(07)अध्याय: रक्षा बंधन – विकारों से रक्षा का ईश्वरीय बंधन
परिचय: बंधन से मुक्ति या बंधन से शक्ति
रक्षा बंधन क्या है? यह विकारों से रक्षा का एक ईश्वरीय बंधन है।
मनुष्य स्वभाव से स्वतंत्रता को ही पसंद करता है, फिर भी रक्षाबंधन ऐसा बंधन है जिसे हर कोई प्रेम से स्वीकार करता है।
यह कोई सांसारिक बंधन नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धता का रक्षा व्रत है।
यह एक आध्यात्मिक बंधन है जिसमें बहन अपने भाई से तन, मन और जीवन की शुद्धता की रक्षा का संकल्प लेती है।
बंधनों के दो प्रकार: ईश्वरीय बनाम सांसारिक
बंधनों के दो रूप होते हैं:
-
ईश्वरीय बंधन – जो आत्मा को ऊंचा बनाते हैं।
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सांसारिक कर्म बंधन – जो आत्मा को दुखी बनाते हैं।
रक्षाबंधन एक ईश्वरीय बंधन है जो पवित्रता का संकल्प दिलाता है। यह विषय-विकारों से रक्षा का प्रतीक है।
मुरली: 18 अगस्त 2006
बाबा ने कहा: “यह रक्षाबंधन है ही पवित्र बनने का बंधन। यह त्यौहार है ही विकारों से रक्षा करने का व्रत।”
पांच प्रकार की रक्षा जो केवल परमात्मा कर सकते हैं
1. तन की रक्षा
मनुष्य योग, दवा, सावधानी आदि करता है, पर मृत्यु को नहीं टाल सकता।
केवल परमात्मा ही महाकाल हैं, जो मृत्यु से भी मुक्त कर सकते हैं।
मुरली: 15 अगस्त 2021
“बाप आकर मृत्यु के भय से मुक्त करते हैं।
तुम अमर आत्मा हो। अमर पद के अधिकारी बनते हो।”
2. धर्म और अस्तित्व की रक्षा
द्रौपदी की मर्यादा की रक्षा स्वयं श्रीकृष्ण ने की।
आज भी बहन चाहती है कि भाई उसकी रक्षा करे, पर सच्चा रक्षक परमात्मा है।
शिव बाबा ज्ञान रत्नों द्वारा हमारी आत्मा को बुराइयों से बचाते हैं।
फिल्मों में कृष्ण साड़ियाँ बढ़ाते हैं, पर ईश्वर संकल्प शक्ति द्वारा आत्मबल बढ़ाते हैं।
3. काल से रक्षा
सिकंदर और नेपोलियन जैसे महान योद्धा भी काल से बच नहीं सके।
केवल शिव को महाकाल कहा गया है।
मुरली: 15 अगस्त 2019
“तुम अमरनाथ के बच्चे हो।
बाबा बताता है: हम अजर, अमर, अविनाशी आत्मा हैं।”
4. लौकिक आपदाओं से रक्षा
भूकंप, युद्ध और आपदाओं में मनुष्य असहाय हो जाता है।
केवल परमात्मा संकट मोचक हैं।
मुरली: 15 अगस्त 2020
“संकट के समय बाप ही सहारा बनते हैं।
जब सब द्वार बंद हो जाएँ, बाप कहते हैं – मैं आया हूँ।”
5. माया से रक्षा
माया रूपी ग्राह ज्ञानियों को भी निगलने को तैयार रहती है।
परमात्मा ही सच्चे रक्षक हैं।
मुरली: 18 अगस्त 2002
“ज्ञान और योग से ही माया पर विजय होती है।
बाप ही रक्षक हैं – जो माया से छुड़ाते हैं।”
रक्षाबंधन क्यों बांधती हैं बहनें?
इस पर्व का वास्तविक अर्थ है – विकारों से रक्षा का संकल्प।
बहनें भाइयों को राखी इस आशय से बांधती हैं कि वे जीवन में पवित्र रहें।
ब्राह्मणों द्वारा बांधा गया रक्षा सूत्र ईश्वरीय मर्यादाओं में बंधने का प्रतीक है।
मुरली: 15 अगस्त 2016
“यह पर्व है पवित्रता का संकल्प लेने का।
जब आत्मा शुद्ध होती है, तभी जीवन सुखी होता है।”
आज की विडंबना
आज रक्षाबंधन केवल एक रस्म बनकर रह गया है।
आध्यात्मिकता के त्याग से इसके मूल उद्देश्य का ह्रास हुआ है।
इस पर्व की वास्तविक महिमा तभी पुनः जागृत हो सकती है,
जब इसे एक आध्यात्मिक उत्सव के रूप में समझा जाए।
निष्कर्ष: आत्मा और परमात्मा का रक्षा बंधन
रक्षाबंधन वास्तव में परमात्मा से रक्षा का ईश्वरीय बंधन है।
जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है, तब सच्चा रक्षाबंधन होता है।
राखी बांधने का अर्थ है –
विकारों का त्याग और शुद्ध संकल्प का व्रत।
यह पर्व केवल भाई-बहन का नहीं, बल्कि
आत्मा और परमात्मा के पावन संबंध का प्रतीक है।
मुरली: 15 अगस्त 2022
“सच्ची राखी वही है जिसमें आत्मा बंधन में बंधकर स्वराज्य अधिकारी बन जाए।
मन-बुद्धि-संस्कार की मालिक बन जाए।”रक्षा बंधन – विकारों से रक्षा का ईश्वरीय बंधन
1. रक्षा बंधन का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर: विकारों से रक्षा का एक ईश्वरीय बंधन।
2. मनुष्य किस प्रकार के स्वभाव को पसंद करता है?
उत्तर: स्वतंत्रता को।
3. रक्षाबंधन को लोग क्यों प्रेम से स्वीकार करते हैं?
उत्तर: क्योंकि यह आत्मा की शुद्धता का रक्षा व्रत है।
4. रक्षाबंधन किस प्रकार का बंधन है – सांसारिक या आध्यात्मिक?
उत्तर: यह एक आध्यात्मिक बंधन है।
5. बहन अपने भाई से किस चीज़ की रक्षा का संकल्प लेती है?
उत्तर: तन, मन और जीवन की शुद्धता की रक्षा का।
6. बंधनों के दो मुख्य प्रकार कौन से हैं?
उत्तर: ईश्वरीय बंधन और सांसारिक कर्म बंधन।
7. ईश्वरीय बंधन आत्मा को कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर: यह आत्मा को ऊंचा बनाता है।
8. रक्षा बंधन किस बात का प्रतीक है?
उत्तर: विषय-विकारों से रक्षा और पवित्रता का संकल्प।
9. मुरली (18 अगस्त 2006) में रक्षा बंधन को क्या कहा गया?
उत्तर: पवित्र बनने का बंधन और विकारों से रक्षा का व्रत।
पाँच प्रकार की रक्षा (केवल परमात्मा द्वारा)
10. मनुष्य मृत्यु से क्यों नहीं बच सकता?
उत्तर: क्योंकि केवल परमात्मा ही महाकाल हैं।
11. आत्मा को मृत्यु के भय से कौन मुक्त करता है?
उत्तर: परमात्मा शिव बाबा।
12. धर्म और अस्तित्व की रक्षा का उदाहरण क्या है?
उत्तर: द्रौपदी की मर्यादा की रक्षा श्रीकृष्ण ने की।
13. भगवान कैसे आत्मा की रक्षा करते हैं?
उत्तर: संकल्प शक्ति और ज्ञान रत्नों द्वारा।
14. काल से रक्षा कौन कर सकता है?
उत्तर: केवल शिव – महाकाल।
15. लौकिक आपदाओं से किसकी रक्षा संभव है?
उत्तर: केवल परमात्मा संकटमोचक हैं।
16. माया से रक्षा कैसे संभव है?
उत्तर: ज्ञान और योग की शक्ति से, जो बाप (परमात्मा) ही देते हैं।
रक्षाबंधन और बहन का संकल्प
17. बहनें राखी क्यों बांधती हैं?
उत्तर: ताकि भाई पवित्र जीवन जिए और विकारों से मुक्त रहे।
18. ब्राह्मणों द्वारा बांधा गया रक्षा सूत्र क्या दर्शाता है?
उत्तर: ईश्वरीय मर्यादाओं में बंधने का प्रतीक है।
19. मुरली (15 अगस्त 2016) में रक्षाबंधन को क्या कहा गया?
उत्तर: पवित्रता का संकल्प लेने का पर्व।
आधुनिक विडंबना और समाधान
20. आज रक्षाबंधन किसमें बदल गया है?
उत्तर: केवल एक रस्म में।
21. इसकी वास्तविक महिमा कैसे जागृत हो सकती है?
उत्तर: जब इसे आध्यात्मिक दृष्टि से समझा जाए।
निष्कर्ष
22. सच्चा रक्षाबंधन कब होता है?
उत्तर: जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है।
23. राखी बांधने का वास्तविक अर्थ क्या है?
उत्तर: विकारों का त्याग और शुद्ध संकल्प का व्रत लेना।
24. यह पर्व किनके संबंध का प्रतीक है?
उत्तर: आत्मा और परमात्मा के पावन संबंध का।
25. मुरली (15 अगस्त 2022) के अनुसार सच्ची राखी क्या है?
उत्तर: जिसमें आत्मा बंधन में बंधकर स्वराज्य अधिकारी बन जाए।
Disclaimer:
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