(18)Shadow. Perhaps it’s called Shadow in English. Learn what it is, why it’s wrong to be afraid, and how to avoid it.

भूत ,प्रेत:-(18)परछाई (साया)। शायद अंग्रेज़ी में इसे Shadow कहा जाता है। जानिए क्या है, क्यों डरना गलत है और कैसे बचे?

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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अध्याय 18: परछाई (साया) — आत्मा की छवि या डर की छाया?

मुरली संदर्भ: 22 अक्टूबर 2025
मुख्य बिंदु:

  • आत्म चेतना

  • भय मुक्ति

  • जागरूकता


 परिचय: डर नहीं, समझ ज़रूरी है

कई बार लोग कहते हैं — “मुझे साया दिखा”, “कोई परछाई मेरे पीछे थी”।
पर क्या वाकई यह कोई बाहरी आत्मा होती है? या हमारी अपनी चेतना का ही प्रतिबिंब?

बाबा कहते हैं —

“मीठे बच्चे, आत्मा अपनी ही स्थिति का अनुभव बाहर करती है। डरने की नहीं, समझने की बात है।”
(मुरली 22 अक्टूबर 2025)

डर हमारी शक्ति घटाता है, जबकि समझ हमें सशक्त बनाती है।
जब हम डरते हैं, तो हमारी ऊर्जा नीचे जाती है —
लेकिन जब हम जागरूक होते हैं, तो आत्मा की शक्ति ऊपर उठती है।


 परछाई (साया) क्या होती है?

आध्यात्मिक रूप से “साया” कोई बाहरी प्रेत या आत्मा नहीं,
बल्कि हमारी चेतना की छाया होती है।

जब आत्मा शरीर-चेतना में आ जाती है,
तो भीतर अस्थिरता, भय, या पुराना अनुभव एक सूक्ष्म प्रभाव के रूप में “छाया” बन सकता है।

उदाहरण:
यदि किसी ने किसी से अपमान झेला है और उसे भूल नहीं पाया,
तो वह भावना भीतर एक ऊर्जा छाया की तरह बनी रहती है।
कभी वह भय बनकर, कभी असुरक्षा बनकर सामने आती है।

बाबा कहते हैं —

“आत्मा जो सोचती है, वही उसके चारों ओर वायुमंडल बनता है।”
(साकार मुरली, 14 अप्रैल 1969)


 परछाई से डरना क्यों गलत है?

डर आत्मा की शक्ति को खा जाता है।
भय में हम अपनी स्मृति शक्ति और निर्णय शक्ति खो देते हैं।

उदाहरण:
रात में कोई साया दिखा और कोई डर गया —
उसने तुरंत भय की ऊर्जा सक्रिय कर दी।
लेकिन जो कहे — “मैं आत्मा हूं, यह सब नाटक का दृश्य है”,
वह भय की जगह ज्ञान को सक्रिय कर देता है।

बाबा सिखाते हैं —

“जब डर लगे, तो समझो यह देह-अभिमान का संकेत है।
मैं निराकार आत्मा हूं — यह याद डर को मिटा देती है।”
(अव्यक्त वाणी, 20 जनवरी 1980)


 कैसे बचे?

भय की स्थिति में तीन सरल अभ्यास करें:

  1. शांत रहें।
    कुछ भी न बोलें, बस ध्यान अंदर ले जाएं।

  2. गहरी सांस लें।
    हर सांस के साथ सोचें — “मैं आत्मा हूं, मैं शक्ति हूं।”

  3. याद रखें:
    “परमपिता शिव मेरा रक्षक है।”

बाबा कहते हैं —

“बच्चे, जब कोई डरावना दृश्य सामने आए,
तो बाबा को याद करो — तुम्हारे चारों ओर प्रकाश मंडल बन जाएगा।”
(अव्यक्त वाणी, 22 अक्टूबर 1978)


 क्या परछाई वास्तव में दिखाई देती है?

कभी यह आंखों से नहीं, बल्कि चेतना स्तर पर अनुभव होती है।
जो मन में चल रहा है, वही बाहरी दृश्य के रूप में प्रतिबिंबित हो सकता है।

उदाहरण:
किसी को लगता है कि कोई उसे पीछे से देख रहा है —
असल में यह उसके भीतर की असुरक्षा या अपराध-बोध की अनुभूति है।


 परछाई बनाम टोटका आत्माएं

तुलना परछाई टोटका आत्माएं
आधार आंतरिक चेतना की विकृति बाहरी लोक-परंपराएं
स्वरूप मानसिक/भावनात्मक प्रभाव सांस्कृतिक विश्वास
उपाय आत्म-जागरूकता और ध्यान ज्ञान और विवेक से मुक्ति

🪷 उदाहरण:
यदि किसी को लगता है कोई “ऊर्जा” पीछे है,
तो पहले खुद से पूछें — “क्या मैं अंदर से शांत हूं?”
अक्सर उत्तर वहीं होता है।


 परछाई से जुड़े तीन प्रेरक किस्से

कहानी 1: डर में जागृति

एक साधक रात में ध्यान कर रहा था। पीछे से कदमों की आहट सुनाई दी।
वह बोला — “मैं आत्मा हूं, बाबा मेरा साथी है।”
क्षणभर में डर गायब।
संदेश: डर आत्म-स्मृति की परीक्षा है।


कहानी 2: अहंकार की छाया

एक व्यक्ति ने देखा कि दीवार पर उसकी छाया बड़ी हो रही है।
वह समझ गया — “यह मेरा अहंकार है।”
ज्यों ही उसने विनम्रता अपनाई, छाया छोटी लगने लगी।
संदेश: अहंकार ही भय की सबसे बड़ी छाया है।


कहानी 3: समूह की शक्ति

एक ध्यान समूह में किसी कोने में हल्की परछाई जैसी अनुभूति हुई।
सभी ने मिलकर बाबा को याद किया —
और वातावरण प्रकाशमय बन गया।
संदेश: सामूहिक योग से हर छाया मिट सकती है।


 निष्कर्ष: साया गुरु है, डर नहीं

परछाई कोई शत्रु नहीं —
वह हमें हमारी चेतना की स्थिति दिखाने आई है।

डरें नहीं, उसे आत्मिक दर्पण मानें।
जैसे प्रकाश बढ़ता है, वैसे ही छाया मिटती है।

संकल्प लें:

“मैं आत्मा हूं। मैं प्रकाश हूं।
मेरा साया मेरा शिक्षक है, मेरा डर नहीं।”


 मुरली प्रेरणा (22 अक्टूबर 2025)

“मीठे बच्चे, आत्मा जब परमपिता की याद में रहती है,
तो कोई भी भय, परछाई या बाधा उसके पास नहीं आ सकती।
तुम ज्योति-बिंदु हो, सदा उज्ज्वल रहो।”


 वीडियो के लिए अंतिम लाइन:

“डर से नहीं, ज्ञान से मुक्ति मिलती है।
इसलिए आज से कहें — मैं आत्मा हूं, मैं प्रकाश हूं।”

परछाई (साया) — आत्मा की छवि या डर की छाया?

मुख्य बिंदु: आत्म चेतना • भय मुक्ति • जागरूकता


प्रश्न 1: “परछाई” (साया) वास्तव में क्या होती है?

उत्तर:
आध्यात्मिक दृष्टि से “साया” कोई बाहरी आत्मा नहीं, बल्कि हमारी चेतना की छवि होती है।
जब आत्मा शरीर-अभिमान में आ जाती है, तो भय, असुरक्षा या पुराना अनुभव एक सूक्ष्म ऊर्जा बनकर “छाया” का रूप ले लेता है।
यह हमारे अंदर की स्थिति का प्रतिबिंब है, बाहर से आई हुई शक्ति नहीं।

उदाहरण:
किसी ने कोई दुखद अनुभव झेला और उसे भूल नहीं पाया —
वह भावना अंदर छिपी रहती है और समय-समय पर “साया” की अनुभूति देती है।

मुरली संदर्भ:
“आत्मा अपनी ही स्थिति का अनुभव बाहर करती है। डरने की नहीं, समझने की बात है।”
(मुरली 22 अक्टूबर 2025)


प्रश्न 2: परछाई से डरना क्यों गलत है?

उत्तर:
डर आत्मा की शक्ति को कम करता है और चेतना को नीचे खींचता है।
भय में मन निर्णय शक्ति खो देता है, जबकि समझ आत्मा को सशक्त बनाती है।

उदाहरण:
यदि रात में कोई साया दिखे और आप डर जाएं, तो भय की ऊर्जा सक्रिय हो जाती है।
लेकिन यदि आप याद करें — “मैं आत्मा हूं, यह सब नाटक का दृश्य है,”
तो डर मिट जाता है और आत्मिक शक्ति बढ़ती है।

मुरली संदर्भ:
“जब डर लगे, तो समझो यह देह-अभिमान का संकेत है।
मैं निराकार आत्मा हूं — यह याद डर को मिटा देती है।”
(अव्यक्त वाणी, 20 जनवरी 1980)


प्रश्न 3: क्या परछाई सचमुच दिखाई देती है?

उत्तर:
कभी यह आंखों से नहीं, बल्कि चेतना स्तर पर अनुभव होती है।
जो विचार, भावनाएं या असुरक्षा हमारे भीतर होती हैं,
वे ही बाहर “अनुभव” या “छाया” के रूप में प्रकट हो सकती हैं।

उदाहरण:
किसी को लगता है कि कोई पीछे से देख रहा है —
असल में यह उसकी आंतरिक असुरक्षा की झलक है, कोई बाहरी शक्ति नहीं।


प्रश्न 4: भय की स्थिति में क्या करें?

उत्तर:
तीन सरल अभ्यास करें:

  1. शांत रहें — कुछ पल चुप होकर मन अंदर ले जाएं।

  2. गहरी सांस लें — हर सांस के साथ सोचें, “मैं आत्मा हूं, मैं शक्ति हूं।”

  3. स्मृति में रहें — “परमपिता शिव मेरा रक्षक है।”

मुरली प्रेरणा:
“जब कोई डरावना दृश्य सामने आए, तो बाबा को याद करो —
तुम्हारे चारों ओर प्रकाश-मंडल बन जाएगा।”
(अव्यक्त वाणी, 22 अक्टूबर 1978)


प्रश्न 5: परछाई (साया) और टोटका आत्माओं में क्या अंतर है?

तुलना परछाई टोटका आत्माएं
आधार आंतरिक चेतना की स्थिति बाहरी लोक-परंपराएं
स्वरूप मानसिक/भावनात्मक प्रभाव सांस्कृतिक विश्वास
उपाय आत्म-जागरूकता और ध्यान विवेक और आत्म-ज्ञान से मुक्ति

उदाहरण:
यदि लगता है कि कोई “ऊर्जा” पीछे है — पहले पूछें,
“क्या मैं अंदर से शांत हूं?”
अक्सर उत्तर भीतर ही होता है।

प्रश्न 6: परछाई से हमें क्या सिख मिलती है?

उत्तर:
साया हमें यह दिखाती है कि हमारी चेतना में कौन-सा अंधकार अभी शेष है।
वह कोई शत्रु नहीं, बल्कि गुरु है जो बताती है कि कहाँ प्रकाश बढ़ाना है।
जैसे-जैसे आत्म-जागरूकता बढ़ती है, वैसे-वैसे परछाई मिटती जाती है।

मुरली संदर्भ:
“मीठे बच्चे, आत्मा जब परमपिता की याद में रहती है,
तो कोई भय, परछाई या बाधा पास नहीं आ सकती।”
(मुरली 22 अक्टूबर 2025)


प्रश्न 7: साया से मुक्ति के लिए क्या आत्म-स्मृति पर्याप्त है?

उत्तर:
हाँ। “मैं आत्मा हूं” की स्मृति सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है।
यह स्मरण हमारी चेतना को ऊँचा कर देता है और कोई भी नकारात्मक प्रभाव पास नहीं आता।

संकल्प:
“मैं आत्मा हूं, मैं प्रकाश हूं।
मेरा साया मेरा शिक्षक है, मेरा डर नहीं।”


प्रश्न 8: सामूहिक चेतना साया पर कैसे प्रभाव डालती है?

उत्तर:
जब कई आत्माएं एक साथ बाबा की याद में रहती हैं,
तो उनका सामूहिक योग वातावरण को प्रकाशमय बना देता है।
जहां प्रकाश है, वहां छाया नहीं रह सकती।

कहानी उदाहरण:
एक ध्यान समूह में किसी कोने में साया जैसी अनुभूति हुई।
सबने बाबा को याद किया — कुछ क्षणों में वह अनुभूति गायब।
 संदेश: सामूहिक योग से हर छाया मिट सकती है।


निष्कर्ष:

परछाई डर की नहीं, चेतना की परीक्षा है।
जब हम आत्म-जागरूक होते हैं, तो हर साया मिट जाती है।

संदेश:
“डर से नहीं, ज्ञान से मुक्ति मिलती है।”
“मैं आत्मा हूं, मैं प्रकाश हूं।”

Disclaimer

यह वीडियो 22 अक्टूबर 2025 की मुरली से प्रेरित आध्यात्मिक चिंतन पर आधारित है।
इसका उद्देश्य भय उत्पन्न करना नहीं, बल्कि ज्ञान और आत्म-जागरूकता बढ़ाना है।
यह कोई आधिकारिक ब्रह्माकुमारी मुरली संस्करण नहीं है, बल्कि अध्ययन और मनन हेतु तैयार की गई सामग्री है।

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