(41)“जहाँ सच्चा स्नेह है वहाँ दु:ख की लहर नहीं”
“जहाँ सच्चा स्नेह है वहाँ दु:ख की लहर नहीं | 30-07-1983 अव्यक्त मुरली”
अध्याय 1: अटल स्थिति और विजयी आत्माएँ
मुख्य बिंदु:
-
आज के बच्चों को अटल, अचल और निश्चिन्त बनने की शिक्षा।
-
अटल बनने का संस्कार अपने पुरुषार्थ और बापदादा की याद में लगातार दृढ़ रहना।
-
ऊंचे स्थान (Top Point) पर स्थित रहने से हलचल या व्यर्थ का असर नहीं पड़ता।
उदाहरण:
-
यदि आप लगातार शिवबाबा की याद में ऊँची स्थिति में स्थित हैं, तो चाहे कोई परिस्थिति कैसी भी हो, आपकी मन की स्थिति अचल रहेगी।
-
जैसे संगमयुग का स्थान ऊँचा है, वैसे ही हमारे पुरुषार्थ का ऊँचा प्वॉइंट भी व्यर्थ से मुक्त रहता है।
Murli Notes:
-
30-07-1983 – दीदी मनमोहिनी जी के अव्यक्त होने पर बताया गया कि अटल राज्य अधिकारी बनने के लिए पहले पुरुषार्थ में अटल होना आवश्यक है।
अध्याय 2: सच्चा स्नेह और व्यर्थ का अंत
मुख्य बिंदु:
-
सच्चा स्नेह व्यर्थ नहीं बल्कि अमूल्य बनता है।
-
व्यर्थ का खाता समाप्त करना है – मन को समर्थ बाप को देना आवश्यक।
-
स्नेह के मोती अगर सही उद्देश्य से गिरे तो वह अमूल्य बन जाते हैं और दिव्य माला में चमकते हैं।
उदाहरण:
-
परिवार का स्नेह दिखाया जाए, पर यदि हलचल और दुख के साथ, तो यह व्यर्थ का खाता बन जाता है।
-
सच्चे स्नेह से दिया गया सहयोग हमेशा अमूल्य बनकर सेवा और याद में चमकता है।
Murli Notes:
-
30-07-1983 – “जहाँ सच्चा स्नेह है वहाँ दु:ख की लहर नहीं क्योंकि दु:खधाम से पार हो गये।”
अध्याय 3: डिवाइन यूनिटी और सहयोगी आत्माएँ
मुख्य बिंदु:
-
दिव्य युनिटी (Divine Unity) में सभी आत्माएँ एक-दूसरे की सहयोगी बनती हैं।
-
आधिकालीन आदि रत्न, आठ या नौ रत्न, पाण्डव – सभी मिलकर विशेष सेवा में भाग लेते हैं।
-
हर आत्मा का अपना पार्ट और जिम्मेदारी होती है।
उदाहरण:
-
जैसे आठ रत्न सेवा के क्षेत्र में सहयोग करते हैं, वैसे ही पाण्डवों की शक्ति भी सेवा में जुड़ी है।
-
मिलकर कार्य करने से ही सफलता सुनिश्चित होती है।
Murli Notes:
-
30-07-1983 – विशेष योगी आत्माएँ और भाग्य विधाता ब्रह्मा की आवश्यकता सेवा में सफलता हेतु बताई गई।
-
सेवा और प्रेम की गठजोड़ से ही अचल स्थिति में रहकर कार्य सिद्ध होता है।
अध्याय 4: सेवा और पालना का महत्व
मुख्य बिंदु:
-
प्रत्येक आत्मा का सेवा में अपना अलग PART है।
-
पालना देना और लेना सेवा को सुचारु बनाता है।
-
स्वतंत्र पंछियों की तरह सेवा के लिए तैयार रहना, किसी बंधन में बंधे बिना।
उदाहरण:
-
दीदी ने आदि रत्नों को पालना देने का PART निभाया।
-
सभी बच्चों ने अपने-अपने PART निभाकर सेवा और स्नेह की लहरें फैलाईं।
Murli Notes:
-
30-07-1983 – दीदी का संदेश बच्चों को अटल स्थिति में स्थित रहकर सेवा का अनुभव कराना।
अध्याय 5: निष्कर्ष और संदेश
-
जहाँ सच्चा स्नेह है वहाँ कोई दुःख की लहर नहीं पहुँच सकती।
-
व्यर्थ से मुक्त रहने और अटल स्थिति में बने रहने से ही श्रेष्ठ पुरुषार्थ संभव है।
-
दिव्य युनिटी और सहयोग से सेवा के क्षेत्र में स्थायी सफलता मिलती है।
-
बापदादा और दीदी की स्मृति में स्थित रहकर हर बच्चे का PART अमूल्य बनता है।
Q&A Section
Q1: अटल स्थिति का अर्थ क्या है?
A1:अटल स्थिति का मतलब है स्थायी, अचल और निश्चिन्त रहना। यह स्थिति तभी बनती है जब आत्मा लगातार बापदादा की याद में ऊँची स्थिति (Top Point) पर स्थित हो। ऐसी आत्मा पर हलचल, व्यर्थ और दुख का असर नहीं पड़ता।
Murli Reference: 30-07-1983 – “अटल, अचल स्थिति में रहने वाले विजयी बच्चों को देख रहे हैं।”
Q2: सच्चा स्नेह किसे कहते हैं और यह कैसे अमूल्य बनता है?
A2:सच्चा स्नेह वह है जो व्यर्थ के लिए नहीं बल्कि सेवा और बापदादा के लिए दिया गया हो। यह मोती की तरह अमूल्य बनकर दिव्य माला में चमकता है।
Example:
अगर आप परिवार या सेवा में प्रेम दिखाते हो, लेकिन मन हलचल या दुख में है, तो वह व्यर्थ बन जाता है। सच्चा स्नेह हमेशा अमूल्य और दिव्य बनकर याद में रहता है।
Murli Reference: 30-07-1983 – “जहाँ सच्चा स्नेह है वहाँ दु:ख की लहर नहीं।”
Q3: व्यर्थ का खाता कैसे समाप्त होता है?
A3:व्यर्थ का खाता समाप्त करने का अर्थ है कि आत्मा का मन और संकल्प समर्थ बापदादा को समर्पित हो। जब तन-मन-धन का पूर्ण अर्पण होता है और मन समर्थ बन जाता है, तभी व्यर्थ का खाता समाप्त होता है।
Murli Reference: 30-07-1983 – “मन समर्थ बाप को दिया। दो-तीन दिनों में मन तेरा के बदले मेरा तो नहीं बना दिया।”
Q4: डिवाइन युनिटी का क्या महत्व है?
A4:डिवाइन युनिटी का मतलब है आत्माओं का सहयोग और एकता। जब सभी आत्माएँ एक-दूसरे की सहायता करती हैं और अपने PART निभाती हैं, तो सेवा में सफलता सुनिश्चित होती है।
Example:
आदि रत्न, पाण्डव और आठ या नौ रत्न मिलकर सेवा के कार्यों में भाग लेते हैं और अपना PART निभाते हैं।
Murli Reference: 30-07-1983 – “डिवाइन युनिटी है ना? किसलिए यह ग्रुप बनाया? सदा एक-दो के सहयोगी बनने के लिए।”
Q5: सेवा और पालना का क्या महत्व है?
A5:प्रत्येक आत्मा का अपना PART होता है। पालना देना और लेना सेवा को सुचारु बनाता है। स्वतंत्र पंछियों की तरह सेवा में तैयार रहना आवश्यक है।
Example:
दीदी ने आदि रत्नों को पालना देने का PART निभाया। सभी बच्चों ने अपने-अपने PART निभाकर सेवा और स्नेह की लहरें फैलाईं।
Murli Reference: 30-07-1983 – “पालना देने का विशेष PART निभाया। आप भी सभी नम्बरवन हो ना।”
Q6: आखिर क्यों “जहाँ सच्चा स्नेह है वहाँ दु:ख की लहर नहीं”?
A6:क्योंकि सच्चा स्नेह हमेशा अटल, अचल और व्यर्थ से मुक्त स्थिति में होता है। ऐसे स्नेह में कोई हलचल, दुःख या व्यर्थ का असर नहीं पहुँच सकता।
Murli Reference: 30-07-1983 – “जहाँ सच्चा श्रेष्ठ स्नेह है वहाँ दु:ख की लहर नहीं क्योंकि दु:खधाम से पार हो गये।”
Q7: बच्चे कैसे विजयी और अटल बन सकते हैं?
A7:विजयी और अटल बनने के लिए:
-
बापदादा की याद में ऊँची स्थिति में रहना।
-
मन, तन और धन का पूर्ण अर्पण करना।
-
सेवा में अपने PART को निभाना।
-
सच्चा स्नेह और सहयोग बनाए रखना।
Murli Reference: 30-07-1983 – “अटल राज्य अधिकारी, निश्चय बुद्धि निश्चिन्त, विजयी बच्चों को आज त्रिमूर्ति याद-प्यार दे रहे हैं।”
Q8: एडवांस पार्टी की विशेष आत्माएँ क्यों गुप्त थीं?
A8:क्योंकि ये आत्माएँ विशेष योगबल और सेवा में अद्वितीय PART निभाने के लिए थीं। समय अनुसार उनकी पहचान और सेवा प्रकट होती है।
Disclaimer (डिस्क्लेमर)
यह वीडियो ब्रह्माकुमारी अव्यक्त मुरली के आध्यात्मिक शिक्षण पर आधारित है। यहाँ दिए गए प्रश्न और उत्तर मुरली के संदेश पर आधारित हैं। इसका उद्देश्य दर्शकों को आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेरणा देना है। व्यक्तिगत या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय योग्य सलाहकार से परामर्श लेकर ही लें।
Brahma Kumaris, Avyakt Murli, Sneh Aur Seva, Atal Sthiti, Divine Unity, 30July1983, Spiritual Knowledge, Victory Soul, BK Children, Murli Insights, Acal Position, True Love, Service in BK, Advanced Party, Cooperation in Service, Divine Messages, Atal Raj Adhikari, BK Spiritual Teachings, Murli Q&A, Eternal Happiness,
ब्रह्माकुमारीज़, अव्यक्त मुरली, स्नेह और सेवा, अटल स्थिति, दिव्य एकता, 30 जुलाई 1983, आध्यात्मिक ज्ञान, विजय आत्मा, बीके बच्चे, मुरली अंतर्दृष्टि, अचल स्थिति, सच्चा प्यार, बीके में सेवा, उन्नत पार्टी, सेवा में सहयोग, दिव्य संदेश, अटल राज अधिकारी, बीके आध्यात्मिक शिक्षाएँ, मुरली प्रश्नोत्तर, शाश्वत खुशी,