भूत ,प्रेत:-(15)”क्या आज भी दानव मौजूद है? दानव कौन है?
क्या आज भी दानव मौजूद है?
दानव कौन है?
उनका प्रभाव और बचाव।
क्या आज भी दानव मौजूद हैं?
दानव कौन है?
आज हम एक गहरे विषय पर बात करेंगे – दानव।
क्या दानव सिर्फ पुरानी कथाओं का हिस्सा है?
या आज भी अदृश्य रूप में हमारे जीवन को प्रभावित कर रहे हैं?
मुरली 18 अक्टूबर 2023 –
बाप कहते हैं:
असुर वृत्ति, रावण वृत्ति मनुष्य में ही आ जाती है।
राक्षस कोई बाहर नहीं, पर अंदर के व्यर्थ संस्कार हैं।
नंबर एक – दानव कौन होते हैं? (Real Meaning of दानव)
बाबा कहते हैं:
जो आत्मा क्रोध, लोभ, काम, ईर्ष्या में आ जाती है, वही असुर बन जाती है।
दानव बाहर नहीं, स्वयं के अंदर ही है।
पौराणिक अर्थ
दैत्य, असुर या राक्षस ऐसे जीव बताए गए हैं:
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जिनका जीवन उद्देश्य केवल भोग, शक्ति और विनाश होता है।
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जो देवताओं का विरोध करते हैं।
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ज्ञान का अंधकार फैलाते हैं।
आधुनिक अर्थ (Spiritual Psychology)
दानव = नेगेटिव ऊर्जा + विकृत संस्कार + हिंसक विचार।
दानव, असुर, राक्षस अलग-अलग नाम हैं लेकिन भाव एक ही है – विकारों का रूप।
दानव कौन है – सरल भाषा में
जिस मनुष्य के अंदर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार है – वही दानव है।
शरीर को नहीं, आत्मा को दानव कहा जाता है।
दानव का मानव जीवन पर प्रभाव
मानसिक रूप से: बेचैनी, गुस्सा, डिप्रेशन, एंग्जायटी।
पारिवारिक स्तर पर: नफरत, कटु वाणी, संबंध टूटना।
सामाजिक स्तर पर: हिंसा, अपराध, युद्ध, भ्रष्टाचार।
मुरली 22 अगस्त 2023:
“आज मनुष्य स्वयं को देवता कहता है, पर व्यवहार में दानव बन गया है। क्योंकि मूल में अहंकार और क्रोध है।”
क्या दानव आज भी मौजूद हैं?
पुरानी कथाओं के रावण, कंस, हिरण्यकश्यप अब तलवार से नहीं, बल्कि विचारों और भावनाओं की लड़ाई बन चुके हैं।
बाहरी युद्ध नहीं, अंदर का मानसिक युद्ध ही असली युद्ध है।
उदाहरण:
कोई व्यक्ति नशे में अपने परिवार को नुकसान पहुंचाए – यह आधुनिक राक्षस रूप है।
दानवों से बचाव के आध्यात्मिक उपाय:
1️⃣ आत्म-स्मृति (Self Awareness):
मैं आत्मा हूं, देह नहीं।
मुरली 2 फरवरी 2024: “आत्म-अभिमानी बनो तो रावण भाग जाता है।”
2️⃣ अमृतवेला योग (4 बजे ब्रह्म मुहूर्त):
योग की शक्ति मन के दानवों को नष्ट करती है।
3️⃣ राजयोग + शक्तिशाली संकल्प:
“मैं शिव बाबा का हूं, कोई भी नकारात्मक सोच मुझे छू नहीं सकती।”
4️⃣ सात गुणों से सुरक्षा कवच:
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शांति → क्रोध को ठंडा करती है।
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प्रेम → नफरत को घोल देता है।
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पवित्रता → काम विकार को समाप्त करती है।
कहानियों का गहरा अर्थ:
| कथा | वास्तविक अर्थ |
|---|---|
| देव-दानव समुद्र मंथन | मन और बुद्धि के अंदर अच्छाई-बुराई का युद्ध |
| श्रीकृष्ण vs कंस | सत्य vs अहंकार |
| देवी दुर्गा vs महिषासुर | दिव्य आत्मा vs तामसिक संस्कार |
निष्कर्ष (Conclusion):
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दानव कोई बाहरी प्राणी नहीं, बल्कि आत्मा के अंदर की नकारात्मक शक्तियां हैं।
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इन्हें हराने के लिए तलवार नहीं, बल्कि योग शक्ति, आत्म-स्मृति और पवित्रता चाहिए।
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जब हम “मैं आत्मा हूं, मैं बाप का हूं” में स्थिर हो जाते हैं – तब सबसे बड़ा दानव यानी अहंकार भी समाप्त हो जाता है।

