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(25)

November 8, 2025November 8, 2025omshantibk07@gmail.com

भूत ,प्रेत:-(25)मुर्दा आत्मा क्या होती है? आत्मा कभी मुर्दा हो सकती है? कौन बताएंगे?

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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प्रस्तावना

अक्सर लोग पूछते हैं — “क्या आत्मा मर सकती है?”
क्या आत्मा का अंत होता है?
क्या “मुर्दा आत्मा” सच में होती है — या यह केवल डर और अज्ञान का परिणाम है?

शिव बाबा की मुरलियों में इस विषय का अत्यंत गहरा और वैज्ञानिक रूप से स्पष्ट उत्तर मिलता है —
आत्मा कभी मरती नहीं, केवल देह बदलती है।
परंतु जब आत्मा गुण और शक्तियों से खाली हो जाती है, तब वह “जीवित होकर भी मुर्दा” कहलाती है।


 1. मुर्दा आत्मा क्या होती है?

मुर्दा आत्मा वह होती है,
जो जीवित तो है, परंतु अंदर से निर्जीव — शक्ति, प्रेम, और शांति से खाली।

“जब आत्मा में गुण और शक्ति की कमी आ जाती है, तब आत्मा मुर्दा बन जाती है।”

उदाहरण:
जैसे एक बल्ब बिजली से जुड़ा न हो तो वह अंधकार में रहता है,
वैसे ही आत्मा जब परमात्मा से कनेक्शन तोड़ देती है,
तो उसमें प्रकाश नहीं रहता — वह “मुर्दा आत्मा” बन जाती है।


 2. भूत और मुर्दा आत्मा में अंतर

भूत आत्मा:
वह आत्मा जो देह छोड़ने के बाद भी संबंध, वस्तु या व्यक्ति से आसक्त रहती है।

मुर्दा आत्मा:
वह आत्मा जो देह से अलग होकर शांति नहीं पा सकी —
क्योंकि उसमें क्रोध, बदला या अधूरी भावना रह गई।

उदाहरण:
किसी व्यक्ति की हत्या हो गई — आत्मा देह छोड़ चुकी है,
पर बदले की भावना के कारण वह भटकती रहती है।
यह “मुर्दा आत्मा” कहलाती है।


 3. मुरली से स्पष्टता — आत्मा कभी नहीं मरती

मुरली दिनांक: 3 फरवरी 1984

“आत्मा अजर-अमर है। देह बदलती है, पर आसक्ति के कारण आत्मा भटकती है।
इसे ही लोग भूत या मृत आत्मा कहते हैं।
मृत आत्मा नहीं होती — मृत शरीर होता है।”

यह देह अभिमान की भाषा है कि “आत्मा मर गई” —
जबकि आत्मा अमर और अविनाशी है।


4. आत्माएं क्यों भटकती हैं?

हर आत्मा के पास कार्मिक अकाउंट होता है।
यदि किसी के साथ अधूरा हिसाब या भावना रह जाए,
तो आत्मा उनके पास खिंच जाती है।

कभी संकेत देती है —
जैसे सपने में आना, नाम सुनाई देना, फोटो गिरना या मन में संदेश देना।

मुरली दिनांक: 12 सितंबर 1983

“आत्माएं सूक्ष्म रूप में संकेत दे सकती हैं।
सूक्ष्म रूप पिक्चर की तरह होता है —
वह मार्गदर्शन भी दे सकती है या भ्रम भी।”

उदाहरण:
किसी घर में मृत्यु के बाद आत्मा सपने में आकर कहती है —
“मेरी तिजोरी के कागज़ संभाल लेना।”
अगले दिन सच में वे कागज़ मिल जाते हैं।


 5. क्या मुर्दा आत्माएं हानि पहुँचा सकती हैं?

हाँ, यदि उनके अंदर क्रोध, द्वेष या बदला है —
तो वे दुख देने का माध्यम बन सकती हैं।
परंतु वे स्वयं कुछ नहीं कर सकतीं।
उनका प्रभाव केवल कंपन (vibrations) के माध्यम से होता है।

मुरली दिनांक: 21 जनवरी 1985

“डरना नहीं, प्रकाश बनो —
तो अंधियारा स्वयं दूर हो जाएगा।”


 6. आत्माओं से बचाव के आध्यात्मिक उपाय

1. अमृतवेला योग:
प्रातःकाल परमात्मा से जुड़ने का समय।
यह आत्मा को ईश्वरीय प्रकाश से भर देता है।

2. घर में “ओम शांति” के वाइब्रेशन:
शांति के संकल्प वातावरण को पवित्र बनाते हैं।

3. शिव स्मृति या गायत्री मंत्र:
मन को शक्ति और सुरक्षा प्रदान करते हैं।

4. माफी और शुभ भावना:
यदि किसी आत्मा से पुराना बंधन है,
तो माफी और शुभ भावना से वह स्वतः मुक्त हो जाती है।


 7. क्या आत्माएं शुभ भी होती हैं?

हाँ, कुछ आत्माएं परिवार को चेतावनी देने या रक्षा करने के लिए आती हैं।
वे हानि नहीं करतीं, बल्कि मार्गदर्शन देती हैं।

परंतु स्थायी समाधान आत्माओं से नहीं —
परमात्मा से जोड़ने में है।


 8. आध्यात्मिक संदेश

  • मृत्यु अंत नहीं, एक देह परिवर्तन है।

  • आत्मा अमर और अविनाशी है।

  • भय से नहीं, प्रकाश से रक्षा होती है।

  • योग में रहो — आत्मा को शांति दो, डर को नहीं।

मुरली सार:

“भय नहीं, प्रकाश बनो।
योगबल से आत्मा को शांति दो।” — (21 जनवरी 1985)


 निष्कर्ष

दोस्तों,
मुर्दा आत्माओं से डरने की नहीं,
बल्कि समझने की आवश्यकता है।

आत्मा कभी नहीं मरती —
वह केवल अपने कर्मों के अनुसार रूप बदलती है।

यदि आप योगी आत्मा बन जाते हैं,
तो कोई भी आत्मा आपको प्रभावित नहीं कर सकती।

डर मिटाओ — योग अपनाओ।
अंधकार नहीं, स्वयं प्रकाश बनो।

प्रश्न 1:

क्या आत्मा सच में मर सकती है?
क्या “मुर्दा आत्मा” जैसी कोई चीज़ है?

उत्तर:

शिव बाबा की मुरलियाँ स्पष्ट कहती हैं —
आत्मा कभी नहीं मरती, केवल देह बदलती है।
परंतु जब आत्मा गुण, शक्ति और शांति से खाली हो जाती है,
तब उसे “जीवित होकर भी मुर्दा आत्मा” कहा जाता है।

उदाहरण:
जैसे बिना बिजली का बल्ब जल नहीं सकता,
वैसे ही परमात्मा से कनेक्शन टूट जाने पर आत्मा अंधकार में चली जाती है।


1. मुर्दा आत्मा क्या होती है?

प्रश्न 2:

मुर्दा आत्मा किसे कहते हैं?

उत्तर:

मुर्दा आत्मा वह है जो
जीवित शरीर में है, पर आत्मिक रूप से निर्जीव —
प्रेम, शक्ति, शांति, करुणा से पूरी तरह खाली।

“जब आत्मा में गुण और शक्ति की कमी आ जाती है, तब आत्मा मुर्दा बन जाती है।”

उदाहरण:
एक मनुष्य बाहरी रूप से जीवित है,
पर भीतर से टूट चुका है, गुस्सा, नफरत और दुख से भर चुका है —
यह “मुर्दा आत्मा” की स्थिति है।


2. भूत और मुर्दा आत्मा में क्या अंतर है?

प्रश्न 3:

क्या भूत और मुर्दा आत्मा एक ही हैं?

उत्तर:

नहीं।

भूत आत्मा —
वह आत्मा है जो देह छोड़ने के बाद भी किसी व्यक्ति या वस्तु से आसक्त रहती है।

मुर्दा आत्मा —
वह आत्मा है जो अचानक मृत्यु, बदले की भावना,
या अधूरी इच्छा के कारण शांति नहीं पा सकी।

उदाहरण:
किसी की हत्या हो गई हो —
आत्मा देह छोड़ती है, पर बदले की भावना उसे भटकाती है।
यह “मुर्दा आत्मा” कहलाती है।


3. मुरली से स्पष्टता — आत्मा कभी नहीं मरती

प्रश्न 4:

क्या मुरली में “मृत आत्मा” शब्द स्वीकार किया गया है?

उत्तर:

बिल्कुल नहीं।

मुरली दिनांक: 3 फरवरी 1984

“आत्मा अजर-अमर है। देह बदलती है, पर आसक्ति के कारण आत्मा भटकती है।
मृत आत्मा नहीं होती — मृत शरीर होता है।”

“आत्मा मर गई” — यह देह अभिमान की भाषा है।
आत्मा अविनाशी है।


4. आत्माएं क्यों भटकती हैं?

प्रश्न 5:

यदि आत्मा अमर है, तो वह भटकती क्यों है?

उत्तर:

क्योंकि हर आत्मा के पास कार्मिक अकाउंट होता है।
जिससे अधूरा हिसाब है —
वही आत्मा को खींचता है।

आत्मा संकेत देती है:

  • सपने में दिखना

  • नाम सुनाई देना

  • फोटो गिर जाना

  • मन में संदेश आना

मुरली दिनांक: 12 सितंबर 1983

“आत्माएं सूक्ष्म रूप में संकेत दे सकती हैं।
सूक्ष्म पिक्चर जैसी होती है — मार्गदर्शन भी दे सकती है, भ्रम भी।”

उदाहरण:
घर में मृत्यु के बाद आत्मा ने सपने में कहा —
“मेरी तिजोरी के कागज़ संभाल लो।”
अगले दिन सच में वे कागज़ मिल गए।


5. क्या मुर्दा आत्माएं हानि पहुँचा सकती हैं?

प्रश्न 6:

क्या मुर्दा आत्माएं नुकसान कर सकती हैं?

उत्तर:

हाँ, यदि उनमें
क्रोध, द्वेष, बदले या पीड़ा की तीव्र भावना हो।

लेकिन —
वे स्वयं कुछ नहीं कर सकतीं।
उनका प्रभाव केवल वाइब्रेशन के माध्यम से होता है।

मुरली दिनांक: 21 जनवरी 1985

“डरना नहीं, प्रकाश बनो —
तो अंधियारा स्वयं दूर हो जाएगा।”


6. आत्माओं से बचाव के आध्यात्मिक उपाय

प्रश्न 7:

आत्माओं के प्रभाव से कैसे बचें?

उत्तर:

1. अमृतवेला योग
आत्मा को ईश्वरीय प्रकाश से भर देता है।

2. घर में ‘ओम शांति’ के वाइब्रेशन
भय की ऊर्जा को शांत ऊर्जा में बदल देते हैं।

3. शिव स्मृति या गायत्री मंत्र
आत्मा को सुरक्षा कवच देते हैं।

4. माफी और शुभ भावना
पुराने कर्मिक बंधनों को समाप्त करती है।


7. क्या आत्माएं शुभ भी होती हैं?

प्रश्न 8:

क्या भटकती आत्माएं केवल हानि ही पहुँचाती हैं?

उत्तर:

नहीं।
कुछ आत्माएं परिवार की रक्षा के भाव से भी आती हैं —
जैसे आगाह करना, संकट से बचाना, या महत्वपूर्ण संदेश देना।

परंतु स्थाई समाधान आत्माओं में नहीं —
परमात्मा योग में है।


8. आध्यात्मिक संदेश

प्रश्न 9:

इस पूरे विषय का आध्यात्मिक सार क्या है?

उत्तर:

  • मृत्यु अंत नहीं — देह परिवर्तन है।

  • आत्मा अविनाशी है — मरती नहीं।

  • भय नहीं, प्रकाश सुरक्षा देता है।

  • योग में रहो — आत्मा को शांति दो, डर को नहीं।

मुरली सार (21 जनवरी 1985):

“भय नहीं, प्रकाश बनो।
योगबल से आत्मा को शांति दो।”


निष्कर्ष

प्रश्न 10:

मुर्दा आत्माओं को लेकर अंतिम समझ क्या होनी चाहिए?

उत्तर:

मुर्दा आत्माओं से डरने की नहीं —
समझने की आवश्यकता है।

आत्मा कभी नहीं मरती।
वह केवल अपने कर्मों के अनुसार रूप, देह और लोक बदलती है।

यदि आप
योगी आत्मा, शक्तिशाली संकल्प, और ईश्वरीय स्मृति में रहते हैं —
तो कोई भी आत्मा आपको प्रभावित नहीं कर सकती।

डर मिटाओ — योग अपनाओ।
अंधकार नहीं, स्वयं प्रकाश बनो।


 डिस्क्लेमर (Disclaimer)

यह वीडियो Brahma Kumaris की आध्यात्मिक शिक्षाओं और मुरली सन्देशों पर आधारित है।
इसका उद्देश्य भय फैलाना नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागृति और सच्चे ज्ञान का प्रसार है।
यह सामग्री केवल आध्यात्मिक अध्ययन और स्व-परिवर्तन के लिए है।

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