(11)After birth, does the soul of Shri Krishna come to the subtle world to play the role of Brahma and Shankar?

(11)श्री कृष्ण की आत्मा जन्म लेने के बाद ब्रह्मा और शंकर का पार्ट बजाने अव्यक्त वतन में आती हैं?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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श्रीकृष्ण की आत्मा, देह त्यागने के बाद क्या ब्रह्म और शंकर का रोल बजाने के लिए अव्यक्त वतन में आती है?”

स्नेह और शांति भरी वाणी में]

ब्रह्मा कुमारियों के ज्ञान में यह स्पष्ट है —
आत्मा एक है।
वही आत्मा, समय अनुसार विभिन्न रोल निभाती है।

कभी श्रीकृष्ण,कभी ब्रह्मा,और फिर शंकर।

संगम युग पर यह एक विशेष संगम होता है —
जहां तीनों देवता तुल्य कार्य
एक ही आत्मा द्वारा संचालित होते हैं,
लेकिन समय और अवस्था अनुसार।

जब तक श्रीकृष्ण की आत्मा,
प्रजापिता ब्रह्मा के रूप में स्थूल शरीर में थी,
तब तक वह स्थापना का कार्य कर रही थी।
जब वह कार्य पूर्ण हुआ,
तो वही आत्मा अब अव्यक्त वतन से शंकर रूप का कार्य करती है।

जैसे कोई नया घर बनाना हो,
तो सबसे पहले उसे तैयार किया जाता है,
फिर पुराना गिराया जाता है,
और फिर नया बनाया जाता है।

ठीक वैसे ही —
ब्रह्मा के रूप में नई दुनिया की स्थापना की तैयारी,
शंकर के रूप में पुरानी दुनिया के विनाश की प्रक्रिया,
और विष्णु के रूप में नई दुनिया की रचना का आरंभ

आज के वैज्ञानिक,
अपने-अपने अनुसंधानों में विनाश के साधन तैयार कर रहे हैं।
कौन प्रेरणा देता है उन्हें?
शंकर रूप से वही आत्मा।
कोई नाग या त्रिशूल वाला रूप नहीं होता —
बल्कि एक अव्यक्त शक्तिशाली संकल्प द्वारा।

🌍और जब विनाश पूर्ण होता है,
तो वही आत्मा विष्णु रूप से
सत्ययुग की रचना का कार्य करती है।

इन तीनों रोल्स —
ब्रह्मा, शंकर, और विष्णु
आज एक साथ संगम युग पर
ब्रह्मा बाबा की आत्मा द्वारा निभाए जा रहे हैं।

हम सभी आत्माओं में भी यह तीनों शक्तियाँ छिपी हैं।
बस हमें अपने अंदर छुपे उस त्रिमूर्ति स्वरूप को जानना है।

जैसे दादी प्रकाशमणि जी ने एक बार कहा —
“मैं अपने शरीर को विश्राम देती हूं,
और फिर सेवा के लिए बाहर जाती हूं।”

इसी तरह, श्रीकृष्ण की आत्मा भी
देह छोड़ने के बाद
अव्यक्त सेवा के लिए कार्यरत रहती है।

यदि आप इस रहस्य को और गहराई से समझना चाहते हैं,
तो निकटतम प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवाकेंद्र पर संपर्क करें।
जहां आत्मज्ञान की रोशनी से
आप अपने स्वरूप को पहचान सकते हैं।

शीर्षक:

श्रीकृष्ण की आत्मा देह त्यागने के बाद कहाँ जाती है? क्या वह ब्रह्म और शंकर का रोल निभाती है?

प्रश्न 1:क्या श्रीकृष्ण की आत्मा देह त्यागने के बाद कोई और रोल निभाती है?

उत्तर:हाँ, ब्रह्मा कुमारियों के ज्ञान अनुसार, आत्मा एक ही होती है। समय और अवस्था अनुसार, वही आत्मा श्रीकृष्ण, ब्रह्मा और फिर शंकर का रोल निभाती है। संगम युग पर यह आत्मा त्रिमूर्ति के कार्यों को एक-एक कर पूरा करती है।

प्रश्न 2:ब्रह्मा, शंकर और विष्णु के रोल्स एक आत्मा कैसे निभा सकती है?

उत्तर:यह तीनों रोल्स समय अनुसार आत्मा की अवस्था के अनुसार होते हैं।

  • ब्रह्मा रूप से स्थापना की तैयारी,

  • शंकर रूप से विनाश की प्रेरणा,

  • और विष्णु रूप से नई दुनिया की रचना।
    ये कार्य संगम युग पर समानांतर रूप से चलते हैं, अव्यक्त स्थिति में।

प्रश्न 3:शंकर का कार्य आत्मा कैसे करती है जब वह दिखाई ही नहीं देती?

उत्तर:शंकर कोई भौतिक रूप नहीं है। वह आत्मा अव्यक्त रूप से शक्तिशाली संकल्पों के द्वारा वैज्ञानिकों को प्रेरणा देती है — जिससे विनाश के साधन तैयार होते हैं। यह भूमिका सांकेतिक और संकल्प-आधारित होती है, नाग-जटा नहीं होती।

प्रश्न 4:क्या श्रीकृष्ण की आत्मा अभी भी सेवा में लगी हुई है?

उत्तर:हाँ। जैसे दादी प्रकाशमणि ने बताया — “मैं अपने शरीर को विश्राम देकर सेवा में जाती हूँ,” उसी तरह श्रीकृष्ण की आत्मा भी देह त्याग कर अव्यक्त रूप से ईश्वरीय सेवा में लगी हुई है।


प्रश्न 5:इन तीनों देवता रूपों का संगम कहाँ और कब होता है?

उत्तर:इन तीनों का संगम संगम युग पर होता है — जब श्रीकृष्ण की आत्मा ब्रह्मा के रूप में आती है, फिर शंकर का कार्य करती है और अंत में विष्णु की रचना के लिए मार्ग प्रशस्त करती है।

प्रश्न 6:हम सामान्य आत्माओं से इसका क्या संबंध है?

उत्तर:हम सभी आत्माओं में ब्रह्मा, शंकर और विष्णु जैसी तीनों शक्तियाँ हैं।
हमें केवल आत्म-जागृति द्वारा इन्हें पहचानना है और ईश्वरीय सेवा में लगाना है।


प्रश्न 7:यदि हमें यह ज्ञान गहराई से समझना हो तो क्या करें?

उत्तर:आप प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के नज़दीकी सेवाकेंद्र से संपर्क करें। वहां आपको आत्मा, परमात्मा और समय चक्र का राज़ सहजता से समझाया जाएगा।

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