अव्यक्त मुरली-(14)“विश्व के हर स्थान पर आध्यात्मिक लाइट और ज्ञान जल पहुँचाओ”01-03-1983
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
01-03-1983 “विश्व के हर स्थान पर आध्यात्मिक लाइट और ज्ञान जल पहुँचाओ”
आज बापदादा वतन में रूहरिहान कर रहे थे। साथ-साथ बच्चों की रिमझिम भी देख रहे थे। वर्तमान समय मधुबन वरदान भूमि पर कैसे बच्चों की रिमझिम लगी हुई है, वह देख-देख हर्षा रहे थे। बापदादा देख रहे थे कि मधुबन पावर हाउस से चारों ओर कितने कनेक्शन्स गये हुए हैं। जैसे स्थूल पावर हाउस से अनेक तरफ लाइट के कनेक्शन जाते हैं। ऐसे इस पावर हाउस से कितने तरफ कनेक्शन गये हैं। विश्व के कितने कोनों में लाइट के कनेक्शन गये हैं और कितने कोनों में अभी कनेक्शन नहीं हुआ है। जैसे आजकल की गवर्मेन्ट भी यही कोशिश करती है कि अपने राज्य में सभी कोनों में, सभी गाँवों में चारों तरफ लाइट और पानी का प्रबन्ध जरूर हो। तो पाण्डव गवर्मेन्ट क्या कर रही है? ज्ञान गंगायें चारों ओर जा रही हैं, पावर हाउस से चारों ओर लाइट का कनेक्शन जा रहा है। जैसे ऊपर से किसी भी शहर को या गाँव को देखो तो कहाँ-कहाँ रोशनी है, नजदीक की रोशनी है या दूर-दूर है, वह दृश्य स्पष्ट दिखाई देता है। बापदादा भी वतन से दृश्य देख रहे थे कि कितने तरफ लाइट है और कितने तरफ अभी तक लाइट नहीं पहुँची है। रिजल्ट को तो आप लोग भी जानते हो कि देश विदेश में अभी तक कई स्थान रहे हुए हैं जहाँ अभी कनेक्शन्स देने हैं। जैसे लाइट और पानी बिगर उस स्थान की वैल्यु नहीं होती। ऐसे जहाँ आध्यात्मिक लाइट और ज्ञान जल की पूर्ति नहीं हुई है, वहाँ की चैतन्य आत्मायें किस स्थिति में हैं। अंधकार में, प्यास में भटक रहीं हैं, तड़प रहीं हैं। ऐसी आत्माओं की वैल्यु क्या बताते हो? चित्र बनाते हो ना – कौड़ी तुल्य और हीरे तुल्य! लाइट और ज्ञान जल मिलने से कौड़ी से हीरा बन जाते हैं। तो वैल्यु बढ़ जाती है ना। बापदादा देख रहे थे कि देश विदेश से आये हुए बच्चे पावर हाउस से विशेष पावर लेकर अपने-अपने स्थान पर जा रहे हैं।
एक तरफ तो बच्चों के स्नेह में बापदादा समझते हैं कि मधुबन अर्थात् बापदादा के घर का श्रृंगार जा रहे हैं। जब भी बच्चे मधुबन में आते हैं तो मधुबन की रौनक या स्वीट होम की झलक क्या हो जाती है! बच्चे भी महसूस करते हैं कि मधुबन की रौनक बढ़ाने वाले हमारे स्नेही साथी आये हैं। जैसे आप लोग वहाँ याद करते हो, चलते फिरते, उठते बैठते मधुबन की स्मृति सदा ताजी रहती है वैसे बापदादा और मधुबन निवासी भी आप सबको याद करते हैं। स्नेह के साथ-साथ सेवा भी विशेष सब्जेक्ट है इसलिए स्नेह से तो समझते हैं यहाँ ही बैठ जाएं। लेकिन सेवा के हिसाब से चारों ओर जाना ही पड़े। हाँ ऐसा भी समय आयेगा जो जाना नहीं पड़ेगा लेकिन एक ही स्थान पर बैठे-बैठे चारों ओर के परवाने स्वत: शमा पर आयेंगे। यह तो छोटा सा सैम्पुल देखा कि आबू हमारा ही है। अभी तो किराये पर मकान लेने पड़े ना। फिर भी थोड़ी सी रौनक देखी। ऐसा समय आयेगा जो चारों ओर फरिश्ते नज़र आयेंगे। अभी मुख द्वारा सेवा का पार्ट चल रहा है और अभी कुछ रहा हुआ है इसलिए दूर-दूर जाना पड़ता है। अभी श्रेष्ठ संकल्प की शक्तिशाली सेवा जो पहले भी सुनाई है, अन्त में वही सेवा स्वरूप का स्पष्ट दिखाई देगा। हमें कोई बुला रहा है कोई दिव्य बुद्धि द्वारा, शुभ संकल्प का बुलावा हो रहा है, ऐसे अनुभव करेंगे। कोई दिव्य दृष्टि द्वारा बाप और स्थान को देखेंगे। दोनों प्रकार के अनुभवों द्वारा बहुत तीव्रगति से अपने श्रेष्ठ ठिकाने पर पहुँच जायेंगे। इस वर्ष क्या करेंगे?
प्रयत्न अच्छा किया है। इस वर्ष रहे हुए स्थानों को लाइट तो देंगे ही। लेकिन हर स्थान की विशेषता इस वर्ष यही दिखाओ कि हर सेवाकेन्द्र उसमें भी विशेष बड़े-बड़े केन्द्र जो हैं उसमें यह लक्ष्य रखो जैसे कभी धर्म सम्मेलन करते हो तो सभी धर्म वाले इकट्ठे करते हो या राजनीतिक को बुलाते हो, साइंस वालों को विशेष बुलाते हो, अलग-अलग प्रकार के स्नेह मिलन करते हो, तो इस वर्ष हर स्थान पर सर्व प्रकार के विशेष आक्यूपेशन वाले, सम्बन्ध में आने वाले तैयार करो। तो जैसे अभी ऐसे कहते हैं कि यहाँ काले गोरे सब प्रकार की वैरायटी है। एक स्थान पर सर्व रंग, देश, धर्म वाले हैं, ऐसे यह कहें कि यहाँ सर्व आक्युपेशन वाले हैं। विशेष आत्मायें एक ही गुलदस्ते में वैरायटी फूलों के मिसल दिखाई दें। हर सेन्टर पर हर आक्युपेशन वाली विशेष आत्माओं का संगठन हो। जो दुनिया में यह आवाज बुलन्द हो कि यह एक बाप एक ही सत्य ज्ञान सर्व आक्युपेशन वालों के लिए कितना सहज और सरल है अर्थात् हर सेवास्थान की स्टेज पर सर्व आक्यूपेशन वाले इकट्ठे दिखाई दें। कोई भी आक्यूपेशन वाला रह न जाए। गरीब से लेकर साहूकार तक, गाँव वालों से लेकर बड़े शहर वाले तक, मजदूर से लेकर बड़े से बड़े उद्योगपति तक सर्व प्रकार की विशेष आत्माओं की अलौकिक रौनक दिखाई दे, जिससे कोई भी यह नहीं कह सके कि क्या यह ईश्वरीय ज्ञान सिर्फ इन्हीं के लिए है। सर्व का बाप सर्व के लिए है – बच्चे से लेकर परदादे तक, सभी ऐसा अनुभव करें कि विशेष हमारे लिए यह ज्ञान है। जैसे आप सभी ब्राह्मणों के मन से, दिल से एक ही आवाज निकलती है कि हमारा बाबा है, ऐसे विश्व के कोने-कोने से, विश्व के हर आक्यूपेशन वाली आत्मा दिल से कहे कि हमारे लिए बाप आये हैं, हमारे लिए ही यह ज्ञान सहारा है। ज्ञान दाता और ज्ञान दोनों के लिए सब तरफ से सब प्रकार की आत्माओं से यही आवाज निकले। वैसे सर्व आक्यूपेशन वालों की सेवा करते भी रहते हो लेकिन हर स्थान पर सब वैरायटी हो। और फिर ऐसे वैरायटी आक्यूपेशन वालों का गुलदस्ता बापदादा के पास ले आओ। तो हर सेवाकेन्द्र विश्व की सर्व आत्माओं के संगठन का एक विशेष चैतन्य म्युज़ियम हो जायेगा। समझा। जो भी सम्पर्क में हैं, उन्हों को सम्बन्ध में लाते हुए सेवा की स्टेज पर लाओ। समय प्रति समय जो भी वी. आई. पीज्. वा पेपर्स वाले आये हैं उन्हों को सेवा की स्टेज पर लाते रहो तो मुख से बोलने से भी वह मुख का बोल उन आत्माओं के लिए ईश्वरीय बन्धन में बन्धने का साधन बन जाता है। एक बार बोला कि बहुत अच्छा है और फिर सम्बन्ध से दूर हो गये तो भूल जाते हैं। लेकिन बार-बार बहुत अच्छा, बहुत अच्छा अनेकों के सामने कहते रहें, तो वह बोल भी उन्हों को अच्छा बनने का उत्साह बढ़ाता है, और साथ-साथ सूक्ष्म नियम भी है कि जितनों पर प्रभाव पड़ता है, उन आत्माओं का शेयर उनको मिल जाता है अर्थात् उन्हों के खाते में पुण्य की पूंजी जमा हो जाती है। और वही पुण्य की पूंजी अर्थात् पुण्य का श्रेष्ठ कर्म श्रेष्ठ बनने के लिए उन्हों को खींचता रहेगा इसलिए जो अभी डायरेक्ट बाप की भूमि से कुछ न कुछ ले गये हैं चाहे थोड़ा, चाहे बहुत लेकिन उन्हों से दान कराओ अर्थात् सेवा कराओ। तो जैसे स्थूल धन का फल सकामी अल्पकाल का राज्य मिलता है वैसे इस ज्ञान धन वा अनुभव के धन दान करने से भी नये राज्य में आने का पात्र बना देगा। बहुत अच्छे प्रभावित हुए, अब उन प्रभावित हुई आत्माओं द्वारा सेवा कराए उन आत्माओं को भी सेवा के बल द्वारा आगे बढ़ाओ और अनेकों के प्रति निमित्त बनाओ। समझा क्या करना है! सर्विस वृद्धि को तो पा ही रही है और पाती रहेगी लेकिन अब क्लास स्टूडेन्ट्स में वैरायटी बनाओ।
अभी तो विदेश वालों का मिलने का साकार रूप का इस वर्ष के लिए सीजन का पार्ट पूरा हो रहा है। लेकिन देश वालों का तो आह्वान हो रहा है, सुनाया ना साकार वतन में तो समय का नियम बनाना पड़ता है और आकारी वतन में इस बन्धन से मुक्त हैं। अच्छा।
चारों ओर के उमंग-उत्साह वाले सेवाधारी बच्चों को, सदा बाप के साथ-साथ अनुभव करने वाले समीप आत्मायें बच्चों को, सदा एक ही याद में एकरस रहने वाली श्रेष्ठ आत्माओं को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
अध्याय 14 : विश्व के हर स्थान पर आध्यात्मिक लाइट और ज्ञान जल पहुँचाओ
(अव्यक्त मुरली, 01 मार्च 1983, मधुबन – बापदादा की रूहानी बच्चों से मुलाकात)
प्रस्तावना
आज बापदादा वतन में रूहानी बच्चों की रिमझिम देख रहे थे।
मधुबन पावर हाउस से निकलती ज्ञान-लाइट और पावर पूरे विश्व में कहाँ-कहाँ पहुँची है और कहाँ अभी अंधकार है – यह दृश्य बापदादा ने दिखाया।
आध्यात्मिक पावर हाउस की झलक
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जैसे भौतिक पावर हाउस से पूरे शहर-गाँव में बिजली जाती है।
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वैसे ही मधुबन पावर हाउस से ज्ञान-लाइट और शक्ति के कनेक्शन विश्व में फैल रहे हैं।
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जहाँ ज्ञान-लाइट और आध्यात्मिक जल नहीं पहुँचा वहाँ आत्माएँ अंधकार में तड़प रही हैं।
उदाहरण:
जैसे गाँव में बिजली या पानी न हो तो वहाँ का जीवन अधूरा रहता है, वैसे ही आत्मा बिना ज्ञान और शक्ति के अंधकारमय रहती है।
कौड़ी से हीरा बनाने वाली लाइट
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बापदादा कहते हैं – जैसे आत्मा बिना लाइट के कौड़ी समान है।
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जब ज्ञान-लाइट और शांति का जल मिलता है तो वही आत्मा हीरे तुल्य बन जाती है।
मधुबन की रौनक और बच्चों का स्नेह
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जब बच्चे मधुबन आते हैं तो मधुबन की रौनक और बढ़ जाती है।
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बापदादा अनुभव कराते हैं कि जैसे बच्चे मधुबन को याद करते हैं वैसे ही मधुबन भी बच्चों को याद करता है।
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लेकिन सेवा का नियम है – स्नेह मधुबन से जुड़ा रहे पर सेवा हर स्थान तक पहुँचे।
भविष्य का दृश्य
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अभी मुख द्वारा सेवा चल रही है, इसलिए बच्चों को स्थान-स्थान पर जाना पड़ता है।
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लेकिन भविष्य में केवल संकल्प की शक्ति और दिव्य दृष्टि से सेवा होगी।
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आत्माएँ दिव्य बुलावे से खिंची चली आएँगी – जैसे शमा पर पतंगे आते हैं।
इस वर्ष का विशेष लक्ष्य
बापदादा ने विशेष सेवा का लक्ष बताया:
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हर सेवाकेन्द्र पर हर occupation वाले आत्माओं का संगठन बने।
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गरीब से लेकर साहूकार तक
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गाँव वाले से लेकर उद्योगपति तक
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मजदूर से लेकर साइंस वाले तक
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ताकि कोई भी न कहे कि ईश्वरीय ज्ञान सिर्फ एक वर्ग या धर्म के लिए है।
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हर सेंटर वैरायटी आत्माओं का गुलदस्ता बने।
पुण्य कमाने का नियम
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VIPs और papers वाले जो प्रभावित हुए हैं, उन्हें सेवा में बार-बार लाओ।
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उनके बोल और संबंधों से और आत्माएँ खिंचेंगी।
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यह सेवा उन्हें पुण्य की पूँजी दिलाएगी और पुण्य उन्हें श्रेष्ठ बनने के लिए खींचता रहेगा।
उदाहरण:
जैसे भौतिक धन का दान करने से अल्पकाल का राज्य मिलता है,
वैसे ही ज्ञान-धन का दान करने से नये राज्य (स्वर्णिम विश्व) में आने का अधिकार मिलता है।
मुरली नोट्स (01-03-1983)
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मधुबन = विश्व पावर हाउस।
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जहाँ लाइट-ज्ञान नहीं पहुँचा वहाँ आत्माएँ तड़प रही हैं।
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बच्चों की सेवा = कौड़ी को हीरा बनाना।
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भविष्य की सेवा = श्रेष्ठ संकल्प और दिव्य दृष्टि से।
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इस वर्ष का लक्ष्य = हर occupation वालों का गुलदस्ता।
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सेवा = पुण्य का खाता बढ़ाना और राज्य का अधिकारी बनना।
बापदादा का सन्देश
“सर्विस वृद्धि तो होती रहेगी, पर अब हर सेंटर को विश्व की आत्माओं का संगठन बनाना है।
हर occupation वाली आत्माओं का अलौकिक गुलदस्ता बाप को भेंट करना है।”
Disclaimer यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज के आध्यात्मिक ज्ञान पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल आत्मिक उन्नति, प्रेरणा और सकारात्मकता फैलाना है। इसमें किसी भी धर्म, मत या संप्रदाय की आलोचना नहीं की गई है। दर्शक अपने विवेक अनुसार इस ज्ञान को आत्मसात करें।
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