करवा चौथ का आध्यात्मिक रहस्य आज हम उसका 19वा विषय करेंगे।
सच्चा करवा चौथ
क्या आत्मिक उपवास ही असली व्रत है?
क्या करवा चौथ का गुप्त अर्थ आत्मिक उपवास
काम विकारों से हो सकता है?
उपवास का बाह्य और आंतरिक अर्थ।
भक्ति मार्ग में उपवास का अर्थ है अन्न, जल
या किसी भौतिक वस्तु का त्याग।
परंतु ज्ञान मार्ग में उपवास का अर्थ है
विकारों, देह अभिमान
और नकारात्मक संस्कारों का त्याग।
साकार मुरली 12 फरवरी 1970
शिव बाबा कहते बच्चे
ये देह का उपवास नहीं
आत्मा का उपवास चाहिए, देह का उपवास नहीं
आत्मा का उपवास चाहिए।
आत्मा जब काम विकारों से उपवास करती है
तभी पवित्र बनती है।
काम विकार ही आत्मा की सबसे बड़ी भूख।
परमात्मा शिव ने कहा, साकार मुरली 18 अप्रैल 1968
शिव बाबा कहते हैं
संसार की सारी अशांति का मूल कारण है काम विकार।
जिस प्रकार शरीर को अन्न की भूख सताती है,
वैसे ही आत्मा को विकारों की भूख बार-बार नीचे गिराती है।
इसलिए आत्मा को इस विकारी भूख से उपवास करना ही सच्ची तपस्या है।
उदाहरण: जैसे डॉक्टर रोगी को कहता है,
“अब मीठा मत खाना, ये तुम्हारे शरीर को नुकसान देगा।”
इसी प्रकार ईश्वर कहते हैं,
“अब विकारों का भोजन मत करना।”
यह आत्मा की शक्ति को नष्ट कर देता है।
आत्मिक उपवास का अर्थ है विचारों की शुद्धि,
स्मृति की पवित्रता,
ईश्वर की याद में रहना।
साकार मुरली 10 अक्टूबर 1972
शिव बाबा कहते बच्चे,
जब तुम मुझको याद करते हो
तो तुम्हारी आत्मा पवित्र बनती है।
यही सच्चा उपवास है।
विकारों से दूर रहना।
इस उपवास में आत्मा अन्न छोड़ती नहीं,
बल्कि रावण के पांच विकारों को भी छोड़ देती है।
करवा चौथ का गुप्त अर्थ है
विकारों से उपवास करवा, ज्ञान का पात्र।
चौथ – चार मुख्य विकार:
काम, क्रोध, लोभ, मोह।
तो करवा चौथ का गुप्त अर्थ क्या हुआ?
साकार मुरली 22 जुलाई 1969
शिव बाबा कहते हैं,
“ज्ञान का करवा भरकर का उपवास करना।”
जैसे दुनिया वाले अन्न का उपवास करते हैं, अन्न नहीं खाते हैं।
वैसे ही हमने चारों विकारों को अपने पास आने नहीं देना।
क्योंकि अशुद्ध अहंकार तो हम खत्म कर देंगे।
जब तक अशुद्ध अहंकार खत्म नहीं होगा, शुद्ध अहंकार में नहीं आएंगे, तब तक ये चारों विकार निकल नहीं सकते।
शुद्ध अहंकार में ही ये चारों अवगुण विकार निकलेंगे।
मैं तुम बच्चों को ज्ञान का करवा देता हूँ।
जब इस ज्ञान से आत्मा विकारों से उपवास करती है,
तब ही सच्चा व्रत कहा जाता है।
काम विकार से उपवास कैसे करें?
साकार मुरली 5 जनवरी 1971
शिव बाबा कहते हैं, काम विकार सबसे बड़ा शत्रु है,
जो आत्मा की शक्ति को नष्ट करता है।
इसलिए सच्चा उपवास यह है कि
आत्मा देह अभिमान से मुक्त हो जाती है।
विचारों की पवित्रता रखें।
परमात्मा शिव की याद में रहे।
उदाहरण: जैसे कोई व्यक्ति जल का उपवास करता है,
तो केवल जल न पीकर संयम रखता है।
वैसे ही आत्मा को काम विकार की तरंगों से संयम रखना है।
आत्मिक उपवास का फल – दिव्यता की प्राप्ति।
जब आत्मा काम विकार से उपवास करती है,
तब उसमें आनंद, शक्ति और शांति स्वतः भरने लगती है।
साकार मुरली 14 फरवरी 1988
शिव बाबा कहते हैं,
जब बच्चे सच्चा आत्मिक उपवास करते हैं,
तब बाप उनमें शक्ति का सागर भर देता है।
इस स्थिति में आत्मा का आत्मिक सौंदर्य चमक उठता है।
वे देवी-देवता स्वरूप में प्रवेश करती हैं।
निष्कर्ष:
सच्चा करवा चौथ – विकारों से आत्मिक उपवास।
भक्ति में एक दिन का उपवास होता है,
ज्ञान में जीवन भर का आत्मिक उपवास।
भक्ति में चांद देखने पर व्रत खुलता,
ज्ञान में जब आत्मा विकार रहित बनती है, वही सच्ची पूर्णिमा।
साकार मुरली 9 अक्टूबर 1985
शिव बाबा कहते हैं,
सच्चा उपवास वह है जिसमें आत्मा कोई भी अशुद्ध संकल्प न करें।
यही सच्ची तपस्या है।
समापन संदेश:
सच्चा करवा चौथ या सच्चा उपवास
ना अन्न का त्याग है, ना जल का त्याग।
हमने यह झूठे त्याग तो करने नहीं।
यह है विकारों और नकारात्मक संकल्पों का त्याग।
जो आत्मा विकारों से उपवास करती है, वही सच्ची करवा चौथ वृत्त कहलाती है।
जो सदा परमात्मा शिव से जुड़ी रहती है, अमर सौभाग्यशाली बनती है।