शिवबाबा :ब्रह्मा बाबा का रिश्ता-(11)कैसे पहुँचता है ईश्वर का संदेश हम तक। शिव बाबा के दिव्य मैसेंजर — ब्रह्मा बाबा के द्वारा।
“शिव बाबा कैसे पहुँचाते हैं अपना संदेश? | ब्रह्मा बाबा बने ईश्वर के दिव्य संदेशवाहक | 11वाँ रिश्ता – ईश्वर संदेशवाहक संबंध”
अध्याय 11: ईश्वर संदेशवाहक संबंध
(Shiv Baba aur Brahma Baba ke madhur rishton ka adhyayan)
1. प्रस्तावना: ईश्वर संदेशवाहक संबंध का रहस्य
शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा के दिव्य संबंधों का हम अध्ययन कर रहे हैं।
आज हम 11वाँ रिश्ता देखेंगे — कैसे पहुँचता है ईश्वर का संदेश हम तक।
शिव बाबा के दिव्य संदेशवाहक हैं — ब्रह्मा बाबा।
यह संबंध कहलाता है — “ईश्वर संदेशवाहक संबंध” (Messenger Relationship)।
आज संसार में हर आत्मा यही प्रश्न करती है —
क्या ईश्वर कभी सीधे मनुष्यों से बात करते हैं?
क्या वे स्वयं अपना संदेश भेजते हैं?
उत्तर है — हाँ।
परंतु वे निराकार हैं, इसलिए उन्हें किसी देहधारी माध्यम की आवश्यकता होती है।
2. शिव बाबा — निराकार संदेशदाता
शिव बाबा कहते हैं:
साकार मुरली (2 जनवरी 1969):
“मैं निराकार हूँ। बोलने के लिए मुझे किस मुख की आवश्यकता है?
इसलिए मैं ब्रह्मा तन में प्रवेश करता हूँ।”
शिव बाबा Messenger of Truth हैं —
सत्य के सागर, जो सत्य ज्ञान देकर आत्माओं को जागृत करते हैं।
उनका कार्य है —
-
आत्मा को उसकी सच्ची पहचान देना।
-
विकार और अंधकार का अंत करना।
-
सृष्टि को फिर से सत्ययुग में स्थापित करना।
साकार मुरली (19 नवम्बर 1968):
“मैं सत्य का सागर हूँ। मैं ही सत्य संदेश देता हूँ जिससे झूठ का नाश होता है।”
3. ईश्वर का मुख्य संदेश क्या है?
शिव बाबा का संदेश बहुत सरल, परंतु अत्यंत गहरा है —
“हे आत्माओं! तुम मेरा अंश नहीं, वंश हो।”
“हे आत्मा! तुम शुद्ध, शांत, शक्तिशाली हो।
अब मुझसे योग लगाकर पवित्र बनो।”
यह दिव्य संदेश ही सृष्टि परिवर्तन का आधार बनता है।
इससे आत्मा अपनी मूल अवस्था — पवित्रता, शांति और शक्ति को प्राप्त करती है।
4. ब्रह्मा बाबा — ईश्वर के सच्चे संदेशवाहक
जब शिव बाबा ने ब्रह्मा बाबा को चुना,
तो वे केवल एक व्यक्ति नहीं रहे —
बल्कि बन गए “ईश्वर के दूत” (Messenger of God)।
ब्रह्मा बाबा वह माध्यम बने जिनके द्वारा ईश्वर का सन्देश सम्पूर्ण मानव जाति तक पहुँचा।
मुरली वचन:
“ब्रह्मा द्वारा शिव बाबा बच्चों तक संदेश पहुँचाते हैं।”
उदाहरण:
जैसे रेडियो स्टेशन (Shiv Baba) दिव्य तरंगें भेजता है,
परंतु वे सुनाई तभी देती हैं जब रिसीवर (Brahma Baba) हो।
उसी प्रकार शिव बाबा के संदेश ब्रह्मा बाबा के माध्यम से ही सुनाई देते हैं।
साकार मुरली (15 फरवरी 1969):
“यह माइक ब्रह्मा बाबा है। मैं शिव बाबा बोलता हूँ, बच्चे सुनते हैं।”
5. विश्व परिवर्तन का माध्यम
शिव बाबा ने ब्रह्मा बाबा के माध्यम से
संपूर्ण विश्व को बुलावा दिया —
“अच्छे बच्चों, अब घर लौटने का समय आ गया है।”
अव्यक्त मुरली (24 जनवरी 1970):
“अब घर लौटने की तैयारी करो — यही मेरा मुख्य संदेश है।”
इसी दिव्य संदेश से लाखों आत्माएँ राजयोग सीखकर देव आत्माएँ बन रही हैं।
यही संदेश जन्म देता है — ईश्वरीय विश्व विद्यालय (Brahma Kumaris Godly University)।
6. ब्रह्मा बाबा — परमात्मा के दिव्य डाकिया
जैसे एक डाकिया पत्र पहुँचाता है,
पर पत्र लिखता कोई और होता है —
वैसे ही ब्रह्मा बाबा वह दिव्य डाकिया हैं
जो परमात्मा के पत्र (मुरली संदेश) हर आत्मा तक पहुँचाते हैं।
साकार मुरली (5 मार्च 1969):
“यह ब्रह्मा डाकिया है।
मैं परमात्मा का पत्र इस मुख से बच्चों को भेजता हूँ।”
उदाहरण:
परमात्मा का “पत्र” है — मुरली,
और ब्रह्मा बाबा का “मुख” है वह डाक का माध्यम,
जिससे ईश्वर की प्रेममयी वाणी आत्माओं के हृदय तक पहुँचती है।
7. अब हम भी बने ईश्वर के संदेशवाहक
ब्रह्मा बाबा ने जो कार्य पूरा किया,
अब वही जिम्मेदारी हर ब्राह्मण आत्मा की है —
अव्यक्त मुरली (16 अप्रैल 1970):
“जैसे ब्रह्मा ने मेरा संदेश सुनाया,
वैसे ही अब तुम सब मेरे संदेशवाहक बनो।”
अर्थात —
अब हर ब्राह्मण आत्मा को भी परमात्मा का यह सन्देश
पवित्रता, प्यार और निश्चय के साथ आगे पहुँचाना है।
यही सच्ची Godly Service है —
ईश्वर का संदेश संसार तक पहुँचाना।
8. इस संबंध का आध्यात्मिक अर्थ (Spiritual Meaning)
| तत्व | भूमिका | अर्थ |
|---|---|---|
| शिव बाबा | संदेशदाता (Giver of Knowledge) | सत्य का सागर, परमात्मा |
| ब्रह्मा बाबा | संदेशवाहक (Messenger) | ईश्वर का मुख, माध्यम |
| हम बच्चे | सेवक (Godly Messengers) | संदेश आगे ले जाने वाले |
अव्यक्त मुरली (1971):
“बाप ने संदेश दिया, ब्रह्मा ने सुनाया,
अब बच्चे उस संदेश को आगे पहुँचाएँ —
यही संदेश है मुक्ति और जीवन-मुक्ति का।”
9. निष्कर्ष: ईश्वर के संदेश का दिव्य प्रवाह
शिव बाबा — संदेशदाता।
ब्रह्मा बाबा — संदेशवाहक।
हम सब — संदेश सेवक।
इस प्रकार परमात्मा का दिव्य संदेश
ब्रह्मा बाबा के मुखारविंद से होकर
संपूर्ण विश्व में प्रवाहित होता है।
यह संबंध हमें याद दिलाता है कि —
परमात्मा बोलते नहीं, बल्कि ब्रह्मा के माध्यम से हमें बोलाते हैं।
और यही है — “ईश्वर संदेशवाहक संबंध।”
Murli References Summary
| मुरली दिनांक | मुख्य बिंदु |
|---|---|
| 2 जनवरी 1969 | “मैं निराकार हूँ। बोलने के लिए ब्रह्मा तन में प्रवेश करता हूँ।” |
| 19 नवम्बर 1968 | “मैं सत्य का सागर हूँ, सत्य संदेश देता हूँ।” |
| 15 फरवरी 1969 | “यह माइक ब्रह्मा बाबा है। मैं शिव बाबा बोलता हूँ, बच्चे सुनते हैं।” |
| 5 मार्च 1969 | “यह ब्रह्मा डाकिया है। मैं पत्र इस मुख से भेजता हूँ।” |
| 24 जनवरी 1970 | “अब घर लौटने की तैयारी करो — यही मेरा संदेश है।” |
| 16 अप्रैल 1970 | “अब तुम भी मेरे संदेशवाहक बनो।” |
| 1971 (अव्यक्त) | “बाप ने संदेश दिया, ब्रह्मा ने सुनाया, बच्चे आगे पहुँचाएँ।” |
1. प्रस्तावना: ईश्वर संदेशवाहक संबंध का रहस्य
प्रश्न: शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा का “ईश्वर संदेशवाहक संबंध” क्या है?
उत्तर: यह वह दिव्य रिश्ता है जिसमें शिव बाबा (निराकार परमात्मा) अपने संदेश ब्रह्मा बाबा के माध्यम से हम तक पहुँचाते हैं। शिव बाबा संदेशदाता हैं, और ब्रह्मा बाबा उनके दिव्य संदेशवाहक।
2. शिव बाबा — निराकार संदेशदाता
प्रश्न: यदि शिव बाबा निराकार हैं, तो वे कैसे बोलते हैं?
उत्तर:साकार मुरली (2 जनवरी 1969):
“मैं निराकार हूँ। बोलने के लिए मुझे किस मुख की आवश्यकता है? इसलिए मैं ब्रह्मा तन में प्रवेश करता हूँ।”
शिव बाबा सत्य के सागर हैं, और वे ब्रह्मा बाबा के मुख द्वारा बोलते हैं ताकि आत्माएँ ज्ञान प्राप्त कर सकें।
प्रश्न: उनका कार्य क्या है?
उत्तर:
-
आत्मा को उसकी सच्ची पहचान देना।
-
अज्ञान, अंधविश्वास और विकारों का अंत करना।
-
सृष्टि को सत्ययुग में पुनर्स्थापित करना।
मुरली (19 नवम्बर 1968):
“मैं सत्य का सागर हूँ। मैं ही सत्य संदेश देता हूँ जिससे झूठ का नाश होता है।”
3. ईश्वर का मुख्य संदेश क्या है?
प्रश्न: परमात्मा का मूल संदेश क्या है?
उत्तर:“हे आत्माओं! तुम मेरा अंश नहीं, वंश हो।”
“हे आत्मा! तुम शुद्ध, शांत, शक्तिशाली हो। अब मुझसे योग लगाकर पवित्र बनो।”
यह वही संदेश है जिससे आत्मा अपने मूल स्वरूप — शुद्धता, शांति और शक्ति — को पुनः प्राप्त करती है।
4. ब्रह्मा बाबा — ईश्वर के सच्चे संदेशवाहक
प्रश्न: शिव बाबा ने ब्रह्मा बाबा को क्यों चुना?
उत्तर:क्योंकि उन्हें एक ऐसे शुद्ध और विनम्र माध्यम की आवश्यकता थी जो ईश्वर के विचारों को सटीक रूप से मानवता तक पहुँचा सके।
मुरली वचन:
“ब्रह्मा द्वारा शिव बाबा बच्चों तक संदेश पहुँचाते हैं।”
उदाहरण:
शिव बाबा जैसे रेडियो स्टेशन हैं, और ब्रह्मा बाबा रिसीवर। स्टेशन से तरंगें (ईश्वरीय संदेश) तभी सुनाई देती हैं जब रिसीवर जुड़ा हो।
साकार मुरली (15 फरवरी 1969):
“यह माइक ब्रह्मा बाबा है। मैं शिव बाबा बोलता हूँ, बच्चे सुनते हैं।”
5. विश्व परिवर्तन का माध्यम
प्रश्न: शिव बाबा का संदेश विश्व परिवर्तन से कैसे जुड़ा है?
उत्तर:शिव बाबा ने ब्रह्मा बाबा के माध्यम से सभी आत्माओं को पुकारा —
“अच्छे बच्चों, अब घर लौटने का समय आ गया है।”
अव्यक्त मुरली (24 जनवरी 1970):
“अब घर लौटने की तैयारी करो — यही मेरा मुख्य संदेश है।”
इस संदेश ने लाखों आत्माओं को राजयोग सिखाया और उन्हें देव स्वरूप में परिवर्तित किया। इसी से जन्म हुआ — ईश्वरीय विश्व विद्यालय (Brahma Kumaris Godly University)।
6. ब्रह्मा बाबा — परमात्मा के दिव्य डाकिया
प्रश्न: ब्रह्मा बाबा को “डाकिया” क्यों कहा गया है?
उत्तर:जैसे डाकिया पत्र पहुँचाता है पर उसे लिखता कोई और होता है, वैसे ही ब्रह्मा बाबा परमात्मा के पत्र (मुरली संदेश) सब आत्माओं तक पहुँचाते हैं।
साकार मुरली (5 मार्च 1969):
“यह ब्रह्मा डाकिया है। मैं परमात्मा का पत्र इस मुख से बच्चों को भेजता हूँ।”
उदाहरण:
परमात्मा का “पत्र” है — मुरली।
और ब्रह्मा बाबा का “मुख” है — डाक का माध्यम, जिसके द्वारा ईश्वर की वाणी दुनिया तक पहुँचती है।
7. अब हम भी बने ईश्वर के संदेशवाहक
प्रश्न: आज ब्राह्मण आत्माओं का क्या दायित्व है?
उत्तर:अब हर ब्राह्मण आत्मा को भी वही कार्य करना है जो ब्रह्मा बाबा ने किया — ईश्वर का सन्देश संसार तक पहुँचाना।
अव्यक्त मुरली (16 अप्रैल 1970):
“जैसे ब्रह्मा ने मेरा संदेश सुनाया, वैसे ही अब तुम सब मेरे संदेशवाहक बनो।”
यही सच्ची Godly Service है — प्यार, पवित्रता और निश्चय के साथ ईश्वर का संदेश आगे बढ़ाना।
8. ईश्वर संदेशवाहक संबंध का आध्यात्मिक अर्थ
| तत्व | भूमिका | अर्थ |
|---|---|---|
| शिव बाबा | संदेशदाता | सत्य का सागर, परमात्मा |
| ब्रह्मा बाबा | संदेशवाहक | ईश्वर का मुख, माध्यम |
| हम बच्चे | सेवक | ईश्वर का संदेश आगे ले जाने वाले |
अव्यक्त मुरली (1971):
“बाप ने संदेश दिया, ब्रह्मा ने सुनाया, अब बच्चे उस संदेश को आगे पहुँचाएँ — यही संदेश है मुक्ति और जीवन-मुक्ति का।”
9. निष्कर्ष: ईश्वर के संदेश का दिव्य प्रवाह
शिव बाबा — संदेशदाता,
ब्रह्मा बाबा — संदेशवाहक,
हम — संदेश सेवक।
परमात्मा का दिव्य संदेश ब्रह्मा बाबा के मुख से होकर
संपूर्ण विश्व में प्रवाहित होता है।
यही है — “ईश्वर संदेशवाहक संबंध।”
Murli References Summary
| मुरली दिनांक | मुख्य बिंदु |
|---|---|
| 2 जनवरी 1969 | “मैं निराकार हूँ। बोलने के लिए ब्रह्मा तन में प्रवेश करता हूँ।” |
| 19 नवम्बर 1968 | “मैं सत्य का सागर हूँ, सत्य संदेश देता हूँ।” |
| 15 फरवरी 1969 | “यह माइक ब्रह्मा बाबा है। मैं शिव बाबा बोलता हूँ।” |
| 5 मार्च 1969 | “यह ब्रह्मा डाकिया है। मैं पत्र इस मुख से भेजता हूँ।” |
| 24 जनवरी 1970 | “अब घर लौटने की तैयारी करो — यही मेरा संदेश है।” |
| 16 अप्रैल 1970 | “अब तुम भी मेरे संदेशवाहक बनो।” |
| 1971 (अव्यक्त) | “बाप ने संदेश दिया, ब्रह्मा ने सुनाया, बच्चे आगे पहुँचाएँ।” |
डिस्क्लेमर (Disclaimer):यह वीडियो किसी धर्म, गुरु या आस्था का विरोध नहीं करता। इसका उद्देश्य केवल ब्रह्माकुमारीज़ की मुरलियों के आधार पर परमात्मा शिव और उनके माध्यम ब्रह्मा बाबा के दिव्य संबंध (ईश्वर संदेशवाहक संबंध) को आध्यात्मिक दृष्टि से समझाना है।
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