(30)श्रीकृष्ण 100% पवित्र आत्मा 1 साल बाद विनाशी मृतदेह में कैसे प्रवेश कर सकती है?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
श्रीकृष्ण जैसी 100% पवित्र आत्मा, एक साल बाद उसी विनाशी देह में कैसे प्रवेश कर सकती है?’
क्या यह संभव है?
क्या शरीर बिना आत्मा के एक साल तक जीवित रह सकता है?””उत्तर है – हाँ, यह संभव है…
लेकिन इसके पीछे है एक बहुत गहरा राज़ – जिसे बाबा ने मुरली में बार-बार समझाया है।”
1 – शरीर छोड़ने के दो तरीके
“आमतौर पर हम मानते हैं कि जब आत्मा शरीर से निकलती है, तो शरीर मर जाता है।
लेकिन सच्चाई यह है –
आत्मा दो प्रकार से शरीर छोड़ती है:
1️⃣ परमानेंट – जब मृत्यु होती है।
2️⃣ टेंपरेरी – जब आत्मा समाधि में जाती है।”
“इस टेंपरेरी अवस्था को कहते हैं – योगनिद्रा या समाधि।
जिसमें शरीर को न्यूट्रल में छोड़ दिया जाता है – जैसे गाड़ी न्यूट्रल में हो, इंजन स्टार्ट है, पर चल नहीं रही।”
2 – समाधि और परम अवस्था –
“शरीर जीवित रहता है – लेकिन आत्मा निकलकर जाती है
‘परम अवस्था’ में।
जहाँ आत्मा पूर्णतः शांत, संकल्प शून्य, और कर्मातीत होती है।”
🕉️ “बाबा ने इस स्टेज को मुरली में कहा –
-
कर्मातीत अवस्था
-
निर संकल्प अवस्था
-
अक्रमी अवस्था
-
परम अवस्था“
🌟 “यही अवस्था है – जहाँ से आत्मा सतयुग के आदि में श्रीकृष्ण बनकर लौटती है।”
3 – विज्ञान और आत्मा –
“आप सोच सकते हैं – एक साल तक शरीर बिना आत्मा के कैसे जीवित रह सकता है?”
“तो समझिए – आत्मा का कोई साइज़ नहीं, कोई वज़न नहीं।
वह पाँचों तत्वों – अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी, आकाश – से अप्रभावित है।”
📖 “जैसे गीता में लिखा –
‘आग आत्मा को जला नहीं सकती, पानी गीला नहीं कर सकता, शस्त्र काट नहीं सकते।’
तो आत्मा एलिमेंट्स से परे है।”
🌈 “और जब आत्मा योगबल से शरीर को न्यूट्रल में छोड़ देती है,
तो शरीर भी उसके अनुसार अपनी सतोगुणी प्रकृति में कार्य करता रहता है।”
4 – श्रीकृष्ण आत्मा की वापसी –
“जब श्रीकृष्ण की आत्मा परम अवस्था में जाती है,
तो उसका शरीर भी उस अवस्था के अनुसार प्रोटेक्टेड रहता है – ना जड़, ना मुर्दा।”
✨ “और एक साल बाद जब वो आत्मा लौटती है,
तो वही शरीर फिर से एक्टिव हो जाता है –
जैसे कोई दीपक दोबारा जल जाए।
इसे ही कहते हैं – दिव्य जन्म।“
“तो अब आपको समझ में आया ना –
श्रीकृष्ण आत्मा कैसे एक साल के बाद उसी शरीर में प्रवेश करती है?”
“यह विज्ञान से परे है –
यह है योगबल का चमत्कार और
परम अवस्था का राज़,
जो सिर्फ संगमयुग में होता है।”
🕉️ “बाबा ने कहा –
‘आकाश तत्व से भी पार…’
तब ही आत्मा श्रीकृष्ण बनती है।“”अगर आपको यह ज्ञान पसंद आया हो,
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आध्यात्मिक ज्ञान के अनमोल रत्न।“
🪔 श्रीकृष्ण जैसी 100% पवित्र आत्मा, एक साल बाद उसी विनाशी देह में कैसे प्रवेश कर सकती है?
❓ प्रश्न 1: क्या शरीर बिना आत्मा के एक साल तक जीवित रह सकता है?
उत्तर:साधारण ज्ञान में नहीं, लेकिन राजयोग और आत्मा की परम अवस्था को समझने पर यह मुमकिन है।
आत्मा जब टेंपरेरी रूप से समाधि या योगनिद्रा में जाती है, तो शरीर मरता नहीं – वो न्यूट्रल मोड में चलता रहता है।
बिलकुल वैसे जैसे गाड़ी न्यूट्रल में है – स्टार्ट है, लेकिन चल नहीं रही।
❓ प्रश्न 2: आत्मा शरीर को दो तरीकों से कैसे छोड़ती है?
उत्तर:1️⃣ परमानेंट रूप से – जब मृत्यु होती है।
2️⃣ टेंपरेरी रूप से – जब आत्मा समाधि में जाती है।
समाधि में आत्मा शरीर को छोड़कर उच्चतम शांति अवस्था में जाती है, पर शरीर जीवित रहता है।
❓ प्रश्न 3: समाधि में गई आत्मा कहाँ जाती है?
उत्तर:आत्मा जाती है परम अवस्था में, जिसे बाबा ने मुरली में कई नामों से बताया है:
-
कर्मातीत अवस्था
-
निर संकल्प अवस्था
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अक्रमी अवस्था
-
संकल्प शून्य अवस्था
इस अवस्था में आत्मा पूर्णतः शांत, स्थिर, और दिव्य स्थिति में होती है – जहाँ से वो सतयुग के आरंभ में श्रीकृष्ण बनकर लौटती है।
❓ प्रश्न 4: शरीर बिना आत्मा के कैसे कार्य कर सकता है?
उत्तर:क्योंकि श्रीकृष्ण जैसी आत्मा जब योगबल से शरीर को न्यूट्रल में छोड़ती है,
तो शरीर उस आत्मा की शक्ति से ही सतोगुणी स्थिति में एक्टिव रहता है –
ना मरा हुआ, ना जड़ – बस स्थिर।
❓ प्रश्न 5: आत्मा पर पंचतत्वों का असर क्यों नहीं होता?
उत्तर:क्योंकि आत्मा का कोई आकार नहीं होता, कोई वज़न नहीं होता।
वो शुद्ध ऊर्जा है।
जैसा गीता में भी लिखा है –
“अग्नि आत्मा को जला नहीं सकती, वायु सुखा नहीं सकती, शस्त्र काट नहीं सकते।”
आत्मा एलिमेंट्स से परे है – इसलिए योगनिद्रा के दौरान भी शरीर सुरक्षित रहता है।
❓ प्रश्न 6: एक साल बाद आत्मा उसी शरीर में कैसे प्रवेश करती है?
उत्तर:जब आत्मा अपनी परम अवस्था पूरी करती है,
तो दिव्य संकल्प से उसी शरीर में लौटती है –
और वह शरीर फिर से सक्रिय हो जाता है –
जैसे बुझा हुआ दीपक दोबारा जल उठे।
इसे ही बाबा ने कहा – दिव्य जन्म।
❓ प्रश्न 7: क्या यह कोई चमत्कार है?
उत्तर:हाँ, यह योगबल का चमत्कार है।
यह विज्ञान से परे है – यह है आत्मा की आध्यात्मिक शक्ति और परमात्मा के निर्देशन का परिणाम।
बाबा कहते हैं –
“तुम आत्माएं आकाश तत्व से भी पार जाती हो –
तब ही श्रीकृष्ण बनती हो।”
📢 अंत में…
अगर आपके मन में भी कभी यह प्रश्न आया हो –
“श्रीकृष्ण आत्मा उसी शरीर में कैसे वापस आती है?”
तो आज आपको उसका दिव्य और सहज उत्तर मिल गया।
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