शिवबाबा :ब्रह्मा बाबा का रिश्ता-(12)ब्रह्मा ही आदम है और ब्रह्मा ही इव भी।
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
अध्याय : ब्रह्मा ही आदम हैं और ब्रह्मा ही इव भी
प्रस्तावना: एक अद्भुत रहस्य
दुनिया के लगभग हर धर्म में “पहले पुरुष और पहली स्त्री” की कथा मिलती है —
कहीं उन्हें कहा गया आदम–हवा,
कहीं मनु–श्रद्धा,
कहीं ब्रह्मा–सरस्वती,
और कहीं आदि पुरुष–आदि शक्ति।
परंतु ईश्वरीय ज्ञान का रहस्य इससे भी गहरा है।
ब्रह्मा कुमारी ज्ञान कहता है —
ब्रह्मा ही आदम हैं और ब्रह्मा ही इव भी हैं।
1. “आदम” शब्द का अर्थ — प्रथम मनुष्य
“आदम” (Adam) शब्द हिब्रू भाषा से आया है, जिसका अर्थ है —
“पहला मनुष्य” या “First Human Being”।
यानी वह आत्मा जो सबसे पहले इस सृष्टि पर अवतरित होती है।
साकार मुरली 5 मार्च 1969
“मैं ब्रह्मा के द्वारा मनुष्य सृष्टि रचता हूँ।
यह है प्रथम पूर्ण मनुष्य। ब्रह्मा ही प्रजापिता।”
इस प्रकार ब्रह्मा बाबा ही वे पहले मानव (Adam) हैं जिनसे नई सृष्टि — ब्रह्मण कुल — प्रारम्भ होती है।
उदाहरण:
जिस प्रकार किसी परिवार की पहली पीढ़ी वह होती है जो वंश की शुरुआत करती है,
उसी प्रकार ब्रह्मा बाबा इस नई “ईश्वरीय परिवार” के आदि पुरुष हैं।
2. “इव” शब्द का अर्थ — जीवन की जननी
“ईव” (Eve) शब्द हिब्रू शब्द “Chavah” से लिया गया है,
जिसका अर्थ है — “जीवन” या “जीवित प्राणियों की माता”।
बाइबल में कहा गया —
“आदम ने अपनी पत्नी का नाम ईव रखा क्योंकि वह सभी जीवितों की माता थी।”
अब सोचिए —
ब्रह्मा बाबा ही वह हैं जिनके मुख से ज्ञान के माध्यम से सभी आत्माओं का नवजन्म हुआ।
हम सब उनके मुख-वंशावली हैं — इसलिए वे ही सबकी मां (Eve) बने।
3. ‘ब्रह्मा’ शब्द का गूढ़ अर्थ
“ब्रह्मा” शब्द में ही छिपा है यह रहस्य —
‘ब्र’ + ‘मा’ = बड़ी मां।
अर्थात वह आत्मा जो सबकी भाग्य विधाता मां बनती है।
धीरे-धीरे “बड़ी मां” शब्द विकृत होकर “बेमाता”, “बह्माता”, “छठी मैया” आदि रूपों में प्रचलित हुआ।
साकार मुरली 3 जून 1970:
“शिव बाबा तो बीजरूप बाप है।
ब्रह्मा है माध्यम — जो मातृ रूप में संतान को जन्म देता है।
इसलिए ब्रह्मा को कहा जाता है मां-बाप।”
4. क्यों ब्रह्मा हैं मां और बाप दोनों?
शिव बाबा निराकार हैं — उनका अपना शरीर नहीं।
सृष्टि रचना के लिए उन्हें एक माध्यम (रथ) चाहिए था —
वह बने दादा लेखराज, जो आगे चलकर प्रजापिता ब्रह्मा कहलाए।
शिव बाबा ने उनके द्वारा ज्ञान का बीज डाला।
ब्रह्मा बाबा ने उस ज्ञान को पोषण देकर आगे बढ़ाया।
इसलिए वे बने —
“मां और बाप दोनों।”
5. आध्यात्मिक अर्थ: एडम और ईव — एक ही आत्मा
-
आदम (आदि पुरुष) — वह आत्मा जिसने सबसे पहले परमात्मा का ज्ञान स्वीकार किया।
-
ईव (आदि शक्ति) — वही आत्मा जो उस ज्ञान से अन्य आत्माओं को जन्म देती है।
इस प्रकार एक ही आत्मा दो भूमिकाएं निभाती है — आदि पुरुष और आदि शक्ति।
साकार मुरली 25 अप्रैल 1968:
“शिव बाप है पारलौकिक पिता,
ब्रह्मा है अलौकिक मात-पिता।
उनके मुख से ही ब्राह्मण रचना निकलती है।”
6. जगदंबा का विस्तार — ईव का प्रकट रूप
ब्रह्मा बाबा ने माताओं को आगे बढ़ाया।
उन माताओं की प्रतिनिधि बनीं — मम्मा जगदंबा सरस्वती।
वे बनीं ज्ञान और योग की मूर्ति।
अव्यक्त मुरली 24 जनवरी 1979:
“ब्रह्मा द्वारा माताओं की रचना हुई।
इसलिए माताएं अग्रसर हैं।
जगदंबा ही माताओं की मुख्य प्रतिनिधि है।”
इसलिए कहा जा सकता है —
“ईव का बीज ब्रह्मा में है, और उसका विस्तार जगदंबा में।”
7. छठी मैया का रहस्य — भाग्य विधाता ब्रह्मा
“छठी मैया” की लोककथा वास्तव में संकेत है —
कि ब्रह्मा बाबा ही भाग्य लिखने वाले “बड़ी मां” हैं।
क्योंकि शिव बाबा (ज्ञान सूर्य) उनके माध्यम से ही आत्माओं का भाग्य लिखते हैं।
यही कारण है कि ब्रह्मा को कहा गया — ‘भाग्य विधाता’ और ‘सृष्टि माता’।
8. दो पिता — एक पारलौकिक और एक अलौकिक
-
शिव बाबा — पारलौकिक पिता (Supreme Father)
-
ब्रह्मा बाबा — अलौकिक मात-पिता (Spiritual Parent)
हम सब आत्माएँ “शिववंशी ब्राह्मण” हैं, क्योंकि हमें ब्रह्मा माता के मुख से adopt किया गया।
अव्यक्त मुरली 5 फरवरी 1979:
“शिव बाप तो निराकार हैं,
ब्रह्मा ही है साकार माध्यम —
जिसने ईश्वरीय रचना को जन्म दिया।”
9. निष्कर्ष: एक आत्मा, दो रूप
-
ब्रह्मा बाबा ही सृष्टि के प्रथम पुरुष (Adam) हैं।
-
और वही सृष्टि की प्रथम मां (Eve) भी हैं।
-
शिव बाबा है परम बीज — प्रेरणादायक पिता।
-
ब्रह्मा बाबा हैं वह आत्मा जिसके द्वारा ज्ञान-सृष्टि का आरंभ हुआ।
इसलिए कहा गया —
“ब्रह्मा ही आदम हैं और ब्रह्मा ही इव भी।”
“सृष्टि का पिता भी ब्रह्मा, सृष्टि की मां भी ब्रह्मा।”
10. समापन: आदि पुरुष और आदि शक्ति का मिलन
आदि पुरुष ब्रह्मा ने परमात्मा की आज्ञा से
आदि शक्ति जगदंबा के रूप में सृष्टि को जन्म दिया।
यही सच्चा रहस्य है —
एडम और ईव दोनों एक आत्मा के दो रूप हैं — ब्रह्मा के।
मुख्य मुरली संदर्भ (with dates)
| Murli Date | Type | Murli Point Summary |
|---|---|---|
| 5 मार्च 1969 | साकार | “मैं ब्रह्मा द्वारा मनुष्य सृष्टि रचता हूं। ब्रह्मा ही प्रजापिता।” |
| 3 जून 1970 | साकार | “शिव बाबा बीज रूप बाप है, ब्रह्मा मातृ रूप में संतान को जन्म देता है।” |
| 25 अप्रैल 1968 | साकार | “शिव बाप पारलौकिक पिता, ब्रह्मा अलौकिक मात-पिता।” |
| 24 जनवरी 1979 | अव्यक्त | “ब्रह्मा द्वारा माताओं की रचना हुई। जगदंबा ही मुख्य प्रतिनिधि।” |
| 5 फरवरी 1979 | अव्यक्त | “ब्रह्मा माध्यम है, शिव निराकार है — ब्रह्मा द्वारा रचना होती है।” |
प्रश्न 1: “आदम” शब्द का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर:
“आदम” (Adam) शब्द हिब्रू भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है — “पहला मनुष्य” या “First Human Being”।
यह वही आत्मा है जो सृष्टि पर सबसे पहले अवतरित होती है और नई मानव रचना की शुरुआत करती है।
मुरली संदर्भ (5 मार्च 1969):
“मैं ब्रह्मा के द्वारा मनुष्य सृष्टि रचता हूँ। यह है प्रथम पूर्ण मनुष्य। ब्रह्मा ही प्रजापिता।”
अर्थ:
ब्रह्मा बाबा ही प्रथम मानव (Adam) हैं जिनसे नई सृष्टि — ब्राह्मण कुल — प्रारम्भ होती है।
प्रश्न 2: “ईव” शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर:
“ईव” (Eve) शब्द हिब्रू शब्द ‘Chavah’ से निकला है, जिसका अर्थ है — “जीवन” या “सभी जीवितों की माता”।
बाइबल में लिखा है —
“आदम ने अपनी पत्नी का नाम ईव रखा क्योंकि वह सभी जीवितों की माता थी।”
ईश्वरीय अर्थ:
ब्रह्मा बाबा के मुख से ज्ञान के द्वारा सभी आत्माओं का पुनर्जन्म हुआ,
इसलिए वे ही सबकी “मां” (Eve) बने — मुख वंशावली की जननी।
प्रश्न 3: “ब्रह्मा” शब्द में कौन-सा रहस्य छिपा है?
उत्तर:
“ब्रह्मा” = ‘ब्र’ + ‘मा’ = बड़ी मां।
अर्थात वह आत्मा जो सबकी भाग्य-विधाता “मां” बनती है।
मुरली संदर्भ (3 जून 1970):
“शिव बाबा बीजरूप बाप है, ब्रह्मा मातृ रूप में संतान को जन्म देता है।
इसलिए ब्रह्मा को कहा जाता है मां-बाप।”
धीरे-धीरे “बड़ी मां” शब्द से “बेमाता”, “बह्माता”, “छठी मैया” जैसे रूप बने — जो सब ब्रह्मा के मातृरूप की स्मृति हैं।
प्रश्न 4: ब्रह्मा बाबा को “मां और बाप दोनों” क्यों कहा गया?
उत्तर:
क्योंकि शिव बाबा निराकार हैं, उनका शरीर नहीं।
सृष्टि रचना के लिए उन्होंने ब्रह्मा बाबा (दादा लेखराज) को माध्यम बनाया।
शिव बाबा ने ज्ञान का बीज डाला,
और ब्रह्मा बाबा ने उस ज्ञान को मां की तरह पोषित कर सबको आगे बढ़ाया।
इसलिए उन्हें कहा गया —
“मां और बाप दोनों।”
प्रश्न 5: क्या आदम (Adam) और ईव (Eve) दो आत्माएं हैं?
उत्तर:
नहीं, दोनों एक ही आत्मा के दो रूप हैं।
आदम (आदि पुरुष) — वह आत्मा जिसने सबसे पहले परमात्मा का ज्ञान स्वीकार किया।
ईव (आदि शक्ति) — वही आत्मा जो उस ज्ञान से अन्य आत्माओं को जन्म देती है।
मुरली संदर्भ (25 अप्रैल 1968):
“शिव बाप पारलौकिक पिता है,
ब्रह्मा अलौकिक मात-पिता।
ब्रह्मा के मुख से ही ब्राह्मण रचना निकलती है।”
प्रश्न 6: जगदंबा मम्मा का संबंध इस रहस्य से क्या है?
उत्तर:
ब्रह्मा बाबा ने माताओं को आगे बढ़ाया,
और उनमें से मुख्य प्रतिनिधि बनीं — मम्मा जगदंबा सरस्वती।
वे बनीं ज्ञान और योग की मूर्ति।
अव्यक्त मुरली (24 जनवरी 1979):
“ब्रह्मा द्वारा माताओं की रचना हुई, इसलिए माताएं अग्रसर हैं।
जगदंबा ही माताओं की मुख्य प्रतिनिधि है।”
इसलिए कहा गया —
“ईव का बीज ब्रह्मा में है, और उसका विस्तार जगदंबा में।”
प्रश्न 7: “छठी मैया” की कथा का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर:
“छठी मैया” लोककथा का आध्यात्मिक अर्थ है —
भाग्य लिखने वाली ‘बड़ी मां’ — अर्थात ब्रह्मा बाबा।
क्योंकि शिव बाबा (ज्ञान सूर्य) उन्हीं के माध्यम से आत्माओं का भाग्य लिखते हैं।
इसलिए ब्रह्मा कहलाए —
“भाग्य विधाता” और “सृष्टि माता।”
प्रश्न 8: दो पिता कौन हैं — पारलौकिक और अलौकिक?
उत्तर:
-
शिव बाबा — पारलौकिक पिता (Supreme Father)
-
ब्रह्मा बाबा — अलौकिक मात-पिता (Spiritual Parent)
हम आत्माएँ ब्रह्मा के मुख से adopt की गई हैं —
इसलिए हम कहलाते हैं शिववंशी ब्राह्मण।
अव्यक्त मुरली (5 फरवरी 1979):
“शिव बाप तो निराकार हैं,
ब्रह्मा ही है साकार माध्यम —
जिसके द्वारा ईश्वरीय रचना जन्म लेती है।”
प्रश्न 9: निष्कर्ष रूप में क्या समझना चाहिए?
उत्तर:
ब्रह्मा बाबा ही सृष्टि के प्रथम पुरुष (Adam) हैं,
और वही सृष्टि की प्रथम माता (Eve) भी हैं।
शिव बाबा हैं परम बीज — प्रेरणादायक पिता।
ब्रह्मा बाबा वह आत्मा हैं जिसके माध्यम से ज्ञान-सृष्टि का आरंभ हुआ।
इसलिए कहा गया —
“सृष्टि का पिता भी ब्रह्मा, सृष्टि की मां भी ब्रह्मा।”
प्रश्न 10: आध्यात्मिक समापन क्या है?
उत्तर:
आदि पुरुष ब्रह्मा ने परमात्मा की आज्ञा से
आदि शक्ति जगदंबा के रूप में सृष्टि को जन्म दिया।
यही सच्चा रहस्य है —
“एडम और ईव दोनों एक ही आत्मा के दो रूप हैं — ब्रह्मा के।”
मुख्य मुरली संदर्भ सारणी
| तारीख | प्रकार | मुरली पॉइंट सारांश |
|---|---|---|
| 5 मार्च 1969 | साकार | “मैं ब्रह्मा द्वारा मनुष्य सृष्टि रचता हूं। ब्रह्मा ही प्रजापिता।” |
| 3 जून 1970 | साकार | “शिव बाबा बीज रूप बाप है, ब्रह्मा मातृ रूप में संतान को जन्म देता है।” |
| 25 अप्रैल 1968 | साकार | “शिव बाप पारलौकिक पिता, ब्रह्मा अलौकिक मात-पिता।” |
| 24 जनवरी 1979 | अव्यक्त | “ब्रह्मा द्वारा माताओं की रचना हुई। जगदंबा ही मुख्य प्रतिनिधि।” |
| 5 फरवरी 1979 | अव्यक्त | “ब्रह्मा माध्यम है, शिव निराकार है — ब्रह्मा द्वारा रचना होती है।” |
ब्रह्मा, आदम, ईव, ब्रह्मा बाबा, प्रजापिता ब्रह्मा, जगदंबा सरस्वती, ब्रह्मा कुमारी ज्ञान, सृष्टि रचना, ईश्वरीय ज्ञान, शिव बाबा, अलौकिक मात-पिता, पारलौकिक पिता, भाग्य विधाता ब्रह्मा, बड़ी मां, छठी मैया रहस्य, ब्रह्मा सरस्वती, ब्रह्मा ही आदम हैं, ब्रह्मा ही इव हैं, आदि पुरुष, आदि शक्ति, ब्रह्मण कुल, मुख वंशावली, बापदादा, अव्यक्त मुरली, साकार मुरली, ईश्वरीय परिवार, आत्मा, परमात्मा, परमात्मा का रथ, शिववंशी ब्राह्मण, ज्ञान सृष्टि, जगदंबा का विस्तार, ब्रह्मा का रहस्य,Brahma, Adam, Eve, Brahma Baba, Prajapita Brahma, Jagadamba Saraswati, Brahma Kumari knowledge, creation of the universe, divine knowledge, Shiv Baba, supernatural parents, transcendental father, Brahma the creator of destiny, elder mother, the mystery of the sixth mother, Brahma Saraswati, Brahma is Adam, Brahma is Eve, the original man, the original power, Brahmin clan, the mouth lineage, BapDada, Avyakt Murli, Sakar Murli, Godly family, soul, Supreme Soul, Chariot of the Supreme Soul, Shivvanshi Brahmin, the creation of knowledge, expansion of Jagadamba, the mystery of Brahma,

