(31) The opposition strikes again

(31)विपक्ष फिर से हमला करता है

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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ओम मंडली पर अत्याचार की सच्ची कहानी

सत्य की राह में आने वाली रुकावटें, विरोध, और परमात्मा की याद से मिली शक्ति की एक प्रेरणादायक कथा।


1. जब सत्य के विरुद्ध खड़ा होता है संसार

प्रिय आत्माओं,
जब कोई आत्मा ईश्वर का ज्ञान समझकर सत्य की राह पर चलती है, तो माया रूपी संसार उसका कड़ा इम्तिहान लेता है।
ब्रह्मा बाबा और ओम मंडली के दिव्य जीवन में भी ऐसे क्षण आए, जब विरोधी शक्तियाँ पूरी ताकत से सामने आईं — पर सत्य की लौ कभी बुझी नहीं।


2. वो जो पीछे रह गईं – पर रहीं सच्चे प्रेम में अटल

जब ओम मंडली कराची चली गई, कुछ माताएँ और बहनें पारिवारिक दबाव के कारण पीछे रह गईं।

  • उन्हें सत्संग से दूर रहना असहनीय था।

  • वे इकट्ठा होकर बाबा के पत्र पढ़तीं, ज्ञान चर्चा करतीं, और याद में बैठतीं।

यह था – तन से दूर, पर मन से परमात्मा के सबसे पास।
वे सच्ची गोपियाँ थीं, जो सच्चे प्रेम में अटल रहीं।


3. बंधनों को तोड़ना – आत्माओं की आज़ादी का संग्राम

एक दिन, 15 बहनों ने संकल्प लिया: अब नहीं सहेंगे!

  • जल्दी-जल्दी कपड़े बांधे

  • ट्रेन पकड़ी और कराची की ओर चल पड़ीं

  • वहाँ पहुँचकर परिजनों को पत्र लिखा – “हम सुरक्षित हैं”

यह था – एक आत्मा का साहसी निर्णय, 5000 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद परमात्मा से मिलने का कदम।


4. फिर हुआ हमला — ‘एंटी पार्टी’ का षड्यंत्र

अब विरोधियों का धैर्य जवाब दे गया।

  • ‘एंटी पार्टी’ बनाई गई

  • फंड इकट्ठा किया गया

  • अधिकारियों को रिश्वत देने, मीडिया को खरीदने और संस्थान को बदनाम करने की योजना बनी

मनोवृत्ति क्या थी?
सत्य दिख रहा था, पर अहंकार सत्य को स्वीकारने नहीं देता।


5. अखबारों का खेल — झूठ और दुष्प्रचार की आंधी

  • कराची के समाचार पत्रों में झूठे लेख छपने लगे

  • “यह संप्रदाय है”, “लड़कियाँ बहक गई हैं”, “ओम मंडली समाज विरोधी है”

  • संपादकीयों में लिखा गया – “इस पर प्रतिबंध लगे, इसकी जाँच हो”

मीडिया का उद्देश्य था – इन आत्माओं को हिलाना, लेकिन वे न डरे, न रुके।


6. गुंडों के हमले – फिर भी अडिग रही आस्था

  • भाड़े के गुंडों को भेजा गया

  • बहनों को रास्ते में रोका गया, डराया गया, पीटा गया

पर परिणाम?

  • न आँखों में भय

  • न मन में घबराहट

  • केवल एक संकल्प:
    “हम आत्मा हैं, और हमारे साथ है परमात्मा।”


7. सच्ची शक्ति – परमात्मा की याद और आत्मिक स्थिति

जब हर दिशा से विरोध हो और फिर भी तुम्हारा चित्त शांत रहे –
तो समझो कि परमात्मा साथ है।

  • ये आत्माएँ किसी संगठन, नेता, या शक्ति के बल पर नहीं खड़ी थीं।

  • उनका बल था – परमात्मा की याद और आत्मिक स्थिति।

  • ब्रह्मा बाबा की शक्तिशाली दृष्टि ही उनके लिए सुरक्षा-कवच थी।


8. निष्कर्ष – जब विरोध बढ़ता है, समझो कि जीत निकट है

प्रिय आत्माओं,
माया अंतिम वार तब करती है जब कोई आत्मा सत्य के बहुत पास पहुँच जाती है।
लेकिन याद रखें:
“जैसे ही परीक्षा आती है, परमात्मा की शक्ति उससे पहले आ जाती है।”


Q1: जब ओम मंडली कराची गई, तब कुछ बहनें क्यों पीछे रह गईं?

उत्तर:कुछ माताएँ और बहनें पारिवारिक बंधनों के कारण कराची नहीं जा सकीं। उनके घर वालों ने उन्हें हैदराबाद छोड़ने की अनुमति नहीं दी। फिर भी, वे बाबा के प्रेम में अडिग रहीं और सच्चे गोपी भाव से आत्मिक रूप से जुड़ी रहीं।


Q2: पीछे रह गई बहनों ने किस प्रकार परमात्मा से संबंध बनाए रखा?

उत्तर:उन्होंने एक-दूसरे के साथ मिलकर सत्संग किया, बाबा के पत्र पढ़े और आत्मिक बल बाँटा। वे तन से भले दूर थीं, लेकिन मन से परमात्मा में लीन रहीं।


Q3: पंद्रह बहनों ने अचानक कराची जाने का फैसला क्यों लिया?

उत्तर:वे अब और बंधनों को सहने को तैयार नहीं थीं। उन्होंने संकल्प किया कि वे अपने परम प्रिय बाबा से मिलने जाएँगी, भले ही कोई भी परिणाम हो। यह उनकी सच्ची आत्मा की पुकार और परमात्मा से मिलने की तीव्र इच्छा थी।


Q4: ‘एंटी पार्टी’ ने ओम मंडली के विरुद्ध क्या कदम उठाए?

उत्तर:विरोधियों ने फंड जमा कर अधिकारियों को रिश्वत दी, मीडिया और नेताओं पर दबाव डाला और ओम मंडली के खिलाफ झूठे प्रचार फैलाए। उन्होंने इसे समाज विरोधी, संप्रदाय और बहकाने वाला बताया।


Q5: अखबारों ने किस प्रकार झूठ फैलाया और क्यों?

उत्तर:अखबारों को या तो पैसे का लालच दिया गया या विज्ञापन छीनने की धमकी दी गई। उन्होंने झूठे लेख प्रकाशित किए, जिससे जनता भ्रमित हो और ओम मंडली का बहिष्कार हो सके।


Q6: क्या केवल शब्दों तक ही विरोध सीमित रहा?

उत्तर:नहीं, विरोध शारीरिक स्तर तक बढ़ा। गुंडों को भेजकर बाबा के बच्चों को डराया, मारा-पीटा और रास्तों में रोका गया। परंतु बच्चों ने परमात्मा की याद में स्थित रहकर कोई शिकायत नहीं की।


Q7: ऐसी विकट परिस्थितियों में ओम मंडली के बच्चे कैसे स्थिर रहे?

उत्तर:उनकी आत्मिक स्थिति, राजयोग की शक्ति और ब्रह्मा बाबा की दिव्य दृष्टि ही उनकी ढाल बनी। वे किसी मानव शक्ति से नहीं, बल्कि परमात्मा की याद से चल रहे थे।


Q8: इस सच्ची कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

उत्तर:जब कोई आत्मा सच्चाई पर चलती है, तब माया का विरोध स्वाभाविक होता है। लेकिन ईश्वर की याद और आत्मिक स्थिति के बल से हर विरोध पर विजय संभव है। यही माया पर सच्ची जीत है।


Q9: जब विरोध बहुत बढ़ जाए, तो क्या समझना चाहिए?

उत्तर:तब समझें कि आपकी विजय निकट है। जब परीक्षा आती है, तो उससे पहले ईश्वर की शक्ति साथ आ जाती है। यह प्रकृति का नियम है कि सत्य को अंत में ही सही, पर विजय अवश्य मिलती है।


Q10: ऐसी प्रेरणादायक घटनाओं का आज के युग में क्या महत्व है?

उत्तर:ये घटनाएँ हमें सिखाती हैं कि सत्य के मार्ग पर अडिग रहना चाहिए। चाहे जितना भी विरोध हो, आत्मा और परमात्मा का संबंध अटूट हो, तो सफलता और विजय निश्चित है।

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