प्रश्न का मन्थन:-(08)”घर की राह बताने आए हैं स्वयं परम आत्मा।
घर की राह बताने आए हैं स्वयं परम आत्मा।
मोह जीत बनेंगे तो सतयुग में जाएंगे। यदि मोह जीत नहीं बने तो सतयुग में जा नहीं सकेंगे।
मुरली है 8 जनवरी 2025।
मीठा-मीठा बाबा कहते — मीठे बच्चे, बाबा आए हैं तुम्हें घर की राह बताने।
बाबा तुम्हें घर की राह बताने आए हैं, पर क्या आप जानते हैं बाबा कौन-सा घर बताने आए हैं?
बाबा आएंगे तो कौन-सा घर बताएंगे?
परमधाम, शांति धाम — हां, वो कहेंगे तुम्हारा घर है परमधाम, शांति धाम चलो।
कौन-सी राह दिखाने आए हैं, क्योंकि रोज हम घर में ही रहते हैं, फिर कौन-सी राह दिखाने आए हैं?
फिर यह कौन-सा घर है जिसका रास्ता बाबा बताने आए हैं?
यह जो शरीर है, यह हमारा अस्थाई घर है।
यह शरीर हम आत्माओं का टेंपरेरी घर है और हमारा असली घर है परमधाम।
हमारा असली घर है परमधाम, जहाँ आत्माएँ अपने मूल स्वरूप में शांत, शुद्ध और प्रकाशमय स्थिति में रहती हैं।
साकार मुरली है 19 जनवरी 2025।
तुम आत्मा इस शरीर में गेस्ट बनकर आई हो। तुम्हारा घर है शांति धाम।
यानी हम आत्मा हैं और यह शरीर केवल एक घर है जिसमें कुछ समय के लिए हम रहते हैं।
नंबर दो — आत्मा को याद दिलाई जाती है कि जब हमें घर लौटना है, तो हमें पहले यह याद रखना होगा कि मैं आत्मा हूँ।
शरीर को घर जाना नहीं है, आत्मा को घर जाना है।
इस शरीर को घर जाना नहीं है — और मुझ आत्मा को घर जाना है।
हाँ जी, ये पाँच तत्वों को भी अपने-अपने स्वरूप में जाने की आकर्षण रहती है।
देखिए, पाँचों तत्व ऑटोमेटिक हैं, उनको कोई मेहनत नहीं करनी, कोई पुरुषार्थ नहीं करना।
उनके लिए भी पुरुषार्थ हम आत्माएँ ही करती हैं, क्योंकि हम आत्माओं को घर जाना है — शरीर को घर नहीं जाना।
शरीर तो यही का यही रहेगा, पाँचों तत्व पाँचों तत्वों में विलीन हो जाएँगे।
परंतु हम आत्मा अपने घर जाएँगे — फिर वापस आ जाएँगे।
साकार मुरली 12 जनवरी 2025 — जब तक आत्म-अभिमानी नहीं बनेंगे, तब तक घर की राह याद नहीं आ सकती।
इसलिए बाबा बार-बार कहते हैं — अपने को आत्मा समझो और मुझे, एक बाप को याद करो अर्थात मेरा कहना मानो।
यही है मन मना भव — मन को मुझ में लगाओ, देह बंधन से निकालो।
क्या कुछ साथ जा सकता है उस घर में? नहीं।
उस घर में सिर्फ आत्मा जा सकती है और कुछ नहीं।
कोई भी वस्तु, संबंध, शरीर या पद वहाँ नहीं जा सकता।
उदाहरण — जैसे हवाई जहाज में प्रवेश करने से पहले सब कुछ स्कैन होता है, वैसे ही आत्मा को परमधाम जाने से पहले सब त्यागना होता है।
साकार मुरली है 10 फरवरी 2025 — वहाँ कोई देह या देह के संबंध नहीं जाते, न तो जाति जाती है, न ही कोई देह का संबंध वहाँ जाता है।
चार — न्यारा और प्यारा जीवन का रास।
बाबा कहते हैं — बच्चे, न्यारे भी रहो और प्यारे भी रहो।
यही संसार में रहकर भी असक्ति में न फँसना है, यानी इस संसार में रहते हुए सब वस्तुओं को प्रयोग करते हुए भी निर्लिप्त रहना है।
अव्यक्त मुरली 25 मई 2025 — न्यारा और प्यारा बनो। जब न्यारे बनो, तभी सबको प्यारे लगो।
यह नहीं कि न्यारे बन जाओ तो अब उन्हें प्रसाद न दो, या स्वागत न करो। नहीं।
न्यारा मतलब शरीर में रहते हुए न्यारा रहना — यही पुरुषार्थ है।
न्यारा का अर्थ है — मेरे लिए सब बराबर हैं।
जब सब बराबर हैं तो मैं किसी को “मेरा” नहीं कह रहा हूँ।
यदि मैं सौ में से 99 को “मेरा” कहता हूँ और एक को नहीं कहता, तो भी मैं न्यारा नहीं हूँ।
और प्यारा — जब कोई भी मेरे सामने ऐसा न हो जिसे यह लगे कि यह मुझसे प्यार नहीं करता।
उदाहरण — सूरज सबको समान रूप से प्रकाश देता है, किसी को कम या ज्यादा नहीं।
उसी प्रकार हम भी सबके प्रति समान दृष्टि रखनी है — न किसी से पक्षपात, न दूरी।
मोह सबसे बड़ा अंधकार है।
संगम युग पर परमात्मा हमें वह ज्ञान देते हैं जिससे हम मोह जीत देवता बनते हैं।
साकार मुरली 4 अप्रैल 2025 — मोह ही सबसे बड़ा शत्रु है।
मोह से जीतना ही देवता बनने का आधार है।
यदि हम मोह को जीतेंगे नहीं, तो हम संपूर्ण देवता नहीं बन सकते।
जब कोई आत्मा शरीर छोड़ती है तो ज्ञानवान आत्मा रोती नहीं,
क्योंकि वह जानती है — यह केवल कपड़ा बदलना है, एक शरीर छोड़ दूसरा लेना है।
जिसे यह स्मृति पक्की हो गई है, वह दुख में भी स्थिर रह सकता है।
आत्मा अमर है, ड्रामा अविनाशी है।
परमात्मा ने अमर कथा सुनाई — कि तुम आत्मा अमर हो।
यह ड्रामा बना बनाया है और एक्यूरेट है।
साकार मुरली 6 मार्च 2025 — यह ड्रामा बना बनाया है, एक सेकंड भी आगे-पीछे नहीं हो सकता।
इस स्मृति से आत्मा निर्मोह, निर्भय और सदा स्थितप्रज्ञ बनती है।
फिर कोई घटना हमें बिगाड़ नहीं सकती।
कैसे बने मौजी?
स्वचिंतक बनो — कि मैं आत्मा हूँ, इस देह से न्यारी हूँ।
मुझे एक बाप को याद करना है।
न्यारा, प्यारा व्यवहार, सबमें एक समान दृष्टि रखो।
श्रीमत अनुसार जीवन जियो — कोई भी कर्म ऐसा न हो जो श्रीमत के विरुद्ध हो।
जब हम इस अभ्यास में स्थिर होते हैं तो यह संस्कार बन जाते हैं।
यही संस्कार हमें सतयुग में ले जाने वाले हैं।
जहाँ देवता “मौत जीत” कहलाते हैं — वहाँ जाने के लिए हर आत्मा को “मौत जीत” का एग्ज़ाम पास करना होगा।
समापन संदेश:
बाप कहते हैं — साकार मुरली 8 जनवरी 2025 — मुझको याद करो तो घर की राह अपने आप खुल जाएगी।
बस, मेरी श्रीमत पर चलो।
मुझको याद करो तो घर की राह अपने आप खुलती जाएगी।
सच्चा राज यही है — घर वही है जहाँ कोई शोर नहीं।
शांति धाम, मुक्ति धाम — एकदम शांत।
घर वही है जहाँ कोई शोर नहीं, जहाँ केवल शांति, प्रकाश और प्रेम है।
प्रेम कैसे है?
जहाँ आत्मा अपने अंदर शांति का अनुभव करती है, प्रकाश का अनुभव करती है कि मैं ज्योति स्वरूप आत्मा हूँ,
तो प्रेम अपने आप आता है — क्योंकि मेरे लिए सब अपने हैं, कोई गैर नहीं।
जहाँ केवल शांति, प्रकाश और प्रेम है — वही हमारी आत्मा का असली घर है।
उस घर का नाम है परमधाम।
हमारा असली घर है परमधाम।

