दिव्य स्वास्थय(17) स्वस्थ धमनियों के लिए आहार और योगबल।
“दिव्य स्वास्थ्य | स्वस्थ धमनियों के लिए आहार और योग बल | Divine Health Speech”
प्रस्तावना
ओम् शान्ति।
आज हम दिव्य स्वास्थ्य – Divine Health श्रृंखला का 17वाँ बिंदु समझेंगे – स्वस्थ धमनियों के लिए आहार और योग बल।
धमनियाँ हमारे जीवन की जीवन-रेखा हैं। इनमें यदि रुकावट आ जाए तो पूरा शरीर प्रभावित होता है। यह बीमारी अचानक नहीं आती, बल्कि यह हमारी जीवनशैली (Life Style) का परिणाम है।
धमनियों के कठोर होने के मुख्य कारण
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अधिक कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड
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हाई ब्लड प्रेशर
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डायबिटीज (मधुमेह)
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धूम्रपान और शराब
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मोटापा और व्यायाम की कमी
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असंतुलित आहार
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मानसिक तनाव
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बढ़ती उम्र
इन सब कारणों से आर्टरीज कठोर हो जाती हैं, खून का प्रवाह धीमा हो जाता है और हार्ट पर दबाव बढ़ जाता है।
उदाहरण से समझें
जैसे एक मोटर से पाइप जुड़ा हो और पाइप का मुंह बंद कर दें। मोटर चलती रहेगी, दबाव बढ़ेगा और अंत में मोटर फेल हो जाएगी।
ठीक वैसे ही जब खून का रास्ता बंद हो जाता है, तो हार्ट पर प्रेशर बढ़ता है और हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
गंभीर बीमारियाँ
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हार्ट अटैक
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स्ट्रोक – यदि 3 मिनट तक ब्रेन को रक्त न पहुँचे तो ब्रेन डेड हो सकता है।
स्वस्थ धमनियों के लिए प्राकृतिक आहार
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अंगूर – खराब कोलेस्ट्रॉल कम करता है।
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अनानास – खून को पतला करता है (परंतु दवाइयों के साथ सावधानी)।
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नींबू – विटामिन C से युक्त, धमनियों को लचीला बनाता है।
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ऑर्गेनिक सब्जियाँ – गाजर, लौकी, तोरी, पैठा आदि।
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टमाटर, मूली, ककड़ी, चुकंदर – खून शुद्ध करते हैं और ब्लॉकेज रोकते हैं।
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त्रिफला, शनाई की पत्तियाँ, अमर रस के बीज – पाचन सुधारते हैं, कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं।
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चिया बीज, मेथी, अलसी – ओमेगा-3 फैटी एसिड से युक्त, कब्ज रोकते हैं और सूजन कम करते हैं।
योग बल और मन की शांति
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मन जितना शांत होगा, धमनियाँ उतनी ही स्वस्थ रहेंगी।
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तनाव और क्रोध – धमनियों के सबसे बड़े दुश्मन हैं।
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राजयोग ध्यान – मन को शांत करता है और खून के प्रवाह को सहज बनाता है।
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उमंग और उत्साह – शरीर के लिए प्राकृतिक टॉनिक है।
मुरली नोट्स
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22 मार्च 2024: “क्रोध और तनाव आत्मा व शरीर दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं। शांत मन और पवित्र संकल्प से तन और मन दोनों निरोगी बनते हैं।”
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18 अक्टूबर 2023: “योग बल से आत्मा को शक्ति मिलती है और वह शक्ति शरीर में स्वास्थ्य के रूप में प्रकट होती है।”
निष्कर्ष
डॉक्टर आपको स्टंट या बाईपास की सलाह देंगे, पर वह केवल अस्थायी समाधान है।
असली समाधान है – जीवनशैली का परिवर्तन।
परमात्मा का सन्देश है:
यदि जीवनशैली सुधार लो, आहार शुद्ध बना लो और योग बल से मन को शांत रखो, तो गंभीर बीमारी पर भी विजय प्राप्त कर सकते हो।
“स्मृति स्वरूप बन तीव्रगति से परिवर्तन कैसे करें?”
प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: बापदादा बच्चों को “स्मृति स्वरूप” बनने की सलाह क्यों देते हैं?
उत्तर: स्मृति स्वरूप बनने से आत्मा अपने शाश्वत स्वरूप और परमात्मा से जुड़ी रहती है। यह स्मृति शक्ति हमें हर परिस्थिति में स्थिर, शांत और पवित्र बनाए रखती है।
प्रश्न 2: “अनुभवी मूर्त” बनने का क्या अर्थ है?
उत्तर: अनुभवी मूर्त का अर्थ है कि ज्ञान केवल सुनने या पढ़ने तक सीमित न हो, बल्कि जीवन में उसका अनुभव और प्रमाण हो। ऐसा अनुभव आत्मा को सहज ही परिवर्तनशील और शक्तिशाली बनाता है।
प्रश्न 3: “सेकण्ड की तीव्र गति से परिवर्तन” कैसे संभव है?
उत्तर: जब आत्मा हर क्षण बाबा की स्मृति में स्थित रहती है और मन में कोई व्यर्थ या नकारात्मक संकल्प नहीं लाती, तब परिवर्तन बहुत तीव्र गति से होता है। यह राजयोग और आत्म-अभ्यास से संभव है।
प्रश्न 4: “पास विद ऑनर” बनने का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?
उत्तर: पास विद ऑनर का अर्थ है कि आत्मा अंतिम परीक्षा में भी बिना डगमगाए, पूर्ण पवित्रता और शक्ति के साथ सफल हो जाए। यह स्थिति निरंतर स्मृति, शक्ति और सेवा से बनती है।
प्रश्न 5: व्यर्थ संकल्पों से बचने का सबसे सरल तरीका क्या है?
उत्तर: जब हम अपने हर संकल्प को बाबा के सामने रखते हैं और मन को “मेरा नहीं, बाबा का” समझते हैं, तो व्यर्थ का स्थान ही नहीं रहता। इससे मन हल्का, शक्तिशाली और सफल बनता है।
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ की आध्यात्मिक शिक्षाओं और मुरली के गहन बिंदुओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आत्मिक उत्थान, सकारात्मक चिंतन और आध्यात्मिक प्रेरणा देना है।
यह किसी भी धर्म, पंथ या संप्रदाय की मान्यताओं का खंडन या विरोध नहीं करता। कृपया इसे अपनी आत्मिक उन्नति और जीवन में शांति प्राप्ति हेतु प्रयोग करें।
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