(19)अखंड ज्योति का असली रहस्य दीपक क्यों जलाते हैं?
अखंड ज्योति का असली रहस्य | दीपक क्यों जलाते हैं? |
1. नवरात्रि और अखंड ज्योति का रहस्य
हिंदू धर्म में नवरात्रि या माता के जागरण पर अखंड ज्योति जलाने की परंपरा है।
अखंड ज्योति का अर्थ है – ऐसा दीपक जो लगातार जलता रहे और बुझने न पाए।
लेकिन प्रश्न उठता है – क्या यह केवल तेल और बाती का प्रतीक है, या इसके पीछे कोई गहरा आध्यात्मिक रहस्य छिपा है?
2. गीता और ज्योति का आध्यात्मिक अर्थ
भगवद गीता अध्याय 13 श्लोक 17 में कहा गया है –
“ज्योतिषामपि तज्ज्योतिः” – परमात्मा स्वयं प्रकाश का भी प्रकाश है।
इसका अर्थ है कि परमात्मा ही वह दिव्य ज्योति है जो सभी आत्माओं और पूरे सृष्टि को प्रकाशमान करती है।
इसीलिए परमात्मा को “नूर” और “ज्योति बिंदु” कहा जाता है।
3. आत्मा और परमात्मा का ज्योति स्वरूप
आत्मा भी एक सूक्ष्म ज्योति बिंदु है, और परमात्मा भी निराकार ज्योति बिंदु हैं।
दोनों का शरीर जैसा कोई रूप नहीं है।
जब आत्मा परमात्मा को याद करती है, तो उसके भीतर दिव्य प्रकाश फैलता है – यही सच्ची अखंड ज्योति है।
4. ज्ञान का तीसरा नेत्र
बाहरी दीपक हमें केवल स्मरण दिलाता है, लेकिन असली ज्योति है –
ज्ञान का तीसरा नेत्र।
यही वह ज्योति है जिसके द्वारा आत्मा और परमात्मा का अनुभव किया जा सकता है।
यह ज्ञान का प्रकाश अज्ञानता के अंधकार को मिटाता है।
5. सभी धर्मों में ज्योति की परंपरा
हिंदू मंदिरों में दीपक जलते हैं।
सिख धर्म में गुरु नानक जी ने कहा – “एक नूर ते सब जग उपजा।”
ईसाई धर्म में चर्च में मोमबत्तियाँ जलती हैं।
इस्लाम में अल्लाह को “नूर” कहा गया है।
बौद्ध और जैन मंदिरों में भी अखंड ज्योति 24 घंटे जलती रहती है।
यह सब हमें याद दिलाता है कि परमात्मा ही अनंत ज्योति हैं।
6. असली अखंड ज्योति क्या है?
बाहरी दीपक केवल प्रतीक है।
सच्ची अखंड ज्योति वह है जब आत्मा परमात्मा की याद में स्थिर रहती है और ज्ञान के प्रकाश से जागृत रहती है।
यही वास्तविक दीप जलाना है।
7. मुरली का संदेश
मुरली 24 फरवरी 2025 –
“बच्चे, मैं भी ज्योति बिंदु हूँ और तुम मुझे ही याद करो।”
मुरली 10 मार्च 2025 –
“अखंड ज्योति का अर्थ है – परमात्मा की याद में निरंतर स्थिर रहना।”
8. निष्कर्ष – अमर ज्योति
परमात्मा एक अमर प्रकाश हैं, जो कभी खंडित नहीं हो सकता।
जब आत्मा परमात्मा की याद में रहती है, तभी जीवन सच्चे अर्थों में प्रकाशमय बनता है।
यही है अखंड ज्योति का वास्तविक रहस्य।
अखंड ज्योति का असली रहस्य | Questions & Answers |
Questions & Answers
Q1. अखंड ज्योति क्या है और इसे क्यों जलाया जाता है?
Ans: अखंड ज्योति का अर्थ है ऐसा दीपक जो बिना बुझे लगातार जलता रहे। इसे नवरात्रि, पूजन या जागरण में जलाया जाता है। इसका गहरा अर्थ है – आत्मा को परमात्मा की याद में निरंतर जागृत रखना।
Q2. क्या दीपक केवल तेल और बाती का प्रतीक है?
Ans: नहीं। बाहरी दीपक केवल प्रतीक है। असली दीपक आत्मा है, जिसे ज्ञान और परमात्मा की याद से प्रज्वलित किया जाता है।
Q3. गीता में परमात्मा को ज्योति क्यों कहा गया है?
Ans: गीता अध्याय 13 श्लोक 17 में कहा गया है – “ज्योतिषामपि तज्ज्योतिः” अर्थात् परमात्मा स्वयं प्रकाश का भी प्रकाश है। इसलिए उन्हें दिव्य ज्योति या नूर कहा जाता है।
Q4. आत्मा और परमात्मा को ज्योति बिंदु क्यों कहा जाता है?
Ans: क्योंकि दोनों का कोई भौतिक आकार नहीं है। वे सूक्ष्मतम प्रकाश बिंदु हैं। हम उन्हें चित्रित नहीं कर सकते, लेकिन ज्ञान और योग द्वारा अनुभव कर सकते हैं।
Q5. असली अखंड ज्योति किसे कहा जाता है?
Ans: असली अखंड ज्योति तब होती है जब आत्मा निरंतर परमात्मा की याद में स्थिर रहती है और ज्ञान का प्रकाश फैलाती है। यही जीवन का वास्तविक प्रकाश है।
Q6. क्या सभी धर्मों में ज्योति का महत्व है?
Ans: हाँ।
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हिंदू धर्म में दीपक,
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सिख धर्म में “एक नूर ते सब जग उपजा”,
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ईसाई धर्म में चर्च की मोमबत्तियाँ,
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इस्लाम में “अल्लाह नूर है”,
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जैन और बौद्ध मंदिरों में अखंड ज्योति –
सब यही बताते हैं कि परमात्मा प्रकाश स्वरूप हैं।
Disclaimer (डिस्क्लेमर)
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ की आध्यात्मिक शिक्षाओं और मुरली आधारित ज्ञान पर बनाया गया है। इसका उद्देश्य केवल आत्मिक जागृति और आध्यात्मिक समझ बढ़ाना है। इसमें दी गई बातें किसी धर्म, पंथ या व्यक्ति की आलोचना के लिए नहीं हैं। यह केवल आध्यात्मिक अध्ययन और सकारात्मक जीवन शैली के लिए है।
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