(17)फरिश्ता आत्मा को सदा संग अनुभव होता है शिवबाबा का
“फरिश्ता आत्मा को सदा शिव बाबा का संग अनुभव होता है |
फरिश्ता आत्मा और सदा संग का अनुभव
1. फरिश्ता आत्मा का सदा साथी कौन?
हर आत्मा चाहती है कि उसे ऐसा संग मिले जो कभी छूटे नहीं।
लेकिन दुनिया के सारे संग एक-न-एक दिन छूट जाते हैं।
Murli Note: अव्यक्त मुरली 21 जनवरी 1970 – बाबा कहते हैं, “फरिश्ता आत्मा को सदा अनुभव होता है कि शिव बाबा उसका सदा संग है।”
2. संग शरीर पर आधारित नहीं
शिव बाबा निराकार हैं, इसलिए उनका संग शरीर पर आधारित नहीं, आत्मा के साथ है।
जब आत्मा फरिश्ता बनती है, बाप समान बनती है तो बाप के साथी बन जाती है।
तब उसे ब्रह्मा बाबा और शिव बाबा – दोनों बापदादा का संग अनुभव होता है।
Murli Note: साकार मुरली 18 जनवरी 1969
उदाहरण: जैसे आत्मा शरीर के बिना भी है, वैसे ही शिव बाबा आत्मा के साथ निरंतर है।
3. बाबा का संग – निश्चिंतता और निर्भयता
जब आत्मा फरिश्ता स्वरूप में जाती है तो हर संकल्प और हर कार्य में बाबा का साथ अनुभव करती है।
उदाहरण: जैसे बच्चा माँ का हाथ पकड़कर चलता है तो निश्चिंत हो जाता है।
वैसे ही आत्मा बाबा को संग मानकर निर्भय हो जाती है।
4. बाबा का संग – शक्ति का स्रोत
Murli Note: साकार मुरली 7 जुलाई 1969 – बाबा कहते हैं, “सदा संग का अनुभव करने से आत्मा को शक्ति और निश्चिंतता प्राप्त होती है।”
उदाहरण: जैसे बैटरी चार्जिंग से जुड़ी रहे तो कभी खाली नहीं होती।
वैसे ही आत्मा बाबा से जुड़ी रहती है तो भरपूर रहती है।
5. फरिश्ता आत्मा की विशेषता
Murli Note: अव्यक्त मुरली 14 जून 1977 – फरिश्ता आत्मा यह नहीं सोचती कि बाबा दूर है।
उसे अनुभव होता है कि बाबा हर पल साथ है।
उदाहरण: जैसे हवा चारों ओर हर समय है, वैसे ही बाबा आत्मा के चारों ओर संग का अनुभव कराते हैं।
6. संग का प्रभाव
Murli Note: साकार मुरली 22 सितंबर 1969 – बाबा का संग अनुभव करने से आत्मा कभी अकेलापन या भय महसूस नहीं करती।
उदाहरण: जैसे दीपक अंधकार में अकेला नहीं होता क्योंकि उसकी लौ उसके साथ है।
वैसे ही आत्मा बाबा के संग से प्रकाशित रहती है।
7. निष्कर्ष
फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी निशानी यही है कि वह सदा यह अनुभव करती है –
“शिव बाबा मेरा सच्चा साथी है, वह हर पल मेरे संग है।”
यही अनुभव आत्मा को शक्तिशाली, निडर और बहादुर बना देता है।
फरिश्ता आत्मा को शिव बाबा का सदा संग अनुभव क्यों होता है?
प्रश्न 1: फरिश्ता आत्मा को किसका सदा संग अनुभव होता है?
उत्तर: फरिश्ता आत्मा को शिव बाबा का सदा संग अनुभव होता है। (अव्यक्त मुरली 21 जनवरी 1970)
प्रश्न 2: दुनिया के सारे संग और बाबा के संग में क्या अंतर है?
उत्तर: दुनिया के सारे संग एक न एक दिन छूट जाते हैं, जबकि शिव बाबा का संग आत्मा के साथ सदा अटूट रहता है। (साकार मुरली 18 जनवरी 1969)
प्रश्न 3: शिव बाबा का संग शरीर पर आधारित क्यों नहीं है?
उत्तर: क्योंकि शिव बाबा निराकार हैं, उनका संग आत्मा के साथ है, शरीर पर निर्भर नहीं। (साकार मुरली 18 फरवरी)
प्रश्न 4: शिव बाबा के सदा संग का अनुभव आत्मा को क्या शक्ति देता है?
उत्तर: आत्मा को निश्चिंतता और शक्ति प्राप्त होती है, जैसे लगातार चार्जिंग से जुड़ी बैटरी कभी खाली नहीं होती। (साकार मुरली 7 जुलाई 1969)
प्रश्न 5: फरिश्ता आत्मा बाबा को दूर क्यों नहीं मानती?
उत्तर: क्योंकि उसे हर पल अनुभव होता है कि बाबा साथ है, जैसे हवा हर समय चारों ओर रहती है। (अव्यक्त मुरली 14 जून 1977)
प्रश्न 6: बाबा का संग अनुभव करने से आत्मा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: आत्मा को न अकेलापन महसूस होता है, न भय। जैसे दीपक अंधकार में अकेला नहीं होता क्योंकि उसकी लौ साथ रहती है। (साकार मुरली 22 सितंबर 1969)
प्रश्न 7: फरिश्ता आत्मा की सबसे बड़ी निशानी क्या है?
उत्तर: उसकी सबसे बड़ी निशानी यह है कि वह हर समय अनुभव करती है कि शिव बाबा सदा उसका साथी है।
Disclaimer (डिस्क्लेमर)
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ की मुरली और आध्यात्मिक शिक्षाओं पर आधारित है।
इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक उत्थान, शांति और प्रेरणा देना है।
यह किसी धर्म, सम्प्रदाय या व्यक्ति विशेष के पक्ष या विपक्ष में नहीं है।
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