2: मौन सेवा की शक्ति क्या है?

उत्तर:
मौन सेवा बिना बोले केवल स्थिति और वाइब्रेशन से होती है। इसमें आत्मा लाखों आत्माओं को शांति और शक्ति का अनुभव कराती है।

मुरली प्रमाण:
“फरिश्ता आत्मा की मौन स्थिति इतनी शक्तिशाली होती है कि लाखों आत्माओं को शांति और शक्ति का अनुभव कराती।”
(अव्यक्त मुरली, 5 मई 1970)

उदाहरण:
दादी जानकी केवल मौन में बैठकर हॉल भर आत्माओं को शांति का अनुभव करा देती थीं। कोई भाषण नहीं, केवल वाइब्रेशन से सेवा।

सादृश्य:
जैसे दीपक बिना बोले अंधकार दूर करता है, वैसे ही फरिश्ता आत्मा अपनी मौन स्थिति से प्रेरणा फैलाती है।


Q3: बाबा की याद की लहरें आत्माओं को कैसे प्रेरित करती हैं?

उत्तर:
जो आत्मा सच्चे दिल से बाबा की याद में रहती है, उसकी वाइब्रेशन चुंबक की तरह आत्माओं को खींच लेती है और प्रेरणा देती है।

मुरली प्रमाण:
“जो आत्मा बाबा की सच्ची याद में रहती है, उसके वाइब्रेशन से आत्माएं खींच कर आती हैं और प्रेरणा पाती हैं।”
(साकार मुरली, 19 अगस्त 1968)

उदाहरण:
जैसे चुंबक लोहे को खींच लेता है, वैसे ही बाबा की याद में स्थित आत्मा का संकल्प अन्य आत्माओं के हृदय को खींच लेता है।


Q4: क्या फरिश्ता आत्मा बिना उपस्थित हुए भी सेवा कर सकती है?

उत्तर:
हाँ। फरिश्ता आत्मा अपनी स्थिति और संकल्प की शक्ति से दूर बैठे आत्माओं तक प्रेरणा भेज सकती है।

मुरली प्रमाण:
“तुम्हें वहां जाकर कुछ करने की जरूरत नहीं। आप यहां से ही उस आत्मा को वाइबेशंस देंगे। केवल अपनी स्थिति उन्नत बनाओ।”
(अव्यक्त मुरली, 16 अप्रैल 1975)

उदाहरण:
जैसे बादल बरसते हैं तो हर खेत में पानी पहुँचता है चाहे किसान बुलाए या न बुलाए। वैसे ही फरिश्ता आत्मा के वाइब्रेशन हर आत्मा तक पहुँचते हैं।


Q5: प्रेरणा सेवा भविष्य में क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर:
संगम युग की प्रेरणा सेवा ही भविष्य में देवताओं की प्राकृतिक शक्ति का आधार बनती है। आज जो दिव्य संकल्प और पवित्र स्थिति बनाएँगे, वही सतयुग में शुद्ध हवा, पानी और वातावरण का आधार बनेगा।

मुरली प्रमाण:
“संगम युग की प्रेरणा सेवा ही भविष्य में देवताओं की प्राकृतिक शक्ति का आधार है।”
(साकार मुरली, 12 नवंबर 1969)

उदाहरण:
यदि आत्मा की स्थिति पवित्र है तो उसका संकल्प प्रकृति को भी अपने अनुसार चलाता है। यही संस्कार भविष्य में देवताओं को प्रकृति-पति बनाता है।


निष्कर्ष

  • फरिश्ता आत्मा बिना उपस्थित हुए भी प्रेरणा देती है।

  • मौन सेवा, बाबा की याद की लहरें और सिद्धि की शक्ति से यह सेवा संभव है।

  • यही शक्ति भविष्य में देवताओं और प्रकृति की दिव्यता का आधार बनेगी।

सादृश्य:
जैसे रेडियो या चुंबक बिना सीधे संपर्क के दूर तक प्रभाव डालते हैं, वैसे ही फरिश्ता आत्मा की स्थिति और संकल्प आत्माओं तक प्रेरणा पहुँचा देते हैं।

डिस्क्लेमर:यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ की मुरली, आध्यात्मिक ज्ञान और व्यक्तिगत मंथन पर आधारित है।
इसका उद्देश्य केवल आत्मिक जागृति, प्रेरणा और शांति का अनुभव कराना है।
यह किसी भी धर्म, मत या व्यक्ति की आलोचना नहीं है। कृपया इसे ईश्वरीय दृष्टि से आत्म कल्याण के लिए देखें।

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