(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
BK बेसिक कोर्स मुस्लिम भाई बहनों के लिए–3-4/तौबा और योग से बुरे कर्मों का मिट जाना।
प्रस्तावना
हर इंसान अपने बुरे कर्मों से डरता है। जितना वह सामने वाले इंसान से नहीं डरता, उतना अपने कर्मों के हिसाब-किताब से डरता है।
सवाल है –
क्या तौबा (सच्चा पछतावा) या योग (परमात्मा से संबंध) से बुरे कर्मों का असर मिट जाता है?
कुरान का दृष्टिकोण
कुरान में लिखा है –
“जो व्यक्ति तौबा करता है और सुधरता है, अल्लाह उसके पापों को माफ कर देता है।”
इसका अर्थ है कि अगर इंसान सच्चे दिल से पछताए और सुधार की ओर बढ़े तो उसके पापों का बोझ हल्का हो जाता है।
बाबा भी यही कहते हैं –
“तन, मन, धन ईश्वरीय सेवा में लगाने से आत्मा हल्की होती है।”
ब्रह्माकुमारी ज्ञान का दृष्टिकोण
ब्रह्माकुमारी ज्ञान स्पष्ट करता है –
बुरे कर्मों का असर मिटाना केवल योग शक्ति से संभव है।
परमात्मा मार्गदर्शन देता है, पर आत्मा को स्वयं योग के द्वारा अपने पापों को जलाना पड़ता है।
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जैसे-जैसे आत्मा परमात्मा से जुड़ती है, वैसे-वैसे उसके पाप धुलते जाते हैं और पुण्य का खाता बढ़ता जाता है।
Murli Notes (सही तिथि सहित)
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साकार मुरली 6 अक्टूबर 2025
“बच्चे, जितना भी पाप आत्मा पर हो, योग और याद से वे साफ हो जाते हैं।” -
साकार मुरली 9 अक्टूबर 2025
“बच्चे, योग करने से पाप जलते हैं। जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है तो उसका अंधकार समाप्त हो जाता है।” -
साकार मुरली 10 अक्टूबर 2025
“तौबा और योग से आत्मा का बोझ हल्का होता है। बुरे कर्मों का असर धीरे-धीरे मिटता है।” -
साकार मुरली 11 अक्टूबर 2025
“सच्चे मन से तौबा करना और योग लगाना – मैं बुराई का असर मिटा देता हूँ। आज बच्चे, इस अभ्यास को अभ्यास बनाओ।”
चार उदाहरण से समझें
1. कपड़े और धुलाई
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गंदा कपड़ा (पाप) → धोने से साफ (योग + तौबा)
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तौबा = जमा करना, योग = धोना
2. कंप्यूटर और वायरस
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वायरस = बुरे कर्म
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एंटीवायरस = परमात्मा योग
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जैसे एंटीवायरस वायरस को मिटाता है, वैसे ही योग आत्मा के बुरे संस्कार मिटाता है।
3. दीपक और अंधकार
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अंधकार = पाप
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दीपक (योग) जलाने से अंधकार मिट जाता है।
4. डॉक्टर और दवा
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बीमारी = बुरे कर्मों का असर
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तौबा = रोग पहचानना
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योग = दवा लेना
निष्कर्ष
बुरे कर्मों का असर मिट सकता है अगर –
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आत्मा नियमित रूप से तौबा करे।
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सच्चे मन से पछताए और प्रण करे कि अब गलती नहीं करेंगे।
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परमात्मा से योग जोड़कर अपने पापों को जलाए।
तौबा का वास्तविक अर्थ है – अपनी गलती को स्वीकार करना और सुधार की ओर बढ़ना।
अगर आत्मा सच्चे मन से यह करती है तो अल्लाह/परमात्मा उसके पाप मिटा देता है।
इसलिए डरने की नहीं, बल्कि सुधार और योग से जुड़ने की जरूरत है।
तौबा और योग से बुरे कर्मों का असर मिट जाता है क्या?
प्रश्न 1: इंसान अपने बुरे कर्मों से क्यों डरता है?
उत्तर:
हर इंसान जानता है कि उसके हर कर्म का हिसाब-किताब है। सामने वाला व्यक्ति चाहे माफ कर दे, पर कर्मों का बोझ आत्मा पर दर्ज हो जाता है। यही डर आत्मा को बेचैन करता है।
प्रश्न 2: क्या कुरान में तौबा का प्रभाव बताया गया है?
उत्तर:
हाँ। कुरान में लिखा है – “जो व्यक्ति तौबा करता है और सुधरता है, अल्लाह उसके पापों को माफ कर देता है।”
इसका मतलब है कि सच्चे दिल से पछतावा और सुधार करने से इंसान का पापों का बोझ हल्का हो जाता है।
प्रश्न 3: ब्रह्माकुमारी ज्ञान में तौबा और योग का क्या महत्व है?
उत्तर:
BK ज्ञान कहता है कि बुरे कर्मों का असर मिटाना केवल योग शक्ति से संभव है।
परमात्मा मार्गदर्शन देता है, लेकिन आत्मा को स्वयं योग द्वारा अपने पाप जलाने होते हैं।
जैसे-जैसे आत्मा परमात्मा से जुड़ती है, वैसे-वैसे पाप धुलते जाते हैं और पुण्य बढ़ता जाता है।
प्रश्न 4: मुरली में इस विषय पर क्या कहा गया है?
उत्तर (तिथि अनुसार):
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6 अक्टूबर 2025 – “बच्चे, जितना भी पाप आत्मा पर हो, योग और याद से वे साफ हो जाते हैं।”
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9 अक्टूबर 2025 – “बच्चे, योग करने से पाप जलते हैं। जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है तो उसका अंधकार समाप्त हो जाता है।”
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10 अक्टूबर 2025 – “तौबा और योग से आत्मा का बोझ हल्का होता है। बुरे कर्मों का असर धीरे-धीरे मिटता है।”
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11 अक्टूबर 2025 – “सच्चे मन से तौबा करना और योग लगाना – मैं बुराई का असर मिटा देता हूँ।”
प्रश्न 5: तौबा और योग को कैसे समझा सकते हैं?
उत्तर:
चार सरल उदाहरण –
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कपड़े और धुलाई → गंदा कपड़ा (पाप), तौबा = जमा करना, योग = धोना।
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कंप्यूटर और वायरस → वायरस (बुरे कर्म), एंटीवायरस (योग शक्ति)।
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दीपक और अंधकार → अंधकार (पाप), दीपक (योग) जलाने से मिट जाता है।
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डॉक्टर और दवा → बीमारी (पाप), तौबा = रोग पहचानना, योग = दवा लेना।
प्रश्न 6: बुरे कर्मों का असर कब मिट सकता है?
उत्तर:
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जब आत्मा नियमित रूप से तौबा करे।
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जब सच्चे मन से पछताकर यह प्रण ले कि अब गलती नहीं करेंगे।
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जब परमात्मा से योग जोड़कर पापों को जलाए।
तौबा का मतलब केवल बोलना नहीं, बल्कि अपनी गलती को स्वीकार कर सुधार की ओर बढ़ना है।
तब परमात्मा / अल्लाह आत्मा को पूरी तरह मुक्त कर देते हैं।
अंतिम संदेश (Conclusion)
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डरने की नहीं, बल्कि सुधारने की जरूरत है।
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सच्ची तौबा + ईश्वर योग से ही आत्मा पवित्र हो सकती है।
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यह मार्ग हर धर्म और BK ज्ञान दोनों में एक जैसा समझाया गया है।
Disclaimer
यह वीडियो/लेख ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय ज्ञान और शास्त्रों में वर्णित दृष्टिकोण पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक शिक्षा देना है, न कि किसी धर्म या व्यक्ति की आलोचना करना। कृपया इसे केवल आत्म-उन्नति और सकारात्मक सोच के लिए अपनाएँ।
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