(27)परमधाम में आत्मा बाप समान होती है तो परमात्मा और आत्मा में क्या अंतर होता है?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
🌸 परमधाम में आत्मा और परमात्मा – क्या अंतर है? |
आज का प्रश्न बहुत गहरा है —
जब आत्मा परमधाम में होती है, तब क्या वह परमात्मा के समान होती है?
और फिर आत्मा और परमात्मा में अंतर क्या रह जाता है?
🌟 चलिए इसको ब्रह्मा कुमारीज़ के ज्ञान अनुसार समझते हैं।
परमधाम को “परम अवस्था” कहा जाता है।
जहां न कोई संकल्प होता है, न कोई शब्द।
ना आत्मा कुछ सोचती है, ना परमात्मा।
वह है “पूर्ण शांति की अवस्था” — जिसे हम “डेड साइलेंस” भी कहते हैं।
🕊️ आत्मा और परमात्मा दोनों ही उस समय परमधाम में होते हैं, पर फिर भी दोनों में अंतर है।
परमात्मा — परम ज्योति स्वरूप, ज्ञान का सागर, सदा स्थिर, सदा शुद्ध।
आत्मा — अभिनेता, जो समय अनुसार अपना पार्ट बजाने के लिए आती है।
जब हम नए-नए ज्ञान में आते हैं, तो सवाल उठता है –
अगर परमात्मा परमधाम में है, तो वहाँ से हमें ज्ञान क्यों नहीं देता?
वह बात क्यों नहीं करता?
🔍 इसका उत्तर यही है कि –
परमात्मा तब तक कोई कार्य नहीं करता, जब तक सृष्टि चक्र में उसका पार्ट शुरू नहीं होता।
परमधाम में सब आत्माएं डेड साइलेंस में होती हैं।
न मन चलता है, न बुद्धि।
वह स्टेज ऐसी होती है जैसे कोई गहरा मौन —
अव्यक्त, अचल, अडोल।
🌌 और परमधाम कोई बहुत बड़ा स्थान नहीं है।
वह तो “अतीन्द्रिय सूक्ष्म लोक” है।
जहाँ स्पेस की भी ज़रूरत नहीं होती।
इतना सूक्ष्म कि पूरे ब्रह्मांड में एक “बिंदु” जितनी जगह भी नहीं लेता।
⏳ जब इस सृष्टि चक्र में एक बार फिर कर्म का समय आता है,
तब जैसे हर आत्मा में एक “अलार्म” बजता है —
और उस अलार्म के अनुसार आत्माएं अपनी-अपनी भूमिका निभाने आती हैं।
👁️ हर आत्मा का एक निश्चित समय होता है सृष्टि पर आने का।
कोई सबसे पहले आती है, कोई बाद में।
जिस आत्मा को सतयुग में आना है, उसका अलार्म पहले बजता है।
बाकी आत्माएं क्रम अनुसार आती हैं।
📽️ इस विषय पर हमने कुछ और वीडियो बनाए हैं —
जैसे कि “परमधाम क्या है?”, “आत्मा कैसे अवतरित होती है?”,
उनके लिंक आपको डिस्क्रिप्शन बॉक्स में मिल जाएंगे।
🎯 इसका सार यही है कि:
परमात्मा और आत्मा, दोनों परमधाम में होते हैं, लेकिन
परमात्मा “सर्वोच्च” है –
और आत्मा “कलाकार”।
💡 जब हम यह गूढ़ ज्ञान समझते हैं,
तब यह स्पष्ट हो जाता है कि
🌸 परमधाम – शांति, मौन और आत्मा की घर वापसी की याद है।
🌸 परमधाम में आत्मा और परमात्मा – क्या अंतर है?
❓ प्रश्न 1:जब आत्मा परमधाम में होती है, तो क्या वह परमात्मा के समान होती है?
✅ उत्तर:परमधाम में आत्मा और परमात्मा दोनों ही संकल्प रहित, पूर्ण शांति की अवस्था में होते हैं।
लेकिन फिर भी आत्मा और परमात्मा में मूल अंतर बना रहता है —
परमात्मा सदा ज्ञानस्वरूप है, परम ज्योति है,
जबकि आत्मा एक कलाकार है, जो अपने समय पर सृष्टि पर आकर पार्ट बजाती है।
❓ प्रश्न 2:जब आत्मा और परमात्मा दोनों मौन अवस्था में हैं, तो फिर परमात्मा अलग कैसे है?
✅ उत्तर:परमात्मा कभी जन्म–मरण में नहीं आता, वह अजन्मी और अव्यक्त है।
जबकि आत्मा को समय आने पर जन्म लेना होता है और कर्म करना होता है।
परमात्मा का कार्य केवल एक बार, संगम युग पर होता है –
जब वह ज्ञान देने आता है।
❓ प्रश्न 3:अगर परमात्मा परमधाम में है, तो हमें वहाँ से ज्ञान क्यों नहीं देता?
✅ उत्तर:परमात्मा तब तक कोई कार्य नहीं करता,
जब तक सृष्टि चक्र में उसका पार्ट नहीं शुरू होता।
जब संगम युग आता है और आत्माएं पुकारती हैं,
तब वह अवतरित होकर हमें ज्ञान देता है।
❓ प्रश्न 4:परमधाम कहां है और कैसा है?
✅ उत्तर:परमधाम कोई भौतिक स्थान नहीं, बल्कि एक अतीन्द्रिय, सूक्ष्म लोक है।
वह इतना सूक्ष्म है कि ब्रह्मांड में बिंदु समान स्थान लेता है।
वहाँ स्पेस, आवाज़, संकल्प – कुछ भी नहीं होता।
बस एक परम शांति और मौन की अवस्था होती है।
❓ प्रश्न 5:आत्माएं कब और कैसे परमधाम से आती हैं?
✅ उत्तर:हर आत्मा के भीतर एक आंतरिक अलार्म सेट होता है।
सृष्टि चक्र में जब उसका पार्ट शुरू होता है,
तो वह अलार्म बजता है और आत्मा शरीर धारण कर संसार में आती है।
कोई पहले आता है (जैसे सतयुगी आत्माएं),
कोई बाद में (जैसे कलियुगी आत्माएं)।
❓ प्रश्न 6:क्या परमधाम में आत्मा भी निष्क्रिय रहती है?
✅ उत्तर:जी हां, परमधाम में आत्मा पूरी तरह निष्क्रिय और शांत होती है।
ना वहाँ मन चलता है, ना बुद्धि।
कोई कर्म, संकल्प या अनुभूति नहीं होती —
बस पूर्ण विश्रांति की अवस्था।
❓ प्रश्न 7:आत्मा और परमात्मा – मुख्य अंतर क्या है?
✅ उत्तर:
-
परमात्मा – सदा शुद्ध, सदा ज्ञान स्वरूप, कभी जन्म नहीं लेता।
-
आत्मा – चक्र अनुसार जन्म लेती है, कर्म करती है, और फिर वापिस जाती है।
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